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स्वास्थ्य बीमा, कर बचत ही नहीं जीवन बेहतर करने का तरीका

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Category: फरवरी 2017

एंटनी जैकब, सीईओ, अपोलो म्युनिख हेल्थ इंश्योरेंस

भारत की बढ़ती आबादी और लोगों की आय में हो रही लगातार बढ़ोतरी से रहन सहन में बहुत बदलाव आये हैं।

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आपके निवेश सवाल , विशेषज्ञ के जवाब

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Category: फरवरी 2017

अनिल चोपड़ा, ग्रुप सीईओ, बजाज कैपिटल

मैं 2015 से हर साल 50,000 रुपये एनपीएस में जमा कर रहा हूँ, ताकि मुझे 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये की बचत सीमा के अलावा 80सीसीडी 1बी के तहत अतिरिक्त कर लाभ मिल सके। मेरे पास सिर्फ टियर 1 अकाउंट है। मैं गैर सरकारी संगठन में था, जहाँ एनपीएस का अंशदान नहीं कटता था। अब मैंने सरकारी नौकरी ज्वाइन कर ली है, जहाँ एनपीएस में नियोक्ता और कर्मचारी, दोनों का अंशदान जमा हो रहा है। कृपया सुझाव दें कि मुझे क्या परिवर्तन करना चाहिए। क्या मेरा पीआरएएन नंबर वही रहेगा? क्या मेरा नियोक्ता तत्काल प्रभाव से मेरे एनपीएस खाते में धन जमा करवा सकता है या मुझे अपने एनपीएस खाते में कुछ बदलाव करना पड़ेगा?
- आर सी शर्मा, चंडीगढ़
कॉर्पोरेट लाभ हासिल करने के लिए पहले आपको अपना खाता संबंधित सरकारी संगठन में स्थानांतरित करना पड़ेगा। आपके खाता श्रेणी को ऑल सिटिजन ऑफ इंडिया (व्यक्तिगत खाता) से सरकारी क्षेत्र में तब्दील कराना होगा। यह काम आपके संगठन का एकाउंट्स या एचआर विभाग कर सकता है। पीआरएएन वही रहेगा। इस परिवर्तन के बाद सिर्फ आपका नियोक्ता ही आपके खाते में अंशदान कर सकता है।
अगर बैंक में एफडीआर है तो उन पर भी टैक्स देना होगा? एनएससी में जमा पर भी टैक्स देना होगा या नहीं?
- देवेंदर जोशी, राजस्थान
हाँ, एफडीआर से मिले प्रतिफल यानी ब्याज पर टैक्स देना होगा, लेकिन एनएससी कर मुक्त है।
वर्तमान परिदृश्य में जब ब्याज दरें गिर रही हैं, क्या टैक्स बचाने के लिए मुझे पीपीएफ में निवेश जारी रखना चाहिए या कोई दूसरा विकल्प ढूंढऩा चाहिए?
- विक्रम आहूजा, पटना
पीपीएफ में आप जो रकम निवेश करते हैं, वह कटौती के योग्य होती है, उस पर प्राप्त ब्याज और परिपक्वता पर प्राप्त धन (मूल धन+ संचित ब्याज) पर टैक्स भी नहीं देना होता है। दूसरे शब्दों में, इस पर किसी भी चरण में टैक्स नहीं लगता है, जिसे ईईई कहा जाता है। वर्तमान परिदृश्य में टैक्स बचाने के दूसरे बेहतर विकल्प ईएलएलएस में जब आप निवेश करते हैं तो संबंधित धारा के तहत कर कटौती मिलती है। चूंकि इसमें आपकी रकम तीन साल तक निवेशित रहती है, इसलिए इस पर दीर्घ अवधि का पूँजीगत लाभ कर भी नहीं लगता है। जहाँ तक कर लाभ का सवाल है तो दोनों ही काफी अच्छे हैं। लेकिन जब जोखिम के चश्मे से देखते हैं तो पीपीएफ काफी आगे निकल जाता है, क्योंकि इसमें ब्याज दर की गारंटी है जिसे सरकार का समर्थन प्राप्त होता है। इसलिए इसमें कोई जोखिम नहीं होता है।
