शर्मिला जोशी, निवेश सलाहकार, चेशायर इन्वेस्टमेंट
चीजें बदल रही हैं और हमारी सफलता इस बात पर निर्भर है कि हम इन बदलावों के मुताबिक कितनी तेजी से ढल पाते हैं।
बाजार की मुख्य चिंताओं में नोटबंदी, विकास दर में धीमेपन, बजट, उभरते बाजारों के लिए निवेश प्रवाह में कमी और पश्चिमी देशों में संरक्षणवाद शामिल हैं। सकारात्मक बात यह है कि बैंक कम ब्याज दरों पर ऋण देना शुरू करेंगे, जिससे बुनियादी ढाँचे पर खर्च बढ़ेगा।
साल भर में सेंसेक्स 21,000 पर
सुनील मिंगलानी, निदेशक, स्किलट्रैक कंसल्टेंसी
छह महीने में सेंसेक्स 23,000-24,000 तक और निफ्टी 7,200-7,400 तक फिसल सकते हैं। साल भर बाद सेंसेक्स 21,000-22,500 के पास और निफ्टी 6,500-7,000 के पास रहने की संभावना है। मै दोहराता रहा हूँ कि निफ्टी के लिए 8500-9000 के उपर टिकना आसान नही होगा। हमारे बाज़ार अभी 2008 के बाद का टाइम करेक्शन कर रहे हैं और जिसके लिए इसे 6000 के स्तर तक जाना पड़ेगा।
मँझोली और दीर्घ अवधि में सकारात्मक धारणा
वैभव अग्रवाल, रिसर्च प्रमुख, एंजेल ब्रोकिंग
भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए विभिन्न चुनौतियों के बावजूद मेरा मानना है कि आगामी कई वर्षों तक हम संरचनात्मक रूप से सबसे तेजी से बढ़ रही बड़ी अर्थव्यवस्था बने रहेंगे, जिससे निवेशकों को भारतीय पूँजी बाजार की ओर आकर्षित होना चाहिए। इसलिए हम मँझोली से दीर्घ अवधि में भारतीय बाजारों की संभावनाओं को लेकर सकारात्मक नजरिया बनाये हुए हैं।
काली अर्थव्यवस्था सिकुडऩे से होगा फायदा
विजय चोपड़ा, एमडी एवं सीईओ, इनोच वेंचर्स
म्यूचुअल फंडों के बढ़ते एयूएम और बाजार में निवेशकों का फिर से लौटना बाजार के लिए सकारात्मक पहलू हैं। नोटबंदी के चलते दो तिमाहियों तक कंपनियों की आय कमजोर रहेगी, लेकिन अंतत: बाजार पर इसका अच्छा असर होगा क्योंकि पारदर्शिता बढ़ेगी और समानांतर चलने वाली अर्थव्यवस्था घटेगी, जबकि संगठित बाजार और कर संग्रह में वृद्धि होगी।
साल 2020 तक सेंसेक्स 50,000 का
विवेक नेगी, निदेशक, फिनेथिक वेल्थ सर्विसेज
अभी नोटबंदी का असर, धीमे सुधार, निवेशकों के आत्मविश्वास में कमी, नकदी तरलता, वैश्विक बाजारों का मूल्यांकन जैसे चिंता के पहलू हैं। सरकारी कर संग्रह और जीएसटी पर अमल सकारात्मक बातें हैं। नोटबंदी के चलते छोटी अवधि में नकारात्मक, लेकिन लंबी अवधि में सकारात्मक असर होगा। मेरा तो अनुमान है कि सेंसेक्स साल 2018 में ही 40,000 पर और साल 2020 में 50,000 पर पहुँच सकता है।
साल के अंत तक सेंसेक्स फिर 30,000 पर
सिमी भौमिक, तकनीकी विश्लेषक
