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पहली तिमाही : पहले से बेहतर या कमजोर?

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Category: अगस्त 2012

तिमाही नतीजे

क्या सेंसेक्स की दिग्गज कंपनियों पर इस कारोबारी साल की पहली तिमाही में दबाव भले ही रहे, लेकिन सुधार के लक्षण भी दिखेंगे? क्या ऐसा होगा कि मोटे तौर पर साल-दर-साल आकलन करते समय तस्वीर अच्छी न लगे, लेकिन तिमाही-दर-तिमाही तुलना में स्थिति बेहतर होती दिखे?

तिमाही नतीजों का मौसम अब शुरू हो ही चला है और एक बार फिर बाजार को इन नतीजों से ज्यादा उत्साहजनक उम्मीदें नहीं हैं। एंजेल ब्रोकिंग की रिपोर्ट बता रही है कि पिछली कई तिमाहियों की तरह 2012-13 की पहली तिमाही में फिर से कंपनियों के मुनाफे बढऩे की रफ्तार कमजोर रह सकती है।
इसकी जिम्मेदारी मोटे तौर पर दो ही बातों पर है - ऊँची महँगाई दर और घटती विकास दर। एंजेल ब्रोकिंग का आकलन है कि 2012-13 की पहली तिमाही में सेंसेक्स कंपनियों की बिक्री साल-दर-साल आधार पर 13.8% बढ़ेगी। ठीक पिछली तिमाही के मुकाबले यह दर काफी नीचे होगी, क्योंकि 2011-12 की चौथी तिमाही में सेंसेक्स कंपनियों की बिक्री 19.8% बढ़ी थी। अगर सेंसेक्स कंपनियों के मुनाफे में बढ़ोतरी की रफ्तार देखें तो चौथी तिमाही के 16.5% से घट कर 12.2% रह जाने की संभावना है।
हालाँकि अगर सेंसेक्स कंपनियों में से तेल-गैस शेयरों, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) और टाटा मोटर्स को हटा दें तो एंजेल ब्रोकिंग के मुताबिक शेष 25 सेंसेक्स कंपनियों की बिक्री ठीक पिछली तिमाही के 15.9% के बदले इस बार 15.2% बढ़ेगी। यानी इस पैमाने पर स्थिति उतनी बुरी नहीं लगती।
अगर इन 25 कंपनियों के मुनाफे में वृद्धि की दर देखें तो यह चौथी तिमाही के 2.7% से बढ़ कर इस पहली तिमाही में 9.4% हो जाने की उम्मीद है। अगर हम केवल तेल-गैस क्षेत्र को हटा कर सेंसेक्स के बाकी 27 शेयरों को लें, तो एंजेल के मुताबिक इनके मुनाफे में वृद्धि दर चौथी तिमाही के 16.7% से बढ़ कर 18% हो जायेगी। तो क्या इसका मतलब यह निकाला जाये कि कुछ खास नामों और तेल-गैस को छोड़ दें तो बाकी कंपनियों का प्रदर्शन इस बार पिछली तिमाही के मुकाबले कुछ बेहतर हो सकता है।
अभी बाजार में इन कंपनियों के मार्जिन को लेकर भी आशंका बनी हुई है। इस बारे में एंजेल ब्रोकिंग का आकलन है कि 2013-14 की पहली तिमाही में सेंसेक्स की 30 कंपनियों का एबिटा मार्जिन 21.7% रहेगा, जबकि पिछले कारोबारी साल की पहली तिमाही में यह 0.88% अंक ज्यादा यानी 22.58% था।
लेकिन यहाँ भी हमें दिखता है कि इन 30 कंपनियों का एबिटा मार्जिन 2011-12 की चौथी तिमाही के 21.3% की तुलना में इस बार थोड़ा सुधर कर 21.7% रहने का अनुमान है। हालाँकि इसमें साल-दर-साल यानी 2011-12 की पहली तिमाही से 0.88% अंक की कमी आयेगी, लेकिन गौरतलब है कि 2011-12 की चौथी तिमाही में इनका मार्जिन पिछले कारोबारी साल की समान तिमाही से 1.76% अंक घटा था।
अगर हम तेल-गैस क्षेत्र, एसबीआई और टाटा मोटर्स को हटा कर शेष 25 सेंसेक्स कंपनियों का एबिटा मार्जिन देखें तो 2011-12 की चौथी तिमाही में यह 2.10% अंक घट कर 22.6% रहा था। वहीं 2012-13 की पहली तिमाही में यह पिछले कारोबारी साल की पहली तिमाही के मुकाबले 0.71% अंक घट कर 22.9% रहने का अनुमान है।
