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रिलायंस : मुनाफा कुछ हल्का, पर जीआरएम में सुधार

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Category: मई 2014

रिलायंस इंडस्ट्रीज ने 2013-14 की चौथी तिमाही में बाजार की औसत उम्मीदों से थोड़े हल्के कारोबारी नतीजे पेश किये हैं।

हालाँकि एंजेल ब्रोकिंग ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि मुख्य व्यवसायों से इसका मुनाफा उम्मीदों के बेहतर रहा, जबकि अन्य आय कम रहने के चलते मुनाफा अनुमानों के अनुरूप रहा। इसका ग्रॉस रिफाइनिंग मार्जिन (जीआरएम) तीसरी तिमाही के 7.6 डॉलर प्रति बैरल से सुधर कर 9.3 डॉलर हो गया।
पेट्रोकेमिकल और रिफाइनिंग में कंपनी का कारोबार सुधरा है, लेकिन तेल-गैस खनन-उत्पादन के व्यवसाय की लाभदायकता फिर से घटी है, क्योंकि केजी डी6 में सालाना आधार पर उत्पादन घटा है। एंजेल ब्रोकिंग का कहना है कि गैस के मूल्य में वृद्धि और जीआरएम में सुधार 2015-16 में कंपनी की आय बढ़ाने वाले मुख्य कारक होंगे।
एचयूएल : तिमाही नतीजों से बाजार हुआ निराश
हिंदुस्तान यूनिलीवर की तिमाही बिक्री में धीमी वृद्धि और कमजोर मार्जिन ने बाजार को निराश किया है। कंपनी के मुनाफे का आँकड़ा विश्लेषकों के अनुमानों से बेहतर रहा, लेकिन इसमें विशेष मद से आय का योगदान शामिल है। इन नतीजों के बाद ज्यादातर विश्लेषकों ने एचयूएल को बेचने की सलाह दी है। 
इसका तिमाही मुनाफा 9.75% बढ़ा, हालाँकि एंजेल ब्रोकिंग ने नतीजों के बाद कहा कि विशेष आय को समायोजित करने पर यह केवल 7% बढ़ कर 832 करोड़ रुपये रहा।
कंपनी की बिक्री की मात्रा में वृद्धि दर पिछली तिमाही के 4% से घट कर चौथी तिमाही में 3% रह गयी। इसका ऑपरेटिंग मार्जिन तीसरी तिमाही के 17% से घट कर 15.2% रह गया। आईसीआईसीआई डायरेक्ट ने नतीजों के बाद इसका लक्ष्य 600 रुपये बताया है और रखे रहने की सलाह दी है।
मोबाइल और डेटा व्यवसायों में सुधार से भारती के अच्छे नतीजे
भारतीय बाजार में मजबूत प्रदर्शन से इसने अपनी तिमाही एबिटा आय में तिमाही-दर-तिमाही 3% और साल-दर-साल 20.6% की वृद्धि दर्ज की। इसका शुद्ध लाभ 89% बढ़ कर 962 करोड़ रुपये का रहा, लेकिन इसमें एकीकरण-लागत और कर-विवाद के कारण 233 करोड़ रुपये का एकमुश्त विशेष घाटा समायोजित करके देखें तो इसके मुनाफे में 135% की उछाल दिखती है।
भारत में इसके मोबाइल कारोबार में साल-दर-साल 9.7% और तिमाही-दर-तिमाही 3.4% बढ़त दर्ज हुई। मोबाइल डेटा से इसकी आय तिमाही-दर-तिमाही 93.4% बढ़ कर 1,900 करोड़ रुपये हो गयी। मोतीलाल ओसवाल सिक्योरिटीज ने इन नतीजों के बाद इसका लक्ष्य भाव 410 रुपये बताते हुए खरीदने की सलाह दी है।
आरकॉम : कमजोर नतीजों के बाद घटे ईपीएस अनुमान
रिलायंस कम्युनिकेशंस के चौथी तिमाही नतीजे पिछली तिमाही से तो बेहतर हैं, लेकिन सालाना आधार पर काफी कमजोर हैं। जहाँ साल-दर-साल इसका तिमाही मुनाफा 48.5% घट गया है, वहीं ठीक पिछली तिमाही की तुलना में इसमें 43.9% वृद्धि दर्ज की गयी है। इसी तरह आमदनी भी सालाना आधार पर 4.8% घटी है, लेकिन तिमाही-दर-तिमाही 5.0% बढ़ी है।
इसका एबिटा मार्जिन तीसरी तिमाही के 34.2% से घट कर इस बार 32.7% रह गया। आईसीआईसीआई डायरेक्ट ने नतीजों के बाद २०१४-१५ के लिए कंपनी के ईपीएस अनुमान को 4.7 रुपये से घटा कर 2.4 रुपये कर दिया है। इसने कंपनी की रेटिंग भी %रखे रहेंÓ से घटा कर %बेचेंÓ कर दी है और इसका लक्ष्य 103 रुपये बताया है।
