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मिडकैप, स्मॉलकैप और एसएमई शेयरों में हद से ज्यादा तेजी आ चुकी थी। पर कोई बिल्ली के गले में घंटी बाँधने की कोशिश नहीं कर रहा था।
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क्या वास्तव में यह संभव है कि सालाना 12 लाख रुपये की आमदनी के बाद भी आय कर (Income Tax) बिल्कुल न भरना पड़े? जानने के लिए पढ़ें निवेश मंथन पत्रिका का फरवरी 2024 अंक, जिसकी आमुख कथा में अधिक-से-अधिक कर छूट (Tax Rebates or Tax Exemptions) का लाभ उठा कर अपनी आय को आप कर मुक्त (Tax Free) रख सकें।
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अगले 6 महीनों और 12 महीनों, यानी साल 2024 के दौरान भारत के शेयर बाजार की चाल कैसी रहेगी? कौन-सी बातें बाजार को ऊपर-नीचे करने में सबसे बड़ी भूमिका निभायेंगी? जानने के लिए पढ़ें निवेश मंथन पत्रिका का जनवरी 2024 अंक, जिसकी आमुख कथा में भारतीय शेयर बाजार की दशा-दिशा पर दिग्गज जानकारों के सबसे बड़े सर्वेक्षण के नतीजे सामने रखे गये हैं।
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निवेश मंथन पत्रिका के दिसंबर 2023 अंक की आमुख कथा पाँच राज्यों के विधान सभा चुनावों के परिणाम आने के बाद शेयर बाजार में आये नये उत्साह और बाजार को प्रभावित करने वाले विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण कर रही है।
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निवेश मंथन पत्रिका के नवंबर अंक की आमुख कथा में हमने फिनफ्लुएंसरों के उभार और इसके नियमन की दिशा में सेबी के प्रयास का लेखा-जोखा लिया है।
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निवेश मंथन पत्रिका के अक्टूबर अंक में हमने कुछ प्रमुख जानकारों से यह समझना चाहा है कि यहाँ से अगली दीपावली तक, यानी संवत 2080 में शुभ लाभ के अवसर कहाँ मिलेंगे?
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- Category: ई-पत्रिका
निवेश मंथन पत्रिका के सितंबर अंक में पिछले दो दशकों में भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रगति की समीक्षा की गयी है और इस मामले में नरेंद्र मोदी सरकार के प्रदर्शन की तुलना मनमोहन सिंह सरकार से की गयी है।
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- Category: ई-पत्रिका
निवेश मंथन पत्रिका के अगस्त अंक में निवेश की दुनिया के 12 दिग्गजों ने वित्तीय स्वतंत्रता की राह पर आगे बढ़ने के तरीके बताये हैं।
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- Category: नवंबर 2011
राजीव रंजन झा :
महीने भर पहले निवेश मंथन के अक्टूबर अंक में मैंने प्रश्न रखा था कि क्या निफ्टी दशहरा-दीपावली तक 6000 पर चला जायेगा?
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- Category: दिसंबर 2011
राजेश रपरिया, सलाहकार संपादक:
हिंदी की एक कहावत है - चौबे गये छब्बे बनने, दुबे बन कर लौट आये।अभी यह कहावत केंद्र में काबिज यूपीए सरकार पर शत प्रतिशत खरी उतरती है। अपनी मृतप्राय छवि को सुधारने के लिए इस सरकार ने देश के खुदरा बाजार में 51% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की मंजूरी देने की घोषणा की।
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- Category: दिसंबर 2011
शिवानी भास्कर :
आर्थिक सुधारों और वैश्वीकरण की जिस प्रक्रिया को वित्त मंत्री के तौर पर डॉ मनमोहन सिंह ने 1991 में शुरू किया था, वह हाल में अटक सी गयी थी। जानकारों ने कहना शुरू कर दिया था कि सरकार नीतिगत रूप से लकवाग्रस्त हो गयी है। लेकिन सरकार जब हरकत में आयी और इसने सालों से लंबित कुछ महत्वपूर्ण फैसले किये तो साथ ही विवादों का पिटारा भी खुल गया।
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- Category: दिसंबर 2011
राजीव रंजन झा :
भारत सरकार लंबे इंतजार के बाद नीतियाँ बनाने के मोर्चे पर हरकत में आयी और केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दो बड़े फैसले कर लिये। इसने कंपनी विधेयक पर मुहर लगा दी और साथ ही खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के दरवाजे भी खोल दिये। केवल एक ब्रांड वाले खुदरा कारोबार के लिए 51% एफडीआई की अनुमति पहले से ही थी, जिसमें अब 100% एफडीआई की अनुमति दे दी गयी है।
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