Nivesh Manthan
Menu
  • Home
  • About Us
  • ई-पत्रिका
  • Blog
  • Home/
  • 2017/
  • अप्रैल 2017/
  • बहस से इन्कार, चंदे से इकरार
Follow @niveshmanthan

सबको है मार्च का इंतजार

Details
Category: फरवरी 2012

राजेश रपरिया, सलाहकार संपादक

टेलीकॉम घोटाले में अदालती निर्णयों से एक अरसे से छायी धुंध छँट गयी है। ऐसा लगता है कि सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को कारोबारी जगत ने सकारात्मक ढंग से ही लिया है। कम-से-कम शेयर बाजार की प्रतिक्रिया से यही लगता है। सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय से 2जी स्पेक्ट्रम के आवंटन में हुए फर्जीवाड़े का देश के सामने रहस्योद्घाटन तो हो गया, लेकिन कई अनुत्तरित सवाल भी रह गये। 

जैसे, पहले आओ पहले पाओ की नीति के आधार पर पूर्व में मिले लाइसेंस विधिसम्मत हैं या नहीं? इक्विटी बेचना क्या अनैतिक है और क्या यह न्यायसंगत प्रक्रिया नहीं है? असल में इक्विटी बेचना और मुनाफाखोरी दो अलग-अलग चीजें हैं। सट्टेबाजी, जमाखोरी, कालाबाजारी से हुई आमदनी को मुनाफाखोरी कहा जाता है। लेकिन राजनीतिक आरोपों-प्रत्यारोपों से इन दोनों का घालमेल बिना-वजह एक भ्रम पैदा कर रहा है, जो अंतत: कारोबार के लिए बेहद हानिकारक साबित हो सकता है। 2जी घोटाले पर सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय और अन्य तमाम पहलुओं पर केंद्रित है हमारी आमुख कथा। विश्वास है कि यह आपके लिए उपयोगी साबित होगी।

इस समय पूरा देश मार्च महीने का बेसब्री से इंतजार कर रहा है। पाँच विधानसभा चुनावों के परिणाम छह मार्च तक आने हैं और बजट सत्र 12 मार्च से शुरू हो रहा है। आम बजट 16 मार्च को आना है। इन विधानसभा चुनावों के परिणामों का बजट और कारोबारी माहौल पर सीधा असर पड़ेगा।

राजकोषीय घाटा हद पार कर चुका है। सरकारी कमाई बजट अनुमानों से कम है।पूँजीगतनिवेशगिररहाहै। रुपये के गिरते मूल्य, अक्षम प्रणाली, वित्तीय रिसाव, प्रशासनिक अपारदर्शिता आदि कारणों के चलते सरकारी सहायता (सब्सिडी) का बढ़ता बिल अर्थव्यवस्था को अशक्त कर रहा है। विभिन्न सरकारी मंचों से आ रही आवाजों से यह साफ संकेत मिलते हैं कि राजकोषीय घाटे पर अपेक्षित नियंत्रण पाने के लिए बजट में करों और शुल्कों में चौतरफा बढ़ोतरी अपरिहार्य है। वहीं कारोबारी जगत का कहना है कि करों और शुल्कों में वृद्धि अवांछनीय है, क्योंकि मुद्रास्फीति के चलते कठोर मौद्रिक नीतियों के कारण विकास पर प्रतिकूल असर पड़ा है। बेहतर यह है कि अधिक कर लगाने की बजाय सरकार अनुत्पादक खर्चों को घटा कर राजकोषीय संतुलन लाये।कारोबारीजगतकामतलबसाफहैकिसरकारअपनीफिजूलखर्चीपरअंकुशलगाये।यहाँएकऔरयक्षप्रश्नलोगोंकोमथरहाहै।दुनियाभरमेंधनिकोंपरअधिककरलगानेकीमाँगचलरहीहै।अमेरिकाने हाल ही में ऐसा किया भी है। क्या वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी यहाँ भी धनिकों पर अधिक कर लगाने की पहल कर पायेंगे?

बजट एक ऐसा अवसर होता है, जब वित्त मंत्री इसके माध्यम से कारोबारी माहौल बदल सकते हैं। अभी अर्थव्यवस्था की विकास दर पिछले तीन सालों में न्यूनतम स्तर पर है।कारोबारीविश्वासडिगाहुआहै।घोटालोंकेकारणयूपीएसरकारकीक्षमताओंकोलेकरआमसेखासलोगोंकेदिलो-दिमागमेंतमामप्रश्नचिह्नहैं।राजनीतिकमजबूरियोंकेकारणयूपीएसरकारअपनेपसंदीदाआर्थिकसुधारनहींकरपारहीहै।इनमेंमल्टीब्रांडखुदराकारोबार और विमानसेवा क्षेत्र में 49% तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का मुद्दा प्रमुख है। डीजल की कीमतों को नियंत्रणमुक्त करने के बारे में भी यूपीए सरकार चाह कर भी निर्णय नहीं कर पा रही है।

