Nivesh Manthan
Menu
  • Home
  • About Us
  • ई-पत्रिका
  • Blog
  • Home/
  • 2017/
  • जनवरी 2017/
  • साल 2017 के लिए चुनिंदा शेयर
Follow @niveshmanthan

सदाबहार हाट बन गया है ई-कॉमर्स

Details
Category: सितंबर 2011

इंटरनेट पर कारोबार 

भारत में कंप्यूटर और इंटरनेट के प्रसार के साथ ही ई-कॉमर्स का कारोबार भी तेजी से बढ़ रहा है। इलेट्रॉनिक्स और वाणिज्य के मेल से बना यह कारोबार इंटरनेट के उपभोक्ताओं के बीच इतना लोकप्रिय हो चुका है कि पिछले चार-पाँच वर्षों से इसमें सालाना 35% से 40% वृद्धि देखी जा रही है।

विश्व में ई-कॉमर्स की सबसे बड़ी कंपनी ईबे ऑनलाइन खरीद और बिक्री में दिल्ली सबसे आगे चल रही है। वहीं ऑनलाइन खरीद का सबसे बड़ा बाजार दक्षिण भारत को माना जाता है जबकि ऑनलाइन बिक्री के मामले में पश्चिम भारत सबसे आगे है।
बीसवीं सदी के पूर्वाद्र्ध तक कंपनियों को यही लगता था कि वे जो भी उत्पाद तैयार कर लेंगी, उपभोक्ता उसे पसंद करेगा ही। इसलिए इन उत्पादों के दाम भी कंपनियाँ अपने हिसाब से रखती थीं लेकिन उदारीकरण और वैश्वीकरण के इस दौर में उपभोक्ताओं के जागरूक होते ही कंपनियों को मार्केटिंग तथा ब्रांडिंग के लिए अलग से मोटी राशि खर्च करनी पड़ गयी। इसी खर्च से बचने या इसे कम करने के लिए इंटरनेट के दौर में कंपनियों ने ई-कॉमर्स का तरीका ढूँढ़ निकाला। आज हम घर बैठे जब दुनिया खोज सकते हैं तो अपने मनमाफिक उत्पाद क्यों नहीं? इसी सिद्धांत को मूलमंत्र बनाते हुए कंपनियाँ अपने उत्पाद बेचने के लिए ई-कॉमर्स का सहारा लेने लगीं। उन्हें मामूली खर्च में उत्पादों की पूरी जानकारी उपभोक्ताओं तक पहुँचाने का मौका मिल गया। ई-कॉमर्स के जरिये वस्तुओं की खरीद-बिक्री के लिए हालाँकि वेबसाइटों का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन अब ई-मेल, फैक्स, मोबाइल मैसेजिंग जैसे माध्यमों से भी ई-कॉमर्स का कारोबार फल-फूल रहा है। ऑनलाइन ट्रेडिंग, ऑनलाइन विज्ञापन, ऑनलाइन कारोबार कुछ ऐसे महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं जिनमें न सिर्फ उत्पादकों और उपभोक्ताओं का खर्च बचता है, बल्कि उनके बीच की कड़ी यानी सप्लायर और रीसेलर के साथ भी उनका मजबूत रिश्ता कायम होता है।
हालाँकि अमेरिका और यूरोपीय देशों की तुलना में भारत में ई-कॉमर्स का कारोबार फैलने में थोड़ा वक्त लगा, लेकिन समय के साथ आज एशियाई क्षेत्र ई-कॉमर्स का सबसे बड़ा बाजार बन गया है। फिलहाल ई-कॉमर्स का कारोबार 5 अरब डॉलर तक पहुँच चुका है। आईएएमएआई के आकलन के मुताबिकइस वर्ष के अंत तक इसके 10.27 अरब डॉलर तक पहुँच जाने की उम्मीद है। जानकारों का मानना है कि आने वाले समय में ई-कॉमर्स भारत के लिए एक बड़ा कारोबार हो जायेगा और अगले दो-तीन वर्षों में यहाँ एक अरब डॉलर का ई-कॉमर्स कारोबार होने लगेगा। इस दौरान इसमें हमें लगातार निवेश में वृद्धि, रणनीतिक बदलाव, उत्पाद श्रेणियों का विस्तार और बढ़ते उपभोक्ता आधार के बीच सेवाओं में सुधार देखने को मिलता रहेगा। इस तरह ई-कॉमर्स कारोबार का भविष्य पहले से कहीं ज्यादा उज्ज्वल होता रहेगा।
