सरकार ने नवंबर में ही मुक्त सामान्य लाइसेंस (ओजीएल) के तहत इस चीनी वर्ष 2011-12 के दौरान 10 लाख टन चीनी के निर्यात की अनुमति देने का फैसला किया है।
चीनी वर्ष 2011-12 के दौरान करीब 2.6 करोड़ टन चीनी उत्पादन की आशा के मद्देनजर यह फैसला किया गया।
पिछले चीनी वर्ष में सरकार ने ओजीएल के तहत 15 लाख टन चीनी निर्यात की अनुमति दी थी। माना जा रहा है कि सरकार के इस फैसले का सबसे ज्यादा लाभ श्री रेणुका शुगर को मिलेगा। भारत से चीनी का सबसे ज्यादा निर्यात श्री रेणुका शुगर ही करती है। सरकार ने 1 दिसंबर 2011 से कारोबारियों के लिए चीनी की भंडारण सीमा (स्टॉक होल्डिंग लिमिट) भी खत्म कर दी है। अभी तक कारोबारियों को 500 टन से ज्यादा चीनी का भंडार रखने पर रोक थी। हाल में चीनी की कीमत (एक्स-मिल) 27-28 रुपये प्रति किलोग्राम से बढ़ कर दिल्ली में 32.5 रुपये तक और वाशी में 30.6 रुपये तक पहुँच गयी है। सरकार के ताजा फैसले से चीनी के दाम और बढऩे की संभावना है। चीनी कंपनियों की नकदी की हालत इससे सुधरेगी और इस कारोबार में उनका घाटा कम होगा।चीनी कंपनियों के मूल्यांकन हाल में अपनी तलहटी को छू रहे थे। लेकिन अब इस फैसले का सकारात्मक असर उनके शेयर भावों पर भी दिख सकता है।
(निवेश मंथन, दिसंबर 2011)