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सोने पर दबाव, रुझान कमजोर

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Category: जून 2014

सुगंधा सचदेव , एवीपी, रेलिगेयर कमोडिटीज:

अंतरराष्ट्रीय बाजार में पिछले महीने डॉलर की मजबूती के कारण सोने के वायदा भाव में कमजोरी आयी।

मई 2014 में डॉलर की कीमत यूरो की तुलना में एक महीने के ऊपरी स्तर पर चली गयी, जब यूरोपियन सेंट्रल बैंक ने अगले महीने अपनी मौद्रिक नीति में ढील देने के संकेत दिये। वहीं एमसीएक्स में भी सोने की कीमत मंद रही, क्योंकि मई के दौरान डॉलर की तुलना में रुपये में मजबूती का रुझान बना रहा।
मई की शुरुआत से ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमत पर दबाव बनने लगा, जब यह खबर आयी कि अमेरिका में अप्रैल के दौरान रोजगार वृद्धि बीते दो वर्षों से अधिक समय में सबसे तेज रही है।
हालाँकि महीने की शुरुआत में ही यह खबर भी आयी कि साल के पहले तीन महीनों (जनवरी-मार्च 2014) के दौरान अमेरिकी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में केवल 0.1% की वृद्धि हुई, जबकि अनुमान 1.2% वृद्धि का था। इस सुस्त विकास दर के बावजूद अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने कहा कि यह बॉण्ड खरीदारी को घटा कर 45 अरब डॉलर प्रति माह पर ले आयेगा।
साथ ही फेडरल रिजर्व ने कहा कि वह इस साल आगे चल कर बॉण्ड खरीद कार्यक्रम समाप्त होने के बाद भी काफी समय तक ब्याज दरों को रिकॉर्ड निचले स्तर पर बनाये रखेगा। इन खबरों से सोने की कीमत को कुछ तात्कालिक सहारा मिला। रूस और यूक्रेन के बीच तनाव की खबरों के चलते भी सोने की कीमत को निचले स्तरों पर सहारा मिला।
सोने की कीमत पर दबाव डालने वाली कुछ अन्य खबरों में फेडरल रिजर्व चेयरपर्सन जेनेट येलेन की यह टिप्पणी रही कि उन्हें पहली तिमाही में धीमेपन के बावजूद इस साल अमेरिकी आर्थिक विकास दर तेज होने की उम्मीद है। येलेन ने यह टिप्पणी अमेरिकी कांग्रेस की संयुक्त आर्थिक समिति के सामने दिये गये अपने बयान में की।
इसके अलावा, अमेरिकी हाउसिंग क्षेत्र ने मार्च में 2.0% वृद्धि के बाद अप्रैल में 13.2% की बढ़ोतरी दर्ज की है। अप्रैल महीने में अमेरिका में नये घरों की बिक्री 6.4% बढ़ कर 433,000 हो गयी। इससे पहले के दो महीनों में नये घरों की बिक्री में गिरावट आयी थी। नये घरों की बिक्री के इन आँकड़ों ने भी सोने की कीमत पर दबाव डाला।
अगर भारत में भौतिक सोने के बाजार पर नजर डालें, तो यहाँ भी कीमत में कमजोरी रही, क्योंकि यहाँ आरबीआई ने सोने के आयात के नियमों में ढील दी। आरबीआई ने सात और निजी एजेंसियों को सोने के आयात की अनुमति दे दी। माना जा रहा है कि इससे देश में सोने की आपूर्ति सुधरेगी और शादी-विवाह के मौसम में चरम पर पहुँचने वाला प्रीमियम घटेगा।
मई महीने के दौरान घरेलू बाजार में सोने में बिकवाली का आलम यह रहा कि इसके चारों हफ्तों में भाव नीचे आये। साप्ताहिक चार्ट पर इसने एक झंडा या फ्लैग जैसी संरचना से नीचे की चाल पकड़ी और २८,०००-२७,७०० रुपये प्रति १० ग्राम के महत्वपूर्ण समर्थन स्तर को तोड़ दिया। इसने निचले शिखर और निचली तलहटी की संरचना बनाते हुए कमजोरी के रुझान की पुष्टि भी कर दी।
आगे चल कर 25,500० रुपये और फिर 24,800 रुपये के स्तरों पर इसके लिए तात्कालिक सहारे होंगे। अगर सोना 24,800 के समर्थन स्तर को भी तोड़ कर इसके नीचे चला जाये तो मध्यम अवधि के लिए यह काफी नकारात्मक संकेत होगा। दूसरी ओर 28,100 रुपये और फिर 29,050 के स्तरों पर इसके लिए मजबूत बाधाएँ हैं, जो सोने के भाव को ऊपर जाने से रोकेंगी।
कॉमेक्स में भी सोने के चार्ट पर एक पीनैंट संरचना टूटी है और भाव इस पीनैंट के नीचे आ गया है। इसका मई महीने का बंद स्तर छोटी अवधि के समर्थन स्तर 1260 डॉलर प्रति औंस के नीचे रहा है। आगे चल कर इसके लिए 1180 डॉलर पर अगला प्रमुख सहारा होगा, जबकि 1300-1310 पर इसके लिए महत्वपूर्ण बाधा होगी। जब तक सोना इस बाधा के नीचे अटका रहे, तब तक बाजार में मंदडिय़े ही हावी रहेंगे।
(निवेश मंथन, जून 2014)

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