
सातवाँ वेतन आयोग कहीं खुशी, कहीं रोष
सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने पर कैबिनेट ने अपनी मुहर लगा दी लगा दी है। इससे उद्योग जगत खुश है कि माँग बढ़ेगी तो केंद्रीय कनिष्ठ कर्मचारियों में रोष है कि वेतन कम बढ़ा।

एचडीएफसी लाइफ बनेगी सबसे बड़ी निजी बीमा कंपनी
भारतीय जीवन बीमा उद्योग की चौथी सबसे बड़ी निजी कंपनी मैक्स लाइफ इंश्योरेंस ने अपनी कंपनी प्रतिद्वंद्वी एचडीएफसी लाइफ के साथ विलय का फैसला किया है। यह दोहरा विलय होगा। पहले मैक्स लाइफ का विलय अपनी पितृ कंपनी मैक्स फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड (एमएफएसएल) के साथ होगा

साल भर में नया शिखर
सेंसेक्स और निफ्टी साल 2015 में बने रिकॉर्ड ऊपरी स्तरों को अगले 12 महीनों में पार कर सकते हैं। मगर बाजार की उम्मीदें ज्यादा बढ़ी-चढ़ी नहीं हैं। हमारे सहयोगी समाचार पोर्टल शेयर मंथन (sharemanthan.in) की ओर से भारतीय शेयर बाजार के दिग्गजों के सबसे बड़े सर्वेक्षण में जून 2017 तक बाजार में 10.4-12.0% की वृद्धि के औसत अनुमान आये हैं।
कोल इंडिया : काले हीरे की चमक
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- Category: जुलाई 2011
यह भारत नहीं, बल्कि दुनिया की सबसे बड़ी कोयला उत्पादक कंपनी है और इसके तिमाही नतीजे बाजार की उम्मीदों से काफी आगे रहे।
अभी आकर्षक है भारतीय बाजार
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- Category: जुलाई 2011
पी एन विजय
अभी और गिरने का बुनियादी कारण नहीं
पी एन विजय मानते हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था को कई नकारात्मक बातें चोट पहुँचा रही हैं। लेकिन उनके मुताबिक इन नकारात्मक बातों से बाजार को पहले ही चोट लग चुकी है। बाजार के प्रमुख सूचकांक निफ्टी के बारे में उन्हें भरोसा है कि यह 5200 के नीचे नहीं जायेगा। और हाँ, उन्होंने बनाया है आपके लिए भी एक पोर्टफोलिओ। एक खास बातचीत...
निफ्टी 9000 तक छलांग या 3800 का गोता?
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- Category: जुलाई 2011
राजीव रंजन झा
भारतीय बाजार इस समय कुछ निराश और कुछ डरा-डरा सा है और लोग ऊपर के लक्ष्यों के बदले नीचे के समर्थन स्तरों की ही बातें ज्यादा कर रहे हैं। ऐसे में अगर निफ्टी के 9000 के लक्ष्य की बात की जाये तो कुछ अटपटा ही लगेगा ना! लेकिन शेयर बाजार तो संभावनाओं का ही नाम है। इसलिए जरा इस चार्ट पर नजर डालें, फिर देखते हैं कि 9000 की बात एक संभावना है या खयाली पुलाव।
धंधा कुछ मंदा है?
