Nivesh Manthan
Menu
  • Home
  • About Us
  • ई-पत्रिका
  • Blog
  • Home/
  • 2017
Follow @niveshmanthan

बढ़ती ब्याज दरों से सुस्त पड़ी विकास की रफ्तार

Details
Category: सितंबर 2011

आर.आर.वर्मा :

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने जुलाई महीने में जब अपनी ब्याज दरें लगातार ग्यारहवीं बार बढ़ाने की घोषणा की तो उद्योग जगत में इसकी तीव्र आलोचना हुई थी। बहुत से जानकारों ने ऊँची ब्याज दरों का असर आर्थिक विकास दर पर होने की आशंका जतायी थी। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के नतीजे सामने आने पर यह आशंका सही साबित हुई।

लगातार छह तिमाहियों से आर्थिक विकास दर में गिरावट जारी है और अप्रैल-जून 2011 यानी इस कारोबारी साल की पहली तिमाही में यह 7.7% पर आ चुकी है। यह न सिर्फ पिछले 18 महीनों का न्यूनतम स्तर है, बल्कि बीते वर्ष की इसी अवधि की विकास दर 8.8% की तुलना में भी कम है। केंद्रीय सांख्यिकीय संगठन की ओर से 30 अगस्त को जारी इन आँकड़ों की धीमी रफ्तार की सबसे बड़ी वजह कम मांग और विनिर्माण, खनन तथा उत्खनन सेक्टरों का खराब प्रदर्शन रही है।
इसी तरह उपभोक्ता खपत बढऩे की दर पिछले वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में 9.5% से लगातार घटते हुए अब केवल 6.3% रह गयी है। इसका मतलब साफ है कि उपभोक्ता बढ़ती महँगाई और ऊँची ब्याज दरों का दबाव महसूस कर रहे हैं और अपने खर्चों में कटौती पर जोर दे रहे हैं। 
आरबीआई ने जब जुलाई में ब्याज दरें बढ़ायी थीं तो वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी महँगाई पर काबू पाने के लिए इसे जरूरी कदम बता रहे थे। अब विकास की सुस्त रफ्तार को वे निराशाजनक बता रहे हैं, लेकिन फिर भी उम्मीद लगाये बैठे हैं कि पूरे वित्त वर्ष 2011-12 के दौरान आर्थिक विकास दर 8.6% के लक्ष्य को छू लेगी।
दूसरी तरफ उद्योग जगत को आशंका है कि इस वित्त वर्ष में 8% विकास दर का लक्ष्य पाना भी मुश्किल हो जायेगा। इसलिए रिजर्व बैंक से उनकी मांग है कि वह ब्याज दरों में अब और बढ़ोतरी पर अंकुश लगाये। गनीमत यह है कि पहली तिमाही में कृषि, निवेश, सेवा, संचार और व्यापार-होटल जैसे क्षेत्रों ने बहुत हद तक स्थिति संभाल ली है। पिछले वर्ष की समान अवधि में कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 2.4% थी, जो बीती तिमाही में बढ़ कर 3.9% हो गयी।
अर्थशास्त्रियों को सबसे ज्यादा हैरानी निवेश में शानदार वृद्धि से हुई है। पूँजीगत संपत्तियों में सकल निवेश पिछले साल की समान तिमाही के महज 0.4% से छलांग लगाते हुए सीधे 7.9% पर पहुँच गयी है। हालाँकि सेवा क्षेत्र की 10% की वृद्धि दर पिछले साल की इसी तिमाही के मुकाबले थोड़ी कम रही, लेकिन ठीक पिछली तिमाही यानी जनवरी-मार्च 2011 की तुलना में इसमें खासा इजाफा हुआ है। व्यापार-होटल, संचार और परिवहन क्षेत्र की वृद्धि दर 12.8% रही है। खनन क्षेत्र में 1.8% और निर्माण (कंस्ट्रक्शन) क्षेत्र में केवल 1.2% वृद्धि दर्ज की गयी। उत्पादन (मैन्युफैक्चरिंग) विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर 7.2% रही, जबकि साल भर पहले इसमें 10.6% बढ़त दर्ज की गयी थी। वित्तीय, बीमा, व्यावसायिक सेवाओं और रियल एस्टेट क्षेत्र की वृद्धि दर 9.1% प्रतिशत रही। गैस, जलापूर्ति और बिजली की वृद्धि दर 7.9% दर्ज की गयी। इन आँकड़ों के सामने आने के बाद वित्त मंत्री के मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु ने कहा कि ठीक अगली तिमाही से बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं करनी चाहिए, लेकिन तीसरी और चौथी तिमाही में विकास दर में अच्छी बढ़त दिखने की उम्मीद है। दरअसल अगस्त तक मॉनसून के सामान्य रहने से कृषि क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन की आस बढ़ गयी है।
