राजीव रंजन झा :
फरवरी 2013 के बाद निफ्टी दो मई को पहली बार 6000 के ऊपर नजर आया है, लेकिन इस स्तर के ऊपर निफ्टी के टिक पाने पर एक बड़ा सवालिया निशान लगा है।
इसने 10 अप्रैल के निचले स्तर 5477 से लेकर दो मई के शिखर 6019 तक 542 अंक यानी 9.9% की जो तेज उछाल दर्ज की, उसमें एक बड़ा योगदान भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की नयी नीति में ब्याज दरें घटने की उम्मीदों का था। आरबीआई ने अपनी सालाना मौद्रिक नीति में बाजार की उम्मीदों को बड़ा झटका तो नहीं दिया, लेकिन जितनी उम्मीदें लगायी जा रही थीं वे सब पूरी नहीं हो पायीं। अगर रेपो दर में 0.25% अंक की कटौती को एक पेड़ा, 0.50% अंक की कटौती को दो पेड़े और साथ में सीआरआर में कटौती को तीसरा पेड़ा माना जाये, तो बाजार आरबीआई से तीन पेड़े माँग रहा था, मिला केवल एक। जाहिर है कि बाजार कुछ नाउम्मीद होगा।
खैर, निफ्टी के 6000 और सेंसेक्स के 19500 के आसपास के इन स्तरों पर बाजार में आपकी रणनीति क्या होनी चाहिए? मैंने पहले भी कई बार लिखा है कि निफ्टी के लिए 5970-6000 को पार करना आसान नहीं। पिछले अंक में भी मैंने लिखा था कि %जब तक सेंसेक्स 19,755 और निफ्टी मोटे तौर पर 5950-6000 के दायरे को अच्छी मजबूती से पार नहीं करते, तब तक बाजार में कमजोरी लौटने की आशंका सताती रहेगी। निफ्टी 6000 के ऊपर जाने पर ही निचले शिखर बनने का सिलसिला खत्म होगा और बाजार में नयी जान लौट सकेगी।’
लेकिन इसका दूसरा पहलू यह भी है कि इस बाधा के पार होने पर बाजार में तेजी की नयी गुंजाइश खुल जाती है। इस समय निफ्टी लगभग उसी मुकाम पर है, जहाँ उसे आने वाले हफ्तों और महीनों के लिए अगली दिशा तय करनी है। अगर सेंसेक्स और निफ्टी मार्च के अपने शिखरों से ऊपर निकले तो जनवरी से अब तक निचले शिखर बनने का सिलसिला खत्म हो जायेगा। यह बाजार में कमजोरी खत्म होने का एक अच्छा तकनीकी संकेत होगा।
बाजार को तय करना है कि क्या यह मार्च के शिखर को पक्के ढंग से पार करके मजबूती का अगला संकेत देना चाहता है? सेंसेक्स का मार्च का शिखर 19755 का है, जबकि निफ्टी ने मार्च में 5971 का शिखर बनाया था। सेंसेक्स ने दो मई को 19792 का ऊपरी स्तर बनाया, यानी मार्च के शिखर से ऊपर निकल गया। तीन मई को आरबीआई की मौद्रिक नीति के बाद इसका बंद स्तर 19576 रहा, यानी अगले ही दिन यह मार्च के शिखर से नीचे लौट आया है।
निफ्टी दो मई को 6019 तक चढ़ा, यानी मार्च के शिखर 5971 से कुछ आगे निकलने में कामयाब रहा। मगर यह भी तीन मई को फिसल कर 5944 पर बंद हुआ और इस तरह मार्च के शिखर से नीचे लौट आया है। अगले कुछ सत्रों के दौरान इस बात पर सावधानी से नजर रखनी होगी कि भारतीय शेयर बाजार मार्च के शिखर के आसपास से पलट कर नीचे लौटता है, या इसे ठीक से पार करके जनवरी के शिखर की ओर बढ़ता है।
