प्रदीप सुरेका : इस समय बाजार में निवेशक कम रह गये हैं, जबकि पहले निवेशक ज्यादा होते थे और आज की तरह सट्टेबाजी नहीं थी।
लोग अच्छी-से-अच्छी कंपनी का शेयर खरीदते थे और यह ध्यान रखते थे कि इससे नियमित रूप से लाभांश (डिविडेंड) की आय हो रही है या नहीं। वे ऐसे शेयर में पैसा लगा कर रख देते थे। मान लीजिए दादा जी ने अपने समय में हिंदुस्तान लीवर का शेयर खरीदा, जो लगातार आज तक लाभांश दे रहा है, और उन्होंने वह शेयर आपके पिताजी को सौंपा होगा। निवेश इस तरह 20 साल की दृष्टि से होता था।
आज लोग निवेशक से कारोबारी (ट्रेडर) बन गये हैं। स्थिति यह है कि लोग सुबह 9.15 बजे बाजार खुलने से ठीक पहले 9.12 पर ब्रोकर को ऑर्डर देते हैं और 9.17 पर उसे कहते हैं कि इसे काट दो, आज किस्मत खराब है। इस तरह पाँच मिनट में आपका निवेश खत्म!
आज निवेश की अवधि बहुत कम हो गयी है। अगर बाजार में कारोबारी सौदों (ट्रेडिंग) की अवधि को बहुत कम कर देंगे तो पैसा नहीं कमा पायेंगे। इन सौदों में बहुत पैसा जरूर है और इनके मायाजाल से निकल पाना बहुत मुश्किल है, लेकिन अनुशासन और नियमों का पालन करना होगा। जो लोग एकदिनी (इंट्राडे) सौदे करना चाहते हैं, उनके लिए भी एक अनुशासन है। कोई भी शेयर एक दिन में कितना ऊपर-नीचे हो सकता है, इसका एक दायरा होता है। अगर बाजार में किसी तरह की कोई असामान्य खबर नहीं है तो पिछले बंद भाव से वह शेयर बहुत चला तो भी 3% ऊपर या नीचे जायेगा। इसलिए अगर आप पिछले बंद भाव से 2% ऊपर खरीद ही रहे हैं, तो वहाँ अपनी उम्मीद को एकदम सीमित कर लीजिए और वहाँ से 1% बढऩे पर ही मुनाफा ले लीजिए। संतुष्ट रहना एकदिनी सौदों का सबसे बड़ा नियम है।
अगर अपने सौदों के लिए आप कुछ तकनीकी औजारों का इस्तेमाल कर लेंगे तो पैसे बनाना आसान हो जायेगा। हमारे जैसे विश्लेषक जब सलाह देते हैं तो घाटा काटने का स्तर (स्टॉप लॉस) बताते हैं। आप चाहें तो स्टॉप लॉस न भी लगायें, लेकिन किसी भी सौदे में प्रवेश करते समय आपको उससे बाहर निकलने का बिंदु तो तय करना ही होगा।
अमिताभ बच्चन का एक प्रसिद्ध संवाद है कि हम जहाँ खड़े होते हैं, लाइन वहीं से शुरू होती है। लेकिन शेयर बाजार में कारोबारियों के लिए यह बात बदल जाती है। वे जहाँ शेयर खरीदते हैं, गिरावट वहीं से शुरू होती है। ये सबके साथ होता है। आप कोई शेयर तभी खरीदते हैं तो जब वह किसी वजह से आपको अच्छा लगता है। लेकिन हो सकता है कि हमारे पास पूरे विश्लेषण के लिए साधन की कमी हो, हम शायद पूरा रिसर्च नहीं कर पाये। इसलिए कहीं पर आपको तय करना होगा कि हमारा निर्णय गलत हो गया। बाहर निकलने का वह बिंदु आपको तय करना होगा।
राजीव गर्ग : सिलसिलेवार तरीके से निवेश करने और अपने आप को सुरक्षित बचाये रखने के लिए आपकी क्या रणनीति होनी चाहिए, यह समझने के लिए आजकल काफी चीजें उपलब्ध हैं, तकनीकी भी और बुनियादी (फंडामेंटल) भी। निवेश के लिए अध्ययन करने की जरूरत है। इस बाजार में यह सोच कर पैसा न लगायें कि रातों-रात दोगुना हो जायेगा। पैसा आपका लगा हुआ है, आपको सोच-समझ कर निवेश करना होगा। शेयर बाजार की चाल कई तरह के कारकों पर निर्भर करती है। बाजार में सब कुछ ठीक चलने के बाद भी अगर बाजार में नकदी नहीं है तो शेयर भाव नहीं चढ़ेगा। वहीं कई बार बुनियादी मजबूती नहीं होने पर भी बाजार में नकदी ज्यादा होने पर भाव काफी ऊपर चले जाते हैं।
