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अगले 3-6 महीनों में क्रमबद्ध निवेश

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Category: जनवरी 2017

आईसीआईसीआई डायरेक्ट ने दिसंबर के चौथे सप्ताह में म्यूचुअल फंड उद्योग पर जारी रिपोर्ट में पूर्ववर्ती माह की सलाहें बरकरार रखी हैं।

ब्रोकिंग फर्म ने इक्विटी डाइवर्सिफाइड फंड, इक्विटी इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड, इक्विटी एफएमसीजी, इक्विटी फार्मा फंड और बैलेंस्ड फंड के लिए अल्पकाल एवं दीर्घकाल, दोनों अवधियों के लिए सकारात्मक सलाह दी है। इन्कम फंड के लिए भी अल्पकाल एवं दीर्घकाल में सकारात्मक सलाह है, लेकिन अतिअल्पकाल में उदासीन सलाह है। इक्विटी बैंकिंग फंड के लिए अल्पकाल में सकारात्मक और दीर्घकाल में उदासीन सलाह है जबकि मंथली इन्कम प्लान्स (एमआईपी) के लिए अल्पकाल में उदासीन और दीर्घकाल में सकारात्मक सलाह है। ब्रोकिंग फर्म ने इक्विटी टेक्नोलॉजी फंड, आर्बिट्राज फंड, लिक्विड फंड एवं गिल्ट फंड के लिए अल्पकाल एवं दीर्घकाल, दोनों अवधियों के लिए उदासीन सलाह दी है।
इक्विटी बाजार
भारतीय पूँजी बाजारों में सितंबर में उच्च स्तरों से 11% की गिरावट आने के बाद पिछले माह ठहराव रहा। बाजार भागीदार अब भी अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों पर विमुद्रीकरण के असर का आकलन कर रहे हैं। यद्यपि इस कदम के मध्यकालिक और दीर्घकालिक असर का अधिकांश लोगों ने आम तौर पर स्वागत किया है, लेकिन तात्कालिक और अल्पकालिक असर नकारात्मक हो सकता है। यह निश्चित रूप से अर्थव्यवस्था और बाजारों को अनिश्चित चरण की ओर धकेलेगा। विमुद्रीकरण का असर किस हद तक होगा और सुधार होने में कितना वक्त लगेगा, इस बारे में अनिश्चितता बाजार को अस्थिर बना रही है।
अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने 14 दिसंबर की अपनी बैठक में ब्याज दरें 25 आधार अंक तक बढ़ा दी हैं और 2017 में तेज गति से बढ़ोतरी के संकेत दिये हैं। इसकी वजह यह है कि डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने कर कटौती, खर्च और विनियंत्रण के जरिये अमेरिकी अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के वादे के साथ सत्ता संभाली है। ब्रोकिंग फर्म का मानना है कि नये अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव का भारतीय अर्थव्यवस्था पर अत्यंत सीमित असर पडऩे की संभावना है। यह कुल मिला कर सकारात्मक है, क्योंकि चुनाव के नतीजों से आयी तुर्शी अब लगभग नहीं के बराबर है। डोनाल्ड ट्रंप की अप्रत्याशित जीत पर शुरुआत में नकारात्मक प्रतिक्रिया देने के बाद वैश्विक बाजारों ने नये घटनाक्रम को स्वीकार करते हुए लगभग पूरी तरह वापसी कर ली है। अधिकांश प्रमुख वैश्विक बाजारों में सुधार से संकेत मिलता है कि नये राष्ट्रपति द्वारा नीतिगत निर्णयों में कल्पित नकारात्मक या परिवर्तन उतने गंभीर नहीं हो सकते हैं, जितनी कि शुरुआत में कल्पना की गयी थी।
केंद्र सरकार समानांतर अर्थव्यवस्था और साथ-ही-साथ नकद लेन-देन की मात्रा घटाने के लिए मुख्य सुधारों को लागू करने की राह पर बढऩे के लिए दृढ़प्रतिज्ञ है। 8 नवंबर की मध्यरात्रि से 500 रुपये और 1000 रुपये के नोटों की कानूनी वैधता खत्म करने की प्रधानमंत्री की ताजा घोषणा इसी लक्ष्य को हासिल करने के लिए एक और कदम है। घरेलू मुद्रा घटनाक्रम से निकट भविष्य में विकास पर नकारात्मक असर पडऩे की संभावना के बावजूद ब्रोकिंग फर्म का मानना है कि दीर्घकालीन विकास में संरचनात्मक सुधार, मुद्रास्फीति को कम करने में मदद, व्यवस्था में तरलता में सुधार और सरकार की राजकोषीय स्थिति में सुधार के रूप में इस कदम का भारतीय अर्थव्यवस्था पर दूरगामी संरचनात्मक सकारात्मक असर पड़ सकता है।
परिदृश्य
विमुद्रीकरण से कर संग्रह में वृद्धि, नकद अर्थव्यवस्था से बैंकिंग व्यवस्था की ओर गमन, बैंकिंग व्यवस्था में सुधार इत्यादि जैसे कई दीर्घकालिक लाभ होंगे। यह कदम केंद्र सरकार के लिए एक बड़ा भावनात्मक समर्थन भी बनने जा रहा है और यह प्रमुख सख्त आर्थिक सुधारों के रूप में दिखेगा।
यद्यपि विमुद्रीकरण से अधिकांश क्षेत्रों के लिए निकट अवधि की कुछ चिंताएँ हो सकती हैं लेकिन सरकारी सुधारों की तेज गति, मुद्रास्फीति के घटने और ब्याज दरों में कमी के कारण संरचनात्मक विकास की राह चुस्त बनी हुई है। बाजार भागीदारों द्वारा विमुद्रीकरण के असर का विश्लेषण करने के प्रयास के कारण निकट अवधि में उच्च स्तर पर अस्थिरता बनी रहने की संभावना है। दीर्घ अवधि के निवेशकों को अगले तीन से छह महीने में अपना निवेश चरणबद्ध तरीके से करना चाहिए।
म्यूचुअल फंड सार
म्यूचुअल फंडों ने पिछले तीन वर्षों में भारी निवेश देखा है, जिससे म्यूचुअल फंडों द्वारा प्रबंधित कुल संपदा (एयूएम) में भारी वृद्धि हुई है। म्यूचुअल फंडों द्वारा प्रबंधित कुल संपदा नवंबर, 2016 में 16.5 लाख करोड़ रुपये के ऐतिहासिक शिखर पर पहुँच गयी, जो सालाना आधार पर 27% की वृद्धि दर्शाती है। इसमें 48% इन्कम फंडों की और 30% इक्विटी फंडों की हिस्सेदारी है। वित्त वर्ष 2016-17 के पहले आठ महीनों में भारतीय म्यूचुअल फंड उद्योग में 3,02,919 करोड़ रुपये का निवेश हुआ। इस कुल निवेश में से 40,706 करोड़ रुपये का निवेश इक्विटी और ईएलएसएस फंडों में हुआ। इस अवधि में इन्कम फंडों में 1,70,610 करोड़ रुपये का निवेश हुआ। इक्विटी बाजारों में गिरावट के बावजूद इक्विटी म्यूचुअल फंडों में निवेश सुस्थिर बना रहा। यह प्रवृत्ति म्यूचुअल फंडों में निवेशकों की बढ़ती भागीदारी और गिरावट को पूँजी लगाने के अवसर के रूप में उपयोग करने को दर्शाती है।
(निवेश मंथन, जनवरी 2017)

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