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वाहन बीमा : क्यों होते हैं दावे खारिज?

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Category: अगस्त 2012

सतकाम दिव्य, बिजनेस हेड, रूपीटॉक डॉट कॉम :

आपका वाहन आपके लिए कीमती वस्तु है और इसकी सुरक्षा करना भी आपके लिए उतना ही अनिवार्य है। इसलिए जरूरी है कि आप अपने वाहन का बीमा जरूर करायें। इस मामले में अगर आप ढिलाई बरतते हैं तो भी सरकार की ओर से यह प्रावधान है कि आप अपने वाहन की उचित सुरक्षा सुनिश्चित करें। इसके लिए मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के तहत सरकार की ओर से तीसरे पक्ष (थर्ड पार्टी) का मोटर बीमा कराया जा सकता है। यह अधिनियम मुख्य रूप से वाहनों की चार श्रेणियों पर लागू होता है :

 वाहनों की श्रेणी टीपीपीडी कवर

1. व्यावसायिक वाहन (तिपहिया वाहनों, टैक्सी और
व्यावसायिक वाहनों की तरह शुल्क चुकाने वाले
दोपहिया वाहनों को छोड़कर) 7.5 लाख
2. व्यावसायिक वाहन-तिपहिया और टैक्सी 7.5 लाख
3. निजी कार 7.5 लाख
4. मोटराइज्ड दोपहिया-निजी और व्यावसायिक 1 लाख
(टीपीपीडी का मतलब थर्ड-पार्टी प्रॉपर्टी डैमेज है।)
अलग-अलग तरह की पॉलिसी
भारत में आम तौर पर दो प्रकार की मोटर बीमा पॉलिसियाँ प्रचलित हैं:
पहले प्रकार की पॉलिसी को तीसरे पक्ष के दायित्व या सीमित दायित्व की पॉलिसी (थर्ड पार्टी लाएबिलिटी या टीपीएल) कहा जाता है। इसे कानूनन अनिवार्य रखा गया है। इसके तहत पॉलिसीधारक को तब सुरक्षा मिलती है, जब किसी तीसरे व्यक्ति की जिंदगी या संपत्ति को उसके वाहन से नुकसान पहुँचता है। यहाँ आपका कराया हुआ वाहन बीमा उस व्यक्ति को फायदा पहुँचाता है जिसे आपके वाहन से नुकसान हुआ है। थर्ड-पार्टी बीमा पॉलिसी के तहत आपके वाहन की मरम्मत पर होने वाले खर्च का भुगतान बीमा कंपनी नहीं करती है। हालाँकि आप अतिरिक्त सवारी के लिए हमेशा अतिरिक्त सुरक्षा पाने के हकदार हैं :
- तीसरे पक्ष के व्यक्ति की मौत या शारीरिक चोट पहुँचने के मामले में
- तीसरे पक्ष के व्यक्ति की संपत्ति को नुकसान होने के मामले में।
इसके अलावा, थर्ड-पार्टी बीमा वाहन मालिक को वाहन चलाते वक्त अनिवार्य व्यक्तिगत दुर्घटना सुरक्षा भी देता है। यदि आप यात्रियों के लिए व्यक्तिगत दुर्घटना सुरक्षा बीमा का विकल्प चुनते हैं तो आपकी कार में बैठे लोगों को दुर्घटना के दौरान घायल होने की स्थिति में इसका फायदा मिल सकता है। टीपीएल के तहत, आपके पास तीसरे पक्ष के व्यक्ति की संपत्ति की क्षति (टीपीपीडी) की भरपाई के लिए 6,000 रुपये की वैधानिक सीमा का कवर चुनने का विकल्प है और यह विकल्प मोटर वाहन अधिनियम की ओर से दिया गया है। इतना ही नहीं, बीमा कराने के दौरान निजी कारों के लिए 100 रुपये, टैक्सी और तिपहिया वाहनों के लिए 150 रुपये और व्यावसायिक वाहनों के लिए 200 रुपये का अतिरिक्त भुगतान करने पर पॉलिसी में मिलने वाली यह सुरक्षा 7.5 लाख रुपये तक बढ़ायी जा सकती है। दोपहिया वाहनों के लिए 50 रुपये के अतिरिक्त भुगतान पर एक लाख रुपये तक का कवर बढ़ता है। हालाँकि यह विकल्प मानवीय क्षति के मामले में लागू नहीं होता है।
