Nivesh Manthan
Menu
  • Home
  • About Us
  • ई-पत्रिका
  • Blog
  • Home/
  • 2014/
  • मार्च 2014/
  • बीमा तो है जरूरी, साथ में कर बचत हो पूरी
Follow @niveshmanthan

45,000 करोड़ की ठगी

Details
Category: मई 2014

सुशांत शेखर :

रियल एस्टेट, मीडिया, शिक्षा और होटल जैसे कारोबारों से जुड़े पर्ल समूह पर निवेशकों से 45,000 करोड़ रुपये की ठगी के आरोप लगे हैं।

पिरामिड ढाँचे वाली पोंजी योजना के जरिये हुई इस ठगी को देश में अब तक का सबसे बड़ा पोंजी घोटाला कहा जा रहा है। सीबीआई का आरोप है कि पर्ल समूह की कंपनियों - पर्ल एग्रोटेक कॉर्पोरेशन लिमिटेड (पीएसीएल) और पल्र्स गोल्डेन फॉरेस्ट लिमिटेड (पीजीएफएल) के जरिये करीब पाँच करोड़ निवेशकों को चूना लगाया गया। 

सीबीआई ने 19 फरवरी को पीजीएफएल, पीएसीएल और उनके प्रमोटर निर्मल सिंह भंगू और सुखदेव सिंह के खिलाफ मामला दर्ज किया है। इन सभी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता के तहत धोखाधड़ी (धारा 420) और आपराधिक साजिश (धारा 120 बी) का मामला दर्ज कराया गया है। सीबीआई ने दोनों कंपनियों और इनके प्रमोटरों पर जमीन और अन्य तरीके के निवेश की मल्टी-लेवल मार्केटिंग (एमएलएम) के पिरामिड ढाँचे वाली योजनाएँ चला कर निवेशकों को ठगने का आरोप लगाया है।
सीबीआई पर्ल समूह और इसके प्रमोटरों के 1,000 से ज्यादा बैंक खातों की जाँच कर रही है, ताकि निवेशकों से जुटायी गयी रकम का पता लगाया जा सके। साथ ही एजेंसी ने पर्ल समूह के मुख्य प्रमोटर निर्मल सिंह भंगू का पासपोर्ट जब्त कर लिया है, ताकि उसे विदेश भागने से रोका जा सके। सीबीआई ने निर्मल सिंह भंगू से पूछताछ भी की है।
सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पर्ल समूह की कंपनियों की जाँच शुरू की थी। सीबीआई ने पीजीएफ और पीएसीएल के नयी दिल्ली, चंडीगढ़, मोहाली, रोपर और जयपुर स्थित दफ्तरों में छापेमारी की थी।
सूत्रों का कहना है कि सीबीआई को यह घोटाला इतना बड़ा होने का अंदाजा नहीं था। लेकिन पर्ल समूह की कंपनियों पर छापेमारी के दौरान जब्त कुछ लैपटॉपों से उसे मिली जानकारियों से पता चला कि घोटाला वास्तव में उसके शुरुआती अनुमानों से कई गुना बड़ा है। सीबीआई को भारत और विदेशों में हजारों करोड़ रुपये की बेनामी संपत्तियों के दस्तावेज भी मिले हैं।
कैसे होती थी ठगी
पर्ल समूह की देश भर में 280 शाखाएँ हैं और इसके साथ आठ लाख से ज्यादा एजेंट जुड़े हैं। कंपनी इन एजेंटों को 15-40% कमीशन देती है। बताया जाता है कि कंपनी एजेंटों की नियुक्ति पिरामिड की तरह करती थी, जिसमें एक एजेंट कंपनी से जुडऩे के बाद नये एजेंट बनाता था और उसे अपने बनाये एजेंटों की ओर से लाये हुए निवेश पर भी अलग से कमीशन मिलता था।
कंपनी निवेशकों के लिए कई तरह की योजनाएँ चलाती है। लेकिन पर्ल समूह ने सबसे ज्यादा ठगी अपनी रियल एस्टेट से जुड़ी योजना के जरिये की। कंपनी बंजर जमीन विकसित करके मोटा मुनाफा कमाने का झाँसा देती थी। कंपनी दावा करती थी कि उसके पास हजारों एकड़ जमीन है, जिसे विकसित किया जायेगा। कंपनी निवेशकों को भारत ही नहीं, विदेशों में भी प्लॉट देने का वादा करती थी।
पर्ल समूह निवेशकों को उनकी जमा रकम पर कम-से-कम सालाना 12.5% ब्याज, मुफ्त दुर्घटना बीमा और परिपक्वता पर कर-मुक्त ब्याज का वादा करती थी। निवेशकों को नये सदस्य बनाने पर अलग से पैसे भी मिलते थे। वास्तविकता यह थी कि पर्ल समूह के पास उतनी जमीन नहीं थी, जितने का दावा कंपनी करती थी। कंपनी किसी भी निवेशक को प्लॉट के टाइटिल डीड नहीं देती थी। ऐसे मामले भी सामने आये हैं, जिनमें कंपनी कहती थी कि जमा की रसीदों से उन्हें जमीन का कब्जा मिल जायेगा।
कंपनी के पाँच करोड़ निवेशकों में सबसे ज्यादा 51 लाख तमिलनाडु से हैं। राजस्थान के 45 लाख और हरियाणा के करीब 25 लाख निवेशकों ने पर्ल समूह की योजनाओं में पैसे लगाये हैं। मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, गुजरात, पंजाब, दिल्ली और कर्नाटक में लाखों निवेशकों ने पर्ल समूह में निवेश किया था।
