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बाजार की उम्मीदों से धीमा सुधार

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Category: जून 2014

भाजपा के नेतृत्व में एनडीए गठबंधन को जबरदस्त जनादेश मिला है।

बीते वर्षों में बदनाम हो गये जनमत सर्वेक्षणों और एक्जिट पोल ने इस बार सही रुझान बताया। लेकिन जीत का अंतर इन सर्वेक्षणों में बताये गये आँकड़ों से कहीं ज्यादा रहा। भाजपा के पास 543 सीटों की लोक सभा में 282 सीटों के साथ अपने दम पर बहुमत है और एनडीए के पास 330 से ज्यादा सीटें हैं। भारतीय चुनावों में 1984 के बाद से यह सबसे ज्यादा निर्णायक जनादेश है।
इस जनादेश की मजबूती के कारण नयी सरकार को अन्य दलों और राज्य सरकारों से मोलभाव की अच्छी शक्ति मिल गयी है, जो न केवल बेहतर शासन के लिए बल्कि मध्यम अवधि में सार्थक नीतिगत सुधारों के लिए भी अच्छी बात है।
चुनावी उछाल के बाद भारतीय बाजार का मूल्यांकन अब ऐसे क्षेत्र में आ गया है, जहाँ इसे ‘सस्ता’ नहीं कहा जा सकता है। यह अपने औसत मूल्यांकन से थोड़ा ऊपर आ चुका है। हालाँकि यह अभी बुलबुले वाली स्थिति में भी नहीं पहुँचा है।
आगे चल कर हमारा अनुमान है कि भारत में आर्थिक गतिविधियों में तेजी आयेगी। हमारा यह नजरिया कुछ समय पहले से बना हुआ है। नीतिगत वातावरण और शासन बेहतर होगा। लेकिन निवेशकों को कुछ और बातों का भी ध्यान रखना चाहिए।
लोक सभा में एनडीए को जबरदस्त बहुमत मिला है, लेकिन इसके पास संसद के उच्च सदन, राज्य सभा में बहुमत नहीं है। इसके चलते सरकार को ऐसे सुधारों को लागू करने में बाधाएँ आयेंगी, जिनके लिए कानून बनाने की जरूरत हो। ऐसे कानूनों के लिए सरकार को विपक्ष को राजी करके सहमति बनानी पड़ेगी।
मौद्रिक और राजकोषीय (फिस्कल) नीति निकट भविष्य में कुछ कसी हुई रहने की संभावना है। इसलिए जहाँ मध्यम अवधि के लिए आर्थिक संभावनाएँ इस चुनावी नतीजे के कारण बेहतर हुई हैं, वहीं निकट भविष्य की चुनौतियाँ अभी कायम हैं। इस पृष्ठभूमि में हमारा मानना है कि निवेशकों को सरकार की आरंभिक नीतिगत प्राथमिकताओं पर गौर करना चाहिए, जिनकी घोषणा अगले 1-2 महीनों में होगी। इस दौरान भारतीय बाजार में मिलने वाला लाभ कंपनियों की आय में वृद्धि पर निर्भर होगा। हमारा आकलन है कि 2013-14 से 2015-16 के दौरान आय में वृद्धि की दर लगभग 12-14 % होगी।
अर्थव्यवस्था के सामने मौजूद चुनौतियों के मद्देनजर हमारा आकलन है कि अर्थव्यवस्था और कंपनियों की आय में निकट भविष्य में होने वाला सुधार बाजार की मौजूदा आकांक्षाओं की तुलना में सुस्त रहेगा। लिहाजा हम उन कंपनियों से दूर रहने की सलाह दे रहे हैं, जो काफी कर्ज में डूबी हुई हैं या जिनकी माली हालत सुधरने की उम्मीदें नियामक या राजनीतिक उदारताओं पर निर्भर हैं। हम निवेशकों को सावधान करना चाहते हैं कि वे वित्तीय क्षेत्र के शेयरों (सरकारी बैंकों और एनबीएफसी) और निवेश चक्र वाले शेयरों (निजी क्षेत्र में बुनियादी ढाँचा कंपनियों) में बाजार के उतार-चढ़ाव का पीछा करने का प्रयास न करें।
इस साल के आरंभ से ही हम अर्थव्यवस्था के सँभलने की संभावना के साथ चलने और वित्तीय क्षेत्र, व्यावसायिक वाहनों, सीमेंट, धातु (मेटल) और निजी क्षेत्र की ऊर्जा कंपनियों के शेयरों पर ध्यान देने की सलाह दी है।
हमारा विश्वास है कि नयी सरकार निवेश चक्र को फिर से शुरू करने के लिए जो भी नीतिगत सुधार करेगी, उनकी शुरुआत प्राकृतिक संसाधनों वाले क्षेत्रों से होगी। बुनियादी ढाँचा क्षेत्र की अड़चनों को दूर करने के लिए ये सुधार काफी महत्वपूर्ण होंगे और उसके बाद वित्तीय क्षेत्र में ऋण चक्र तेज होगा। यहाँ गौरतलब है कि पिछले कुछ महीनों के दौरान ऊर्जा और धातु सबसे ज्यादा तेजी दिखाने वाले क्षेत्र रहे हैं।
हमारे मॉडल पोर्टफोलिओ में जिन क्षेत्रों में निवेश बढ़ाने की सलाह है, उनमें स्वास्थ्य, आईटी और मैटेरियल्स शामिल हैं। उपभोक्ता जरूरतों, ऊर्जा और यूटिलिटी क्षेत्रों में हमारा नजरिया उदासीन है। हमारे पसंदीदा शेयरों में रिलायंस, जी इंटरटेनमेंट, टाटा मोटर्स, जीएसके कंज्यूमर, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, डॉ. रेड्डीज, आईटीसी, इन्फोसिस, टेक महिंद्रा, ग्रासिम, टाटा स्टील, सेसा स्टरलाइट, पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन और टाटा पावर शामिल हैं।
(निवेश मंथन, जून 2014)