मोटर बीमा पॉलिसियों के तहत खास सुरक्षा
थर्ड पार्टी बीमा (सीमित)
- वाहन मालिक और चालक के लिए व्यक्तिगत दुर्घटना सुरक्षा
- यात्रियों के लिए वैकल्पिक व्यक्तिगत दुर्घटना सुरक्षा
अन्य व्यक्तियों (कार यात्री और कार में नहीं होने वाले व्यक्तियों) के घायल होने पर सुरक्षा
- आपके अलावा आपकी कार में बैठे यात्री का चिकित्सा खर्च
पैकेज्ड (संपूर्ण पॉलिसी)
- थर्ड पार्टी बीमा प्लस सहित सभी प्रकार की सुरक्षा
- आगजनी, विस्फोट, वाहन में आग लगने या बिजली गिरने की स्थिति में सुरक्षा
- चोरी, सेंधमारी की स्थिति में सुरक्षा
- दंगे और हड़ताल से हुए नुकसान की भरपाई
- भूकम्प से नुकसान की भरपाई
- बाढ़, तूफान, चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदाओं में सुरक्षा
- अचानक किसी बाहरी नुकसान से सुरक्षा
- द्वेषपूर्ण कार्रवाई से होने वाले नुकसान की भरपाई
- आतंकी गतिविधियाँ
- सड़क मार्ग, रेल मार्ग, जलमार्ग, लिफ्ट, एलिवेटर या वायुमार्ग से माल ढुलाई के दौरान होने वाले नुकसान की भरपाई
- भूस्खलन या हिमस्खलन की स्थिति में सुरक्षा
टाइप-2 पॉलिसी, संपूर्ण या पैकेज्ड वाहन बीमा पॉलिसी के नाम से ज्यादा लोकप्रिय है और इसके तहत थर्ड-पार्टी बीमा के अलावा किसी बीमा वाले वाहन के चोरी होने या क्षतिग्रस्त होने की स्थिति में सुरक्षा मिलता है। इसमें कुछ निश्चित घटनाओं के दौरान हुए नुकसान का कवरेज मिलता है जिनमें आगजनी, चोरी, लूटपाट, किसी चीज के गिरने से वाहन को नुकसान, द्वेषपूर्ण गतिविधि, आतंकी गतिविधियाँ, चोरी, दंगे और हड़ताल, भूकंप आदि शामिल हैं। संपूर्ण पॉलिसी %कटौती योग्य विकल्पÓ के तहत आती है, जहाँ पॉलिसीधारी व्यक्तियों को दावा (क्लेम) पाने के दौरान नुकसान का कुछ हिस्सा स्वयं सहना पड़ता है। स्वैच्छिक विकल्प उन्हें बीमा पॉलिसी का प्रीमियम कम भरने में उनकी मदद करता है।
अपवाद
कुछ अपवादों की स्थिति में पॉलिसीधारक को किसी दावे का भुगतान नहीं होता है। बीमा पॉलिसी के कुछ प्रचलित अपवाद इस प्रकार हैं :
1. यदि चालक ने दुर्घटना के दौरान अल्कोहल का सेवन किया हो
2. वैध ड्राइविंग लाइसेंस के बगैर यदि कोई व्यक्ति वाहन चला रहा हो
3. टायरों के क्षतिग्रस्त होने का भुगतान नहीं किया जाता, जब तक कि वाहन को भी नुकसान नहीं पहुँचा हो
4. तय भौगोलिक क्षेत्र से बाहर हुई किसी दुर्घटना की स्थिति में। यहाँ परिचालन का मतलब बीमाकर्ता द्वारा किसी खास क्षेत्र में मिलने वाले कवरेज से है। मसलन, ज्यादातर बीमाकर्ता पूरे भारत में सुरक्षा देते हैं, लेकिन यदि दुर्घटना भारत से बाहर हुई हो तो दावा नहीं मिलेगा।
5. बीमा कंपनी दुर्घटना के कारण कुछ समय बाद होने वाले नुकसान और मामूली टूट-फूट की भरपाई नहीं करती है।