अगर जनवरी-अप्रैल 2013 के दौरान सेंसेक्स में 20204 से 18144 तक की गिरावट की वापसी देखें तो सेंसेक्स ने 61.8% वापसी के स्तर 19417 को पार करने के बाद 80% वापसी यानी 19792 के अगले पड़ाव को छू चुका है। ध्यान दें कि दो मई को इसका ऊपरी स्तर ठीक 19792 पर ही रहा। मार्च का शिखर 19755 भी उसके आसपास ही है। अब सेंसेक्स को या तो जनवरी के शिखर की ओर बढऩा चाहिए, या फिर 61.8% वापसी के स्तर 19417 की ओर लौटना चाहिए। अगर यह 19417 के भी नीचे फिसलने लगा तो साफ हो जायेगा कि अप्रैल के दूसरे हफ्ते से शुरू होने वाली उछाल निपट चुकी है।
निफ्टी जनवरी के शिखर 6112 से अप्रैल की तलहटी 5477 तक की गिरावट की संरचना में 80% वापसी के अगले लक्ष्य यानी 5985 को भी पार कर चुका है, लेकिन उसके बाद वापस इसके नीचे लौट आया है। लिहाजा अब देखना होगा कि यह वापस 5985 पार कर के इसके ऊपर टिकने की कोशिश करता है, या 61.8% वापसी यानी 5869 की ओर फिसलता है। यहाँ एक बार फिर वही बात, कि अगर यह 5869 के नीचे फिसला तो अप्रैल वाली उछाल खत्म होने की पुष्टि हो जायेगी।
अगर हम मूविंग एवरेज स्तरों को देखें तो छोटी अवधि से लेकर लंबी अवधि तक के सारे मूविंग एवरेज सकारात्मक संकेत देने लगे हैं। सेंसेक्स का तीन मई का बंद स्तर 19,576 पर है। अभी छोटी अवधि के सिंपल मूविंग एवरेज (एसएमए) में 10 एसएमए 19,299 पर और 20 एसएमए 18,886 पर है। यानी न केवल सेंसेक्स इन दोनों से ऊपर है, बल्कि 10 एसएमए का 20 एसएमए के ऊपर होना भी सकारात्मक है।
लंबी अवधि के लिहाज से देखें तो 50 एसएमए अभी 19,064 पर और 200 एसएमए 18,750 पर है। सेंसेक्स इन दोनों से ऊपर है और इन दोनों में भी 50 एसएमए का 200 एसएमए से ऊपर होना सकारात्मक संकेत है।
निफ्टी के तीन मई के बंद स्तर 5944 की तुलना में 10 एसएमए 5871 पर और 20 एसएमए 5724 पर है। यानी निफ्टी इन दोनों से ऊपर, और इन दोनों में 10 एसएमए ऊपर। इस तरह छोटी अवधि के लिए रुझान सकारात्मक है। जब तक सेंसेक्स-निफ्टी 10 एसएमए के नीचे नहीं आते, तब तक चिंता की वजह पैदा नहीं होती। लेकिन इसके नीचे फिसलते ही रुझान बदलने का एक शुरुआती गंभीर संकेत मिल जाता है। अगर 20 एसएमए भी नीचे की ओर कट जाये, तब तो रुझान बदलना पक्का।
अगर रुझान बदलने की पुष्टि हो जाये तो नीचे की ओर किन लक्ष्यों पर नजर रखी जाये? यहाँ पिछले कुछ अंकों की बातें दोहराना चाहूँगा। फरवरी 2013 के निवेश मंथन में निफ्टी 5500-5400 तक टूटने की संभावना जतायी गयी थी और 10 अप्रैल को निफ्टी 5477 के निचले स्तर पर नजर आया। वहीं अप्रैल 2013 के, यानी पिछले अंक में राग बाजारी का शीर्षक था कि ‘अगर 5400 टूटा तो निफ्टी का अगला सहारा 5220-5280’, मगर उस समय 5400 का सहारा टूटने की नौबत नहीं आयी।
