Nivesh Manthan
Menu
  • Home
  • About Us
  • ई-पत्रिका
  • Blog
  • Home/
  • 2017/
  • फरवरी 2017/
  • निवेश को इन पैमानों पर कसें
Follow @niveshmanthan

अमेरिकी नीतियों का खामियाजा

Details
Category: सितंबर 2011

राजेश रपरिया, सलाहकार संपादक :

साख का आकलन करने की विश्व की तीन प्रमुख एजेंसियों में एक स्टैंडर्ड एंड पुअर्स के अमेरिका के क्रेडिट रेटिंग एएए से एए प्लस करते ही दुनिया भर के बाजारों में भूकंप आ गया। अमेरिका में 2008 के सबप्राइम संकट के बाद एक बार फिर वैश्विक अर्थव्यवस्था पर अनिश्चितता और मंदी का साया गहराने लगा है। नतीजतन दुनिया की बहुत बड़ी आबादी के सामने बेरोजगारी और भुखमरी के हालात पैदा हो गये हैं। तमाम देशों के आर्थिक विकास पर मंदी का शिकंजा कसता जा रहा है। भारत का आर्थिक परिदृश्य भी इससे ज्यादा अलग नहीं है। 

Read more...

नये बैंक खुलने की राह आसान

Details
Category: सितंबर 2011

सुशांत शेखर :

भारतीय रिजर्व बैंक ने नये बैंक लाइसेंस पर दिशानिर्देशों का मसौदा जारी करके कुछ नये बैंक खुलने का रास्ता साफ कर दिया है। लेकिन इस मसौदे में ऐसे कई प्रस्ताव हैं जो लाइसेंस के दावेदारों को ठीक नहीं लग रहे हैं। 

Read more...

बढ़ती ब्याज दरों से सुस्त पड़ी विकास की रफ्तार

Details
Category: सितंबर 2011

आर.आर.वर्मा :

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने जुलाई महीने में जब अपनी ब्याज दरें लगातार ग्यारहवीं बार बढ़ाने की घोषणा की तो उद्योग जगत में इसकी तीव्र आलोचना हुई थी। बहुत से जानकारों ने ऊँची ब्याज दरों का असर आर्थिक विकास दर पर होने की आशंका जतायी थी। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के नतीजे सामने आने पर यह आशंका सही साबित हुई।

Read more...

संकट की आहट, क्या फिर लौटेगी दुनिया में मंदी?

Details
Category: सितंबर 2011

सुशांत शेखर :

अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पुअर्स ने छह अगस्त को अमेरिका की रेटिंग एएए से घटा कर एए प्लस क्या की, दुनिया भर के शेयर बाजारों में गिरावट की सुनामी आ गयी। इसी के साथ दुनिया भर में विश्लेषकों के बीच यह बहस चल पड़ी कि क्या विश्व अर्थव्यवस्था एक बार फिर मंदी की गर्त में समाने वाली है?

Read more...

एसएंडपी की शह अमेरिकी साख पर सवाल

Details
Category: सितंबर 2011

आर.आर. वर्मा :

अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पुअर्स (एसएंडपी) ने जब दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था की एएए रेटिंग को घटा कर एए प्लस करने का जो फैसला किया, उससे अचानक ही देशों की रेटिंग (साख) पर जबरदस्त चर्चा छिड़ गयी। आखिर अमेरिका की रेटिंग में कमी की नौबत क्यों आयी और इसका मतलब क्या है?

Read more...

कीमत चुकानी पड़ी रेटिंग घटाने की

Details
Category: सितंबर 2011

देवेन शर्मा :

अगर यह कहा जाये कि झारखंड की जमीन से जुड़ी दो शख्सियतों ने हाल में पूरी दुनिया को दांतों तले अंगुली दबाने पर मजबूर कर दिया तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। दोनों अलग-अलग क्षेत्रों के माहिर हैं। एक क्रिकेट में तो दूसरा अर्थ जगत में।

Read more...

यूरोप का संकट : असर अमेरिका, एशिया पर भी

Details
Category: सितंबर 2011

बंदीप सिंह रांगर, चेयरमैन, इंडसव्यू :

अगर हम विश्व अर्थव्यवस्था को आज देखें तो केवल कुछ हफ्ते पहले की तुलना में भी यह काफी बुरी हालत में दिख रही है। इन गर्मियों में दुनिया भर के शेयर बाजारों में 15% से ज्यादा की गिरावट आ गयी। अमेरिका और यूरोप दोनों में आर्थिक विकास दर काफी तीखे ढंग से घटी है। 

Read more...