अगले 3-4 महीनों के लिए बाजार एक दायरे में या कमजोर रहेगा। छह महीने में सेंसेक्स 27,500 पर और निफ्टी 8350-8400 पर हो सकते हैं। दिसंबर 2017 तक सेंसेक्स 30,000 के पास और निफ्टी 9,100 के पास पहुँचने की उम्मीद है। इस साल निफ्टी का निचला दायरा 7,800 तक का लगता है। नोटबंदी से पैदा स्थिति, कच्चे तेल के बढ़ते दाम और रुपये में आयी कमजोरी बाजार की मुख्य चिंताएँ हैं।
आगे बाजार के अच्छे प्रदर्शन की आशा
सुरेंद्र कुमार गोयल, निदेशक, बोनांजा पोर्टफोलिओ
बाजार की नजर इस पर है कि जीएसटी पर किस तरह अमल होता है, विमुद्रीकरण के बाद अर्थव्यवस्था कैसे पटरी पर आती है और उत्तर प्रदेश एवं पंजाब जैसे राज्यों में चुनाव के नतीजे क्या रहते हैं। हमारे बाजार ने पिछले दो वर्षों में बढिय़ा प्रदर्शन नहीं किया है, इसलिए अब बढिय़ा प्रदर्शन की उम्मीद ज्यादा है। मौजूदा स्तरों से गिरावट की गुंजाइश सीमित है और उच्च प्रतिफल की उम्मीद की जा सकती है।
पूँजी बाजार पर नये कर की चिंता
विजय भूषण, पार्टनर, भारत भूषण ऐंड कंपनी
प्रधानमंत्री ने हाल में कहा कि पूँजी बाजार पर अतिरिक्त कर बोझ डाला जा सकता है, जिससे निवेशकों का भरोसा डगमगाया है। अगर आगामी बजट पूँजी बाजार के लिए अनुकूल नहीं रहा, तो बाजार सुस्त बना रहेगा। अमेरिकी ब्याज दरों में वृद्धि और नोटबंदी से माँग में कमी पर भी बाजार चिंतित है। वहीं घरेलू बाजार में ब्याज दरें घटना बाजार के लिए सकारात्मक है। अब भी विश्व में सबसे ऊँची विकास दर भारत में ही रहेगी।
नोटबंदी का लंबी अवधि में सकारात्मक असर
विनय गुप्ता, निदेशक, ट्रस्टलाइन सिक्योरिटीज
लंबी अवधि में बाजार सकारात्मक है। नोटबंदी का कुल असर भी सकारात्मक होगा, क्योंकि इससे समानांतर चलने वाली नकद अर्थव्यवस्था के आँकड़े जीडीपी में जुडऩे लगेंगे। अगले छह महीनों में बाजार की चाल के लिहाज से तिमाही नतीजे सबसे महत्वपूर्ण रहेंगे। नोटबंदी के चलते तीसरी और चौथी तिमाही के नतीजों में गिरावट आयेगी, यह इस समय मुख्य चिंता है।
सर्वेक्षण की कार्यविधि
यह सर्वेक्षण भारतीय शेयर बाजार में सक्रिय ब्रोकिंग फर्मों एवं स्वतंत्र विश्लेषकों के बीच आमंत्रण के आधार पर 23 दिसंबर 2016 से 2 जनवरी 2017 के बीच किया गया है। इसमें व्यक्त किये गये विचार बाजार नियामक सेबी की ओर से निर्धारित मानकों के अनुरूप विश्लेषकों के व्यक्तिगत स्पष्टीकरण और इस पत्रिका के सभी आलेखों पर लागू स्पष्टीकरण के अधीन हैं। इस सर्वेक्षण के परिणाम बाजार की दिशा के बारे में विश्लेषकों के बहुमत की मौजूदा राय को दर्शाने का एक प्रयास हैं, लेकिन यह कतई आवश्यक नहीं है कि बाजार आने वाले समय में इन्हीं अनुमानों के अनुरूप चले।
(निवेश मंथन, जनवरी 2017)