इसलिए पाँच विधानसभा के चुनाव-परिणामों पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं। यदि चुनाव परिणाम कांग्रेस के अनुकूल होते हैं, तो आर्थिक सुधारों के हिमायतियों का मानना है कि कारोबारी जगत में नये विश्वास का संचार होगा। आगामी बजट यदि सरकार के हिसाब-किताब का लेखा भर बनने की बजाय एक नीतिगत दस्तावेज बन कर उभरता है तो हताशा और निराशा से सरकार को ही नहीं, बल्कि कारोबारी जगत को भी छुटकारा मिल सकता है।     

(निवेश मंथन, फरवरी 2012)

  • सातवाँ वेतन आयोग कहीं खुशी, कहीं रोष
  • एचडीएफसी लाइफ बनेगी सबसे बड़ी निजी बीमा कंपनी
  • सेंसेक्स साल भर में होगा 33,000 पर
  • सर्वेक्षण की कार्यविधि
  • भारतीय अर्थव्यवस्था ही पहला पैमाना
  • उभरते बाजारों में भारत पहली पसंद
  • विश्व नयी आर्थिक व्यवस्था की ओर
  • मौजूदा स्तरों से ज्यादा गिरावट नहीं
  • जीएसटी पारित कराना सरकार के लिए चुनौती
  • निफ्टी 6000 तक जाने की आशंका
  • बाजार मजबूत, सेंसेक्स 33,000 की ओर
  • ब्याज दरें घटने पर तेज होगा विकास
  • आंतरिक कारक ही ला सकेंगे तेजी
  • गिरावट में करें 2-3 साल के लिए निवेश
  • ब्रेक्सिट से एफपीआई निवेश पर असर संभव
  • अस्थिरताओं के बीच सकारात्मक रुझान
  • भारतीय बाजार काफी मजबूत स्थिति में
  • बीत गया भारतीय बाजार का सबसे बुरा दौर
  • निकट भविष्य में रहेगी अस्थिरता
  • साल भर में सेंसेक्स 30,000 पर
  • निफ्टी का 12 महीने में शिखर 9,400 पर
  • ब्रेक्सिट का असर दो सालों तक पड़ेगा
  • 2016-17 में सुधार आने के स्पष्ट संकेत
  • चुनिंदा क्षेत्रों में तेजी आने की उम्मीद
  • सुधारों पर अमल से आयेगी तेजी
  • तेजी के अगले दौर की तैयारी में बाजार
  • ब्रेक्सिट से भारत बनेगा ज्यादा आकर्षक
  • सावधानी से चुनें क्षेत्र और शेयर
  • छोटी अवधि में बाजार धारणा नकारात्मक
  • निफ्टी 8400 के ऊपर जाने पर तेजी
  • ब्रेक्सिट का तत्काल कोई प्रभाव नहीं
  • निफ्टी अभी 8500-7800 के दायरे में
  • पूँजी मुड़ेगी सोना या यूएस ट्रेजरी की ओर
  • निफ्टी छू सकता है ऐतिहासिक शिखर
  • विकास दर की अच्छी संभावनाओं का लाभ
  • बेहद लंबी अवधि की तेजी का चक्र
  • मुद्रा बाजार की हलचल से चिंता
  • ब्रेक्सिट से भारत को होगा फायदा
  • निफ्टी साल भर में 9,200 के ऊपर
  • घरेलू बाजार आधारित दिग्गजों में करें निवेश
  • गिरावट पर खरीदारी की रणनीति
  • साल भर में 15% बढ़त की उम्मीद
  • भारतीय बाजार का मूल्यांकन ऊँचा
  • सेंसेक्स साल भर में 32,000 की ओर
  • भारतीय बाजार बड़ी तेजी की ओर
  • बाजार सकारात्मक, जारी रहेगा विदेशी निवेश
  • ब्रेक्सिट का परोक्ष असर होगा भारत पर
  • 3-4 साल के नजरिये से जमा करें शेयरों को
  • रुपये में कमजोरी का अल्पकालिक असर
  • साल भर में नया शिखर
7 Empire

अर्थव्यवस्था

  • भारत की विकास दर (जीडीपी वृद्धि दर) : भविष्य के अनुमान
  • भारत की विकास दर (जीडीपी वृद्धि दर) बीती तिमाहियों में
  • भारत की विकास दर (जीडीपी वृद्धि दर) बीते वर्षों में

बाजार के जानकारों से पूछें अपने सवाल

सोशल मीडिया पर

Additionaly, you are welcome to connect with us on the following Social Media sites.

  • Like us on Facebook
  • Follow us on Twitter
  • YouTube Channel
  • Connect on Linkedin

Download Magzine

    Overview
  • 2023
  • 2016
    • July 2016
    • February 2016
  • 2014
    • January

बातचीत

© 2025 Nivesh Manthan

  • About Us
  • Blog
  • Contact Us
Go Top