रिलायंस इंडस्ट्रीज : गैस उत्पादन की चिंता सबसे भारी
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- Category: अगस्त 2011
भारत की सबसे बड़ी निजी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज ने जनवरी-मार्च 2011 की तिमाही के दौरान 5376 करोड़ रुपये का मुनाफा हासिल किया। यह पिछले कारोबारी साल की समान तिमाही के 4710 करोड़ रुपये से 14% ज्यादा रहा।
बीएचईएल : मुनाफे में तेज बढ़त पर भी बाजार नाखुश
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- Category: अगस्त 2011
देश की प्रमुख इंजीनियरिंग कंपनी भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स (बीएचईएल) का तिमाही मुनाफा 46.5% बढ़ा। जनवरी-मार्च 2011 तिमाही में कंपनी का मुनाफा 2798 करोड़ रुपये रहा, जबकि पिछले साल इसी अवधि में कंपनी को 1910 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ था।
आरकॉम : सातवीं कमजोर तिमाही
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- Category: अगस्त 2011
बाजार में शायद ही कोई व्यक्ति कंपनी के नतीजे अच्छे रहने की उम्मीद कर रहा हो। लेकिन इसके नतीजों ने नाउम्मीद बाजार को भी झटका दे दिया। इसका 2010-11 की चौथी तिमाही का मुनाफा सीधे 86% घट कर 168.6 करोड़ रुपये रह गया।
टीसीएस : बाजार का बढ़ता भरोसा
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- Category: अगस्त 2011
इन तिमाही नतीजों में इन्फोसिस से बाजार जितना निराश हुआ, टीसीएस से उसे उतना ही भरोसा मिला। सूचना तकनीक (आईटी) क्षेत्र में देश की सबसे बड़ी कंपनी टाटा कंसलटेंसी सर्विसेज (टीसीएस) का कंसोलिडेटेड मुनाफा तिमाही-दर-तिमाही आधार पर 2370 करोड़ रुपये से 10.7% बढ़ कर 2623 करोड़ रुपये हो गया।
आईसीआईसीआई बैंक : हर कसौटी पर खरे नतीजे
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- Category: अगस्त 2011
कारोबारी साल 2010-11 की चौथी तिमाही में बैंक का कंसोलिडेटेड मुनाफा 1,568 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले साल की इसी तिमाही में 1,342 करोड़ रुपये था। इस तरह मुनाफे में 16.8% की बढ़ोतरी हुई।
कैर्न इंडिया : अच्छे नतीजों पर भारी पड़ा रॉयल्टी का मुद्दा
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- Category: अगस्त 2011
कारोबारी साल 2010-11 की चौथी तिमाही में कैर्न इंडिया का कंसोलिडेटेड मुनाफा 902% बढ़ा, मतलब सीधे लगभग दस गुना हो गया। जनवरी-मार्च 2011 की तिमाही में कंपनी का मुनाफा 2457.79 करोड़ रुपये रहा, जबकि पिछले साल की समान तिमाही में यह 245.19 करोड़ रुपये रहा था।
एचडीएफसी : मोटा मार्जिन
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- Category: अगस्त 2011
हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एचडीएफसी) का चौथी तिमाही का साल-दर-साल 23.3% बढ़ा।
कोल इंडिया : काले हीरे की चमक
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- Category: अगस्त 2011
यह भारत नहीं, बल्कि दुनिया की सबसे बड़ी कोयला उत्पादक कंपनी है और इसके तिमाही नतीजे बाजार की उम्मीदों से काफी आगे रहे।
अभी आकर्षक है भारतीय बाजार - अभी और गिरने का बुनियादी कारण नहीं
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- Category: अगस्त 2011
पी एन विजय
बाजार में इस समय काफी घबराहट है, लोग किसी बड़ी गिरावट की आशंका से सहमे हुए हैं। क्या आप ऐसी किसी बड़ी गिरावट का अंदेशा महसूस कर रहे हैं?
—मैं बाजार के इस डर से सहमत हूँ कि भारतीय अर्थव्यवस्था के सामने इस समय कई बड़े मुद्दे हैं। लेकिन मैं इस डर से सहमत नहीं हूँ कि बाजार यहाँ से काफी
ज्यादा गिर सकता है।
निफ्टी 9000 तक छलांग या 3800 का गोता?