कौन है निर्मल सिंह भंगू :
पंजाब के रोपड़ जिले के अटारी गाँव में दूध बेचने से लेकर ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, यूएई सहित कई देशों में अपना कारोबारी साम्राज्य फैलाने वाले निर्मल सिंह भंगू की कहानी बेहद दिलचस्प है। उनका कारोबार रियल एस्टेट, अस्पताल, शैक्षिक संस्थान, खाद्य उत्पाद, शराब, बीमा, पर्यटन, मनोरंजन, मीडिया, इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसे क्षेत्रों में फैला है। पर्ल समूह एक समाचार चैनल पी7 भी चलाता है।
निर्मल सिंह भंगू ने निवेशकों को भरमाने की कला कोलकाता की एक फाइनेंस कंपनी से सीखी, जिसके वे एजेंट बने थे। लेकिन इसके बाद फिर से बेरोजगार होने पर उन्होंने अपने गाँव में दूध बेचने का कारोबार शुरू किया।
भंगू ने अपनी पहली पहली फाइनेंस कंपनी 1983 में खोली, जिसका नाम पर्ल जनरल फाइनेंस लिमिटेड था। बाद में इस कंपनी का नाम 1988 में बदल कर पल्र्स ग्रीन फॉरेस्ट लिमिटेड (पीजीएफएल) रख दिया गया। निर्मल सिंह भंगू ने 1996 में एक और कंपनी गुरुवंत एग्रोटेक शुरू की, जो मैग्नेटिक तकिये और कई तरह के सौंदर्य उत्पाद बेचती थी। इसी साल पर्ल ग्रुप पर्ल एग्रोटेक कॉर्पोरेशन लिमिटेड (पीएसीएल) बनायी।
पर्ल ग्रुप की निवेश योजनाओं पर सेबी की नजर साल 2000 में ही पड़ गयी थी। सेबी ने निर्मल सिंह भंगू को सामूहिक निवेश योजनाओं से संबंधित नियमों के उल्लंघन के मामले में कारण बताओ नोटिस जारी किया और पीजीएफएल को निवेशकों से जुटायी रकम वापस करने को कहा।
पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने पीजीएफएल को 2004 में अपनी योजनाएँ बंद करके निवेशकों का पैसा वापस लौटाने का आदेश दिया। सूत्रों के मुताबिक पीजीएफ के निवेशकों को पीएसीएल की ओर से जुटायी गयी रकम से भुगतान किया गया। कोर्ट के आदेश के बाद पीजीएफएल को बंद कर दिया गया। लेकिन कंपनी पीएसीएल के नाम पर निवेशकों से लगातार धन जुटाती रही।
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने 2011 में पीएसीएल को भी निवेशकों की रकम वापस करने और कंपनी बंद करने का आदेश दिया। सीबीआई का आरोप है कि कंपनी ने पुराने निवेशकों की रकम की वापसी नये निवेशकों से जुटायी गयी रकम से की और इस तरह आपराधिक मुकदमे से बच गयी।
कहा जाता है कि पंजाब, हरियाणा और दिल्ली के कुछ राजनेताओं से निर्मल सिंह भंगू के करीबी संबंध रहे हैं और इनकी बदौलत ही निर्मल सिंह भंगू तमाम अनियमितताओं के बावजूद जाँच एजेंसियों के शिकंजे से बचता रहा है। देखना दिलचस्प होगा कि सीबीआई की ताजा कार्रवाई का परिणाम क्या निकलता है।
निवेशकों को अब रकम वापसी की उम्मीद कम
पर्ल समूह में निवेश करने वालों को अपनी रकम वापस मिलने की उम्मीद बेहद कम है। दरअसल पर्ल समूह ने विदेशों और खास कर ऑस्ट्रेलिया में भारी निवेश किया है। समूह ने 2009 में ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड में एक होटल शेरटन रिजॉर्ट ऐंड स्पा खरीदा।
पर्ल ग्रुप के चेयरमैन निर्मल सिंह भंगू ने यह होटल 6.2 करोड़ डॉलर में खरीदा था और बाद में इसे सजाने-सँवारने में दो करोड़ डॉलर खर्च किये गये।
इसने एक ऑस्ट्रेलियाई समूह से ब्रिसबेन में अपार्टमेंट बनाने के लिए 30 करोड़ डॉलर का समझौता भी किया है। जाँच एजेंसियाँ विदेशों में पर्ल समूह के निवेश की भी जाँच कर रही हैं। लेकिन इस जाँच में काफी लंबा वक्त लग सकता है।
ऐसे में निवेशकों को अपनी रकम वापस मिलने की उम्मीद काफी कम लग रही है। इससे पहले 2011 में भी जब इस समूह के कामकाज में गड़बडिय़ाँ होने के आरोपों की खबरें आने लगी थीं, तो काफी निवेशकों ने इस समूह से अपने पैसे निकाल लिये थे। लेकिन इस समय समूह के काफी निवेशक निराश जान पड़ते हैं।
(निवेश मंथन, मई 2014)

