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रिलायंस इंडस्ट्रीज ने फिर निराश किया

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Category: मई 2012

भारत की सबसे बड़ी निजी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने एक बार फिर काफी निराश किया है। गैस उत्पादन में कमी और कमजोर रिफाइनिंग मार्जिन के चलते कंपनी ने जनवरी-मार्च 2012 की तिमाही के दौरान 4,236 करोड़ रुपये का मुनाफा हासिल किया है।

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रुपये की कमजोरी से अटका है बाजार

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Category: मई 2012

अभी कुछ समय के लिए तो शेयर बाजार एक सीमित दायरे में ही लगता है और निफ्टी में केवल 200-300 अंक के दायरे में उतार-चढ़ाव चलता रहेगा। अभी तक के जो संकेत मिले हैं, उनसे मानसून सामान्य रहने की उम्मीद लग रही है। इससे बाजार को कुछ भरोसा मिलेगा। लेकिन इससे पहले जब गार का मामला निपटा तो विश्व बाजार में अनिश्चितता बन गयी।

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अच्छी कीमतें और अच्छी खबरें साथ नहीं मिलतीं

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Category: मई 2012

भारतीय शेयर बाजार किधर जा रहा है - यह एक ऐसा सवाल है जिसका जवाब हर किसी को चाहिए लेकिन किसी के पास है नहीं! अभी बाजार में हर तरफ निराशा है। भविष्य बड़ा अनिश्चित लग रहा है। लोगों ने उम्मीदें छोड़ दी हैं। सबको लगता है कि शेयर बाजार अभी उनके लिए गलत जगह है। लगता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था का कोई भविष्य नहीं है। इतिहास हमें बताता है कि ऐसे ही मौकों पर ही शेयर बाजार अपनी तलहटी बनाता है, जो अगली तेजी के दौर का आधार बनता है।

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शेयर बाजार : क्या यहाँ रुक सकती है बाजार की गिरावट?

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Category: मई 2012

राजीव रंजन झा

बाजार की अगली दिशा को लेकर अभी असमंजस के साथ-साथ चिंता और घबराहट की स्थिति भी है। इस समय निफ्टी वापस उसी रुझान रेखा को छू रहा है, जो नवंबर 2010 और उसके बाद साल 2011 के तमाम शिखरों को छूती है। यह रेखा करीब सवा साल तक बाजार के लिए सबसे बड़ी बाधा बनी रही थी और इसी साल जनवरी में निफ्टी इसके ऊपर लौटने में सफल हो पाया था। ऐसे में इस रेखा के नीचे जाना निफ्टी के लिए खतरनाक होगा और इससे कहीं ज्यादा गहरी गिरावट की संभावना खुल जायेगी। लेकिन अभी यह उम्मीद की जा सकती है कि निफ्टी इसी रेखा पर थोड़ा ऊपर-नीचे होने के बाद सहारा ले और वापस पलटे। वैसी हालत में निफ्टी एक नयी चढ़ती पट्टी बना सकता है, जिसका शुरुआती ढाँचा अभी से बनता दिख रहा है।

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टेलीकॉम यानी सोने के अंडे देती मुर्गी

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Category: मई 2012

राजीव रंजन झा

सरकार और टेलीकॉम क्षेत्र के नियामक ने सोने की मुर्गी को एक बार में काटने का मन बना लिया है। लगता है कि 3जी के उदाहरण से उन्होंने कोई सबक नहीं लिया है। इतना समय बीत गया है 3जी सेवाओं के शुरू होने के बाद, लेकिन इन सेवाओं को किसी नजरिये से सफल नहीं कहा जा सकता। न तो ये सेवाएँ ज्यादा ग्राहकों को खींचने में सफल हो पायी हैं, न ही कंपनियों के लिए अच्छी कमाई का जरिया बन पायी हैं। मैंने 3जी नीलामी के बीच ही 27 अप्रैल 2010 को लिखा था, ‘क्या भारत में 3जी मोबाइल सेवाएँ शुरू होने से पहले ही नाकामी के लिए अभिशप्त हो गयी हैं? 3जी स्पेक्ट्रम के लिए बेहिसाब ऊँचे स्तरों की बोलियों से कुछ ऐसा ही डर लगने लगा है।‘ आज बिल्कुल वैसा ही होता दिख रहा है।

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पोर्टफोलिओ के भस्मासुर

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Category: मई 2012

भस्मासुर हमारे मिथकों का हिस्सा है। इसके दो खास लक्षण हैं। पहला, यह अपने स्वामी या बनाने वाले की ही जान पर भारी पड़ जाता है। कथाओं में वर्णित भस्मासुर भोलेनाथ शिव से वरदान पाकर उन्हें ही जलाने को दौड़ा। दूसरे, यह खुद को भी नष्ट करता है। आज यह एक प्रतीक है। यह अक्सर हमारे अंदर होता है, आसपास होता है और कई बार हमारे निवेश पोर्टफोलिओ में भी बैठा होता है।