शेयर बाजार के बारे में आप समझ लें कि अगर नपा-तुला जोखिम लेना चाहते हैं, तभी यह जगह आपके लिए ठीक है। इस बाजार में जोखिम भी जुड़ा हुआ है। यहाँ किये गये निवेश में पैसा कम भी हो सकता है और कारोबारी सौदों में तो बिल्कुल भी साफ हो सकता है। जो लोग बिल्कुल भी जोखिम नहीं लेना चाहते, उनके लिए यह नहीं है। जोखिम न उठाने वालों के लिए एफडी, बॉण्ड और काफी अन्य विकल्प मौजूद हैं।
शेयर बाजार में स्टॉक एक्सचेंज आपको एक मंच देता है। यहाँ हम निवेशकों के हितों को सुरक्षित रखने के अधिक-से-अधिक प्रयास करते हैं। हमारा प्रयास होता है कि कंपनियों से उनके बारे में अधिक-से-अधिक जानकारियाँ लेकर निवेशकों तक पहुँचाया जाये। बीएसई की वेबसाइट पर कंपनियों के बारे में सारी जानकारियाँ उपलब्ध हैं।
हमारे पास निवेशकों की जो शिकायतें आती हैं, उनमें हमने देखा है कि लोग ट्रेडिंग में ज्यादा पैसा गँवाते हैं, निवेश में नहीं। कुछ गलत शेयरों में निवेश करके फँस जायें तो पैसा जा भी सकता है। पर एक्सचेंज की भूमिका आपको समझनी पड़ेगी। यह एक मंच है, जिसके लिए सेबी ने नियम तय कर रखे हैं। आगे यह तो किसी निवेशक को खुद देखना है कि किस शेयर में पैसा लगाना है और किस शेयर में नहीं लगाना है।
पिछले दस सालों में हमने दो-तीन बातों पर काबू पा लिया है, जिसमें से एक है जोखिम का प्रबंधन। आज बाजार में किसी भी हालत में डिफॉल्ट नहीं होता। कंपनियों की ओर से दी जाने वाली जानकारियों को लेकर भी अब काफी मजबूती है।
राजेश रपरिया : इस समय लोग पैसे कम बचा पा रहे हैं, उनकी बचत पर ही सबसे ज्यादा खतरा मँडरा रहा है। हमारे देश के इतिहास में पहली बार बचत दर इतनी घटी है। इसलिए यह जरूरी हो गया है कि हमारी जो भी बचत हो उस पर ज्यादा-से-ज्यादा लाभ ले सकें। बचत करना जरूरी है और उस बचत पर जोखिम लेना बहुत जरूरी है। जोखिम लिये बिना लाभ पाना संभव नहीं है। यहाँ तक कि बैंक एफडी भी एकदम सुरक्षित नहीं होते। अमेरिका में तमाम बैंक डूब गये। भारत में भी अगर कोई बैंक डूब गया तो भले आपकी एफडी एक करोड़ रुपये की हो, लेकिन आपको उसके बदले सरकार से केवल एक लाख रुपये ही मिलेंगे।
राजीव रंजन झा : आम तौर पर निवेशक शब्द सुन कर धारणा बनती है कि किसी खास तरह के व्यक्ति को निवेशक कहा जाता होगा। लेकिन मेरा कहना है कि संसार के माया-मोह से ऊपर उठ चुके साधु को छोड़ कर कोई ऐसा व्यक्ति नहीं होता जो निवेशक की श्रेणी में नहीं आता। हर व्यक्ति को पैसे कमाने होते हैं। पैसे कमाये तो उसे बचाना भी होता है और बचाये पैसों का कहीं निवेश भी करना होता है। यदि उसका निवेश नहीं करेंगे तो बचाया हुआ पैसा धीरे-धीरे कम होता चला जायेगा। हमारी कोशिश यही रहती है कि हम आपको पैसे बचाने और सही जगह लगाने के बारे में बतायें।
(निवेश मंथन, अक्तूबर 2013)