6. वाहनों का इस्तेमाल अगर दूसरे उद्देश्य से किया गया हो। मसलन, यदि निजी कारों को व्यावसायिक मकसद के लिए इस्तेमाल किया गया हो तो इस दौरान होने वाली दुर्घटना का दावा नहीं मिलेगा।
7. यांत्रिक या इलेक्ट्रिकल कारणों से खराब हुई या बंद पड़ी गाडिय़ों पर दावा नहीं मिलेगा, जो विशेष अपवाद की श्रेणी में आते हैं।
मोटर वाहन अधिनियम के कारण कमोबेश सभी बीमाकर्ता कंपनियों की सुरक्षा और इससे बाहर रहने वाली स्थितियाँ एक समान ही रहती हैं। हालाँकि उनके प्रीमियम थोड़े कम-ज्यादा हो सकते हैं और यह उनके जोखिम अनुपात, पिछले खर्च आदि पर निर्भर करते हैं। नीचे वर्ष 2011 में दिल्ली में ४२९,५०५ रुपये में खरीदी गयी स्विफ्ट डिजायर जेडएक्सआई (निजी कार) के लिए विभिन्न बीमाकर्ता कंपनियों की प्रीमियम तालिका बतायी गयी है:
प्रीमियम तालिका
कंपनी का नाम                                               प्रीमियम
आईसीआईसीआई लोंबार्ड कार इंश्योरेंस              10,714
एचडीएफसी एर्गो प्राइवेट कार इंश्योरेंस               12,615
बजाज आलियांज कार इंश्योरेंस                        10,080
रिलायंस जीआईसी प्राइवेट कार पैकेज पॉलिसी     10,,714
(35 से 45 वर्ष के किसी व्यक्ति द्वारा की गयी खरीद पर)
इसके अलावा, यह भी याद रखना चाहिए कि सभी मोटर बीमा पॉलिसियाँ सालाना आधार पर होती हैं, इसलिए आप हर साल अपनी पॉलिसी का नवीकरण कराते रहें। साथ ही 12 महीने से कम अवधि के लिए बीमा पॉलिसी सिर्फ छोटी अवधि के आधार पर दी जाती है, जिसके लिए उचित प्राधिकरण से मंजूरी लेना जरूरी होता है।
प्रीमियम तय करने के मानदंड
मोटर वाहन बीमा के प्रीमियम इन खास तथ्यों पर निर्भर करते हैं:
1. बीमाकृत वस्तु का घोषित मूल्य (आईडीवी): यह वाहन का वह मूल्य होता है जो मूल्य सूची के मुताबिक, अवमूल्यन प्रतिशत के साथ वाहन का मौजूदा विक्रय मूल्य तय करता है। वाहन के विक्रय मूल्य में स्थानीय शुल्क/कर शामिल होता है लेकिन पंजीकरण और बीमा लागत को इसमें शामिल नहीं किया जाता है। जो वाहन पाँच वर्ष से ज्यादा पुराने हो गये हैं, उनका आईडीवी बीमाकर्ता और बीमाधारक के बीच आपसी समझ के आधार पर तय किये गये विक्रय मूल्य पर निर्धारित होगा।
2. वाहन की बुनियादी जानकारी : बुनियादी जानकारी में कार (ह्यूंदै, मारुति आदि) निर्माता कंपनी, कार का मॉडल (एस्कॉर्ट, फिएस्टा आदि), ईंधन का प्रकार (पेट्रोल या डीजल या एलपीजी), पंजीकरण स्थान और उत्पादन वर्ष को शामिल किया जाता है। इसके अलावा गाड़ी कितने किलोमीटर चली है या वाहन में किसी तरह का संशोधन आदि किया गया है तो उस बारे में भी जानकारी जुटायी जा सकती है।
3. भौगोलिक क्षेत्र : बीमा का प्रीमियम वाहन के पंजीकरण क्षेत्र की वजह से भी अलग-अलग हो सकता है। आम तौर पर टीयर-टू, टीयर-थ्री वाले शहरों की तुलना में टीयर-वन के शहरों का प्रीमियम ज्यादा होता है क्योंकि टीयर-वन शहरों में ही बीमा के दावों की संभावित संख्या ज्यादा होती है।
4. वाहन के मालिक की उम्र और अतीत में हासिल किये गये दावों के कारण भी भी प्रीमियम राशि कम-ज्यादा हो सकती है।
