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जोखिम उठा सकते हैं तो चाँदी में निवेश बेहतर

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Category: अगस्त 2011

जयंत मांगलिक, प्रेसिडेंट, रेलिगेयर कमोडिटीज

हाल में चाँदी के भावों में काफी उतार-चढ़ाव रहा है, लेकिन मेरे विचार से अब इसका उतार-चढ़ाव खत्म होने वाला है। इसलिए वर्तमान कीमतों पर चाँदी में खरीदारी करना अच्छा रहेगा। अगर कोई एक साल का नजरिया रखे तो दूसरी कमोडिटी की अपेक्षा यह एक अच्छा निवेश होगा। अगर अभी सोना और चाँदी के बीच तुलना करें तो सोना भी निवेश के लिए अच्छा लग रहा है। लेकिन सोने के भावों में उतार-चढ़ाव कम है। इसलिए एक निवेशक शायद चाँदी की अपेक्षा सोने में निवेश को प्राथमिकता दे सकता है, क्योंकि उसमें अस्थिरता कम है।

जहाँ तक चाँदी की बात है, मेरा अनुमान है कि अब इसका उतार-चढ़ाव हल्का पडऩे वाला है। जब ऐसा हो जायेगा, तब हम इसमें एक और गिरावट देख सकते हैं। मोटे तौर पर इसमें 5% की और गिरावट आ सकती है। अभी इसका भाव 55,000 रुपये प्रति किलोग्राम के आसपास है। इसमें 5% मतलब 2500-3000 रुपये की गिरावट आने पर 52,000 रुपये के आसपास के भाव निवेश के नजरिये से खरीदारी की जा सकती है। इस निवेश को एक साल तक रखने के लिए तैयार रहें, जिससे एक अच्छा फायदा मिल सके। यहाँ अच्छे फायदे का मतलब यही है कि आपको बैंक की ब्याज दर से ठीक-ठाक ऊपर का फायदा मिले। इसमें कोई एक दर बताने का ज्यादा मतलब नहीं है, लेकिन 15-20% को अच्छा फायदा कहा जा सकता है।
चाँदी के भाव आगे चल कर बढऩे की उम्मीद के दो प्रमुख कारण है। पहला तो वित्तीय कारण यह है कि डॉलर में कमजोरी बनी रहने की संभावना लगती है। दूसरी बात यह है कि सोने की कीमतें अब लोगों को तुलनात्मक रूप से महँगी लगने लगी है। इसका मतलब यह नहीं है कि सोना गिरेगा। लेकिन चाँदी को लोग थोड़ा सस्ता मान रहे हैं। सर्राफा का निवेशक आज कहता है कि मैं सोना न खरीद कर चाँदी ही खरीदूँ।
अगर आप 10-12 साल का चार्ट देखेंगे तो सोना और चाँदी की कीमतों का उतार-चढ़ाव लगभग एक जैसा दिखता है। बस साल भर या छह महीने की अवधि में ही कभी दोनों के बीच फर्क आता है। लंबी अवधि में इन दोनों से मिलने वाले फायदे में कोई अंतर नजर नहीं आयेगा। लेकिन लोग जब सीधे-सीधे कीमत देखते हैं तो उन्हें चाँदी सस्ती लगती है। एक ग्राम सोना 2200 रुपये का है तो चाँदी उससे काफी सस्ती है। तो लोग कहते हैं कि 2200 रुपये की चीज पर 20% फायदा लेने क्यों जाऊँ, सस्ती चीज ले लेता हूँ। आपको लगता है कि उतने ही पैसे में चाँदी ज्यादा मिल रही है। यह एक मनोवैज्ञानिक बात है।
अगर अगले 12 महीनों की बात सोचें तो सोना और चाँदी दोनों में निवेश पर मिलने वाला फायदा लगभग एक जैसा होगा। लेकिन चाँदी में अस्थिरता ज्यादा रहती है। इसका मतलब यह है कि जिस निवेशक की जोखिम लेने की क्षमता ज्यादा है, वह चाँदी में निवेश करने को प्राथमिकता दे सकता है। जिस चीज में उतार-चढ़ाव ज्यादा होगा, उसमें आप अपने लक्ष्य के मुताबिक फायदा जल्दी पा सकते हैं।
शायद सोने में उतना फायदा आपको 12 महीने में मिले, लेकिन चाँदी आपको उतना ही फायदा छह महीनों में दे सके। लेकिन दूसरी ओर इसके उतार-चढ़ाव से आपके दिल की धड़कनें भी ऊपर-नीचे होती रह सकती हैं! चाँदी की कीमतें कभी अचानक तेजी से गिरेंगी भी, और उसके बाद फिर से उठ जायेंगी। इसलिए आप कितना जोखिम उठा सकते हैं, उसके हिसाब से आप तय करें कि दोनों में कौन-सा विकल्प चुनना है। लेकिन 12 महीने बाद शायद दोनों का फायदा एक जैसा होगा, करीब 15-20% के आसपास का।
यह पूरी तरह से जोखिम उठाने की क्षमता का मामला है। कोई व्यक्ति यह सोच सकता है कि अगर दोनों में एक जैसा ही फायदा मिलना है, तो ऐसा विकल्प चुना जाये जिसमें यह फायदा जल्दी मिलने की उम्मीद हो। लेकिन इसके लिए उस व्यक्ति को यह जोखिम उठाने के लिए तैयार रहना होगा कि चाँदी का भाव कभी घट भी सकता है और उसके बाद फिर बढ़ सकता है।
वहीं हाल में चाँदी के भाव में आये भारी उतार-चढ़ाव को देख कर कोई ऐसा जोखिम उठाने से हिचक रहा हो, तो उसके लिए सोने में निवेश का विकल्प बेहतर है। सोना निवेश के सबसे मजबूत विकल्पों में से एक है और इसमें तुलनात्मक रूप से उतार-चढ़ाव सबसे कम रहता है।
हाल में चाँदी के भाव काफी ऊपर-नीचे होने से इसके कारोबार की मात्रा घटी है। लेकिन मुझे लगता है कि जल्दी ही इसके कारोबार की मात्रा सामान्य हो जायेगी। जब भी इसके बाजार में कारोबार की मात्रा काफी बढ़ जाती है तो उसके बाद कम कारोबार का भी दौर आता है। इससे संतुलन वापस बन जाता है। पहले काफी लोग इसमें कारोबार शुरू करते हैं। ऐसे में जो लोग ऊँचे भाव पर निवेश करके फंसे होते हैं, वे अचानक बाजार से दूर हो जाते हैं। लेकिन थोड़े समय बाद, जैसे करीब तीन महीने में फिर से संतुलन बन जाता है। इसलिए कारोबार की मात्रा फिर से ठीक हो जायेगी। जब चाँदी के भाव अपने शिखर पर चले गये थे, उसके बराबर कारोबार तो शायद अभी न हो, लेकिन करीब छह महीने बाद कारोबार वापस उस स्तर तक भी लौट सकता है।
(निवेश मंथन, अगस्त 2011)

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