रोजगार पर असर नहीं
भारत सरकार के मुख्य सांख्यिकीविद (चीफ स्टैटिशियन) टीसीए अनंत ने इन आँकड़ों के बाद इस तथ्य की ओर ध्यान दिलाया कि विकास दर में जो धीमापन आया, उससे रोजगार पर ज्यादा असर नहीं होगा। उनका कहना है कि जिन क्षेत्रों में गिरावट आयी है, उनमें रोजगार के ज्यादा अवसर नहीं हैं। लिहाजा इससे रोजगार पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। ज्यादातर लोगों को कृषि या सेवा क्षेत्र में ही रोजगार मिलते हैं, जिनकी वृद्धि दर अच्छी है। व्यापार, होटल, परिवहन और संचार सेवाओं में आयी तेजी भी थोड़ा सुकून देती है। अनंत का भी मानना है कि निर्माण (कंस्ट्रक्शन) क्षेत्र की धीमी रफ्तार ऊँची ब्याज दरों और घटती मांग के कारण है।
उद्योग जगत चिंतित
अर्थशास्त्रियों का औसत अनुमान यह था कि पहली तिमाही की विकास दर मात्र 7.2% ही रहेगी। औसत अनुमान से थोड़ा ज्यादा ही 7.7% विकास दर रहने के बावजूद उद्योग जगत मायूस है। प्रमुख उद्योग संगठन कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीज (सीआईआई) को आशंका है कि वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में आर्थिक वृद्धि दर में सुधार होने के बाद भी पूरे कारोबारी साल में 8% विकास दर हासिल कर पाना मुश्किल होगा।
सीआईआई के मुताबिक बड़ी परियोजनाओं में विलंब के कारण औद्योगिक क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हुआ है। लिहाजा रिजर्व बैंक को मौद्रिक नीति की आगामी समीक्षा में अब और ज्यादा ब्याज दरें नहीं बढ़ानी चाहिए। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (पीएम ईएसी) के चेयरमैन सी. रंगराजन ने भी निर्माण क्षेत्र में आयी सुस्ती के कारण विकास दर कम होने की बात कही है।
उद्योग जगत का मानना है कि सरकार को अब मांग बढ़ाने पर जोर देना चाहिए, न कि ब्याज दरें बढ़ाने पर। सरकार को बाजार और खरीदारों के बीच बढ़ती दूरियाँ भी पाटनी होगी। निर्यात संगठन फिओ के मुताबिक अब एक संतुलित मानदंड पर काम करना जरूरी हो गया है। इसका कहना है कि सरकार को घरेलू बाजार और विदेशी बाजारों की तुलना करते हुए ही अपनी नीतियाँ बनानी चाहिए, क्योंकि हमेशा सभी नीतियाँ कारगर नहीं हो सकतीं। पहली तिमाही में भारत में वाहनों की खपत में भी कमी आयी है।
अगली तिमाहियाँ कैसी रहेंगी
कई अर्थशास्त्री केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (सीएसओ) से इस बात को लेकर नाराज हैं कि सीएसओ ने 2010-11 की शेष तिमाहियों के संशोधित नतीजे अब तक जारी नहीं किये हैं। इससे उन्हें चालू वित्त वर्ष की बाकी तिमाहियों का अनुमान लगाने और तुलनात्मक अध्ययन पेश करने में दिक्कतें आ रही हैं। वहीं सीएसओ का कहना है कि संशोधित आँकड़े तैयार ही नहीं हो पाये हैं। ऐसे में हमारे सामने कारोबारी साल 2011-12 के लिए एक तरफ 8.6% विकास दर का सरकारी अनुमान है, तो दूसरी तरफ 8% से भी कम विकास दर रह जाने की उद्योग जगत की चिंता।
(निवेश मंथन, सितंबर 2011)