ई-कॉमर्स की नामी-गिरामी कंपनियाँ
हाल ही में वीसी सर्किल ई-कॉमर्स फोरम की मुंबई में जब तीसरी सालगिरह की रिपोर्ट पेश की गयी तो इस क्षेत्र में कई बदलाव सामने आये। इनमें विलय-अधिग्रहण और प्राइवेट इक्विटी फंड से लेकर मुख्य चलन पर चर्चा की गयी। इससे ई-कॉमर्स कारोबार की मौजूदा स्थिति और भविष्य की उम्मीदें स्पष्ट हुईं।
ई-कॉम कंपनी इन्फिबीम डॉट कॉम के सीईओ विशाल मेहता का मानना है कि वर्ष 2015 तक ई-कॉमर्स के रिटेलर आमदनी के मामले में भारत के सबसे बड़े रिटेलर बन जायेंगे। इन्फिबीम सप्लाई चेन प्रबंधन कंपनी बनने की ओर अग्रसर है और इसने कारोबारियों को अपनी साइट बनाने तथा इस बाजार के विस्तार के लिए अपना ई-कॉमर्स सॉफ्टवेयर प्लेटफॉर्म बिल्डएबाजार खोला है।
इसकी प्रतिद्वंद्वी कंपनी फ्लिपकार्ट डॉट कॉम ने भी टीवी पर विज्ञापन से शुरुआत करते हुए ई-कॉमर्स कारोबार को नया आयाम दिया है। इस वर्ष के प्रारंभ में फ्लिपकार्ट ने टाइगर ग्लोबल से 2 करोड़ डॉलर का निवेश जुटाया हैं और मार्च 2012 तक वह 500 करोड़ रुपये के कारोबार का लक्ष्य हासिल करना चाहती है। कंपनी ने अपने प्रिंटर्स, एमपी3 प्लेयर्स, टेलीविजन तथा ऑडियो सिस्टम्स वाले उत्पादों का विस्तार करने की योजना बनायी है। ई-कॉमर्स में तेजी से उभरती कंपनियों में नेटवर्क 18 ग्रुप की कंपनी होमशॉप18 डॉट कॉम भी शुमार हो चुकी है। कंपनी ने मार्च 2011 में समाप्त वित्त वर्ष में 71 करोड़ रुपये का आमदनी हासिल की है। हाल ही में इसने ऑनलाइन बुकस्टोर क्वाइनजूस डॉट कॉम का अधिग्रहण भी किया है।
इसी तरह देश की सबसे बड़ी मीडिया और मनोरंजन कंपनियों में से एक रिलायंस एंटरटेनमेंट भी ई-कॉमर्स कारोबार में तेजी से आगे बढ़ रही है। कंपनी ने अपनी सोशल नेटवर्किंग और ब्लॉगिंक साइट बिगअड्डा डॉट कॉम बंद करके इसकी जगह बिग अड्डा शॉप नामक ई-कॉमर्स साइट खोल ली है। जुलाई के अंत तक बिग अड्डा शॉप ने मासिक आधार पर दो करोड़ रुपये से भी ज्यादा का लेनदेन किया है और अब यह दो अन्य ई-कॉमर्स साइटें खोलने पर विचार कर रही है।
इंडिगो मॉनसून ग्रुप की इंडियाप्लाजा और आईबिबो की ट्रेड्स डॉट इन जैसी कंपनियों ने कम ही समय में अच्छा कारोबार किया है। लेकिन ईबे इंडिया अभी भी शीर्ष पर कायम है, जो प्रौद्योगिकी, लाइफस्टाइल और मीडिया जैसी 2000 श्रेणियों के उत्पाद बेच रही है।