इन्फोसिस : मार्जिन को लेकर कंपनी की उम्मीदें हल्की
कंपनी ने नतीजों के बाद मीडिया से बातचीत में मार्जिन को लेकर ज्यादा उत्साहजनक बातें नहीं की हैं। खास कर कारोबारी साल 2014-15 की पहली तिमाही में वेतन-वृद्धि के कारण मार्जिन 3% अंक घट जाने की संभावना जतायी गयी है। कंपनी ने खुद जो अनुमान सामने रखा है, उसके मुताबिक 2014-15 में रुपये में उसकी आमदनी में 5.6-7.6% वृद्धि हो सकती है। कंपनी ने 2013-14 में 186.35 रुपये की ईपीएस हासिल की है।
प्रभुदास लीलाधर ने 2014-15 में 205.5 रुपये की ईपीएस का अनुमान रखा है। एंजेल ब्रोकिंग ने इसका ईपीएस 208.1 रुपये रहने का अनुमान जताया है। लेकिन इसने लक्ष्य भाव तय करने के लिए एक साल और आगे 2015-16 के 235.8 रुपये की अनुमानित ईपीएस ली है। इस पर 15.5 पीई के आधार पर 3,640 रुपये का लक्ष्य भाव निकाला गया है।
विप्रो : तिमाही नतीजे बेहतर मगर अनुमानों से निराशा
जनवरी-मार्च 2014 में विप्रो के नतीजे अनुमान से बेहतर रहे, लेकिन भविष्य के अनुमानों को लेकर कंपनी ने विश्लेषकों को मायूस किया। कंपनी की तिमाही आमदनी अनुमानों के मुताबिक रही। इसका मार्जिन 24.5% रहा, जो उम्मीदों से बेहतर था। मगर अप्रैल-जून 2014 की तिमाही के लिए कंपनी के अनुमान बाजार की नजर में ठंडे हैं। कंपनी ने अनुमान जतााय है कि 2014-15 की पहली तिमाही में आईटी सेवाओं से इसकी आय 171.5-175.5 करोड़ डॉलर के दायरे में रहेगी।
प्रभुदास लीलाधर ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ओपेरा सॉल्यूशंस के अधिग्रहण से विप्रो के एनालिटिक्स सेवाओं के कारोबार को अच्छी गति मिलेगी। इसने 680 रुपये के लक्ष्य के साथ विप्रो को खरीदने की सलाह दी है।
टीसीएस : कंपनी को तेज वृद्धि जारी रहने का भरोसा
भारत की सबसे बड़ी आईटी कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) ने चौथी तिमाही में सालाना आधार पर अपनी आमदनी में 31.2% और मुनाफे में 51.5% वृद्धि दर्ज की है। इसका एबिट मार्जिन 29.1% रहा। वहीं 2013-14 की सालाना आमदनी 29.9% बढ़ कर 81,809 करोड़ रुपये हो गयी। इसने नतीजों के बाद दावा किया कि वह 2014-15 में इससे भी बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद कर रही है। इस तरह कंपनी ने आईटी उद्योग के लिए नैसकॉम के अनुमान और प्रमुख प्रतिद्वंद्वी इन्फोसिस की तुलना में तेज चाल बनाये रखने का भरोसा जताया है।
आईसीआईसीआई डायरेक्ट ने इसकी प्रति शेयर आय (ईपीएस) 2014-15 में 111 रुपये और अगले साल 122 रुपये रहने का अनुमान जताया है। इसने 2,450 रुपये के लक्ष्य के साथ इसे खरीदने की सलाह दी है। 
एचसीएल : अच्छे नतीजों से बढ़ा बाजार का हौसला
एचसीएल टेक्नोलॉजीज ने अपनी तीसरी तिमाही (जनवरी-मार्च 2014) के दौरान आमदनी में साल-दर-साल 29.8% और तिमाही-दर-तिमाही 2.0% वृद्धि दर्ज की। इसका मुनाफा साल-दर-साल 59% और तिमाही-दर-तिमाही 8.5% बढ़ा है। इसके एबिट मार्जिन में अच्छा सुधार आया है। यह पिछले साल की समान तिमाही के 19.9% और 2013-14 की दूसरी तिमाही के 23.7% से बढ़ कर बीती तिमाही में 24.7% हो गया।
एंजेल ब्रोकिंग ने इन नतीजों के बाद अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ये नतीजे लगभग हर पैमाने पर उम्मीदों से बेहतर रहे हैं और यह इस बात का संकेत है कि आने वाले वर्ष में भी इसका प्रदर्शन अच्छा रहेगा। इसने 1,560 रुपये के लक्ष्य के साथ यह शेयर जमा करने की सलाह दी है।
