सुशांत शेखर :
सबसे बड़ी भारतीय दूरसंचार कंपनी भारती एयरटेल को दोहा की कतर फाउंडेशन एंडॉवमेंट यानी क्यूएफई का सहारा मिल गया है।
भारती एयरटेल ने क्यूएफई को अपनी 5% हिस्सेदारी बेचने का करार कर लिया है। इस करार से एयरटेल को अपना भारी भरकम कर्ज घटाने में तो मदद मिलेगी ही साथ ही यह भारत में विदेशी निवेश माहौल सुधरने का संकेत भी है। भारती एयरटेल ने दो मई को चौथी तिमाही के नतीजों के ऐलान के अगले दिन ही यानी तीन मई को अपनी 5% हिस्सेदारी क्यूएफई को बेचने के करार का ऐलान किया। यह सौदा 6,796 करोड़ रुपये में हुआ है। भारती ने क्यूएफई को 340 रुपये प्रति शेयर के भाव पर अपने शेयर बेचे हैं, जो 2 मई की बंद कीमत से 7.4% ज्यादा है। हालाँकि बाजार के कई जानकार मानते हैं कि यह सौदा और ज्यादा प्रीमियम पर होना चाहिए था। भारती एयरटेल जैसी दिग्गज कंपनियों के लिए महज 7.4% का प्रीमियम उम्मीद से कम है।
340 रुपये के भाव पर भारती एयरटेल का मूल्यांकन 1,35,920 करोड़ रुपये ठहरता है। इस सौदे के तहत क्यूएफई को भारती करीब 20 करोड़ नये शेयर जारी करेगी। गोल्डमैन सैक्स ने इस सौदे में सलाहकार की भूमिका निभायी है।
भारती एयरटेल के ऊपर फिलहाल 63,839 करोड़ रुपये का कर्ज है। कंपनी क्यूएफई को हिस्सेदारी बेच कर जुटायी रकम का इस्तेमाल कर्ज घटाने में करेगी। भारती एयरटेल का कहना है कि इस करार से उसके पूँजीगत ढाँचे में मजबूती आयेगी और वह आगे के विकास के लिए कदम उठा सकेगी। इसके पहले मार्च में भारती ने बॉन्ड जारी करके 8,094 करोड़ रुपये जुटाये थे। कंपनी बॉन्ड के दूसरे चरण के तहत 50 करोड़ डॉलर यानी करीब 2700 करोड़ रुपये जुटाने जा रही है।
विश्लेषक इस सौदे को भारती एयरटेल के लिए सकारात्मक बता रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्था यूबीएस के मुताबिक इस सौदे से कंपनी की बैलेंस शीट सुधरेगी। सौदे के बाद भारती एयरटेल का कर्ज और एबिटा अनुपात 2.57 से घटकर 2.29 हो जायेगा। यूबीएस की रिपोर्ट के मुताबिक इस सौदे से भारती को वन टाइम स्पेक्ट्रम फीस और लाइसेंस रिन्यूअल फीस जैसे नियामक शुल्क चुकाने में मदद मिलेगी। सौदे के बाद बैलेंस शीट सुधरने से भारती एयरटेल के लिए घरेलू और विदेशी बाजारों से कर्ज जुटाने में भी आसानी होगी। कंपनी कहीं सस्ती ब्याज दरों पर कर्ज जुटा सकेगी।
भारती एयरटेल ने नतीजों के दिन करीब मौजूदा वित्त वर्ष में 12,000 करोड़ रुपये के पूँजीगत खर्च का इरादा जताया था। इसमें से करीब 3,234 करोड़ रुपये का निवेश अफ्रीकी कारोबार में किया जाना है। क्यूएफई को हिस्सा बेचने से मिली रकम से कंपनी को अपने पूँजीगत खर्च पूरे करने में मदद मिलेगी। भारती एयरटेल इस साल हिस्सेदारी बेचने के कुछ और सौदे कर सकती है। दरअसल भारती एयरटेल को 25% न्यूनतम सार्वजनिक हिस्सेदारी का नियम पूरा करने के लिए अपनी टावर सब्सिडियरी भारती इंफ्राटेल में हिस्सेदारी बेचनी है। कंपनी को लिस्टिंग नियमों के तहत जून के पहले भारती इंफ्राटेल में हिस्सा बेचना है। भारती इंफ्राटेल के सौदे से भी कंपनी को अपना कर्ज घटाने में मदद मिलेगी।
हालाँकि भारती एयरटेल और क्यूएफई सौदे के कुछ नकारात्मक पहलू भी हैं। सौदे के तहत नये शेयर जारी होने से भारती एयरटेल के कुल शेयरों की संख्या बढ़ेगी, जिससे कंपनी की प्रति शेयर आमदनी यानी ईपीएस पर असर पड़ेगा। यूबीएस का अनुमान है कि नये शेयर जारी होने से ईपीएस पर 1% से २% तक का असर दिखेगा। यही वजह है कि यूबीएस ने भारती एयरटेल का लक्ष्य 425 से घटा कर 420 रुपये कर दिया है।
कतर फाउंडेशन एंडॉवमेंट ने दुनिया की कई दिग्गज दूरसंचार कंपनियों में निवेश किया है। क्यूएफई लंबे समय के निवेशक के तौर पर जानी जाती है। ऐसे में क्यूएफई के निवेश को भारत और खास कर देश के टेलीकॉम सेक्टर पर विदेशी संस्थागत निवेशकों के बढ़ते भरोसे के तौर पर देखा जा रहा है। पिछले कुछ समय से भारतीय टेलीकॉम क्षेत्र 2जी घोटाले, 3जी स्पेक्ट्रम की ऊँची कीमत, वन टाइम स्पेक्ट्रम फीस, लाइसेंस रिन्यूअल, टैक्स विवाद, 3जी रोमिंग विवाद जैसे तमाम उलझनों में घिरा रहा है। ऐसे माहौल में क्यूएफई का निवेश ठंडी हवा के झोंके की तरह माना जा रहा है।
क्यूएफई का निवेश हाल ही में खाड़ी के देशों से आया दूसरा बड़ा निवेश है। इसके पहले अप्रैल में ही एतिहाद एयरवेज ने जेट एयरवेज में 24% हिस्सा खरीदने का ऐलान किया था। जेट और एतिहाद का सौदा 2,061 करोड़ रुपये में हुआ है। वहीं यूनीलीवर ने भी अपनी भारतीय इकाई हिंदुस्तान यूनीलीवर के लिए 29,000 करोड़ रुपये का खुला प्रस्ताव (ओपन ऑफर) लाने का ऐलान किया। इन सब खबरों से भारत में निवेश का माहौल सुधरने के संकेत मिल रहे हैं।
(निवेश मंथन, मई 2013)