अगर आपके पोर्टफोलिओ में इक्विटी की हिस्सेदारी ज्यादा है तो 80सी की पूरी सीमा तक पीपीएफ में निवेश कर डालिए। बहरहाल, पीपीएफ में 1.5 लाख रुपये डालने से पहले होम लोन के पुनर्भुगतान, बच्चे की ट्यूशन फीस, कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) में अंशदान और जीवन बीमा प्रीमियम का भी ध्यान रखिए। दूसरी तरफ, अगर आपका इक्विटी में निवेश बहुत कम है तो आपको ईएलएसएस में निवेश के बारे में सोचना चाहिए। लेकिन तीन साल की अवधि पूरी होने के बाद भी अपनी यूनिटों को बेचने की जल्दबाजी न करें। जब बाजार चढ़ाव पर हो तो फंड से बाहर निकल जाइये ताकि आप फायदे के साथ विदा ले सकें। अगर इसके लिए कुछ साल का इंतजार भी करना पड़े तो इंतजार करिये।
मैं एसआईपी के जरिए काफी समय से म्यूचुअल फंडों में निवेश कर रही हूँ। मौजूदा बाजार परिदृश्य में क्या मुझे म्यूचुअल फंडों में निवेश जारी रखना चाहिए?
- सोनाक्षी शर्मा, कानपुर
एसआईपी के जरिए निवेश एकमुश्त निवेश के मुकाबले ज्यादा सुरक्षित है। अगर आप दीर्घ अवधि के वित्तीय लक्ष्य के लिए निवेश कर रही हैं तो लक्ष्य से 2-3 साल पहले तक निवेश जारी रखें। दरअसल, चढ़ते बाजार में आपने जितनी यूनिटें खरीदी होगी, उसके मुकाबले गिरते बाजार में आपकी एसआईपी रकम से ज्यादा यूनिटें मिलती हैं। यह भी याद रखें कि बाजार संबंधित प्रपत्रों में निवेश का यह सर्वश्रेष्ठ समय है क्योंकि म्यूचुअल फंडों के एनएवी अभी कम हैं और लंबी अवधि में आप मुनाफा कमा सकती हैं।
इस समय मियादी जमा (एफडी) पर ब्याज दरें घटती जा रही हैं। इस वर्तमान स्थिति में मेरे लिए निवेश के नये अवसर कौन-से हो सकते हैं?
- मनोज कुमार, गाजियाबाद
बैंकों के पास काफी नकदी उपलब्ध हो गयी है, जिससे ब्याज दरों में गिरावट आ रही है और बैंकों के मियादी जमा (एफडी) आकर्षक नहीं रह गये हैं। ऐसी स्थिति में आप भारत सरकार के 8% दर वाले करयोग्य बॉन्ड में पैसे लगा सकते हैं। ये बॉन्ड सार्वभौम गारंटी के साथ आते हैं, इसलिए एक बैंक जमा से भी ज्यादा सुरक्षित हैं। इनकी परिपक्वता अवधि 6 साल की है और इनमें निवेश की ऊपरी सीमा नहीं होती। किसी भी व्यक्ति, एचयूएफ, सोसाइटी या विश्वविद्यालय को इनमें निवेश करने की अनुमति है। ये बॉन्ड सूचीबद्ध नहीं हैं और इनका हस्तांतरण नहीं किया जा सकता। इन पर कर चुकाने के बाद ५-७% का प्रतिफल (रिटर्न) मिलता है, जो इस पर निर्भर है कि निवेशक की आय कर श्रेणी क्या है। इसी तरह एएए रेटिंग वाले एनसीडी और कॉर्पोरेट जमा भी ऐसे निवेशकों के लिए आकर्षक हैं, जो कुछ अधिक जोखिम ले सकते हैं।
बैंक जमाओं की तुलना में डेब्ट म्यूचुअल फंड योजनाएँ आकर्षक हो गयी हैं। अतीत में इन फंडों ने कर पूर्व और कर बाद दोनों तरह के प्रतिफल में बैंक जमाओं से बेहतर प्रदर्शन किया है। अधिकांश अल्पावधि डेब्ट फंडों और एक्रुअल फंडों का परिपक्वता प्रतिफल (वाईटीएम) बैंक जमाओं की दरों से ऊँचा है। इन फंडों के निवेशक न केवल बैंक ब्याज दर से अधिक प्रतिफल पा सकते हैं, बल्कि उन्हें इस पर कर लाभ भी मिलता है।
(निवेश मंथन, फरवरी 2017)

‘विकास पुरुष’ के बदले ‘गरीबों के मसीहा’

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Category: जनवरी 2017

राजेश रपरिया, सलाहकार संपादक:

