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सस्ते मूल्यांकन वाले निवेश पर ध्यान

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Category: सितंबर 2014

सीनियर फंड मैनेजर, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल :

एक साल में भले ही हमारे फंड ने लगभग 100% का लाभ दिया है,

लेकिन तथ्य यह है कि इससे पिछले दो सालों में बाजार नकारात्मक था और फंड में कोई लाभ नहीं दिख रहा था। इसलिए तीन साल और पाँच साल जैसी अवधियों में किस तरह का लाभ है, यह देखना महत्वपूर्ण है। पिछले एक साल की शानदार बढ़त का फायदा उन लोगों को मिल पाया है, जिनमें इंतजार करने का धैर्य था। अगर यहाँ से आगे भी लोगों में धैर्य हो तो हमारा बाजार अच्छा लाभ दे सकता है। मैं यह कयास नहीं लगाऊँगा कि आगे एक साल में कैसा लाभ मिल पायेगा, लेकिन अगले तीन से पाँच साल का लाभ काफी अच्छा रहेगा।
इसका कारण यह है कि आने वाले वर्षों में हमारी अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन अच्छा रहने वाला है। जब अर्थव्यवस्था अच्छा करती है तो कंपनियों का कारोबार बेहतर होता है और शेयरों का भाव भी उसे दर्शाता है। इसलिए अगर आप सही तरह के व्यवसायों में निवेश करते रहें, निवेश की सही प्रक्रिया पर टिके रहें और धैर्य बनाये रखें तो इस बाजार से स्वस्थ लाभ कमाया जा सकता है।
दरअसल प्रथम चतुर्थक में जितने फंड हैं, उनके पाँच साल के प्रदर्शन को देखेंगे तो वे सालाना 15-17% औसत (सीएजीआर) से ज्यादा ही हैं, जो काफी अच्छा लाभ कहा जायेगा। अगर हम 15% की सालाना औसत दर से भी लाभ हासिल कर सकें तो इसका मतलब होता है कि पाँच साल में आपका पैसा दोगुना हो जाता है, वह भी कर-मुक्त आय के रूप में। बहुत कम संपदा-वर्ग इससे प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं।
हम लोग वैल्यू इन्वेस्टिंग यानी सस्ते मूल्यांकन वाले निवेश पर ध्यान देते हैं और किसी चुनिंदा शेयर के अपने संकेतों को सबसे ज्यादा देखते हैं। हम मूल्य आय (पीई), मूल्य बुक वैल्यू (पीबी), आरओई जैसे कुछ फिल्टर लगा कर शेयरों की एक सूची तैयार करते हैं, जिन पर हम आगे और खोजबीन करते हैं। हम ऐसे शेयरों को पसंद करते हैं, जो शेयर बाजार में एक ठीक-ठाक समय से मौजूद हों। साथ में आय में वृद्धि दर, नेटवर्थ जैसे पैमानों को भी देखते हैं। इन सबको देख कर जो नाम ठीक लगते हैं, फिर हम उनके बारे में और पता करते हैं। अगर कोई कंपनी छोटी हो तो उसके बारे में पहले से कम जानकारी उपलब्ध होती है। इसलिए हम प्रबंधन, ऑडिटरों और कई बार पूर्व कर्मचारियों से भी मिलते हैं। यह सब करके हम कंपनी के कारोबार को समझते हैं, फिर वित्तीय विश्लेषण करते हैं। यह सब करने के बाद अगर पर्याप्त धैर्य रखा जाये तो अच्छे लाभ मिलते हैं।
मैंने करीब साल भर पहले यह देखा कि कई इंजीनियरिंग कंपनियों में क्षमता इस्तेमाल करीब 50-55% ही है, फिर भी वे ठीक-ठाक पैसा बना रहे हैं। एक कंपनी थी जो 55% क्षमता इस्तेमाल के साथ 20% से ज्यादा एबिटा मार्जिन हासिल कर रही थी। उनका मूल्यांकन भी काफी आकर्षक था।