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- Category: अगस्त 2011
राजीव रंजन झा
भारतीय बाजार इस समय कुछ निराश और कुछ डरा-डरा सा है और लोग ऊपर के लक्ष्यों के बदले नीचे के समर्थन स्तरों की ही बातें ज्यादा कर रहे हैं। ऐसे में अगर निफ्टी के 9000 के लक्ष्य की बात की जाये तो कुछ अटपटा ही लगेगा ना! लेकिन शेयर बाजार तो संभावनाओं का ही नाम है। इसलिए जरा इस चार्ट पर नजर डालें, फिर देखते हैं कि 9000 की बात एक संभावना है या खयाली पुलाव।
धंधा कुछ मंदा है
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- Category: अगस्त 2011
शेयर ब्रोकिंग
तकरीबन सभी क्षेत्रों पर पिछले कारोबारी चौथी तिमाही में कम या ज्यादा दबाव दिखा है, लेकिन शेयर ब्रोकिंग कंपनियों पर इस समय दोहरा दबाव दिख रहा है। जो शेयर बाजार में सूचीबद्ध कंपनियाँ हैं, उनका दबाव तो उनके तिमाही नतीजों में झलक ही रहा है। बाजार के बाकी खिलाड़ी भी बातचीत में उस दबाव का आभास दे देते हैं। हाल में कई ब्रोकिंग फर्मों ने काफी छँटनियाँ भी की हैं। लागत घटाने के लिए उन्होंने अपनी कई शाखाओं को बंद भी किया है। हालाँकि ग्राहकों से बातचीत में उन्हें यही कहा गया कि उनकी शाखा को एक अन्य शाखा के साथ मिला दिया गया है। मगर कुल मिला कर शाखाओं की संख्या में कमी ही इसका मुख्य मकसद रहा है। इस साल फरवरी के बाद से इंडियाबुल्स ने अपनी कई शाखाओं का विलय किया।
बोनस शेयर बचा सकते हैं कैपिटल गेन टैक्स से
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- Category: अगस्त 2011
कर बचत
पूँजीगत लाभ पर कर देनदारी बचाने का एक खास तरीका बता रहे हैं चार्टर्ड एकाउंटेंट महेश गुप्ता।
जब भी आप कोई संपत्ति, जैसे जमीन-जायदाद, सोना-चांदी, पेंटिंग जैसी कला-सामग्री वगैरह बेचते हैं, तो उस पर आपको पूँजीगत लाभ का कर (कैपिटल गेन टैक्स) चुकाना पड़ सकता है। इसी तरह से शेयरों पर 1 साल से कम अवधि में फायदा होने पर छोटी अवधि का पूँजीगत लाभ कर (शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैस) देना पड़ता है। लेकिन ऐसे पूँजीगत लाभ की देनदारी से बचा जा सकता है। पर हाँ, उसके लिए आपको शेयर बाजार का सहारा लेना होगा, और यह ध्यान रहे कि शेयर बाजार में किसी भी निवेश पर एक जोखिम तो रहता ही है।
पूँजीगत लाभ के कर से बचने के लिए आप बोनस शेयर का रास्ता चुन सकते हैं। बोनस शेयर किसी कंपनी के मौजूदा शेयरधारकों को मुफ्त मिलता है। अक्सर कंपनियाँ अपने मौजूदा शेयरधारकों को लाभ पहुँचाने और उन्हें खुश करने के लिए बोनस शेयर जारी करती हैं। यह शेयरधारकों को उनके पास पहले से मौजूद शेयरों की संख्या के एक तय अनुपात में दिया जाता है। अगर कोई कंपनी 1:1 का अनुपात तय करती है, तो उसका मतलब है कि मौजूदा शेयरधारकों को हर 1 पुराने शेयर पर 1 नया बोनस शेयर मुफ्त मिलेगा। बोनस शेयर जारी करने के लिए एक बुक क्लोजर या रिकॉर्ड तिथि तय की जाती है। मतलब यह कि उस तिथि को जिन शेयरधारकों के पास जितने शेयर होंगे, उसके मुताबिक ही बोनस शेयर दिये जायेंगे।
क्या है बोनस शेयर से
कर बचत का रास्ता?