फिर मंदी के बादल : क्या बेड़ा पार लगायेगा आपका म्यूचुअल फंड

Details
Category: सितंबर 2011

अचानक ही लोगों के मन में 2008 की यादें ताजा हो रही हैं, जब शायद ही किसी म्यूचुअल फंड की एनएवी गहरी डुबकियाँ लगाने से बच पायी हो। ऐसे में म्यूचुअल फंड के निवेशकों के मन में एक साथ डर और लालच दोनों तरह के भाव पैदा होते हैं।

Read more...

हम बुनियादी ढंग से सस्ते शेयर चुन रहे हैं

Details
Category: सितंबर 2011

गोपाल अग्रवाल, सीआईओ, मिरै एसेट ग्लोबल इन्वेस्टमेंट्स (इंडिया) :

विश्व की अर्थव्यवस्था में कर्ज संकट के चलते इस समय भारतीय बाजार में काफी गिरावट आयी है। अंतरराष्ट्रीय निवेशक विश्व अर्थव्यवस्था के बारे में चिंताओं की वजह से शेयर बाजार से बाहर निकल रहे हैं। उनके पोर्टफोलिओ में भारत का हिस्सा काफी छोटा रहता है। और हम सब जानते हैं कि भारतीय बाजार में जो तरलता (लिक्विडिटी) आती है, वह विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) का निवेश आने की वजह से ही होती है।

Read more...

अगले तीन सालों में इक्विटी में ही फायदा

Details
Category: सितंबर 2011

डेविड पेजारकर, इक्विटी प्रमुख, दाइवा एएमसी :

इस समय निवेशकों को अपना पैसा तो बिल्कुल ही नहीं निकालना चाहिए। बाजार 20% से ज्यादा की गिरावट के बाद जिस तरह के मूल्यांकन पर आ चुका है, वहाँ बेचना तो कतई समझदारी नहीं होगी। कोई मेरी बात को कुछ इस तरह तरह भी देख सकता है कि एक फंड मैनेजर कभी म्यूचुअल फंड से पैसा निकालने की बात तो कह ही नहीं सकता। लेकिन आप केवल इस साल की गिरावट को न देखें।

Read more...

और गिरावट के इंतजार में बस छूट जाती है

Details
Category: सितंबर 2011

अनिल चोपड़ा, सीईओ, बजाज कैपिटल :

बाजार में गिरावट आयी है इसलिए निवेश करना चाहिए, ऐसा सोचना गलत है। या फिर बाजार नीचे गिर रहा है, इसलिए इसमें से निकल जाना चाहिए, यह सोचना भी गलत है। म्यूचुअल फंड संपत्ति बनाने का एक जरिया है, बशर्ते आपका कोई लंबी अवधि का लक्ष्य हो।

Read more...

नजर बैलेंस शीट, प्रबंधन और ब्रांड पर

Details
Category: सितंबर 2011

स्वाति कुलकर्णी, फंड मैनेजर, यूटीआई म्यूचुअल फंड :

अभी विश्व अर्थव्यवस्था में सामान्य से कम दर से विकास हो रहा है। वैश्विक अर्थव्यवस्था को लेकर काफी चिंता है, खास कर अमेरिका और यूरोप को लेकर। ऐसे माहौल में मौजूदा मूल्यांकन पर भारतीय बाजार तुलनात्मक रूप से आकर्षक लग रहा है।

Read more...

  1. निफ्टी अगले दो महीनों में 5400 पर?
  2. गिरावट में खरीदें रिलायंस का शेयर
  3. गाड़ी बीमा : क्या आप भी हैं एजेंट के भरोसे?
  4. बॉस के लिए ऐसी टाई जो एक नजर में भा जाये

Page 1 of 2

  • 1
  • 2
  • Next
  • End
7 Empire

अर्थव्यवस्था

  • भारत की विकास दर (जीडीपी वृद्धि दर) : भविष्य के अनुमान
  • भारत की विकास दर (जीडीपी वृद्धि दर) बीती तिमाहियों में
  • भारत की विकास दर (जीडीपी वृद्धि दर) बीते वर्षों में

बाजार के जानकारों से पूछें अपने सवाल

सोशल मीडिया पर

Additionaly, you are welcome to connect with us on the following Social Media sites.

  • Like us on Facebook
  • Follow us on Twitter
  • YouTube Channel
  • Connect on Linkedin

Download Magzine

    Overview
  • 2023
  • 2016
    • July 2016
    • February 2016
  • 2014
    • January

बातचीत

© 2025 Nivesh Manthan

  • About Us
  • Blog
  • Contact Us
Go Top