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- Category: जनवरी 2012
राजेश रपरिया, सलाहकार संपादक :
पूरी उम्मीद है कि सन 2012 पिछले साल जैसा भयावह नहीं होगा। मुद्रास्फीति, ऊँची ब्याज दरें, कमजोर होता रुपया और वैश्विक आर्थिक कारकों ने पिछले साल भारत की विकास गाथा को लील लिया। लेकिन निवेश मंथन के ताजा सर्वेक्षण में यह उम्मीद उभर कर सामने आयी है कि 2012 का साल 2011 जितना खराब और डरावना नहीं होगा। मुद्रास्फीति की दर धीरे-धीरे उतार पर है।
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राजीव रंजन झा :
सबसे पहली बात - हम इस सर्वेक्षणसेक्याजाननासमझनाचाहतेथे? यही कि साल 2012 निवेशकों के लिए किन आशाओं और आशंकाओं को लेकर आ रहा है। हमने कभी यह नहीं सोचा या दावा किया कि सर्वेक्षणों से शेयर बाजार की सटीक भविष्यवाणी की जा सकती है। लेकिन इनसे यह जरूर पता चल जाता है कि भविष्य के बारे में आज बाजार की सामूहिक सोच क्या है और वह सोच किन बातों के आधार पर बन रही है।
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दूसरी छमाही में शुरू होगी मजबूत चाल
अजय बग्गा, एमडी, डॉयशे बैंक इंडिया :
चिंताएँ : यूरोपीय सरकारों के कर्ज संकट के साथ-साथ बैंकों की मुश्किलें भी काफी बड़ी, चीन की अर्थव्यवस्था भी अचानक धीमी पडऩे की आशंका, भारत के लिए एफआईआई की धारणा भी कमजोर हो गयी।
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सुशांत शेखर :
बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड यानी सेबी ने हाल में आये सात आईपीओ यानी पब्लिक इश्युओं में गड़बड़ी पायी है।
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राजीव रंजन झा :
हमारे शेयर बाजार में साल 2011 का समापन बड़े मायूस ढंग से हुआ है। नये साल के लिए जानकारों की टिप्पणियों में यह फैसला करना मुश्किल है कि उम्मीदों का पलड़ा भारी है या डर का। लेकिन मुझे लग रहा है कि भारतीय बाजार में फिलहाल एक ठीक-ठाक उछाल की संभावना बनने लगी है।
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बदरुद्दीन खान, एवीपी - रिसर्च, एंजेल कमोडिटीज :
सोने में 2011 के दौरान लगातार ग्यारहवें साल बढ़त रही और घरेलू एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर यह 29,433 रुपये प्रति 10 ग्राम के भाव तक चढ़ा। अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना 1920.95 डॉलर प्रति औंस तक चढ़ा। सालाना आधार पर सोने का वायदा भाव कॉमेक्स में 12% और एमसीएक्स में 33% उछला। डॉलर के मुकाबले रुपये की कमजोरी से भारतीय बाजार में सोने के दाम ज्यादा बढ़े।
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शिवानी भास्कर :
डॉलर के मुकाबले रुपया ऐतिहासिक कमजोरी झेल रहा है। सितंबर के बाद से करीब 17.5% की कमजोरी झेल चुका रुपया जब एक डॉलर के बदले 55 का स्तर छूने से कुछ ही पैसे की दूरी पर था, तब आखिरकार भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को यह महसूस हुआ कि उसे हस्तक्षेप करना चाहिए।
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सुभाष लखोटिया, कर सलाहकार :
सबसे पहले हम यह देखते हैं कि मार्च 2012 में खत्म होने वाले वित्त वर्ष के लिए आप नये निवेश के जरिये कैसे कर में छूट पा सकते हैं। सबसे पहले करदाताओं को यह देखना चाहिए कि धारा 80सी में जो एक लाख रुपये की सीमा है, उसका पूरा इस्तेमाल कर लें।
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