5. स्वैच्छिक रूप से कटौती योग्य राशि बीमा प्रीमियम के उल्टे अनुपात में होती है। मसलन, यदि स्वैच्छिक रूप से कटौती योग्य राशि ज्यादा रखी गयी है तो प्रीमियम उसी अनुपात में कम होगा। इसी तरह कटौती योग्य राशि कम होने पर प्रीमियम का अनुपात ज्यादा होगा।
6. बीमा का कवरेज स्तर आपके द्वारा अदा की जाने वाली प्रीमियम राशि तय करने का एक बड़ा कारक होता है। यानी जितना ज्यादा कवरेज आप चुनते हैं, उसी मुताबिक आपको प्रीमियम राशि चुकानी पड़ेगी। इसी तरह कम कवरेज के लिए कम प्रीमियम देना पड़ेगा।
वाहन बीमा दावे का खारिज हो जाना
मोटर बीमा पॉलिसी खरीद लेना भर आपको उचित सुरक्षा देने की गारंटी नहीं देता है और पूरी बीमा अवधि तक आप बीमाकर्ता द्वारा दावों की अदायगी को लेकर आश्वस्त नहीं रह सकते। बीमाकर्ता आपके दावे को इस आधार पर खरिज कर सकते हैं कि आपने कंपनी की आंतरिक नीति के किसी मानदंड को पूरा नहीं किया है। लिहाजा हमारे लिए कम-से-कम इतना जान लेना ज्यादा महत्वपूर्ण है कि बीमा कराने के लिए आवेदन पत्र भरने के दौरान छोटी-मोटी त्रुटियों से बचने को लेकर हम कैसे सावधान रहें। दावे खारिज होने के कुछ सामान्य कारण इस प्रकार हैं :
1. सिर्फ दुर्घटना की स्थिति में : बीमा पॉलिसियाँ सिर्फ दुर्घटना के कारण होने वाले नुकसान का मुआवजा दिलाती हैं न कि अन्य वजहों से होने वाले नुकसान या स्वाभाविक रूप से छोटी-मोटी टूट-फूट के लिए। दुर्घटना की स्थिति में छोटी-मोटी टूट-फूट के एक निश्चित स्तर तक कल-पुर्जे का मुआवजा भी वाहन की उम्र के आधार पर निर्भर करता है।
2. पॉलिसी का नवीनीकरण : पॉलिसी का यदि समय पर नवीनीकरण नहीं कराया गया तो आपका दावा खारिज किये जाने की संभावना ज्यादा होती है। नवीनीकरण की तारीख बीत जाने के बाद उपभोक्ताओं को वाहनों के निरीक्षण आदि जैसी औपचारिकता से गुजरना होगा। लिहाजा आपको सलाह है कि हर समय दावा पाने के दायरे में रहने के लिए आप नियमित रूप से पॉलिसी का नवीनीकरण कराते रहें ताकि किसी तरह की दिक्कत से बच सकें।
3. चालक की गलती : चालक यदि दुर्घटना के वक्त अल्कोहल के सेवन का दोषी या वैध ड्राइविंग लाइसेंस के बगैर पाया गया है तो आपके दावे खारिज किये जा सकते हैं और ये सारी बातें पॉलिसी कवरेज से बाहर की सूची में भी बतायी गयी हैं।
4. कागजात में कमी : इन सबके अलावा यदि आपके कागजात में किसी तरह की कोई कमी या त्रुटि पायी जाती है तो आपका दावा खारिज हो सकता है। इन त्रुटियों में आवेदन भरने के दौरान गलत जानकारी देना और फोटो कॉपी वाले कागजात से आवेदन पत्र में भरी गयी जानकारी के बीच अंतर होना आदि शामिल हैं। यह गलती वाहन के हस्तांतरण के मामले में भी हो सकती है, जब वाहन के कागजात नये मालिक को हस्तांतरित किये जाते हैं। हस्तांतरण की तारीख के 14 दिनों के अंदर आप बीमा पॉलिसी के दस्तावेज में आवश्यक बदलाव करा सकते हैं।
(निवेश मंथन, अगस्त 2012)

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