दरअसल पिछले अंक में ही मैंने तीन अलग-अलग संरचनाओं के आधार पर लिखा था कि निफ्टी के लिए 5400 के ऊपर कहीं सहारा ले सकने की संभावना अच्छी-खासी है। मेरी नजर थी जून 2012 की तलहटी 4770 से लेकर जनवरी 2013 के शिखर 6112 तक की उछाल की 50% वापसी यानी 5441 पर। साथ ही सितंबर 2012 में 5447-5527 के दायरे में बने ऊपरी अंतराल का निचला छोर 5447 पर था। इसके अलावा नवंबर 2010 के शिखर 6339 से लेकर दिसंबर 2011 की तलहटी 4531 तक की गिरावट वाली संरचना में भी 50% वापसी 5435 पर है। ये तीनों संरचनाएँ कह रही थीं कि निफ्टी के लिए 5400 के ऊपर अच्छा सहारा बनता है।
इसलिए अगर बाजार मौजूदा स्तरों से पलट कर नीचे की ओर फिसला तो एक बड़ा लक्ष्य फिर से 5400 के आसपास का बन सकता है, और उसके नीचे जाने पर 5220-5280 पर नजर होगी। अगर हम जनवरी से अप्रैल के दौरान निफ्टी में आयी 635 अंक की गिरावट की समानता के आधार पर दो मई के शिखर 6019 से 635 अंक नीचे का स्तर निकालें, तो यह 5384 बैठता है, यानी मोटे तौर पर वही 5400 का स्तर।
लेकिन बीच के कुछ महत्वपूर्ण समर्थन स्तरों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। जैसा मैंने ऊपर जिक्र किया है, सबसे पहले तो 10 और 20 एसएमए के टूटने के बाद ही बाजार का रुझान बदलेगा, यानी इन स्तरों पर सहारा मिलेगा। इसके अलावा, ध्यान रखें कि सेंसेक्स के लिए 20204-18144 की गिरावट की 61.8% वापसी यानी 19,417 और उसके बाद 50% वापसी यानी 19,174 पर अगले समर्थन स्तर होंगे। लेकिन सेंसेक्स के 19,417 के नीचे जाने के बाद मेरे हिसाब से 38.2% वापसी यानी 18931 को अगला स्वाभाविक लक्ष्य मानना चाहिए।
निफ्टी की जनवरी-अप्रैल की गिरावट की संरचना में 61.8% वापसी का सहारा 5869 पर है, जिसके टूटने के बाद 38.2% वापसी यानी 5719 को अगला स्वाभाविक लक्ष्य समझना बेहतर होगा। अगर जनवरी के शिखर 6112 और मार्च के शिखर 5971 को मिलाती रुझान रेखा को देखें तो अगले दो-तीन हफ्तों में यह रेखा दरअसल 5750-5720 के आसपास ही नजर आयेगी। मतलब यह कि अगर निफ्टी 5700 के भी नीचे फिसला तो जनवरी-मार्च के शिखरों वाली यह रुझान रेखा नीचे की ओर कट जायेगी और यह बाजार में आगे और बड़ी गिरावट का साफ संकेत होगा।
अब 50 और 200 दिनों के एसएमए की मौजूदा चाल देखें। अगर बाजार अगले दो-तीन हफ्तों में नरमी का रुझान दिखाये तो उस समय तक ये दोनों अहम मूविंग एवरेज 5720 के आसपास ही कहीं नजर आने चाहिए। इस लिहाज से मई में 5700-5650 के आसपास फिर से ऐसी स्थिति बनेगी, जो हम आर या पार वाली होगी, क्योंकि वहाँ मध्यम अवधि के लिए महत्वपूर्ण 50 एसएमए और लंबी अवधि के लिए महत्वपूर्ण 200 एसएमए दोनों की परीक्षा हो रही होगी।