मैंने देखा कि जब स्थितियाँ बदलेंगी और क्षमता इस्तेमाल 80-85% की तरफ जायेगा तो क्षमता विस्तार में कोई नया निवेश किये बिना उसकी आय दोगुनी हो जायेगी। अब सवाल था कि ऐसा होगा क्या? स्पष्ट रूप से होगा, भले ही एक साल में न हो कर तीन साल में हो। अगर आप मुझसे पूछें तो साल भर पहले जब मैंने ऐसी इंजीनियरिंग कपनियों में निवेश किया तो मुझे यह उम्मीद नहीं थी कि साल भर में ही अच्छा फायदा मिल जायेगा। लेकिन मुझे यह पक्का विश्वास था कि तीन साल में तो मिल जायेगा। यह अलग बात है कि बाजार ने एक साल में ही फायदा दे दिया। ऐसा होता रहता है।
तीन साल पहले मैंने किसी इन्फ्रा कंपनी में पैसा लगाया। उम्मीद थी कि बहुत जल्दी फायदा मिलना चाहिए, लेकिन उसमें तीन साल बाद फायदा मिला। कुछ आईटी कंपनियों में लगाते समय सोचा था कि इनमें फायदा धीरे-धीरे आयेगा, लेकिन उनमें एक साल में ही फायदा आ गया। इसलिए मैंने इस बात पर ध्यान देना छोड़ दिया है। बाजार की अपनी ही एक सोच है। हमारा कौशल यह है कि हमें सस्ता व्यवसाय खरीदना आता है। बाजार का अपना मिजाज है, उसे जितने समय में पुरस्कार देना होता है उतना समय लगाता है। लेकिन अगर आपने सही काम किया है तो पुरस्कार मिलता ही है।
बैंक और वित्तीय क्षेत्र में हमारी स्पष्ट प्राथमिकता निजी बैंकों की तरफ है। कुछ चुनिंदा सरकारी बैंक भी हमारे पास हैं। वित्तीय क्षेत्र में हम खास तौर पर किसी चुनिंदा शेयर की पूरी बैलेंस शीट का विश्लेषण करने के बाद ही निवेश करते हैं। यह सेवा क्षेत्र है, इसलिए प्रबंधन पर भी काफी ध्यान दिया जाता है। पिछला प्रदर्शन देखने के अलावा यह ध्यान दिया जाता है कि वे अल्पमत शेयरधारकों के प्रति मैत्रीपूर्ण हैं या नहीं, लाभांश (डिविडेंड) देते हैं या नहीं और अगर स्थितियाँ बिगड़ीं तो वे किस हद तक खुद को सँभाल सकेंगे। जब अर्थव्यवस्था अच्छा करती है तो बैंक क्षेत्र को भी फायदा होता ही है, क्योंकि बैंक ऐसा क्षेत्र है जो सबके साथ जुड़ा है। हमारा जो निवेश आप देख रहे हैं, वह इसी बुनियाद पर है।
शीर्ष तीन शेयरों में हमारा काफी निवेश हमारे भरोसे को दिखाता है और बीते एक साल में हमारा भरोसा सही होने के बाद इन स्तरों पर दिख रहा है। हमने पिछले साल अपने फंड में यह भरोसा बनाया था। हमें उम्मीद थी कि ये शेयर अच्छा करेंगे, और उसके मुताबिक ही हमने उनमें निवेश किया था। हमारा वह भरोसा सही साबित हुआ। आगे अगर कहीं और भरोसा बनेगा तो हो सकता है कि हम पैसा निकाल कर वहाँ ले जायें। यह प्रक्रिया चलती रहती है। हमें उम्मीद है कि साल भर में ब्याज दरें नीचे आ जायेंगी। इससे अर्थव्यवस्था में निवेश के अनुकूल वातावरण बनेगा।
इसलिए हम क्षमता विस्तार कर रही कंपनियों, घरेलू चक्रीय (साइक्लिकल) कंपनियों जैसे कैपिटल गुड्स और इंजीनियरिंग कंपनियों में रुचि ले रहे हैं। मुझे उम्मीद है कि दो-ढाई साल में जीएसटी लागू हो जायेगा। जीएसटी लागू होने और बुनियादी ढाँचे में विकास से अर्थव्यवस्था में काफी बदलाव आयेगा। मुझे लगता है कि लॉजिस्टिक्स और बंदरगाह कंपनियाँ वगैरह अच्छा करेंगी। ऑटो पुर्जा क्षेत्र से भी मुझे अच्छी उम्मीद है।
(निवेश मंथन, सितंबर 2014)

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