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- Category: सिंतंबर 2012
राजीव रंजन झा :
नोएडा में रहने वाले पंकज गोयल की आयु 45 वर्ष और व्यक्तिगत सालाना आमदनी 2.20 लाख रुपये है। इनके पिता ने जब इनसे कहा तो इन्होंने भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) से एक बीमा करवा लिया। लेकिन इस योजना के नफा-नुकसान के बारे में उन्हें कुछ नहीं पता। उन्हें यह भी मालूम नहीं है कि उनकी इस योजना में कुल बीमा राशि कितनी है। उन्हें बस इतना पता है कि सालाना 18,889 रुपये की दो किस्तें जाती हैं।
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अभीक बरुआ, मुख्य अर्थशास्त्री, एचडीएफसी बैंक :
पिछले साल की पहली तिमाही में अर्थव्यवस्था की विकास दर 8% थी और यह अब घट कर 5.5% पर आ गयी है। निश्चित रूप से हमारी अर्थव्यवस्था धीमी पड़ रही है। मेरा मानना है कि कारोबारी साल 2012-13 के अंत तक हमारी विकास दर 5.5% या इससे थोड़ी अधिक रह सकती है। पिछले साल के औसत स्तर से इस साल हमारी विकास दर नीची ही रहेगी।
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अगर शेयर भाव एक स्तर से नीचे आ जायें तो प्रमोटरों को कुछ भुगतान करना पड़ता है या और अधिक शेयर गिरवी रखने पड़ते हैं। प्रमोटर अतिरिक्त भुगतान नहीं कर पाये या मार्जिन के तौर पर अतिरिक्त शेयर नहीं दे पाये तो कर्ज देने वाले को यह अधिकार होता है कि वह खुले बाजार में उन शेयरों को बेच दे।
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कारोबारी साल 2012-13 की पहली तिमाही में स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) के मुनाफे में 18% की कमी आयी है। अप्रैल-जून 2012 तिमाही में कंपनी को 696 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ है। पिछले साल की इसी तिमाही में कंपनी को 848 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ था। कंपनी की कुल आमदनी में भी 3% की गिरावट दर्ज हुई है। अप्रैल-जून 2012 तिमाही में कंपनी की कुल आमदनी 11056 करोड़ रुपये रही है। पिछले साल की इसी अवधि में इसकी कुल आय 11408 करोड़ रुपये रही थी।
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ब्रोकिंग फर्म इडेलवाइज सिक्योरिटीज ने ऑटो, बैंक, कृषि और आईटी क्षेत्र से जुड़ी पाँच कंपनियों के नतीजों, आगामी योजनाओं और भावी बाजार को देखते हुए निवेशकों को काफी लंबी अवधि के लिए पोर्टफोलिओ में रखने की सलाह दी है। इडेलवाइज का मानना है कि ये शेयर आपकी वित्तीय आजादी का साधन बन सकते हैं ।
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केवल 15% फंड मैनेजर इस साल के अंत तक 5% से ज्यादा गिरावट की संभावना देख रहे हैं। उनके मुकाबले 85% फंड मैनेजर मान रहे हैं कि बाजार दिसंबर 2012 तक या तो केवल 5% ऊपर या नीचे के दायरे में रहेगा, या इससे ऊपर जायेगा।
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राजीव रंजन झा :
अपने भारतीय बाजार में निवेशकों का मिजाज बड़ा नाजुक है। हाल में बाजार का जो हाल दिखा है, उससे लग रहा है कि लोग बाजार में तेजी की चाहत तो रखते हैं, मगर अंदर कुछ ऐसा डर बसा है जो उन्हें लाल रंग की पहली झलक दिखते ही घबरा देता है। निफ्टी 4 जून की तलहटी 4770 से अभी 23 अगस्त को 5449 तक चला आया, मतलब 679 अंक की उछाल मिल गयी। लेकिन अगले 2-3 कारोबारी दिनों में इस ऊपरी स्तर से सवा सौ डेढ़ सौ अंक नीचे फिसलते ही बाजार में एकदम मायूसी छायी दिख रही है। जनाब, शेयर बाजार क्या हमेशा एक सीधी रेखा पर चलता है?
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राजीव कपूर, कमोडिटी प्रमुख, ट्रस्टलाइन सिक्योरिटीज :
निवेशकों को बीते आठ सालों से सोने में साल-दर-साल काफी अच्छा लाभ मिला है और सोने की चमक पर यकीन करने वालों को इसने लगातार खुशी दी है। भारतीयों के बीच तो सोने के प्रति पारपंरिक रूप से जबरदस्त झुकाव और इस पर गहरा विश्वास है। अगस्त के तीसरे हफ्ते में भारतीय बाजार में सोने का भाव 31,000 रुपये प्रति 10 ग्राम से भी ऊपर के नये उच्चतम भाव को छू गया।
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- Category: सिंतंबर 2012
सोनी ने डीएससी सीरिज में आरएक्स 100 नाम से एक नया कैमरा भारतीय बाजार में उतारा है। इस कैमरे में उच्च तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। 20 मेगापिक्सल की क्षमता वाले इस कैमरे में एक्समोर सीएमओएस सेंसर लगा है साथ ही यह 3 इंच की डिस्प्ले स्क्रीन, ऑप्टिकल जूम 4एक्स और डिजिटल जूम 8एक्स की सुविधा से युक्त है।
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- Category: अगस्त 2012
राजेश रपरिया, सलाहकार संपादक:
प्रणव मुखर्जी का वित्त मंत्री पद छोडऩा और उनको राष्ट्रपति बनाने का रहस्य आने वाले समय में राजनीतिक टिप्पणीकारों का सबसे दिलचस्प विषय होगा। वित्त मंत्रालय छोड़ते समय 25 जून को उन्होंने अपने 45 सालों के राजनीतिक सफर को बड़े भावुक होकर याद किया। पर बतौर वित्त मंत्री अपने कार्यकाल पर एक शब्द भी बोलना उन्हें मुनासिब नहीं लगा। उन्हें यूपीए-2 सरकार का राजनीतिक संकटमोचक कहा गया है। लेकिन बाजारवादी अर्थ-जगत उन्हें मौजूदा खराब आर्थिक हालत के लिए कसूरवार मानता है।
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- Category: अगस्त 2012
शेयर मंथन सर्वेक्षण
जनवरी 2012 में शेयर बाजार के दिग्गज विशेषज्ञों के सर्वेक्षण पर हमारी आमुख कथा का शीर्षक था - कहीं पास ही है तलहटी। लेकिन आज पलट कर देखें तो पता चलता है कि तब बाजार अपनी तलहटी के आसपास नहीं था, बल्कि ठीक उसी समय दिसंबर के अंतिम हफ्ते में तलहटी बना कर आगे बढ़ा था।
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- Category: अगस्त 2012
राजीव रंजन झा :
बाजार वक्त से आगे चलने का आभास देता है, लेकिन हर बार वाकई ऐसा होना जरूरी नहीं है। कई बार बाजार किसी बड़े रुझान को देखने में काफी समय लगा देता है और जब बाजार की नजर उस रुझान पर पड़ती है, तब तक संभव है कि उस रुझान का पेंडुलम वापस पलट चुका हो।
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