किंगफिशर के इस संकट को देखते हुए फेसबुक और ट्विटर जैसी वेबसाइटों पर काफी लोग पूछ रहे हैं कि क्या इस बार भी किंगफिशर कैलेंडर छपेगा? इसका जवाब यूबी समूह के प्रमुख विजय माल्या ने ट्विटर पर दिया।
उन्होंने 3 नवंबर को ही बताया कि 2012 के किंगफिशर कैलेंडर की शूटिंग श्रीलंका में कल से अद्भुत दृश्य वाले स्थानों पर चमत्कृत करने वाले मॉडलों के साथ होगी। यानी 4 नवंबर से यह शूटिंग चालू हो चुकी होगी। लेकिन अपनी संकटग्रस्त हवाईसेवा के बारे में वे क्या कह रहे हैं? उन्हें मीडिया पर काफी गुस्सा आ रहा है। देखिए विजय माल्या की कुछ टिप्पणियाँ :
12 नवंबर : टाइम्स ऑफ इंडिया ने खबर छापी है कि बैंकों ने कर्ज पुनर्गठन के बारे में किंगफिशर के अनुरोध को नकार दिया है। किंगफिशर ने ऐसा कोई अनुरोध नहीं किया।
12 नवंबर : टाइम्स नाऊ और इसके अनोखे ऐंकर अर्णब गोस्वामी सवाल कर रहे हैं कि सरकार को क्यों किंगफिशर को उबारना (बेलआउट) चाहिए। किंगफिशर ने कभी खुद को उबारने (बेलआउट) की मांग नहीं रखी।
12 नवंबर : क्या यह किंगफिशर का कर्तव्य है कि वह घाटे वाले मार्गों पर उड़ान भरती रहे, जबकि राज्य सरकारें इतने ज्यादा कर वसूलती हैं। या फिर हमें वित्तीय समझदारी दिखा कर मुनाफे के साथ उड़ान भरनी चाहिए?
12 नवंबर : हर सरकार ने लीक से हट कर हवाई सेवाओं और यातायात संपर्क को सहारा दिया है। भारत में हवाई सेवाओं पर भारी कर और शुल्क लादे गये हैं। ताज्जुब है कि ऐसा क्यों हो रहा है? (समझ में नहीं आ रहा कि उन्हें सरकारी मदद चाहिए या नहीं। पहले वे कहते हैं कि बेलआउट नहीं मांगा, फिर कहते हैं कि लीक से हट कर सहारा देना चाहिए।)
12 नवंबर : (एनडीटीवी के ट्विटर खाते पर डाली गयी टिप्पणी का रीट्वीट) प्रधानमंत्री - हमें किंगफिशर एयरलाइंस के संकट को सुलझाने का रास्ता तलाशना होगा। (इस रीट्वीट का मतलब क्या है? अगर किंगफिशर ने सरकार से मदद नहीं मांगी तो क्या प्रधानमंत्री ने अपने-आप ही यह बयान दे दिया?)
14 नवंबर : मीडिया के कैमरे बेंगलूरु हवाईअड्डे पर मेरा इंतजार कर रहे हैं। क्या मैं भगोड़ा हूँ? इतना उन्माद क्यों है?
14 नवंबर : इस बात पर मुझे बड़ी चिंता हो रही है कि कैसे मीडिया ने प्रश्नों को तोड़ा-मरोड़ा और घुमाया। आदरणीय प्रधानमंत्री के बयान पर मेरे मित्र राहुल बजाज के बयान पर भी ऐसा किया गया। मीडिया का व्यवहार बेहद घटिया है।
14 नवंबर : आदरणीय प्रधानमंत्री एक अर्थशास्त्री हैं। वे यह जानते हैं कि यातायात संपर्क कितना महत्वपूर्ण है और किस तरह आर्थिक विकास से जुड़ा है। फिर इतनी बहस क्यों?
14 नवंबर : (एनडीटीवी के जवाब में) आप क्यों उबारने (बेल आउट) की बात कह रहे हैं? करदाताओं के पैसे से उबारने की कोई मांग नहीं है। हमें केवल कामकाजी पूँजी के प्रबंधन में सहायता चाहिए। यह इतना सनसनीखेज क्यों है?
14 नवंबर : मीडिया (पेड मीडिया सहित) ने झूठी सनसनीखेज खबरों से जो नुकसान किया है, उसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए।
14 नवंबर : मुझे मीडिया के प्रमुखों के लिए प्रधानमंत्री का वह बयान याद आ रहा है - आप ही आरोप लगाते हैं, और खुद ही न्यायाधीश बन जाते हैं। कितना सच है यह।
(निवेश मंथन, दिसंबर 2011)