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- Category: जुलाई 2011
तकरीबन सभी क्षेत्रों पर पिछले कारोबारी चौथी तिमाही में कम या ज्यादा दबाव दिखा है, लेकिन शेयर ब्रोकिंग कंपनियों पर इस समय दोहरा दबाव दिख रहा है। जो शेयर बाजार में सूचीबद्ध कंपनियाँ हैं, उनका दबाव तो उनके तिमाही नतीजों में झलक ही रहा है।
बोनस शेयर बचा सकते हैं कैपिटल गेन टैक्स से
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- Category: जुलाई 2011
महेश गुप्ता,चार्टर्ड एकाउंटेंट
पूँजीगत लाभ पर कर देनदारी बचाने का एक खास तरीका बता रहे हैं चार्टर्ड एकाउंटेंट महेश गुप्ता।
जब भी आप कोई संपत्ति, जैसे जमीन-जायदाद, सोना-चांदी, पेंटिंग जैसी कला-सामग्री वगैरह बेचते हैं, तो उस पर आपको पूँजीगत लाभ का कर (कैपिटल गेन टैक्स) चुकाना पड़ सकता है। इसी तरह से शेयरों पर 1 साल से कम अवधि में फायदा होने पर छोटी अवधि का पूँजीगत लाभ कर (शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स) देना पड़ता है। लेकिन ऐसे पूँजीगत लाभ की देनदारी से बचा जा सकता है। पर हाँ, उसके लिए आपको शेयर बाजार का सहारा लेना होगा, और यह ध्यान रहे कि शेयर बाजार में किसी भी निवेश पर एक जोखिम तो रहता ही है।
इस साल आमदनी 25% से ज्यादा बढ़ने की उम्मीद
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- Category: जुलाई 2011
गोविंद श्रीखंडे
आपके कंसोलिडेटेड तिमाही नतीजों में आमदनी काफी बढ़ी है, लेकिन मुनाफे पर दबाव दिखा है। ऐसा किस वजह से हुआ?
—आपको हमारे नतीजे दो हिस्सों में देखने चाहिए - एक तो शॉपर्स स्टॉप के स्टैंडअलोन नतीजे जिनसे शॉपर्स स्टॉप के डिपार्टमेंट स्टोर का प्रदर्शन पता चलता है, और दूसरे हमारे कंसोलिडेटेड नतीजे जिनमें हाइपर सिटी के आँकड़े पहली बार जुडऩे का असर दिखता है। पिछले साल की पहली तिमाही तक हाइपर सिटी के आँकड़े हमारे नतीजों में नहीं जुड़े थे। दूसरी तिमाही से हाइपर सिटी के आँकड़े भी जुडऩे लगे, जिससे कंसोलिडेटेड नतीजों में कुल आमदनी में उछाल दिखती है। लेकिन हाइपर सिटी अभी घाटे में ही चल रही है, इसलिए कंसोलिडेटेड मुनाफे पर उसका असर तिमाही और सालाना दोनों नतीजों में दिखा है।
आखिर क्या है तकनीकी विश्लेषण?
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- Category: जुलाई 2011
सुनील मिंगलानी, तकनीकी विश्लेषक
पैसे की पाठशाला
अक्सर लोग शेयर बाजार से डरते हैं, लेकिन वास्तव में हर वह काम खतरनाक है जिसे आपको करना नहीं आता। अगर आपने कार चलाना नहीं सीखा और कार चलाने लगे तो क्या होगा? जब आप किसी भी ऐसे कारोबार में पैसा लगाते हैं, जिसकी आपको अच्छी जानकारी नहीं है, तो आप अपनी सारी पूँजी गँवा सकते हैं।
क्या हफ्ते भर का पैसा नहीं स्पीक एशिया के पास?
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- Category: जुलाई 2011
इंटरनेट पर सर्वेक्षण कराने वाली कंपनी स्पीक एशिया ऑनलाइन प्राइवेट लिमिटेड के लुभावने कारोबार का हिसाब दिमाग घुमा देने वाला है। खुद कंपनी के बयानों के मुताबिक इसके भारत में 19 लाख सदस्य (पैनलिस्ट) हैं। इसके कामकाज को समझ कर यही पता चलता है कि तकरीबन हर सदस्य ने इस कंपनी को 5,500 रुपये का छमाही या 11,000 रुपये का सालाना शुल्क दिया होगा। अगर सीधा हिसाब लगायें तो कंपनी ने इस तरह भारत में अपने सदस्यों से करीब 2,000 करोड़ रुपये तक की रकम पा ली है। अगर निवेश मंथन का यह अनुमान सच के करीब नहीं है तो क्या स्पीक एशिया बतायेगी कि उसे और उसके साथ जुड़ी अन्य कंपनियों को इन 19 लाख सदस्यों से ई-जीन का ग्राहक बनने, परीक्षा देने या किसी भी और नाम पर कुल कितनी रकम मिली है?
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