लेकिन उससे पहले करीब 5800 पर ही मध्यम अवधि की दिशा साफ होने लगेगी। जून 2012 की तलहटी 4770 से जनवरी 2013 के शिखर 6112 तक की उछाल की 23.6% वापसी 5795 पर है। इस संरचना के हिसाब से 5795 के नीचे जाने पर अगला स्वाभाविक लक्ष्य 38.2% वापसी यानी 5599 का, और उसके बाद 50% वापसी यानी 5441 का है। लेकिन इस बार गिरावट में 50% वापसी पर ठहरने की उम्मीद कम होगी और 61.8% वापसी यानी 5283 तक जाने की संभावना ज्यादा दिखेगी।
अगर कुछ ज्यादा बड़ी संरचना देखें तो नवंबर 2010 के शिखर 6339 से दिसंबर 2011 की तलहटी 4531 तक की गिरावट की 80% वापसी भी 5978 पर है। यानी 6000 के पास निफ्टी के लिए कई संरचनाओं में कड़ी बाधा है। इन सब बातों के मद्देनजर सेंसेक्स के लिए 19,792 और निफ्टी के लिए 5971-6000 के ऊपर टिक पाना आसान नहीं लगता।
इस आशंका के बीच यह ध्यान रखें कि निफ्टी 5971-6000 के आगे जाने पर जनवरी का शिखर फिर से छू सकता है। इसी तरह सेंसेक्स 19792 से आगे बढ़ सका तो 20,204 तक चढऩे की उम्मीद बन जायेगी। सेंसेक्स और निफ्टी दोनों ही जून 2012 में बनी तलहटी से जनवरी के शिखर तक की उछाल की 23.6% वापसी के स्तरों (सेंसेक्स के लिए 19153 और निफ्टी के लिए 5795) से काफी ऊपर आ चुके हैं। इस आधार पर कहा जा सकता है कि मार्च के शिखर के ऊपर ठीक से टिक जाने पर जनवरी के शिखर को छूना एक स्वाभाविक लक्ष्य की तरह होगा।
लेकिन देश की राजनीतिक-आर्थिक स्थितियों के मद्देनजर ऐसा लगता है कि कहीं अप्रैल के दूसरे पखवाड़े में बनी चाल अगले लोकसभा चुनावों से पहले की आखिरी बड़ी तेजी न हो। इस समय कोयला घोटाले पर सीबीआई की लीपापोती वाली जाँच और सर्वोच्च न्यायालय में हुई फजीहत के बाद केंद्र सरकार अंदर से कमजोर नजर आ रही है। इस मसले पर मचने वाला राजनीतिक बवंडर सरकार के प्राण संकट में डाले रखेगा।
अब रेल मंत्री पवन बंसल के घूस कांड में फँसने से सरकार एक नये संकट में पड़ गयी है। हाल ही में वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने भरोसा दिलाने की कोशिश की थी कि अगले 2-4 महीनों में कई और आर्थिक सुधार देखने को मिलेंगे। लेकिन हकीकत यह है कि अब अगले लोकसभा चुनाव तक भारतीय राजनीति का हर दिन अनिश्चितता के साये में ही गुजरेगा। पता नहीं किस दिन इस सरकार के अल्पमत में चले जाने की ब्रेकिंग न्यूज तमाम खबरिया चैनलों के पर्दे पर छा जाये। कोई इस बारे में पक्की भविष्यवाणी नहीं कर सकता।
इस राजनीतिक उथल-पुथल के बीच अगर शेयर बाजार की तस्वीर देखें तो यह बेहद जोखिम भरे क्षेत्र में है। राजनीतिक मोर्चे पर कोई भी नकारात्मक खबर इसे बुरी तरह लुढ़का सकती है। इसलिए कहा जा सकता है कि फिलहाल भारतीय बाजार में जोखिम-लाभ के अनुपात का पलड़ा जोखिम की ओर ज्यादा झुका है।