नये साल की पूर्व संध्या पर प्रधानमंत्री मोदी के राष्ट्रीय संबोधन को लेकर जिन देशवासियों में भारी उत्तेजना-व्याकुलता थी, उनको गहरी निराशा ही हाथ लगी। 

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जरा दूर लगने लगा है पुराना शिखर

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Category: जनवरी 2017

लगभग दो साल पहले भारतीय शेयर बाजार ने एक नया रिकॉर्ड स्तर छुआ था। उस रिकॉर्ड स्तर से फिर आगे निकलने की ख्वाहिश बाजार में बनी रही है। पर लगता है कि बाजार ने इस ख्वाहिश को जरा दूर खिसका लिया है।

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साल 2008 जैसा बुरा दौर आने की आशंका

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Category: जनवरी 2017

ए. के. प्रभाकर, रिसर्च प्रमुख, आईडीबीआई कैपिटल :

बाजार मध्यम अवधि के लिए कमजोरी के दौर में प्रवेश कर चुका है। 6-7 महीनों में बाजार में बड़ी गिरावट आ सकती है।

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कंपनियों की आय पर 2-3 तिमाहियों तक असर

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Category: जनवरी 2017

नीरज दीवान, निदेशक, क्वांटम सिक्योरिटीज
बाजार की दिशा इससे तय होगी कि नोटबंदी की अवधि पूरी होने के बाद कैसी स्थिति उभरती है और बजट में क्या सामने आता है। भारत में ब्याज दरें नीचे आना और बैंकों के पास अच्छी नकदी तरलता होना सकारात्मक है।

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2017 की दूसरी छमाही में अच्छा रहेगा बाजार

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Category: जनवरी 2017

रवि के. गुप्ता, एमडी, टॉरस म्यूचुअल फंड

नोटबंदी को लेकर आरंभिक डर खत्म होने के बाद 2017 की दूसरी छमाही में माँग बढ़ेगी। अगर कर ढाँचे में बदलाव हो और ब्याज दरें घटें तो कंपनियों का लाभ मार्जिन सुधरेगा।

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बुनियादी ढाँचे पर खर्च बढऩे की आशा

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Category: जनवरी 2017

शर्मिला जोशी, निवेश सलाहकार, चेशायर इन्वेस्टमेंट

चीजें बदल रही हैं और हमारी सफलता इस बात पर निर्भर है कि हम इन बदलावों के मुताबिक कितनी तेजी से ढल पाते हैं।

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नोटबंदी के बीच कर संग्रह बढ़ा, जेटली गदगद

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Category: जनवरी 2017

केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने नोटबंदी की मियाद पूरी होने से एक दिन पहले एक बयान जारी कर न केवल इस कदम का समर्थन करने के लिए भारत के लोगों का आभार जताया, बल्कि यह जानकारी भी दी कि 19 दिसंबर तक के आँकड़ों के अनुसार आय कर संग्रह में 14.4% की वृद्धि दर्ज की गयी है।

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निपट गयी नोटबंदी अब आगे क्या?

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Category: जनवरी 2017

राजीव रंजन झा:

ये सोचना गलत है
कि तुम पर नजर नहीं है
मसरूफ हम बहुत हैं
मगर बेखबर नहीं हैं
(यह शायरी नहीं है, आयकर विभाग की चेतावनी है!)

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नोटबंदी के 50 दिन

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Category: जनवरी 2017

अरुण पांडेय :

दुनिया के इतिहास में किसी भी देश में नोटबंदी की सबसे बड़ी कवायद खत्म हो गयी है। लेकिन यह लोगों के जेहन में मुश्किलों और आगे कुछ दिन तक आशंकाओँ और सुनहरे भविष्य की उम्मीदें छोड़ गयी है।

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बेनामी पर शिकंजा

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Category: जनवरी 2017

यह सर्वज्ञात है कि बेनामी संपत्तियाँ काले धन को खपाने और छिपाने का एक बड़ा माध्यम हैं। नोटबंदी की एक बड़ी आलोचना यह भी रही है कि ज्यादातर काला धन तो जमीन-जायदाद, सोना आदि अन्य तरह की संपत्तियों के रूप में होता है।

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  1. लोगों को हुई तकलीफ, पर नहीं मिला उतना लाभ
  2. मुश्किल होता जायेगा काले धन का कारोबार
  3. राजनीतिक दलों को पुरानी छूट पर नया बवाल
  4. पलट रहा है ब्याज दरों का चक्र, नोटबंदी से बढ़ेगा म्यूचुअल फंडों का निवेश

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