अभी कुछ समय के लिए तो शेयर बाजार एक सीमित दायरे में ही लगता है और निफ्टी में केवल 200-300 अंक के दायरे में उतार-चढ़ाव चलता रहेगा। अभी तक के जो संकेत मिले हैं, उनसे मानसून सामान्य रहने की उम्मीद लग रही है। इससे बाजार को कुछ भरोसा मिलेगा। लेकिन इससे पहले जब गार का मामला निपटा तो विश्व बाजार में अनिश्चितता बन गयी।
अभी शेयर बाजार में नयी तेजी के लिए कोई स्पष्ट कारण नहीं है। अभी पैसा लगाने पर पैसा बनेगा, यह उम्मीद नहीं बन पा रही है। विदेशी संस्थागत निवेशक भी अलग बैठे हैं, क्योंकि डॉलर के मुकाबले रुपया अभी और कमजोर होने की आशंका है। एक डॉलर का भाव 55 तक भी जाने की संभावना दिख रही है, ऐसे में एफआईआई अभी पैसा क्यों लगायेंगे? अगर बाजार इन्हीं स्तरों पर टिका भी रहा, लेकिन रुपया कमजोर हो गया तो उन्हें नुकसान होगा।
किसी भी क्षेत्र के बारे में यह नहीं कहा जा सकता कि वह निकट भविष्य में एकदम जोर से बढ़ जायेगा। ऑटो क्षेत्र में बिक्री के आँकड़े कमजोर रहे हैं। बैंकिंग में भी स्थिति स्पष्ट नहीं है। बुनियादी ढाँचा (इन्फ्रास्ट्रक्चर) क्षेत्र तो बिल्कुल ही डूबा दिख रहा है। इसमें सरकार से नये ठेके मिलने या निजी कंपनियों की ओर से नयी परियोजनाएँ मिलने की रफ्तार एकदम सुस्त पड़ गयी है। धातु और बुनियादी ढाँचा जैसे क्षेत्र बड़ा निवेश खींचने की गुंजाइश रखते हैं, लेकिन अभी लोगों को उनमें खरीदारी का कोई कारण नहीं दिख रहा है। रिलायंस का शेयर भाव लगातार नीचे जा रहा है। ऐसे में निवेशक बाजार से दूर बैठे हैं, क्योंकि उन्हें नहीं लगता कि अभी पैसा नहीं लगाने पर वे किसी बड़ी तेजी में पीछे छूट जायेंगे।
अगर रुपया वापस मजबूत होने लगे और शेयर बाजार में कोई नया संकेत दिखने लगे तो बाजार जिस तरह जनवरी में पलटा था, वैसा ही माहौल एक बार फिर से बन सकता है। हाल में कच्चा तेल भी कुछ नीचे आया है, लिहाजा इस तिमाही के लिए इसका औसत भाव कुछ बेहतर ही रहेगा। सामान्य मानसून, रुपये में वापस मजबूती और कच्चे तेल में नरमी, ये तीनों बातें एक साथ मिल कर बाजार में नयी तेजी ला सकती हैं।
(निवेश मंथन, मई 2012)