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निर्यातकों को मिली थोड़ी राहत

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Category: मई 2013

सुशांत शेखर :

सरकार ने निर्यात क्षेत्र की खस्ता हालत में सुधार के लिए राहत के कई कदमों का ऐलान किया है।

वाणिज्य और उद्योग मंत्री आनंद शर्मा ने विदेश व्यापार नीति की सालाना समीक्षा के तहत निर्यातकों के लिए एक तरह के राहत पैकेज का ऐलान किया है।
इनमें सबसे यह है कि सरकार ने एक्सपोर्ट प्रोमोशन कैपिटल गुड्स यानी ईपीसीजी स्कीम में सभी क्षेत्रों को शामिल कर लिया गया है। पहले यह योजना सिर्फ कैपिटल गुड्स क्षेत्र के लिए लागू थी। इस योजना के तहत कंपनियों को उपकरणों के आयात पर आयात शुल्क नहीं देना पड़ता है। इससे ऑटो और इंजीनियरिंग क्षेत्र की कंपनियों को खास तौर पर फायदा होगा।
सरकार ने विशेष आर्थिक क्षेत्र यानी एसईजेड के लिए नियम आसान कर दिये हैं। एसईजेड के लिए जमीन की न्यूनतम जरूरत आधी कर दी गयी है। बहुउद्देश्यीय एसईजेड के लिए 1000 हेक्टेयर के बजाय 500 हेक्टेयर जमीन की जरूरत होगी। वहीं विशेष क्षेत्र के एसईजेड के लिए 100 हेक्टेयर के बजाय 50 हेक्टेयर जमीन ही काफी होगी। आईटी सेक्टर से जुड़े एसईजेड के लिए जमीन की न्यूनतम सीमा खत्म कर दी गयी है। साथ ही विशेष आर्थिक क्षेत्र के स्वामित्व के हस्तांतरण और बिक्री को मंजूरी देकर निर्यातकों को बड़ी राहत दी गयी है। सरकार ने ब्याज में 2% छूट की योजना में टेक्सटाइल और इंजीनियरिंग गुड्स क्षेत्र को भी शामिल कर लिया गया है। सरकार ने फोकस मार्केट योजना में नॉर्वे को शामिल किया है। अब कुल 125 देश फोकस मार्केट स्कीम के तहत आयेंगे। इससे निर्यातकों को अपना अपना निर्यात बढ़ाने में मदद मिलेगी। साथ ही, 126 इंजीनियरिंग उत्पादों को फोकस प्रोडक्ट्स स्कीम में शामिल किया गया है। गाँवों में उद्योग-धंधों को बढ़ावा देने के लिए विशेष कृषि ग्राम उद्योग योजना में 5% ड्यूटी क्रेडिट देने का ऐलान भी किया गया है।
सरकार ने औपचारिक तौर पर राहत के इन कदमों को रुपये में नहीं आँका है। लेकिन माना जा रहा है कि यह पैकज 1500 से 2000 करोड़ रुपये का हो सकता है।
उद्योग जगत ने राहत के इन कदमों से खुशी तो जतायी है। लेकिन उद्योग का मानना है कि राहत के ये कदम निर्यात को गति देने के लिए पर्याप्त नहीं है। खास कर बेहद मुश्किल दौर से गुज रहे रत्न और आभूषण क्षेत्र के लिए नयी विदेश व्यापार नीति में कुछ नहीं होने से उद्योग जगत ने निराशा जतायी है। हालाँकि वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने भरोसा दिलाया है कि जून-जुलाई तक रत्न और आभूषण क्षेत्र के लिए भी राहत के कदमों का ऐलान किया जा सकता है।
निर्यात कंपनियों के संगठन, फियो के मुताबिक सरकार का जीरो फीसदी ईपीसीजी स्कीम को आगे बढ़ाना निर्यात क्षेत्र के लिए सकारात्मक है। सरकार के कदमों से निर्यात को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। हालाँकि फियो के चेयरमैन मोहम्मद रफीक के मुताबिक राहत पैकेज से टेक्सटाइल और इंजीनियरिंग क्षेत्र को तो फायदा होगा, लेकिन दूसरे क्षेत्रों को कोई खास फायदा नहीं होगा। सरकार से और ज्यादा कदम उठाने की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं।
दरअसल दुनिया भर में आर्थिक सुस्ती की वजह से भारतीय उत्पादों की मांग सुस्त पडऩे और घरेलू आर्थिक हालात की वजह से पिछले वित्त वर्ष के ज्यादातर महीनों में निर्यात की रफ्तार सुस्त पड़ी है। ऐसे में सरकार को निर्यात बढ़ाने के उपाय करने पड़े। निर्यात में सुस्ती का आलम यह है कि पिछले वित्त वर्ष 2012-13 के लिए 350 अरब डॉलर का निर्यात लक्ष्य तो पूरा नहीं ही हुआ, बल्कि साल 2011-12 के 305 अरब डॉलर जितना भी निर्यात नहीं हो पाया। इस दौरान निर्यात 1.76% घट कर 300.6 अरब डॉलर रह गया। दूसरी ओर वित्त वर्ष 2012-13 में आयात 0.4% बढ़ कर 491.49 अरब डॉलर रहा। पिछले साल के मुकाबले व्यापार घाटा 183.4 अरब डॉलर से बढ़ कर 190.91 अरब डॉलर रहा।
हालाँकि मार्च में लगातार तीसरे महीने निर्यात में बढ़ोतरी हुई है। इस दौरान निर्यात करीब 7% बढ़ कर 30.84 अरब डॉलर का रहा। वहीं मार्च में आयात में करीब 3% की गिरावट रही। कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट और सोने के आयात में कमी से आयात में गिरावट आयी है। आयात घटने से मार्च में व्यापार घाटा 10.32 अरब डॉलर रहा जो पिछले 10 महीने का न्यूनतम स्तर है।
आनंद शर्मा को भरोसा है कि निर्यात में बढ़ोतरी होने से देश के चालू खाते घाटे को कम करने में मदद मिलेगी। अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में चालू खाता घाटा 6.7% के रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच गया है। अगर चालू खाते घाटे में कमी आती है तो इससे देश की आर्थिक सेहत सुधरेगी। साथ ही इससे दरों में कटौती के लिए आरबीआई के पास ज्यादा वजह होगी। वहीं विदेशी रेटिंग एजेंसियों की नजर में भारत की साख भी बेहतर होगी।
(निवेश मंथन, मई 2013)

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