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भाजपा के बड़े मुद्दे हैं सुशासन और विकास

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Category: अप्रैल 2014

नरेंद्र तनेजा, संयोजक (ऊर्जा प्रकोष्ठ), भाजपा :

यह चुनाव सिर्फ सुशासन और विकास के मुद्दों पर लड़ा जा रहा है।

भाजपा के सत्ता में आने पर सरकार का सबसे पहला जोर यह होगा कि आर्थिक व्यवस्था को लेकर देश में निराशा का जो माहौल बना हुआ है, उसे सबसे पहले बदला जाये। आज पूरे देश में ऐसा माहौल बन गया है कि भ्रष्टाचार ही सभी चीजों की जड़ है। शुरुआत से ठीक ऊपर से कदम उठाया जायेगा कि भ्रष्टाचार को हटाया जा सके।
सरकारी भ्रष्टाचार पर लगाम लगायी जायेगी ताकि निर्णय लेने में बाधा न पहुँचे। आज सैंकड़ों बड़ी परियोजनाएँ रुकी हुई हैं। उन पर चर्चा हो चुकी है, लेकिन अभी तक उन्हें लटका रखा गया है, क्योंकि सरकार और नौकरशाही ने फैसले नहीं लिये हैं। उन सारी परियोजनाओं को समयबद्ध तरीके से आगे बढ़ाया जायेगा। पर्यावरण के मसले पर हमने खराब प्रशासन देखा है। जयंती नटराजन के समय में साढ़े छह सौ मामले रुके पड़े थे।
देश की आर्थिक विकास दर (जीडीपी) को बढ़ाने और रोजगार सृजन पर जोर दिया जायेगा। सेवा क्षेत्र (सर्विस सेक्टर) को और बढ़ावा दिया जायेगा लेकिन भाजपा सरकार में निर्माण (मैन्युफैक्चरिंग) क्षेत्र को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जायेगी, जिसको अभी तक नजरअदांज किया गया है। खास तौर पर एसएमई को नजरअंदाज किया गया है। भूमि अधिग्रहण कानून संसद में बहस और संसद की मंजूरी के बाद बना है। कोई कानून व्यावहारिक स्तर पर विकास के आड़े आये तो उसे सही किया जायेगा।
महँगाई की मुख्य वजह यह है कि आपूर्ति श्रृंखला का आधुनिकीकरण नहीं किया गया है। आधुनिकीकरण की जरूरत है, जिसमें राज्य सरकारों की भूमिका अहम होगी। महँगाई बढ़ाने में भ्रष्टाचार और जमाखोरी दोनों का योगदान है। इसमें एक गठजोड़ भी होता है। यह गठजोड़ राजनीतिक हो चुका है, जिसे तोड़ा जायेगा। इसके लिए संरचनात्मक सुधार करना होगा।
यदि भाजपा की सरकार बनती है तो रिटेल एफडीआई की मंजूरी फिलहाल नहीं दी जायेगी। इसका मतलब यह नहीं है कि इसके दरवाजे हमेशा के लिए बंद कर दिये जायेंगे। नरेंद्र मोदी ने हाल में जो कहा, उसका मतलब यही है कि दुनिया बदल रही है, जिसके लिए तैयार रहिये। लेकिन फिलहाल इसकी इजाजत नहीं दी जायेगी। भारत में खुदरा कारोबार का मतलब केवल दुकानदारी और व्यवसाय नहीं है। हमारे सामाजिक ढाँचे में खुदरा क्षेत्र की अहम भूमिका है। कस्बों और छोटे शहरों में दुकान पर जाना केवल सामान खरीदना नहीं होता, बल्कि हालचाल पूछना भी होता है। आपके हाथ में पैसे नहीं हों, तब भी आपको सामान मिलता है। हमारे देश में यह वो धुरी है, जिस पर छोटे कस्बों और शहरों की जिंदगी घूमती है। अभी हमारा देश खुदरा क्षेत्र में एफडीआई के लिए तैयार नहीं है।
भाजपा के सत्ता में आने पर सबसे बड़ी बात यह होगी कि देश को एक अच्छा शासन मिलेगा, कांग्रेस तो कहीं शासन करती ही नहीं दिखी। भाजपा सत्ता में आने पर सबसे पहले यह देखेगी कि अर्थव्यवस्था को कहाँ-कहाँ कितना नुकसान पहुँचा है। देश से संवाद किया जायेगा, जरूरत होगी तो श्वेत-पत्र लाया जायेगा। भारतीय जनता पार्टी गरीबों की पार्टी है। हमारा मंत्र बहुत स्पष्ट है - जनता के पक्ष में और विकास के पक्ष में।
देश में औद्योगिक विकास भी चाहिए और कृषि का भी विकास चाहिए। आर्थिक रूप से कमजोर और कुचले हुए लोगों को ऊपर उठाना भी सरकार की प्राथमिकता होगी। ऊर्जा की गरीबी को दूर करना हमारी प्राथमिकता होगी। हमारा प्रयास होगा कि पाँच साल के अंदर देश के हर घर में बिजली का बल्ब जले।
अगर एनडीए सरकार को देखें तो उस समय रोजगार काफी बढ़ा था। यूपीए-1 और यूपीए-2 में रोजगार बिल्कुल पैदा नहीं हुआ। इसीलिए युवा वर्ग न केवल सरकार से, बल्कि पूरे राजनीतिक वर्ग से ही नाराज है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि इन्होंने निर्माण (मैन्युफैक्चरिंग) को नदरअंदाज किया। आज देश में 94 करोड़ मोबाइल फोन हैं, लेकिन अभी भी ज्यादातर मोबाइल फोन आयात किये जाते हैं। देश में करोड़ों की संख्या में टेलीविजन हैं। यह प्रयास नहीं किया गया कि इनमें ज्यादातर का निर्माण देश के अंदर ही हो। हालत यह है कि गणेश-लक्ष्मी की मूर्तियाँ भी चीन से बन कर आने लगी हैं। इसलिए निर्माण को बढ़ावा देना भाजपा सरकार की प्राथमिकता होगी। सेवा क्षेत्र को बढ़ावा दे कर इसे इसके अगले चरण पर ले जाया जायेगा, जिससे इसमें और ज्यादा विकास हो सकेगा।
भ्रष्टाचार के मसले पर शीर्ष नेताओं को अपने उदाहरण से नेतृत्व देना होता है। मनमोहन सिंह की सरकार कितनी भ्रष्ट है, सबको पता है। भाजपा की तुलना उस सरकार से नहीं की जा सकती, जिसका हर दूसरा मंत्री भ्रष्ट है और तेल, कोयला, दूरसंचार, खेल जैसे हर क्षेत्र में भ्रष्टाचार व्याप्त है। इक्का-दुक्का मामले आये भी हैं तो वे या तो अदालत में हैं या सबूत न मिलने पर अदालत ने बरी कर दिया है।
येदियुरप्पा को अदालत से बरी होने के बाद ही वापस लाया गया। राजनीति में जन-समर्थन को आप नकार नहीं सकते। जब वे आरोपों से बरी हो गये और साथ में दिखा कि उन्हें जन-समर्थन है तो भाजपा ने इस बात को मान्यता दी।
(निवेश मंथन, अप्रैल 2014)

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