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चढ़ रही हैं कीमतें

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Category: अगस्त 2011

जमीन-जायदाद

जमीन-जायदाद की कीमतों में नरमी की उम्मीदों के बावजूद ताजा आँकड़े बता रहे हैं कि कीमतों में बढ़ोतरी रुकी नहीं है। कम-से-कम इस साल की पहली तिमाही यानी जनवरी-मार्च 2011 के दौरान तो यही रुख दिखा है। इस क्षेत्र के लिए सलाहकार सेवाएँ देने वाली कंपनी जेएलएल की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2009 की दूसरी छमाही से ही भारत के आवासीय क्षेत्र में कीमतें बढऩे का सिलसिला दिख रहा है और 2011 की पहली तिमाही में भी यही रुझान जारी रहा।

साल 2009 में जो निचले स्तर दिखे थे, उनकी तुलना में साल 2010 के दौरान भारत के सात बड़े महानगरों में कीमतें 20% से 40% तक बढ़ीं। इसके मुताबिक देश के कई हिस्सों में घरों की कीमतें 2008 के चरम स्तर को वापस छू चुकी हैं या उसे पार भी कर चुकी हैं। मसलन, मुंबई और बेंगलूरु के बारे में जेएलएल का कहना है कि कीमतें अब पिछले शिखर को पार चुकी हैं। दिल्ली के बारे में इसका अनुमान है कि जल्दी ही यहाँ भी ऐसा हो जायेगा। जेएलएल के मुताबिक खास कर सस्ते घरों की श्रेणी में मांग की वजह से घरों की खपत की दर सुधरी, जिससे कीमतों में यह बढ़ोतरी आयी है।
हालाँकि कीमतों के ऊपर आने के बाद इनके बढऩे की रफ्तार धीमी भी पड़ी है। पहली तिमाही के दौरान मुंबई और चेन्नई जैसे शहरों में कीमतें लगभग स्थिर हो गयीं। दिल्ली एनसीआर और बेंगलूरु में कई हिस्सों में ठीक पिछली तिमाही के मुकाबले कीमतें 2% से 3% तक बढ़ीं। हैदराबाद में कीमतें 2009 के मध्य से लगभग स्थिर रही थीं, लेकिन इस साल की पहली तिमाही में वहाँ भी कीमतें कुछ बढ़ती दिखीं।
जमीन-जायदाद की जानकारी देने वाले पोर्टल 99 एकर्स की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक अगर प्रति वर्ग फुट के आधार पर देखा जाये तो दिल्ली में इस साल जनवरी-मार्च के दौरान कीमतें पिछले साल जनवरी-मार्च के मुकाबले 17% बढ़ी हैं। इसके बिजनेस हेड विनीत सिंह की टिप्पणी है कि कीमतों में कमी की संभावना के बारे में काफी चर्चा होती रही है और बाजार में एक ठहराव जैसा लगता है, लेकिन दिल्ली में कीमतें बढ़ती हुई ही दिखी हैं। हालाँकि उनके मुताबिक भी कीमतें बढऩे की रफ्तार हल्की पड़ रही है। उनका मानना है कि मौजूदा रुझान जारी रहा तो आगे चल कर दिल्ली में कीमतों में स्थिरता नजर आयेगी। मगर वे कीमतें घटने की संभावना नहीं देख रहे, ज्यादा-से-ज्यादा कीमतें ठहर जायेंगी।
साल 2010 के दौरान कीमतें बढऩे की वजह से 2011 की पहली तिमाही में नयी परियोजनाओं के शुरू होने में भी तेजी आयी है। जेएलएल के मुताबिक पहली तिमाही में देश के सात बड़े महानगरों में करीब 66,000 नयी इकाइयों की शुरुआत की गयी। इसमें आधे से ज्यादा इकाइयाँ दिल्ली में शुरू की गयी हैं। खास कर नोएडा में सबसे ज्यादा नयी योजनाएँ शुरू की गयी हैं। इन नयी योजनाओं की कीमतें भी पहले से ज्यादा हैं। साल 2009 की पहली तिमाही से 2010 की तीसरी तिमाही के दौरान जो नयी इकाइयाँ शुरू की गयीं, उनमें 3,000 रुपये प्रति वर्ग फुट से कम कीमत रखी गयी थी। लेकिन 2010 की चौथी तिमाही से स्थिति बदली है। बाजार की सुधरती हालत देख कर नयी परियोजना शुरू करने वाली कंपनियों ने कीमतें 3,000 रुपये प्रति वर्ग फुट से ज्यादा कीमतें ही रखीं। कुछ नयी इकाइयाँ दरअसल किसी पुरानी परियोजना में ही नये चरण की शुरुआत थीं, जिनमें पिछले चरण की तुलना में ज्यादा कीमतें रखी गयीं। मुंबई और दिल्ली को छोड़ कर बाकी शहरों की नयी आवासीय योजनाओं में 2,000 रुपये से 3,000 रुपये प्रति वर्ग फुट की कीमतें रखी जा रही हैं।
जेएलएल का अनुमान है कि इस साल आगे भी आवासीय कीमतों का बढऩा जारी रहेगा, हालाँकि उसकी रफ्तार धीमी रहेगी। जिन जगहों पर कीमतें पिछले दिनों काफी तेजी से बढ़ गयी हैं, वहाँ कीमतों को और ऊपर जाने में दिक्कत होगी और उनमें कुछ कमी भी आ सकती है। पहली छमाही में थोड़ी स्थिरता के बाद दूसरी छमाही में त्योहारी मौसम के दौरान फिर से कीमतें बढऩी शुरू हो सकती हैं। 
दिल्ली-एनसीआर में घरों की कीमतें  (प्रति वर्ग फुट)
जनवरी-मार्च
स्थान                     2011       2010      बढ़त
सरिता विहार            8110      6356      27.60%
रोहिणी                   8165       6532     25.00%
पटपडग़ंज                7968      6548     21.68%
आईपी एक्सटेंशन      8126      7010    15.92%
वसंत कुंज                11345    9846    15.23%
मयूर विहार - 1         8133      7159    13.59%
उत्तम नगर               2846      2635     8.00%
द्वारका से.2              7096      5553     27.79%
नोएडा से.62            4675      4221    10.76%
नोएडा से.110          3372      2884    16.94%
वैशाली                    3858     3396     13.62%
डीएलएफ सिटी-4      8203     5779     41.93%
सोहना रोड, गुडग़ाँव   5128    3510     46.10%
(निवेश मंथन, अगस्त 2011)

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