तो क्या इसका यह मतलब निकाला जाये कि सेंसेक्स की दिग्गज कंपनियों पर पिछले कारोबारी साल की चौथी तिमाही के मुकाबले इस कारोबारी साल की पहली तिमाही में दबाव भले ही रहे, लेकिन सुधार के लक्षण भी दिखेंगे? क्या ऐसा होगा कि मोटे तौर पर साल-दर-साल आकलन करते समय तस्वीर अच्छी न लगे, लेकिन तिमाही-दर-तिमाही तुलना में स्थिति बेहतर होती दिखे? अगर ऐसा होता है तो यह बाजार के लिए शुभ संकेत होगा।
लेकिन अगर सेंसेक्स की दिग्गज कंपनियों से आगे बढ़ कर देखें तो इस बाजार की बड़ी तस्वीर कैसी है? एंजेल ब्रोकिंग का कहना है कि उसके विश्लेषण में शामिल 152 कंपनियों की बिक्री 2011-12 की चौथी तिमाही में 17% बढ़ी थी, लेकिन इस बार यह बढ़त धीमी हो कर केवल 15.2% रहेगी। इस दरम्यान इनका एबिटा मार्जिन 23.4% से सुधर कर 24.1% रहने का अनुमान है। वहीं इन कंपनियों का मुनाफा बढऩे की दर 12.5% से घट कर 11.4% रह जाने की संभावना है।
एंजेल की इस 152 कंपनियों की सूची में से अगर तेल-गैस क्षेत्र, एसबीआई और टाटा मोटर्स को हटा दें, तो तस्वीर थोड़ी बदल जाती है। तब बाकी बची 146 कंपनियों की बिक्री बढऩे की दर चौथी तिमाही के 14.0% से सुधर कर पहली तिमाही में 16.7% हो जाने का अनुमान मिलता है।
इनका एबिटा मार्जिन चौथी तिमाही के 24.6% से बढ़ कर 25.3% होने का अनुमान है। वहीं इनका मुनाफा बढऩे की रफ्तार 4.6% से सुधर कर 10.7% हो जाने की उम्मीद बन जाती है। इससे तो यही लगता है कि केवल सेंसेक्स कंपनियों में ही नहीं, बल्कि बाकी कंपनियों में भी बिक्री, मार्जिन और मुनाफे का चक्र वापस सँभलने के संकेत दे रहा है।
वहीं कुछ अन्य ब्रोकिंग फर्मों के अनुमानों पर निगाह डालें तो इडेलवाइज सिक्योरिटीज की रिपोर्ट के मुताबिक सेंसेक्स की 30 कंपनियों का तिमाही मुनाफा साल-दर-दर 7.8% बढ़ेगा, लेकिन तिमाही-दर-तिमाही 16.0% घटेगा। इसका अनुमान है कि सेंसेक्स कंपनियों की कुल तिमाही आमदनी साल-दर-साल 15.5% बढ़ेगी, लेकिन तिमाही-दर-तिमाही 6.4% घटेगी।
वहीं इनकी एबिटा आय साल-दर-साल 1.46% घटेगी, लेकिन ठीक पिछली तिमाही से 0.30% सुधरेगी। इडेलवाइज की विश्लेषण-सूची में शामिल सभी 178 कंपनियों की बात करें तो इनकी कुल आमदनी साल-दर-साल 16.2% बढ़ेगी, लेकिन तिमाही-दर-तिमाही 7.1% घटेगी। इनकी एबिटा आय (बीएफएसआई छोड़ कर) भी साल-दर-साल 1.81% घटेगी और तिमाही-दर-तिमाही 3.90% घटेगी। इन सारी कंपनियों का कुल मुनाफा साल-दर-साल 5.1% घटने और तिमाही-दर-तिमाही 45.4% घटने का अनुमान लगाया गया है।
इस तरह एंजेल ब्रोकिंग और इडेलवाइज के अनुमानों में खास तौर पर मुनाफे को लेकर काफी फर्क दिखता है। जहाँ एंजेल ब्रोकिंग ने 30 सेंसेक्स कंपनियों के मुनाफे में साल-दर-साल 12.2% बढ़ोतरी की उम्मीद रखी है, वहीं इडेलवाइज ने इसमें 5.1% कमी का अंदेशा जताया है।
इससे यही नतीजा निकाला जा सकता है कि इन तिमाही नतीजों को लेकर मोटे तौर पर सबकी उम्मीदें बुझी-बुझी होने के बावजूद बिक्री, मुनाफे और मार्जिन के आँकड़ों के अनुमान काफी अलग-अलग हैं। लिहाजा इन तिमाही नतीजों के आधार बाजार में चुनिंदा शेयरों में हलचल मचती रहेगी।
(निवेश मंथन, अगस्त 2012)

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