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गार एक साल टला, पर वोडाफोन को राहत नहीं

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Category: मई 2012

सुशांत शेखर

बजट के कई प्रस्तावों पर उद्योग जगत का विरोध रंग लाया है। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने 7 मई को वित्त विधेयक पर चर्चा के दौरान बजट में किये गये कई विवादित प्रस्ताव या तो पूरी तरह वापस ले लिए या उन्हें टाल दिया।

वित्त मंत्री ने जनरल एंटी एवॉयडेंस रूल यानी गार पर अमल एक साल के लिए टालने का अहम फैसला किया। गार का इस्तेमाल टैक्स चोरी रोकने के लिए किया जाना है। गार की वजह से विदेशी संस्थागत निवेशकों में भय और चिंता है।
सरकार गार के नियम तय करने के लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी बनायेगी। इसके बाद गार वित्त वर्ष 2013-14 से लागू होगा। साथ ही टैक्स चोरी साबित करने की जिम्मेदारी सरकार की होगी। पहले के प्रस्ताव के मुताबिक करदाता ने टैक्स चोरी नहीं की है. इसे साबित करने की जिम्मेदारी करदाता की ही होनी थी।
वित्त मंत्री ने पिछली तारीख से आयकर नियमों में संशोधन पर और सफाई देते हुए कहा है कि यह उन देशों से निवेश पर लागू नहीं होगा, जिनके साथ भारत ने दोहरे कराधान से बचने के लिए समझौता यानी डीटीएए नहीं किया है। साथ ही जिन मामलों में आयकर विभाग आकलन (असेसमेंट) आदेश जारी कर चुका है वो दोबारा नहीं खोले जाएंगे।
हालाँकि इस सफाई से वोड़ाफोन को कोई राहत नहीं मिली है। 2007 में वोडाफोन और हचिसन के बीच केमैन आईलैंड में सौदा हुआ था। भारत ने केमैन आईलैंड के साथ डीटीएए नहीं किया है। आयकर कानून में पिछली तारीख से बदलाव लागू हो जाने से वोडाफोन की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। माना जा रहा है कि सरकार कंपनी से करीब 20,000 करोड़ रुपये की मांग कर सकती है। सरकार की वोडाफोन से मूल रूप से 7,900 करोड़ रुपये की टैक्स मांग है। इसमें ब्याज की 4,000 करोड़ रुपये की रकम जुडऩे के बाद कुल मांग करीब 12,000 करोड़ रुपये हो जाती है। लेकिन अब सरकार मूल रकम के बराबर जुर्माना भी वसूल सकती है। मतलब यह रकम बढ़कर करीब 20,000 करोड़ रुपये हो सकती है। वित्त मंत्री ने निजी इक्विटी निवेशकों को भी थोड़ी राहत दी है। पीई निवेशकों के गैर-सूचीबद्ध कंपनियों में निवेश पर दीर्घावधि पूंजी लाभ कर की दर 20% से घटाकर 10% कर दी गई है। सरकार ने टैक्स की दर विदेशी संस्थागत निवेशकों यानी एफआईआई के बराबर कर दी। हालाँकि अगर पीई निवेशक सार्वजनिक इश्यू यानी आईपीओ के जरिये उस कंपनी में अपनी हिस्सेदारी बेचते हैं तो उन्हें 0.2% की दर से सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स यानी एसटीटी चुकानी होगी।
वित्त विधेयक पर चर्चा के जवाब के दौरान वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने काले धन के मसले पर सख्त रुख अपनाया। उन्होंने कहा कि केवल विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए भारत को टैक्स चोरी का स्वर्ग नहीं बनने देंगे। वित्त मंत्री ने संसद के मौजूदा सत्र में ही काले धन पर श्वेत पत्र लाने का भरोसा भी दिया।
वित्त मंत्री ने आभूषण कारोबारियों को बड़ी राहत दी है। उन्होंने बजट में गैर ब्रैंडेड आभूषणों पर १% उत्पाद शुल्क का प्रस्ताव वापस ले लिया है। हालाँकि सोने पर आयात शुल्क 2% से बढ़ाकर 4% करने के प्रस्ताव में कोई बदलाव नहीं किया गया है। साथ ही स्रोत पर कर संग्रह यानी टीसीएस का फैसला अब 2 लाख रुपये के बजाए 5 लाख की नकद आभूषण खरीदारी पर ही लागू होगा। आभूषण कारोबारियों ने उत्पाद कर और टीसीएस के फैसले को वापस लेने के लिए बजट के बाद 17 मार्च से देश भर में 21 दिन तक हड़ताल की थी। वित्त मंत्री ने रियल एस्टेट क्षेत्र को भी बड़ी राहत दी है। उन्होंने 50 लाख रुपये से ज्यादा की संपत्ति की खरीद पर एक फीसदी स्रोत पर कर कटौती यानी टीडीएस का प्रस्ताव वापस ले लिया है। रियल एस्टेट क्षेत्र ने टीडीएस काटने के प्रस्ताव से कारोबार पर असर पडऩे की आशंका जतायी थी। अगर यह प्रस्ताव लागू होता तो 50 लाख रुपये से ज्यादा की संपत्ति पर बिल्डर 50,000 रुपये टीडीएस के रूप में काट लेता, जिसे उसे सरकार के पास जमा करानी होती। वित्त मंत्री ने विदेशी बैंकों को भारत में अपनी शाखाओं को सब्सिडियरी में बदलने पर टैक्स छूट देने का ऐलान भी किया है। रिजर्व बैंक भी चाहता है कि विदेशी बैंक शाखाओं के विस्तार के बजाए अपनी इकाइयां खोले ताकि उनके अपने घरेलू बाजार की दिक्कतों का असर उनके भारतीय कामकाज पर कम से कम पड़े।
फिलहाल विदेशी बैंक अगर अभी अपनी शाखाओं को सब्सीडियरी में बदलते हैं तो उन्हें स्टैंप ड्यूटी और पूंजीगत लाभ के तौर पर बाजार मूल्य के 30% तक चुकाना पड़ता है। लेकिन वित्त मंत्री के ऐलान के बाद उन्हें अपनी सब्सीडियरी शुरू करने पर कोर्ई टैक्स नहीं देना होगा। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने वित्त विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए ऑटो उद्योग को मामूली राहत देने का ऐलान किया। वित्त मंत्री ने व्यावसायिक वाहनों की चेसिस पर एक्साइज ड्यूटी दर में १% की कटौती की है। बजट में चेसिस पर 15% एक्साइज ड्यूटी का ऐलान किया गया था, जिसे घटाकर 14% कर दिया गया है।
(निवेश मंथन, मई 2012)

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