अंबरीश बालिगा, मैनेजिंग पार्टनर (ग्लोबल वेल्थ), इडेलवाइज :
फिलहाल चुनावी नतीजे आने तक बाजार में सकारात्मक चाल जारी रहेगी, जिसमें निफ्टी 7,000 के ऊपर जा सकता है।
लेकिन उन स्तरों पर मूल्यांकन के लिहाज से जोखिम-लाभ का अनुपात पक्ष में नहीं होगा। नरेंद्र मोदी अगर प्रधानमंत्री बनते हैं तो इस खबर के आने के बाद एक उछाल तो बाजार में आ जायेगी। लेकिन चुनावी नतीजे बाजार की उम्मीदों के मुताबिक ही रहने पर भी शुरुआती उछाल के बाद लोग हकीकत पर निगाह डालने लगेंगे। लोग सोचेंगे कि सबसे अच्छी स्थिति की उम्मीद पहले से ही भावों में आ चुकी है, इसलिए अब पहले मोदी का प्रदर्शन देख लिया जाये।
अगर चुनावी नतीजों से ठीक पहले निफ्टी 7,000 के आसपास रहा और नतीजे बाजार की उम्मीदों के अनुसार ही रहे तो हम 400-500 अंक की उछाल देख सकते हैं। लेकिन उन स्तरों पर बाजार का मूल्यांकन 2015-16 की अनुमानित आय को भुनाने लगेगा। अभी तो हम उम्मीद पर ही चल रहे हैं। अल नीनो का असर भी उस समय तक ज्यादा स्पष्ट हो जायेगा।
अभी बाजार मान रहा है कि एनडीए को 280-300 सीटें मिलेंगी। अगर वे 230 के आसपास ही रह जायें और उन्हें बाकी सीटों का जुगाड़ करने की जरूरत पड़े, तो जब यह जुगाड़ नहीं हो जाता तब तक अनिश्चितता रहेगी। इस अनिश्चितता को बाजार पसंद नहीं करेगा।
ऐसा भी हो सकता है कि चौंकाने वाली स्थिति हो जिसमें त्रिशंकु लोक सभा बन जाये। चुनाव में आप किसी संभावना को एकदम नकार नहीं सकते। आप विश्लेषण के आधार पर एक अंदाजा लगा सकते हैं, लेकिन चुनावी नतीजों को कोई भी व्यक्ति पहले से जान नहीं रहा होता है। अगर कहीं 2004 वाली कहानी फिर से हो जाये कि आप उम्मीद कुछ और कर रहे थे, लेकिन हो गया कुछ और, तो इसका जोखिम बहुत बड़ा है।
इस तेजी में हेजिंग करके चलना चाहिए। जिन लोगों ने चुनावी तेजी के लिए 3-4 महीने पहले खरीदा हो, उन्हें एक हद तक मुनाफा ले लेना चाहिए। लेकिन निश्चित रूप से यह अपने केंद्रीय पोर्टफोलिओ को बेचने का समय नहीं है। लंबी अवधि के आपके केंद्रीय पोर्टफोलिओ को चुनावी नतीजों से निरपेक्ष होना चाहिए।
वहीं अगर किसी ने अब तक यह सुनिश्चित होने के लिए इंतजार किया हो कि मोदी प्रधानमंत्री बनेंगे या नहीं, तो मैं कहूँगा कि अब नतीजे साफ-साफ देख लेने के बाद ही कुछ करें। सवाल है कि बाजार की उम्मीदों के मुताबिक नतीजे रहने पर पैदा उत्साह का उपयोग आप बाजार में प्रवेश करने के लिए करेंगे या उस समय मुनाफावसूली करेंगे? चतुर लोग हमेशा उत्साह के माहौल का इस्तेमाल बाजार से निकलने में करते हैं।
निवेशक एसआईपी की तरह छोटी-छोटी किस्तों में पैसा लगा सकते हैं। निवेश का फैसला चुनावी नतीजों के हिसाब से नहीं, लंबी अवधि के आधार पर होना चाहिए। आपकी रणनीति के दो हिस्से होने चाहिए। एक तो चुनावी रणनीति, और दूसरी रणनीति लंबी अवधि की। लंबी अवधि के लिए हर चरण पर आपको खरीदारी करते रहना चाहिए। अभी आपके सामने लंबी अवधि के निवेश के लिए उन शेयरों को खरीदने का मौका है, जो अब भी ज्यादा नहीं चले हैं, खास कर फार्मा और आईटी के शेयर।
अगर मोदी अनुमानों के मुताबिक प्रधानमंत्री बने तो एक शुरुआती उत्साह जरूर आयेगा, पर उसके बाद बाजार कुछ ठंडा होगा। शायद 6200-6300 जैसे स्तरों पर निफ्टी न लौटे, लेकिन 6800 के आसपास आ सकता है। नतीजों के बाद 40-45 दिन निकल जायें, उसके बाद खरीदें तो भले ही आप थोड़े ऊँचे भाव पर खरीदेंगे लेकिन आपको पता होगा कि आप किस लक्ष्य के पीछे जा रहे हैं।
कुल मिला कर मुझे लगता है कि मोदी के प्रधानमंत्री बन जाने पर नीचे 6700-6800 और ऊपर 7800-8000 का दायरा बन जायेगा। दूसरी ओर मोदी के नहीं बनने पर निफ्टी वापस 6,000 की ओर फिसल जायेगा।
(निवेश मंथन, मई 2014)