एसबीआई : 2170-2190 पर है दारोमदार
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के बारे में पिछले अंक में मैंने लिखा था कि ‘यह शेयर इस समय बड़े दिलचस्प मुकाम पर है। यह या तो इन्हीं स्तरों से सहारा लेकर वापस एक अच्छी बढ़त पा सकता है, या फिर एक बड़ी गिरावट का शिकार बन सकता है।’ मैंने यह भी लिखा था कि इसके 1963 तक लुढ़क जाने में कोई आश्चर्य नहीं होगा। एसबीआई ने अप्रैल में इसके कुछ ऊपर ही 1976 की तलहटी बनायी।
हालाँकि इसके बाद बैंकिंग क्षेत्र को लेकर बाजार में बने उत्साह के चलते इसने अप्रैल के दूसरे पखवाड़े में जबरदस्त चाल दिखायी और यह मार्च के शिखर 2274 के भी ऊपर निकल गया। मगर आरबीआई की मौद्रिक नीति सामने आने के बाद यह फिसला है और अब वापस मार्च के शिखर के नीचे है। गौरतलब है कि अगस्त 2012 की तलहटी 1815 से जनवरी 2013 के शिखर 2552 तक की उछाल की 38.2% वापसी भी इसके पास 2271 पर है। तीन मई को यह इसके काफी नीचे 2214 पर बंद हुआ है।
फिलहाल छोटी अवधि का रुझान नीचे का दिख रहा है, लेकिन 1815-2552 की संरचना में अगले सहारे, यानी 50% वापसी के स्तर 2184 के आसपास ही इस समय 50 एसएमए (2173) और 200 एसएमए (2189) दोनों ही नजर आ रहे हैं।
लिहाजा 2170-2190 का दायरा इसके लिए काफी महत्वपूर्ण बन गया है। इसके नीचे जाने पर यह वापस करीब 2100 और उसके बाद अप्रैल की तलहटी की ओर फिसल सकता है। लेकिन 2170-2190 के दायरे में सहारा मिल जाने पर यह देखना होगा कि अप्रैल के ऊपरी स्तर 2360 को यह पार कर पाता है या नहीं। इसके लिए 2360 के ऊपर जाना नयी तेजी का संकेत होगा।
रिलायंस : 814 पर अटक रही है गाड़ी
रिलायंस के बारे में मैंने पिछले अंक में लिखा था कि ‘मार्च के अंतिम हफ्ते और अप्रैल के पहले हफ्ते में इसने 760 के ठीक ऊपर सहारा लिया है। इस स्तर के पास रिलायंस को सितंबर 2012 के बाद से अब तक कई बार सहारा मिला है।’ पूरे अप्रैल की चाल देखें तो यह एक छोटे दायरे में अटका रहा और 760-765 के बीच इसने फिर से कई बार सहारा लिया।
साथ ही मैंने लिखा था कि ‘किसी भी वापस उछाल में इसके लिए अभी 673-955 की 50% वापसी यानी 814 को पार कर पाना टेढ़ी खीर होगा।’ अप्रैल के अंतिम हफ्ते में यह 827 तक चढ़ा, लेकिन अगले ही दिन 814 के नीचे आ गया। तीन मई को इसका बंद स्तर 801 है और एक बार फिर से 814 पर इसके लिए बाधा दिख रही है। इस समय यह बाधा और भी महत्वपूर्ण हो गयी है, क्योंकि 814 पर ही इसका 200 एसएमए आ गया है। लगभग वहीं 813 पर 50 एसएमए भी है। अगर यह इसके ऊपर नहीं निकल सका तो यह 760 के समर्थन स्तर की ओर वापस पलटेगा और देर-सबेर 730 तक भी फिसल सकता है। वहीं 814 के ऊपर निकल कर टिकने की सूरत में 848 और 889 के लक्ष्य बनेंगे।
(निवेश मंथन, मई 2013)