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- Category: अप्रैल 2014
राजेश रपरिया, सलाहकार संपादक :
लोकतंत्र का चुनावी उत्सव धीरे-धीरे चरम की ओर है।
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- Category: अप्रैल 2014
आम चुनावों की दुंदुभी बज चुकी है और राजनीतिक सरगर्मियाँ अपने चरम पर हैं।
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राजीव रंजन झा :
लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के घोषणा-पत्र की सबसे खास बात यह है कि आप इसकी हर बात पर पलट कर पूछ सकते हैं - साहब, यह काम पिछले 10 सालों में क्यों नहीं किया?
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नरेंद्र तनेजा, संयोजक (ऊर्जा प्रकोष्ठ), भाजपा :
यह चुनाव सिर्फ सुशासन और विकास के मुद्दों पर लड़ा जा रहा है।
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कमर वहीद नकवी, संपादकीय निदेशक, इंडिया टीवी :
सरकार किस दल की नहीं, बल्कि कैसी बनती है, इस पर निर्भर करेगा कि वह क्या काम कर पाती है।
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विनोद शर्मा, राजनीतिक संपादक, हिंदुस्तान टाइम्स :
कांग्रेस और भाजपा की आर्थिक नीतियों में कोई फर्क नहीं है, सिवाय सामाजिक क्षेत्र पर निवेश को लेकर।
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राजेश रपरिया :
सहारा-सेबी की लंबी कानूनी जंग में सर्वोच्च न्यायालय ने सहारा समूह के मुखिया सुब्रत रॉय को देश की सबसे बड़ी जेल तिहाड़ की हवा खिला दी
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- Category: अप्रैल 2014
तकनीकी विश्लेषण के आधार पर सौदे करने वाले कारोबारी हमेशा एक लक्ष्य तय करके चलते हैं। यह लक्ष्य कई बार कोई पिछला शिखर होता है।
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आलोक द्विवेदी :
पिछले कुछ सालों में देश की बचत दर में भारी गिरावट आयी है।
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भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने नये बैंक लाइसेंस के लिए दो कंपनियों को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है।
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पंकज पांडेय, रिसर्च प्रमुख, आईसीआईसीआई डायरेक्ट :
बाजार में अभी मोटे तौर पर धारणा ही बेहतर हुई है, बुनियादी तौर पर तो अर्थव्यवस्था में कुछ खास बदला नहीं है।
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- Category: अप्रैल 2014
भारतीय शेयर बाजार ने मार्च पूरा होते-होते नये रिकॉर्ड स्तरों को चूमा है।
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