  • सातवाँ वेतन आयोग कहीं खुशी, कहीं रोष
  • एचडीएफसी लाइफ बनेगी सबसे बड़ी निजी बीमा कंपनी
  • सेंसेक्स साल भर में होगा 33,000 पर
  • सर्वेक्षण की कार्यविधि
  • भारतीय अर्थव्यवस्था ही पहला पैमाना
  • उभरते बाजारों में भारत पहली पसंद
  • विश्व नयी आर्थिक व्यवस्था की ओर
  • मौजूदा स्तरों से ज्यादा गिरावट नहीं
  • जीएसटी पारित कराना सरकार के लिए चुनौती
  • निफ्टी 6000 तक जाने की आशंका
  • बाजार मजबूत, सेंसेक्स 33,000 की ओर
  • ब्याज दरें घटने पर तेज होगा विकास
  • आंतरिक कारक ही ला सकेंगे तेजी
  • गिरावट में करें 2-3 साल के लिए निवेश
  • ब्रेक्सिट से एफपीआई निवेश पर असर संभव
  • अस्थिरताओं के बीच सकारात्मक रुझान
  • भारतीय बाजार काफी मजबूत स्थिति में
  • बीत गया भारतीय बाजार का सबसे बुरा दौर
  • निकट भविष्य में रहेगी अस्थिरता
  • साल भर में सेंसेक्स 30,000 पर
  • निफ्टी का 12 महीने में शिखर 9,400 पर
  • ब्रेक्सिट का असर दो सालों तक पड़ेगा
  • 2016-17 में सुधार आने के स्पष्ट संकेत
  • चुनिंदा क्षेत्रों में तेजी आने की उम्मीद
  • सुधारों पर अमल से आयेगी तेजी
  • तेजी के अगले दौर की तैयारी में बाजार
  • ब्रेक्सिट से भारत बनेगा ज्यादा आकर्षक
  • सावधानी से चुनें क्षेत्र और शेयर
  • छोटी अवधि में बाजार धारणा नकारात्मक
  • निफ्टी 8400 के ऊपर जाने पर तेजी
  • ब्रेक्सिट का तत्काल कोई प्रभाव नहीं
  • निफ्टी अभी 8500-7800 के दायरे में
  • पूँजी मुड़ेगी सोना या यूएस ट्रेजरी की ओर
  • निफ्टी छू सकता है ऐतिहासिक शिखर
  • विकास दर की अच्छी संभावनाओं का लाभ
  • बेहद लंबी अवधि की तेजी का चक्र
  • मुद्रा बाजार की हलचल से चिंता
  • ब्रेक्सिट से भारत को होगा फायदा
  • निफ्टी साल भर में 9,200 के ऊपर
  • घरेलू बाजार आधारित दिग्गजों में करें निवेश
  • गिरावट पर खरीदारी की रणनीति
  • साल भर में 15% बढ़त की उम्मीद
  • भारतीय बाजार का मूल्यांकन ऊँचा
  • सेंसेक्स साल भर में 32,000 की ओर
  • भारतीय बाजार बड़ी तेजी की ओर
  • बाजार सकारात्मक, जारी रहेगा विदेशी निवेश
  • ब्रेक्सिट का परोक्ष असर होगा भारत पर
  • 3-4 साल के नजरिये से जमा करें शेयरों को
  • रुपये में कमजोरी का अल्पकालिक असर
  • साल भर में नया शिखर
7 Empire

अर्थव्यवस्था

  • भारत की विकास दर (जीडीपी वृद्धि दर) : भविष्य के अनुमान
  • भारत की विकास दर (जीडीपी वृद्धि दर) बीती तिमाहियों में
  • भारत की विकास दर (जीडीपी वृद्धि दर) बीते वर्षों में

बाजार के जानकारों से पूछें अपने सवाल

सोशल मीडिया पर

Additionaly, you are welcome to connect with us on the following Social Media sites.

  • Like us on Facebook
  • Follow us on Twitter
  • YouTube Channel
  • Connect on Linkedin

Download Magzine

    Overview
  • 2023
  • 2016
    • July 2016
    • February 2016
  • 2014
    • January

बातचीत

© 2025 Nivesh Manthan

  • About Us
  • Blog
  • Contact Us
Go Top