ऐसे शेयर खरीदें, जिन पर बोनस शेयर जारी होने की घोषणा कर दी गयी है, लेकिन बोनस शेयर देने की रिकॉर्ड तिथि अभी बाकी है।
बोनस शेयर की रिकॉर्ड तिथि बीत जाने पर आपके पास मौजूद शेयरों की संख्या बढ़ जायेगी।
आपको जो नये बोनस शेयर मिले हैं, उनकी लागत शून्य मानी जायेगी।
जो पुराने शेयर हैं, उनकी लागत वही रहेगी, जिस पर आपने उन शेयरों को खरीदा था।
लेकिन बोनस शेयर जारी होने के बाद उस शेयर का बाजार भाव आम तौर पर घट जाता है। यह कमी लगभग उसी अनुपात में होती है, जिस अनुपात में बोनस शेयर जारी होते हैं। मतलब अगर किसी शेयर बाजार भाव बोनस से पहले 100 रुपये था और 1:1 के अनुपात में बोनस जारी किये गये, तो उसका बाजार भाव बोनस के बाद घट कर लगभग 50 रुपये पर आ जायेगा।
इस कमी के चलते आप अपने पुराने शेयरों को बेच कर उन पर घाटा दिखा सकते हैं।
इस घाटे को छोटी अवधि का पूँजीगत घाटा (शॉर्ट टर्म कैपिटल लॉस) माना जायेगा।
इस घाटे से आप दूसरी संपत्ती में हुए पूँजीगत लाभ को काट सकते हैं।
अब आपको जो बोनस शेयर मिले हैं, उन्हें आप कम-से-कम 1 साल तक रखे रहें। इन्हें 1 साल के बाद बेचने पर जो भी रकम मिलेगी, वह आपके लिए लंबी अवधि का पूँजीगत लाभ (लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन) होगा, जो पूरी तरह करमुक्त है।
पंकज शर्मा के बच गये 3 लाख रुपये
पंकज शर्मा ने 2 साल पहले 20 लाख रुपये का घर खरीदा और हाल में उसे 30 लाख रुपये में बेचा।
घर बेचने से मिले : 30 लाख रु.
घर की लागत : 20 लाख रु.
पूँजीगत लाभ : 10 लाख रु.
30% कर देनदारी : 3 लाख रु.
देखते हैं कि पंकज ने किस तरह बचाये पूँजीगत लाभ कर के ये 3 लाख रुपये। क ख ग नाम की कंपनी ने 1:1 अनुपात से बोनस शेयर देने का फैसला किया, जिसकी रिकॉर्ड तिथि 20 अप्रैल थी। पंकज ने इसके शेयर रिकॉर्ड तिथि से कुछ पहले ही 15 अप्रैल को खरीद लिये। इसकी खरीद-बिक्री का हिसाब-किताब इस तरह रहा:
बोनस से पहले
खरीदे शेयरों की संख्या : 10,000
बाजार भाव : 200 रु.
कुल लागत : 20 लाख रु.
बोनस के बाद
पुराने शेयरों की संख्या : 10,000
पुराने शेयरों का बाजार भाव : 100 रु.
बेचने पर मिली राशि : 10 लाख रु.
पुराने शेयरों पर घाटा : 10 लाख रु.
घर बेचने से हुए पूँजीगत लाभ और पुराने शेयरों पर पूँजीगत घाटे का अंतर शून्य है। इसलिए कोई कर देनदारी नहीं बनेगी। बोनस के रूप में जो 10,000 शेयर मिले, उन्हें पंकज कम-से-कम 1 साल तक अपने पास रखेंगे। उसके बाद बेचने पर उस समय के बाजार भाव के हिसाब से उन्हें चाहे जितनी भी रकम मिलेगी, वह लंबी अवधि का पूँजीगत लाभ मानी जायेगी, जिस पर कोई कर देनदारी नहीं बनेगी। लेकिन इन बोनस शेयरों पर उन्हें शेयर बाजार का जोखिम जरूर उठाना पड़ेगा, क्योंकि शेयर बाजार में भाव आगे चल कर बढ़ भी सकते हैं और घट भी सकते हैं।
(निवेश मंथन, अगस्त 2016)
अर्थव्यवस्था
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