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‘विकास पुरुष’ के बदले ‘गरीबों के मसीहा’

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Category: जनवरी 2017

राजेश रपरिया, सलाहकार संपादक:

नये साल की पूर्व संध्या पर प्रधानमंत्री मोदी के राष्ट्रीय संबोधन को लेकर जिन देशवासियों में भारी उत्तेजना-व्याकुलता थी, उनको गहरी निराशा ही हाथ लगी। 

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जरा दूर लगने लगा है पुराना शिखर

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Category: जनवरी 2017

लगभग दो साल पहले भारतीय शेयर बाजार ने एक नया रिकॉर्ड स्तर छुआ था। उस रिकॉर्ड स्तर से फिर आगे निकलने की ख्वाहिश बाजार में बनी रही है। पर लगता है कि बाजार ने इस ख्वाहिश को जरा दूर खिसका लिया है।

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साल 2008 जैसा बुरा दौर आने की आशंका

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Category: जनवरी 2017

ए. के. प्रभाकर, रिसर्च प्रमुख, आईडीबीआई कैपिटल :

बाजार मध्यम अवधि के लिए कमजोरी के दौर में प्रवेश कर चुका है। 6-7 महीनों में बाजार में बड़ी गिरावट आ सकती है।

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कंपनियों की आय पर 2-3 तिमाहियों तक असर

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Category: जनवरी 2017

नीरज दीवान, निदेशक, क्वांटम सिक्योरिटीज
बाजार की दिशा इससे तय होगी कि नोटबंदी की अवधि पूरी होने के बाद कैसी स्थिति उभरती है और बजट में क्या सामने आता है। भारत में ब्याज दरें नीचे आना और बैंकों के पास अच्छी नकदी तरलता होना सकारात्मक है।

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2017 की दूसरी छमाही में अच्छा रहेगा बाजार

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Category: जनवरी 2017

रवि के. गुप्ता, एमडी, टॉरस म्यूचुअल फंड

नोटबंदी को लेकर आरंभिक डर खत्म होने के बाद 2017 की दूसरी छमाही में माँग बढ़ेगी। अगर कर ढाँचे में बदलाव हो और ब्याज दरें घटें तो कंपनियों का लाभ मार्जिन सुधरेगा।

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बुनियादी ढाँचे पर खर्च बढऩे की आशा

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Category: जनवरी 2017

शर्मिला जोशी, निवेश सलाहकार, चेशायर इन्वेस्टमेंट

चीजें बदल रही हैं और हमारी सफलता इस बात पर निर्भर है कि हम इन बदलावों के मुताबिक कितनी तेजी से ढल पाते हैं।

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नोटबंदी के बीच कर संग्रह बढ़ा, जेटली गदगद

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Category: जनवरी 2017

केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने नोटबंदी की मियाद पूरी होने से एक दिन पहले एक बयान जारी कर न केवल इस कदम का समर्थन करने के लिए भारत के लोगों का आभार जताया, बल्कि यह जानकारी भी दी कि 19 दिसंबर तक के आँकड़ों के अनुसार आय कर संग्रह में 14.4% की वृद्धि दर्ज की गयी है।

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निपट गयी नोटबंदी अब आगे क्या?

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Category: जनवरी 2017

राजीव रंजन झा:

ये सोचना गलत है
कि तुम पर नजर नहीं है
मसरूफ हम बहुत हैं
मगर बेखबर नहीं हैं
(यह शायरी नहीं है, आयकर विभाग की चेतावनी है!)

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नोटबंदी के 50 दिन

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Category: जनवरी 2017

अरुण पांडेय :

दुनिया के इतिहास में किसी भी देश में नोटबंदी की सबसे बड़ी कवायद खत्म हो गयी है। लेकिन यह लोगों के जेहन में मुश्किलों और आगे कुछ दिन तक आशंकाओँ और सुनहरे भविष्य की उम्मीदें छोड़ गयी है।

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बेनामी पर शिकंजा

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Category: जनवरी 2017

यह सर्वज्ञात है कि बेनामी संपत्तियाँ काले धन को खपाने और छिपाने का एक बड़ा माध्यम हैं। नोटबंदी की एक बड़ी आलोचना यह भी रही है कि ज्यादातर काला धन तो जमीन-जायदाद, सोना आदि अन्य तरह की संपत्तियों के रूप में होता है।

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लोगों को हुई तकलीफ, पर नहीं मिला उतना लाभ

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Category: जनवरी 2017

सुनील कुमार सिन्हा, प्रधान अर्थशास्त्री इंडिया रेटिंग्स :

नोटबंदी के बाद कितने पैसे बैंकों में आये, और कितने नये नोट बाजार में लाये गये इसको लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। शुरुआत में आरबीआई इसके आँकड़े जारी कर रहा था, पर अब उसके ताजा आँकड़े उपलब्ध नहीं है। पर समझा जा रहा है कि जितने पैसे बैंकों में वापस आ गये हैं, वे नोटबंदी के समय प्रचलन में रहे नोटों के मूल्य के काफी करीब हैं।

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मुश्किल होता जायेगा काले धन का कारोबार

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Category: जनवरी 2017

शैलेष हरिभक्ति, ग्रुप चेयरमैन, डी. एच. कंसल्टेंट्स :

बैंकों में कितने पैसे जमा हो गये हैं, इस आँकड़े को देखने का कोई मतलब नहीं है। जो भी पैसा बैंकों में आ गया है, उसका अब पूरा हिसाब-किताब हो सकेगा, जबकि पहले वह सरकार की नजर से दूर था।

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  1. राजनीतिक दलों को पुरानी छूट पर नया बवाल
  2. पलट रहा है ब्याज दरों का चक्र, नोटबंदी से बढ़ेगा म्यूचुअल फंडों का निवेश
  3. अगले 3-6 महीनों में क्रमबद्ध निवेश
  4. सधे कदमों संग आगाज, देगा निवेश को परवाज

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अर्थव्यवस्था

  • भारत की विकास दर (जीडीपी वृद्धि दर) : भविष्य के अनुमान
  • भारत की विकास दर (जीडीपी वृद्धि दर) बीती तिमाहियों में
  • भारत की विकास दर (जीडीपी वृद्धि दर) बीते वर्षों में

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