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नजर बैलेंस शीट, प्रबंधन और ब्रांड पर

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Category: सितंबर 2011

स्वाति कुलकर्णी, फंड मैनेजर, यूटीआई म्यूचुअल फंड :

अभी विश्व अर्थव्यवस्था में सामान्य से कम दर से विकास हो रहा है। वैश्विक अर्थव्यवस्था को लेकर काफी चिंता है, खास कर अमेरिका और यूरोप को लेकर। ऐसे माहौल में मौजूदा मूल्यांकन पर भारतीय बाजार तुलनात्मक रूप से आकर्षक लग रहा है।

अगर हम एक साल आगे की आमदनी के अनुमानों को ले कर चलें तो भारतीय बाजार करीब 13 के पीई मूल्यांकन पर उपलब्ध है। यह ठीक है कि इससे पहले कभी-कभी भारतीय बाजार 9-10 के पीई मूल्यांकन तक भी गिरा है। लेकिन ऐसी स्थिति तभी आयेगी जब वैश्विक अर्थव्यवस्था में स्थिति एकदम बिगड़ जाये, जैसे कि यूरोप की समस्याओं पर नियंत्रण नहीं हो सके। लेकिन ऐसी चीजों की भविष्यवाणी करना काफी मुश्किल है।
एक निवेशक के रूप में ऐसा पूर्वानुमान लगाना मुश्किल है कि ऐसा होने वाला है और उसके चलते अभी पैसा निकाल लिया जाये। मेरा तो यह मानना है कि अभी एकमुश्त रकम का निवेश करने का समय है, जिससे आपके पिछले निवेश की भी औसत लागत नीचे आ जाये। आपकी जो नियमित निवेश योजना (सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान या एसआईपी) है, वह तो चलाते ही रहना चाहिए, भले ही बाजार का स्तर कुछ भी हो। अभी तो कुछ एकमुश्त रकम पड़ी हो तो उसका भी निवेश करना बेहतर होगा।
अमेरिका में दोहरी मंदी अगर आ भी जाये, तो भारत पूरी तरह से अमेरिका पर निर्भर नहीं है। थोड़ी निर्भरता जरूर है। ऐसी स्थिति आयेगी भी तो वह समय के साथ धीरे-धीरे सामने आयेगी। ऐसा नहीं होगा कि कल आपको अचानक मंदी आने का पता चलेगा। और ऐसा होने पर हम एकदम से अलग नहीं रह सकते, तब हमारा भी बाजार गिरेगा। लेकिन हमारी घरेलू अर्थव्यवस्था की संभावनाएँ ज्यादा मजबूत हैं, इसलिए ऐसी कोई गिरावट दरअसल हमें निचले स्तरों पर खरीदारी का मौका देगी। 
मैं इस समय तेल क्षेत्र, खास कर सरकारी तेल कंपनियों के बारे में सकारात्मक (ओवरवेट) हूँ। इसके अलावा सीमेंट क्षेत्र हमें अच्छा लग रहा है। हम ऐसी कंपनियों में निवेश कर रहे हैं, जिनकी बैलेंस शीट मजबूत है, जिनका प्रबंधन मजबूत है और जिनके ब्रांड मजबूत हैं। इसी वजह से हमें बाजार से काफी बेहतर प्रदर्शन करने में सफलता मिली है। हमने पहले बैंकिंग क्षेत्र पर नकारात्मक (अंडरवेट) नजरिया अपनाया था, जिसका हमें फायदा भी मिला। लेकिन अब हमने बैंक शेयरों में फिर से अपना निवेश बढ़ाना शुरू किया है।
बैंक शेयरों के मूल्यांकन काफी नीचे आये हैं। अगर सरकारी बैंकों को देखें तो वे बुक वैल्यू के आसपास के मूल्यांकन पर मिल रहे हैं। इसलिए हमें ये शेयर अब सस्ते लग रहे हैं और अगले साल डेढ़ साल के नजरिये से हम उन्हें पसंद कर रहे हैं। हमारा मानना है कि इन स्तरों पर उनमें निवेश करके अच्छा फायदा लिया जा सकता है। हमने निजी बैंकों में भी निवेश कर रखा है। उनके मूल्यांकन भी नीचे आये हैं। हम दोनों तरह के शेयरों में मिला-जुला कर निवेश कर रहे हैं। हम केवल निजी बैंकों में निवेश करके सरकारी बैंकों की उपेक्षा करने की रणनीति पर काम नहीं करते हैं, क्योंकि सरकारी बैंकों के मूल्यांकन काफी आकर्षक हैं।
हमें पहले आईटी शेयरों में अपने निवेश पर अच्छा फायदा मिला है। लेकिन अब हम इस पर नकारात्मक (अंडरवेट) नजरिया ले कर चल रहे हैं। इसके अलावा निर्माण (कंस्ट्रक्शन) और जमीन-जायदाद (रियल एस्टेट) पर हम नकारात्मक हैं। निर्माण (कंस्ट्रक्शन) क्षेत्र में अभी नये ठेकों (ऑर्डर) मिलने की रफ्तार ज्यादा नहीं लग रही है। कुछ समय से बुनियादी ढाँचे पर होने वाला खर्च काफी हल्का रहा है। इन कंपनियों की बैलेंस शीट भी दबाव में लग रही है। इसलिए हम निर्माण क्षेत्र के शेयरों में निवेश से पहले भारतीय अर्थव्यवस्था की तस्वीर में सुधार आने का इंतजार करेंगे।
(निवेश मंथन, सितंबर 2011)

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