क्या बिकता है सबसे ज्यादा
भारत में बच्चों से जुड़े उत्पाद, फूल, हस्तशिल्प, आभूषण और घरेलू साज-सज्जा के सामान ऑनलाइन सबसे ज्यादा बिकते हैं। चेन्नई से संचालित कैरेटलेन डॉट कॉम सिर्फ हीरे और आभूषण का कारोबार करती है और इसने जुलाई में ही 60 लाख डॉलर का कारोबार कर लिया है। बच्चों के उत्पाद ज्यादातर दूर-दराज के शहरों में ऑनलाइन ज्यादा बिकते हैं जहाँ अच्छे खिलौने, फर्नीचर और कपड़े जैसी चीजें नहीं मिल पाती हैं। इस तरह के उत्पाद बेचने वाली साइटें फस्र्टक्राई डॉट कॉम ने 40 लाख डॉलर जबकि बेबीओय डॉट कॉम ने 25 लाख डॉलर का कारोबार किया है। इसके बावजूद यात्रा टिकटों के ऑनलाइन कारोबार की हिस्सेदारी भारतीय ई-कॉमर्स बाजार में सबसे ज्यादा 80 प्रतिशत बनी हुई है।
कॉमस्कोर के मुताबिक, इस वर्ष अप्रैल में ऑनलाइन यात्रा साइटों से 1.85 करोड़ यात्रियों ने संपर्क साधा है। इनमें भारतीय रेल की आईआरसीटीसी अव्वल है जिससे 84 लाख यात्रियों ने टिकट खरीदे हैं। मेकमाईट्रिप से 39 लाख, क्लियरट्रिप डॉट कॉम से 21 लाख और यात्रा डॉट कॉम से 35 लाख यात्रियों ने टिकट खरीदे हैं। मेकमाईट्रिप ने होटलों और हॉलीडे बुकिंग कारोबार पर फोकस बढ़ाते हुए नास्दैक में भी अपनी उपस्थिति दर्ज करा ली है।
भारत में ई-कॉमर्स की दिक्कतें
भारत में फ्लिपकार्ट, एडेक्समार्ट जैसी साइटें जहाँ अपने वेंडरों के जरिये उत्पाद जुटा कर उन्हें खरीदारों तक पहुंचाती हैं वहीं ईबे, इन्फिबीम, इंडियनगिफ्ट्सपोर्टल डॉट कॉम जैसी ज्यादातर ई-कॉमर्स साइटें सीधे अपने उत्पाद ग्राहकों तक पहुँचा देती हैं। ऐसी स्थिति में इन वेबसाइटों को ग्राहकों तक भेजने से पहले उत्पाद की गुणवत्ता परखने का मौका नहीं मिल पाता।
इसके अलावा लेनदेन पूरा हो जाने के बाद इन साइटों के पास ग्राहकों से फीडबैक लेने की भी कोई व्यवस्था नहीं है। ईबे डॉट इन और रेडिफ डॉट कॉम पर फीडबैक व्यवस्था है भी तो उसमें खरीदार का यूजर आईडी देखा जा सकता है जबकि रेडिफ डॉट कॉम पर किसी विक्रेता के फीडबैक प्रोफाइल में खरीदार का पूरा नाम दर्ज रहता है। इसे ग्राहक अपनी निजता का हनन मानते हुए नापसंद करते हैं और विक्रेता की रेटिंग करने से बचते हैं। ईबे पर आपकी रेटिंग से आपके अकाउंट की साख प्रभावित हो सकती है और जब आपकी फीडबैक रेटिंग बेहद कमजोर रहेगी तो आपका अकाउंट रद्द भी किया जा सकता है। दूसरी तरफ, अन्य ई-कॉमर्स वेबसाइटों पर विक्रेता का अकाउंट ग्राहकों से मिले फीडबैक से किसी तरह प्रभावित नहीं होता है।
भारत में चूंकि श्रमशक्ति सस्ती है इसलिए कई अगंभीर ग्राहक भी वेबसाइटों पर अपनी दखल बना लेते हैं। ऐसे ग्राहक ढेरों साइटों पर सिर्फ मुफ्त तोहफों तथा इनाम पाने के लिए अकाउंट खोल लेते हैं। इनमें से कई अकाउंट तो प्रतिद्वंद्वी साइटों के ही होते हैं जो अन्य विक्रेताओं की साख खराब करने के लिए नकारात्मक रेटिंग का इस्तेमाल करने में जरा भी नहीं हिचकतीं। फर्जी ग्राहक विक्रेताओं को नुकसान पहुँचाने के लिए निम्नलिखित तरीके अपना सकते हैं :
1. ऑर्डर देने के बाद भुगतान नहीं करना
2. भुगतान के फर्जी तरीके अपनाना
3. गलत पता देना
4. सामान लेकर नहीं मिलने का दावा करना
5. नकारात्मक या तटस्थ फीडबैक देना
हालाँकि किसी भी कारोबार की तरक्की के लिए ग्राहक सबसे महत्वपूर्ण होते हैं लेकिन ई-कॉमर्स वेबसाइटों को इस तरह के अगंभीर या फर्जी ग्राहकों से बचने के लिए उपयुक्त कदम उठाना जरूरी है। इस वर्ष कई बड़ी भारतीय कंपनियों ने ई-कॉमर्स के लिए कदम बढ़ाये हैं। मसलन, टाटा की उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक रिटेल चेन क्रोमा ने ऑनलाइन स्टोर खोली। आदित्य बिरला ने अपनी मेगास्टोर चेन द मोर स्टोर शुरू करने के लिए बेंगलूरु से पायलट परियोजना शुरू की और छह महीने के अंदर ही इस साइट को देखने वाले ग्राहकों की संख्या तीन गुना बढ़ा ली। इसने अपनी वेबसाइट पर घरेलू वस्तुएँ बेचने की भी योजना बनायी है।
(निवेश मंथन, सितंबर 2011)