  • सातवाँ वेतन आयोग कहीं खुशी, कहीं रोष
  • एचडीएफसी लाइफ बनेगी सबसे बड़ी निजी बीमा कंपनी
  • सेंसेक्स साल भर में होगा 33,000 पर
  • सर्वेक्षण की कार्यविधि
  • भारतीय अर्थव्यवस्था ही पहला पैमाना
  • उभरते बाजारों में भारत पहली पसंद
  • विश्व नयी आर्थिक व्यवस्था की ओर
  • मौजूदा स्तरों से ज्यादा गिरावट नहीं
  • जीएसटी पारित कराना सरकार के लिए चुनौती
  • निफ्टी 6000 तक जाने की आशंका
  • बाजार मजबूत, सेंसेक्स 33,000 की ओर
  • ब्याज दरें घटने पर तेज होगा विकास
  • आंतरिक कारक ही ला सकेंगे तेजी
  • गिरावट में करें 2-3 साल के लिए निवेश
  • ब्रेक्सिट से एफपीआई निवेश पर असर संभव
  • अस्थिरताओं के बीच सकारात्मक रुझान
  • भारतीय बाजार काफी मजबूत स्थिति में
  • बीत गया भारतीय बाजार का सबसे बुरा दौर
  • निकट भविष्य में रहेगी अस्थिरता
  • साल भर में सेंसेक्स 30,000 पर
  • निफ्टी का 12 महीने में शिखर 9,400 पर
  • ब्रेक्सिट का असर दो सालों तक पड़ेगा
  • 2016-17 में सुधार आने के स्पष्ट संकेत
  • चुनिंदा क्षेत्रों में तेजी आने की उम्मीद
  • सुधारों पर अमल से आयेगी तेजी
  • तेजी के अगले दौर की तैयारी में बाजार
  • ब्रेक्सिट से भारत बनेगा ज्यादा आकर्षक
  • सावधानी से चुनें क्षेत्र और शेयर
  • छोटी अवधि में बाजार धारणा नकारात्मक
  • निफ्टी 8400 के ऊपर जाने पर तेजी
  • ब्रेक्सिट का तत्काल कोई प्रभाव नहीं
  • निफ्टी अभी 8500-7800 के दायरे में
  • पूँजी मुड़ेगी सोना या यूएस ट्रेजरी की ओर
  • निफ्टी छू सकता है ऐतिहासिक शिखर
  • विकास दर की अच्छी संभावनाओं का लाभ
  • बेहद लंबी अवधि की तेजी का चक्र
  • मुद्रा बाजार की हलचल से चिंता
  • ब्रेक्सिट से भारत को होगा फायदा
  • निफ्टी साल भर में 9,200 के ऊपर
  • घरेलू बाजार आधारित दिग्गजों में करें निवेश
  • गिरावट पर खरीदारी की रणनीति
  • साल भर में 15% बढ़त की उम्मीद
  • भारतीय बाजार का मूल्यांकन ऊँचा
  • सेंसेक्स साल भर में 32,000 की ओर
  • भारतीय बाजार बड़ी तेजी की ओर
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