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- Category: मई 2012
राजेश रपरिया, सलाहकार संपादक :
देश की आर्थिक स्थिति डाँवाडोल है। पल में लगता है कि आर्थिक हालात सुधर रहे हैं तो दूसरे ही पल लगता है कि आर्थिक हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी आर्थिक तस्वीर कोई उत्साहजनक नहीं है। फ्रांस और ग्रीस के चुनावी नतीजों से यूरोपीय संकट को लेकर चिंता की लकीरें और गहरी हो गयी हैं।
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- Category: मई 2012
सुशांत शेखर
बजट के कई प्रस्तावों पर उद्योग जगत का विरोध रंग लाया है। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने 7 मई को वित्त विधेयक पर चर्चा के दौरान बजट में किये गये कई विवादित प्रस्ताव या तो पूरी तरह वापस ले लिए या उन्हें टाल दिया।
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- Category: मई 2012
भारत की सबसे बड़ी निजी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने एक बार फिर काफी निराश किया है। गैस उत्पादन में कमी और कमजोर रिफाइनिंग मार्जिन के चलते कंपनी ने जनवरी-मार्च 2012 की तिमाही के दौरान 4,236 करोड़ रुपये का मुनाफा हासिल किया है।
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- Category: मई 2012
अभी कुछ समय के लिए तो शेयर बाजार एक सीमित दायरे में ही लगता है और निफ्टी में केवल 200-300 अंक के दायरे में उतार-चढ़ाव चलता रहेगा। अभी तक के जो संकेत मिले हैं, उनसे मानसून सामान्य रहने की उम्मीद लग रही है। इससे बाजार को कुछ भरोसा मिलेगा। लेकिन इससे पहले जब गार का मामला निपटा तो विश्व बाजार में अनिश्चितता बन गयी।
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- Category: मई 2012
भारतीय शेयर बाजार किधर जा रहा है - यह एक ऐसा सवाल है जिसका जवाब हर किसी को चाहिए लेकिन किसी के पास है नहीं! अभी बाजार में हर तरफ निराशा है। भविष्य बड़ा अनिश्चित लग रहा है। लोगों ने उम्मीदें छोड़ दी हैं। सबको लगता है कि शेयर बाजार अभी उनके लिए गलत जगह है। लगता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था का कोई भविष्य नहीं है। इतिहास हमें बताता है कि ऐसे ही मौकों पर ही शेयर बाजार अपनी तलहटी बनाता है, जो अगली तेजी के दौर का आधार बनता है।
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- Category: मई 2012
राजीव रंजन झा
बाजार की अगली दिशा को लेकर अभी असमंजस के साथ-साथ चिंता और घबराहट की स्थिति भी है। इस समय निफ्टी वापस उसी रुझान रेखा को छू रहा है, जो नवंबर 2010 और उसके बाद साल 2011 के तमाम शिखरों को छूती है। यह रेखा करीब सवा साल तक बाजार के लिए सबसे बड़ी बाधा बनी रही थी और इसी साल जनवरी में निफ्टी इसके ऊपर लौटने में सफल हो पाया था। ऐसे में इस रेखा के नीचे जाना निफ्टी के लिए खतरनाक होगा और इससे कहीं ज्यादा गहरी गिरावट की संभावना खुल जायेगी। लेकिन अभी यह उम्मीद की जा सकती है कि निफ्टी इसी रेखा पर थोड़ा ऊपर-नीचे होने के बाद सहारा ले और वापस पलटे। वैसी हालत में निफ्टी एक नयी चढ़ती पट्टी बना सकता है, जिसका शुरुआती ढाँचा अभी से बनता दिख रहा है।
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- Category: मई 2012
राजीव रंजन झा
सरकार और टेलीकॉम क्षेत्र के नियामक ने सोने की मुर्गी को एक बार में काटने का मन बना लिया है। लगता है कि 3जी के उदाहरण से उन्होंने कोई सबक नहीं लिया है। इतना समय बीत गया है 3जी सेवाओं के शुरू होने के बाद, लेकिन इन सेवाओं को किसी नजरिये से सफल नहीं कहा जा सकता। न तो ये सेवाएँ ज्यादा ग्राहकों को खींचने में सफल हो पायी हैं, न ही कंपनियों के लिए अच्छी कमाई का जरिया बन पायी हैं। मैंने 3जी नीलामी के बीच ही 27 अप्रैल 2010 को लिखा था, ‘क्या भारत में 3जी मोबाइल सेवाएँ शुरू होने से पहले ही नाकामी के लिए अभिशप्त हो गयी हैं? 3जी स्पेक्ट्रम के लिए बेहिसाब ऊँचे स्तरों की बोलियों से कुछ ऐसा ही डर लगने लगा है।‘ आज बिल्कुल वैसा ही होता दिख रहा है।
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- Category: मई 2012
भस्मासुर हमारे मिथकों का हिस्सा है। इसके दो खास लक्षण हैं। पहला, यह अपने स्वामी या बनाने वाले की ही जान पर भारी पड़ जाता है। कथाओं में वर्णित भस्मासुर भोलेनाथ शिव से वरदान पाकर उन्हें ही जलाने को दौड़ा। दूसरे, यह खुद को भी नष्ट करता है। आज यह एक प्रतीक है। यह अक्सर हमारे अंदर होता है, आसपास होता है और कई बार हमारे निवेश पोर्टफोलिओ में भी बैठा होता है।
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सुशांत शेखर
रिजर्व बैंक के गवर्नर डी सुब्बाराव ने 17 अप्रैल की सालाना समीक्षा बैठक में बाजार के साथ विश्लेषकों को भी चौंका दिया। विश्लेषक मान रहे थे कि आरबीआई रेपो दर में ज्यादा-से-ज्यादा 25 आधार अंक यानी एक चौथाई फीसदी की कटौती करेगा। लेकिन डी सुब्बाराव ने सीधे 50 आधार अंक यानी आधा फीसदी की कटौती करके बाजार और उद्योग जगत दोनों को खुश कर दिया। हालाँकि सुब्बाराव ने देश की अर्थव्यवस्था के संभावित खतरों का हवाला देते हुए यह भी साफ कर दिया कि आगे उनके हाथ बँधे रहेंगे।
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- Category: मई 2012
पिछले 12 महीनों में भारत की विकास दर लगातार काफी नीचे आयी है। इस कारोबारी साल के बारे में आपका अनुमान क्या है?
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- Category: मई 2012
आज तो इंटरनेट लोगों की जिंदगी का जरूरी हिस्सा है, लेकिन इसके जादू को इंडियामार्ट के संस्थापक और सीईओ दिनेश अग्रवाल ने 90 के दशक में ही समझ लिया था, इंटरनेट ब्राउजर बनने से भी पहले। अग्रवाल खुद सुना रहे हैं इंडियामार्ट शुरू होने की कहानी।
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