आईसीआईसीआई : थोड़ी खट्टी-मीठी रही तिमाही
आईसीआईसीआई बैंक का स्टैंडएलोन तिमाही मुनाफा बाजार विश्लेषकों की उम्मीदों से कुछ कम 2,652 करोड़ रुपये और कंसोलिडेटेड मुनाफा 2724 करोड़ रुपये रहा। स्टैंडएलोन तिमाही मुनाफे में 15.1% वृद्धि दर्ज की गयी। इसकी तिमाही शुद्ध ब्याज आय (एनआईआई) 15% बढ़ कर 4,357 करोड़ रुपये रही। 31 मार्च 2014 को इसका कासा (करंट एकाउंट सेविंग एकाउंट) अनुपात 42.9% का रहा। इसने कासा जमाओं (डिपॉजिट) में सालाना 16% की वृद्धि दर्ज की। चौथी तिमाही में इसका शुद्ध ब्याज मार्जिन 3.35% रहा।
एंजेल ब्रोकिंग ने बैंक के लिए निकट भविष्य के परिदृश्य को चुनौती भरा माना है, लेकिन मध्यम अवधि के लिए इसे अपने पसंदीदा बैंक शेयरों में रखा है और 1,606 रुपये के लक्ष्य के साथ खरीदने की सलाह दी है।
एचडीएफसी बैंक : बढ़त पहले से धीमी, पर अब भी मजबूत
एचडीएफसी बैंक की शुद्ध ब्याज आय या एनआईआई पिछले साल की समान तिमाही की तुलना में जनवरी-मार्च 2014 की तिमाही में 15.3% बढ़ कर 4,952.6 करोड़ रुपये हो गयी। यह शुद्ध आमदनी का 71.2% रही। बीती तिमाही में 20.3% औसतन परिसंपत्ति वृद्धि और 4.4% शुद्ध ब्याज मार्जिन (एनआईएम) का इसमें प्रमुख योगदान रहा।
इस तिमाही के दौरान इसका सकल एनपीए 0.98% और शुद्ध एनपीए 0.3% रहा। एंजेल ब्रोकिंग ने कहा है कि बीते दो वर्षों में एचडीएफसी बैंक में अन्य बैंकों की तरह एनपीए की समस्या नहीं रही है। इसने कहा है कि मुनाफा बढऩे की दर 30% से ज्यादा बढ़त के पुराने प्रदर्शन की तुलना में हल्की पड़ी है, लेकिन इस तिमाही की 23.1% की दर मौजूदा आर्थिक परिवेश में अच्छी है और अब भी अन्य निजी बैंकों से बेहतर है।
यस बैंक : कासा अनुपात और एनपीए में सुधार से बाजार खुश
बीती तिमाही में यस बैंक का मुनाफा जहाँ बाजार की उम्मीदों से बेहतर रहा है, वहीं इसकी शुद्ध ब्याज आय (एनआईआई) 12.8% बढ़ कर 720 करोड़ रुपये हो गयी है। हालाँकि इसका कासा अनुपात पिछली तिमाही से 1.10% अंक सुधर कर 22% पर पहुँच गया है। इसका शुद्ध ब्याज मार्जिन (एनआईएम) पिछली तिमाही से 0.10% अंक बढ़ कर 3.0% हो गया है।
इसका सकल एनपीए पिछली तिमाही के 0.39% से घट कर 0.31% पर आ गया, जबकि शुद्ध एनपीए 0.08% से घट कर 0.05% हो गया। यूबीएस ने संपत्तियों की गुणवत्ता में सुधार के साथ-साथ बचत खातों में वृद्धि को मुख्य सकारात्मक बातों में गिना है और इसे 550 रुपये के लक्ष्य के साथ खरीदने की सलाह दी है।
ऐक्सिस बैंक : बाजार की उम्मीदों से बेहतर प्रदर्शन
चौथी तिमाही में ऐक्सिस बैंक के प्रदर्शन को आम तौर पर बाजार की सराहना मिली है। बैंक की शुद्ध ब्याज आय (एनआईआई) 3,165 करोड़ रुपये रही। इसमें साल-दर-साल 18.8% और पिछली तिमाही से 6.1% वृद्धि दर्ज की गयी। बैंक का शुद्ध ब्याज मार्जिन भी कुछ सुधरा है। यह 2012-13 की चौथी तिमाही के 3.70% और 2013-14 की तीसरी तिमाही के 3.71% की तुलना में इस बार 3.89% रहा।
प्रभुदास लीलाधर ने कहा है कि बैंक ने दो वर्षों में खुदरा ऋण की हिस्सेदारी लगभग 20% से बढ़ा कर 30% कर ली, जिससे औद्योगिक ऋणों में धीमेपन की भरपाई करने में मदद मिली है। मौजूदा भावों पर इसका मूल्यांकन उचित मानते हुए प्रभुदास लीलाधर ने इसे खरीदने की सलाह दी है।
(निवेश मंथन, मई 2014)

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