  • सातवाँ वेतन आयोग कहीं खुशी, कहीं रोष
  • एचडीएफसी लाइफ बनेगी सबसे बड़ी निजी बीमा कंपनी
  • सेंसेक्स साल भर में होगा 33,000 पर
  • सर्वेक्षण की कार्यविधि
  • भारतीय अर्थव्यवस्था ही पहला पैमाना
  • उभरते बाजारों में भारत पहली पसंद
  • विश्व नयी आर्थिक व्यवस्था की ओर
  • मौजूदा स्तरों से ज्यादा गिरावट नहीं
  • जीएसटी पारित कराना सरकार के लिए चुनौती
  • निफ्टी 6000 तक जाने की आशंका
  • बाजार मजबूत, सेंसेक्स 33,000 की ओर
  • ब्याज दरें घटने पर तेज होगा विकास
  • आंतरिक कारक ही ला सकेंगे तेजी
  • गिरावट में करें 2-3 साल के लिए निवेश
  • ब्रेक्सिट से एफपीआई निवेश पर असर संभव
  • अस्थिरताओं के बीच सकारात्मक रुझान
  • भारतीय बाजार काफी मजबूत स्थिति में
  • बीत गया भारतीय बाजार का सबसे बुरा दौर
  • निकट भविष्य में रहेगी अस्थिरता
  • साल भर में सेंसेक्स 30,000 पर
  • निफ्टी का 12 महीने में शिखर 9,400 पर
  • ब्रेक्सिट का असर दो सालों तक पड़ेगा
  • 2016-17 में सुधार आने के स्पष्ट संकेत
  • चुनिंदा क्षेत्रों में तेजी आने की उम्मीद
  • सुधारों पर अमल से आयेगी तेजी
  • तेजी के अगले दौर की तैयारी में बाजार
  • ब्रेक्सिट से भारत बनेगा ज्यादा आकर्षक
  • सावधानी से चुनें क्षेत्र और शेयर
  • छोटी अवधि में बाजार धारणा नकारात्मक
  • निफ्टी 8400 के ऊपर जाने पर तेजी
  • ब्रेक्सिट का तत्काल कोई प्रभाव नहीं
  • निफ्टी अभी 8500-7800 के दायरे में
  • पूँजी मुड़ेगी सोना या यूएस ट्रेजरी की ओर
  • निफ्टी छू सकता है ऐतिहासिक शिखर
  • विकास दर की अच्छी संभावनाओं का लाभ
  • बेहद लंबी अवधि की तेजी का चक्र
  • मुद्रा बाजार की हलचल से चिंता
  • ब्रेक्सिट से भारत को होगा फायदा
  • निफ्टी साल भर में 9,200 के ऊपर
  • घरेलू बाजार आधारित दिग्गजों में करें निवेश
  • गिरावट पर खरीदारी की रणनीति
  • साल भर में 15% बढ़त की उम्मीद
  • भारतीय बाजार का मूल्यांकन ऊँचा
  • सेंसेक्स साल भर में 32,000 की ओर
  • भारतीय बाजार बड़ी तेजी की ओर
  • बाजार सकारात्मक, जारी रहेगा विदेशी निवेश
  • ब्रेक्सिट का परोक्ष असर होगा भारत पर
  • 3-4 साल के नजरिये से जमा करें शेयरों को
  • रुपये में कमजोरी का अल्पकालिक असर
  • साल भर में नया शिखर
7 Empire

अर्थव्यवस्था

  • भारत की विकास दर (जीडीपी वृद्धि दर) : भविष्य के अनुमान
  • भारत की विकास दर (जीडीपी वृद्धि दर) बीती तिमाहियों में
  • भारत की विकास दर (जीडीपी वृद्धि दर) बीते वर्षों में

बाजार के जानकारों से पूछें अपने सवाल

सोशल मीडिया पर

Additionaly, you are welcome to connect with us on the following Social Media sites.

  • Like us on Facebook
  • Follow us on Twitter
  • YouTube Channel
  • Connect on Linkedin

Download Magzine

    Overview
  • 2023
  • 2016
    • July 2016
    • February 2016
  • 2014
    • January

बातचीत

© 2025 Nivesh Manthan

  • About Us
  • Blog
  • Contact Us
Go Top