  • सातवाँ वेतन आयोग कहीं खुशी, कहीं रोष
  • एचडीएफसी लाइफ बनेगी सबसे बड़ी निजी बीमा कंपनी
  • सेंसेक्स साल भर में होगा 33,000 पर
  • सर्वेक्षण की कार्यविधि
  • भारतीय अर्थव्यवस्था ही पहला पैमाना
  • उभरते बाजारों में भारत पहली पसंद
  • विश्व नयी आर्थिक व्यवस्था की ओर
  • मौजूदा स्तरों से ज्यादा गिरावट नहीं
  • जीएसटी पारित कराना सरकार के लिए चुनौती
  • निफ्टी 6000 तक जाने की आशंका
  • बाजार मजबूत, सेंसेक्स 33,000 की ओर
  • ब्याज दरें घटने पर तेज होगा विकास
  • आंतरिक कारक ही ला सकेंगे तेजी
  • गिरावट में करें 2-3 साल के लिए निवेश
  • ब्रेक्सिट से एफपीआई निवेश पर असर संभव
  • अस्थिरताओं के बीच सकारात्मक रुझान
  • भारतीय बाजार काफी मजबूत स्थिति में
  • बीत गया भारतीय बाजार का सबसे बुरा दौर
  • निकट भविष्य में रहेगी अस्थिरता
  • साल भर में सेंसेक्स 30,000 पर
  • निफ्टी का 12 महीने में शिखर 9,400 पर
  • ब्रेक्सिट का असर दो सालों तक पड़ेगा
  • 2016-17 में सुधार आने के स्पष्ट संकेत
  • चुनिंदा क्षेत्रों में तेजी आने की उम्मीद
  • सुधारों पर अमल से आयेगी तेजी
  • तेजी के अगले दौर की तैयारी में बाजार
  • ब्रेक्सिट से भारत बनेगा ज्यादा आकर्षक
  • सावधानी से चुनें क्षेत्र और शेयर
  • छोटी अवधि में बाजार धारणा नकारात्मक
  • निफ्टी 8400 के ऊपर जाने पर तेजी
  • ब्रेक्सिट का तत्काल कोई प्रभाव नहीं
  • निफ्टी अभी 8500-7800 के दायरे में
  • पूँजी मुड़ेगी सोना या यूएस ट्रेजरी की ओर
  • निफ्टी छू सकता है ऐतिहासिक शिखर
  • विकास दर की अच्छी संभावनाओं का लाभ
  • बेहद लंबी अवधि की तेजी का चक्र
  • मुद्रा बाजार की हलचल से चिंता
  • ब्रेक्सिट से भारत को होगा फायदा
  • निफ्टी साल भर में 9,200 के ऊपर
  • घरेलू बाजार आधारित दिग्गजों में करें निवेश
  • गिरावट पर खरीदारी की रणनीति
  • साल भर में 15% बढ़त की उम्मीद
  • भारतीय बाजार का मूल्यांकन ऊँचा
  • सेंसेक्स साल भर में 32,000 की ओर
  • भारतीय बाजार बड़ी तेजी की ओर
  • बाजार सकारात्मक, जारी रहेगा विदेशी निवेश
  • ब्रेक्सिट का परोक्ष असर होगा भारत पर
  • 3-4 साल के नजरिये से जमा करें शेयरों को
  • रुपये में कमजोरी का अल्पकालिक असर
  • साल भर में नया शिखर
7 Empire

अर्थव्यवस्था

  • भारत की विकास दर (जीडीपी वृद्धि दर) : भविष्य के अनुमान
  • भारत की विकास दर (जीडीपी वृद्धि दर) बीती तिमाहियों में
  • भारत की विकास दर (जीडीपी वृद्धि दर) बीते वर्षों में

बाजार के जानकारों से पूछें अपने सवाल

सोशल मीडिया पर

Additionaly, you are welcome to connect with us on the following Social Media sites.

  • Like us on Facebook
  • Follow us on Twitter
  • YouTube Channel
  • Connect on Linkedin

Download Magzine

    Overview
  • 2023
  • 2016
    • July 2016
    • February 2016
  • 2014
    • January

बातचीत

© 2025 Nivesh Manthan

  • About Us
  • Blog
  • Contact Us
Go Top