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सरकार ने की सब्सिडी से मुक्ति की तैयारी

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Category: दिसंबर 2014

सुशांत शेखर :

केंद्र सरकार ने सब्सिडी का बोझ कम से कम करने के लिए कमर कस ली है।

डीजल की कीमतें बाजार के हवाले करने के बाद सरकार रसोईं गैस यानी एलपीजी सिलिंडर, केरोसिन और यूरिया पर सब्सिडी का बोझ घटाने की तैयारी कर रही है।
सब्सिडी का गणित
14.2 किलो वाले घरेलू एलपीजी सिलेंडर की दिल्ली में बाजार कीमत 752 रुपये है। लेकिन सरकार हर परिवार को साल में 12 सिलेंडर 417 रुपये प्रति सिलेंडर के भाव पर मुहैया करा रही है। मतलब सरकार हर सिलेंडर पर फिलहाल 335 रुपये की सब्सिडी दे रही है। अनाज और यूरिया के बाद सरकार सबसे ज्यादा सब्सिडी रसोई गैस पर ही दे रही है। वित्त वर्ष 2013-14 में सिर्फ एलपीजी सिलेंडर की बिक्री पर पेट्रोलियम कंपनियों को करीब 46,458 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान ये आँकड़ा और बढऩे की आशंका है।
सब्सिडी से मुक्ति की योजना
सरकार ने रसोई गैस पर सब्सिडी का बोझ कम करने की रणनीति तय कर दी है और उसके मुताबिक कदम उठाने भी शुरू कर दिये हैं। सरकार ने 15 नवंबर से देश के 54 जिलों में एलपीजी सब्सिडी के सीधे ट्रांसफर यानी डीबीटीएल योजना की शुरूआत कर दी है। एक जनवरी से यह योजना पूरे देश में लागू हो जायेगी।
डीबीटीएल योजना के तहत सरकार एलपीजी सब्सिडी का पैसा सीधे ग्राहकों के खाते में डालेगी। सरकार हर ग्राहक के खाते में 40 रुपये प्रति किलो यानी प्रति सिलिंडर 568 रुपये की तय राशि डालेगी। इसमें भी सरकार सिर्फ 20 रुपये प्रति किलो की सब्सिडी देगी। बाकी का बोझ ओनएजीसी और ऑयल इंडिया उठायेंगी। अगर सब्सिडी का बोझ इससे ज्यादा भी होता है तो सरकार 20 रुपये प्रति किलो से ज्यादा पैसा नहीं देगी।
सरकार ने 568 रुपये प्रति सिलेंडर की राशि 31 मार्च 2015 तक के लिए तय की है। सूत्रों के मुताबिक एक अप्रैल 2015 से एलपीजी सिलिंडर की कीमतें पेट्रोल और डीजल की ही तरह पूरी तरह बाजार के हवाले की जा सकती हैं। माना जा रहा है कि सरकार अगले साल बजट में इसका ऐलान कर सकती है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पिछले दिनों एलपीजी सिलिंडर पर सब्सिडी बोझ कम करने के साफ संकेत दे दिये हैं। उन्होंने सवाल किया कि अमीरों को सस्ती दरों पर रसोई गैस सिलिंडर क्यों मिलने चाहिए? ऐसे में माना जा रहा है कि अगर सिलिंडर पर सब्सिडी पूरी तरह खत्म नहीं भी की जाती है तो हर महीने 50,000 रुपये से ज्यादा कमाने वालों को बाजार भाव पर ही सिलिंडर खरीदना होगा। इसी तरह केंद्र ने अगले 5 सालों में पूरे देश में चौबीसों घंटे बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित करके चरणबद्ध तरीके से केरोसिन पर सब्सिडी का बोझ भी पूरी तरह खत्म करने की रणनीति तय की है।
वहीं सरकार पोटाश और नाइट्रेट की तरह यूरिया को भी पोषण आधारित सब्सिडी में शामिल करने की तैयारी कर रही है। ऐसा होने पर यूरिया पर सरकार का सब्सिडी बोझ सीमित रह जायेगा। सरकार वित्त वर्ष की शुरुआत में ही यूरिया पर तय सब्सिडी का ऐलान कर देगी। इसके बाद अगर कंपनियों की लागत बढ़ती है तो वे दाम बढ़ाने के लिए स्वतंत्र होंगीं।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की गिरती कीमतों ने सरकार को यह मौका दिया कि वह राजनीतिक दलों और आम लोगों के विरोध के बिना ही डीजल की कीमतों को बाजार के हवाले कर सके। सरकार इस मौके का फायदा उठा कर एलपीजी और केरोसिन पर भी सब्सिडी पूरी तरह खत्म करना चाहती है।
(निवेश मंथन, दिसंबर 2014)

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