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आरबीआई ने घटायी दरें आगे मुश्किल हालात की चेतावनी

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Category: मई 2012

सुशांत शेखर

रिजर्व बैंक के गवर्नर डी सुब्बाराव ने 17 अप्रैल की सालाना समीक्षा बैठक में बाजार के साथ विश्लेषकों को भी चौंका दिया। विश्लेषक मान रहे थे कि आरबीआई रेपो दर में ज्यादा-से-ज्यादा 25 आधार अंक यानी एक चौथाई फीसदी की कटौती करेगा। लेकिन डी सुब्बाराव ने सीधे 50 आधार अंक यानी आधा फीसदी की कटौती करके बाजार और उद्योग जगत दोनों को खुश कर दिया। हालाँकि सुब्बाराव ने देश की अर्थव्यवस्था के संभावित खतरों का हवाला देते हुए यह भी साफ कर दिया कि आगे उनके हाथ बँधे रहेंगे।

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विकास की गाड़ी कैसे पकड़े रफ्तार

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Category: मई 2012

पिछले 12 महीनों में भारत की विकास दर लगातार काफी नीचे आयी है। इस कारोबारी साल के बारे में आपका अनुमान क्या है?

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यूँ बना इंडियामार्ट

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Category: मई 2012

आज तो इंटरनेट लोगों की जिंदगी का जरूरी हिस्सा है, लेकिन इसके जादू को इंडियामार्ट के संस्थापक और सीईओ दिनेश अग्रवाल ने 90 के दशक में ही समझ लिया था, इंटरनेट ब्राउजर बनने से भी पहले। अग्रवाल खुद सुना रहे हैं इंडियामार्ट शुरू होने की कहानी।

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बजट की सबसे कमजोर कड़ी

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Category: अप्रैल 2012

राजेश रपरिया, सलाहकार संपादक :

पिछले वित्त वर्ष (2011-12) में विकास दर में गिरावट आयी। यह गिरावट क्यों आयी, क्योंकि ब्याज दरें काफी ऊँची थीं। ब्याज दरें क्यों ज्यादा थीं, क्योंकि सरकारी घाटा (फिस्कल डेफिसिट) बहुत अधिक था। सरकारी घाटा क्यों बेलगाम हो गया, क्योंकि तेल, उर्वरक और खाद्य सब्सिडी में भारी बढ़ोतरी हुई और सरकार की आमदनी लक्ष्य से काफी कम रह गयी। सरकारी घाटे का इस बार लक्ष्य जीडीपी का 5.1% (5.13 लाख करोड़ रुपये) रखा गया है, जो पिछले संशोधित अनुमान 5.9% से कम, लेकिन उसके मूल अनुमान 4.6% से ज्यादा है।वित्तमंत्रीकीअवधारणाहैकि वित्त वर्ष 2012-13 में विकास दर 7.6% रहेगी और महँगाई भी इस स्तर से नीचे रहेगी।

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10 दिग्गज जानकारों के पसंदीदा शेयर

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Category: अप्रैल 2012

अमर अंबानी, रिसर्च प्रमुख, इंडिया इन्फोलाइन

शेयर बाजार करवट बदलने की कोशिश में है। जानकार मानने लगे हैं कि अब बाजार के ऊपर जाने में भले ही थोड़ा कम या थोड़ा ज्यादा वक्त लगे, लेकिन इन स्तरों से ज्यादा नीचे फिसलने की संभावनाएँ कम ही हैं। यानी निवेश के लिए यह एक अच्छा मौका हो सकता है। तो इस अच्छे मौके का फायदा उठाने के लिए हम लेकर आये हैं 10 दिग्गजों के पाँच-पाँच चुनिंदा शेयर। ये 10 दिग्गज हैं अमर अंबानी, अंबरीश बालिगा, अशोक अग्रवाल, गजेंद्र नागपाल, के के मित्तल, पंकज पांडेय, राजन शाह, सुदीप बंद्योपाध्याय, विनय गुप्ता और विजय चोपड़ा। 

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पसंदीदा शेयर

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Category: अप्रैल 2012

अंबरीश बालिगा, सीओओ, वे टू वेल्थ

एसकेएस माइक्रोफाइनेंस
पिछले आधे साल से एसकेएस माइक्रोफाइनेंस के शेयर भाव में काफी गिरावट आयी है। आंध्र प्रदेश में कंपनी के कामकाज पर आया संकट इसका प्रमुख कारण है, क्योंकि इसे वहाँ अपने काफी कर्ज बट्टे खाते में डालने पड़े। लेकिन इसकी कीमत में आयी गिरावट सबसे बुरी संभावनाओं को भी पार कर चुकी है। माइक्रोफाइनेंस क्षेत्र के लिए एमएफआईडीआर विधेयक के कानून बन जाने पर यह इस बारे में राज्य सरकारों के कानूनों के ऊपर होगा।

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