Nivesh Manthan
Menu
  • Home
  • About Us
  • ई-पत्रिका
  • Blog
  • Home/
  • Niveshmanthan
Follow @niveshmanthan

ट्रैक्टरों की बिक्री में बढ़ोतरी से महिंद्रा ऐंड महिंद्रा के मुनाफे में वृद्धि

Details
Category: दिसंबर 2013

साल-दर-साल के आधार पर कुल बिक्री घटने के बावजूद जुलाई-सितंबर तिमाही में महिंद्रा ऐंड महिंद्रा के मुनाफे में तकरीबन 10% की बढ़ोतरी हुई है।

महिंद्रा ऐंड महिंद्रा के अनुसार, इस तिमाही में कंपनी की बिक्री में कमी की वजह वह चुनौतियों भरा दौर है जिससे अभी भारतीय ऑटो उद्योग गुजर रहा है। कम उत्पादन की वजह से कंपनी के कुल खर्च में कमी आयी और यात्री वाहनों की माँग में कमी का घाटा ट्रैक्टरों की बिक्री में बढ़ोतरी से पूरा हो गया। इस तिमाही के दौरान कंपनी के खर्च में कमी आयी। इसके अन्य आय में 12% की बढ़ोतरी दर्ज की गयी। यही नहीं, महिंद्रा ऐंड महिंद्रा के कर व्यय में भी इस दौरान 18% की कमी आयी। इस तिमाही के दौरान घरेलू बाजार में कंपनी के ट्रैक्टरों की बिक्री में साल-दर-साल 22.3% की बढ़ोतरी दर्ज की गयी। लेकिन यात्री वाहनों की माँग में कमी के अलावा ट्रक कारोबार भी कंपनी के लिए चिंता का विषय बना हुआ है।
माँग में कमी के कारण घटा बीएचईएल का फायदा
माँग में कमी के कारण जुलाई-सितंबर तिमाही में बीएचईएल की शुद्ध बिक्री में साल-दर-साल के आधार पर 15% की कमी दर्ज की गयी। इस तिमाही में इसका शुद्ध लाभ घट कर 456 करोड़ रुपये रह गया। इस तरह यह लगातार पाँचवी तिमाही रही जब देश के सबसे बड़े बिजली उपकरण निर्माता बीएचईएल के शुद्ध लाभ में कमी आयी है। लेकिन इस तिमाही के दौरान भारत हैवी प्लेट एंड वैसल्स लिमिटेड (बीएचपीवी) के बीएचईएल के साथ विलय की वजह से नतीजों की तुलना नहीं की जा सकती। हालाँकि आम तौर पर हर कारोबारी साल की पहली और दूसरी तिमाही में कंपनी के नतीजे कमजोर रहते हैं, जबकि तीसरी तिमाही में सुधार देखा जाता है। बीएचईएल को दूसरी तिमाही में कोई ठेका हासिल नहीं हुआ। जुलाई-सितंबर तिमाही के आखिर में कंपनी का मौजूदा ऑर्डर बुक 1.02 लाख करोड़ रुपये है जो साल-दर-साल के आधार पर 17% और तिमाही-दर-तिमाही 6% कम है।
भारी सब्सिडी बोझ के बावजूद मुनाफे में रहा ओएनजीसी
ईंधन सब्सिडी की रिकॉर्ड अदायगी के बावजूद तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) को जुलाई-सितंबर तिमाही में साल-दर-साल के आधार पर हल्का मुनाफा हुआ है। यदि देश के सबसे बड़े तेल-गैस उत्पादक ने ईंधन सब्सिडी की अदायगी न की होती तो इसका शुद्ध लाभ 7,621 करोड़ रुपये और बढ़ गया होता। कंपनी को जुलाई-सितंबर तिमाही में 13,796 करोड़ रुपये का सब्सिडी बोझ सहना पड़ा था, जबकि अप्रैल-जून तिमाही में यह बोझ 12,622 करोड़ रुपये रहा था।
जुलाई-सितंबर तिमाही में कंपनी की शुद्ध बिक्री साल-दर-साल के आधार पर 12.75% की वृद्धि के साथ 22,312 करोड़ रुपये रही। यदि डॉलर में देखें तो कंपनी की कच्चे तेल से होने वाली प्राप्तियाँ साल-दर-साल 4.1% की दर से कम हो गयीं, लेकिन रुपये में देखने पर इनमें साल-दर-साल 7.9% की वृद्धि हो गयी। इस तिमाही के दौरान कंपनी कातेल उत्पादन और गैस उत्पादन- दोनों ही सपाट रहा।
सब्सिडी के भारी बोझ की वजह से इस दौरान कंपनी की शुद्ध प्राप्तियाँ भी साथ ही कम रहीं। लेकिन इसके बावजूद यदि कंपनी हल्का मुनाफा दर्ज करने कामयाब रही तो यह डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी रहने के कारण के कारण संभव हो सका। कंपनी के एबिटा में इस दौरान साल-दर-साल के आधार पर 16.7% की वृद्धि हुई जो कंपनी की शुद्ध बिक्री में बढ़ोतरी के अनुरूप ही है। मौजूदा कारोबारी साल की शुरुआत में कंपनी के पास 13,000 करोड़ रुपये की नकदी थी, लेकिन यदि इसकी प्राप्तियों में कमी का क्रम यूँ ही बरकरार रहा तो अगले 2-3 सालों में नकदी का यह भंडार समाप्त हो जायेगा।
अधिक एनपीए प्रावधानों से घटा एसबीआई का मुनाफा
देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने बीती जुलाई-सितंबर तिमाही में मिला-जुला प्रदर्शन किया है। इस तिमाही में इसके सकल (ग्रॉस) एनपीए में महज 5% की बढ़ोतरी हुई है। समकक्ष बैंकों के मुकाबले यह प्रदर्शन बेहतर है, लेकिन परिसंपत्तियों की गुणवत्ता के मोर्चे पर बैंक की चिंताएँ जारी रहने के संकेत हैं।
शुद्ध ब्याज मार्जिन (एनआईएम) के मोर्चे पर बेहतरीन प्रदर्शन की वजह से शुद्ध ब्याज आय (एनआईआई) भी विश्लेषकों की उम्मीद से बेहतर रही है। लेकिन अनुमान से अधिक एनपीए प्रावधानों और कामकाजी खर्च की वजह से बैंक के मुनाफे में साल-दर-साल 35% की कमी दर्ज की गयी है। जुलाई-सितंबर 2012 के 3,696 करोड़ रुपये के मुकाबले इस तिमाही में इसने एनपीए के लिए 3,937 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है।
घरेलू बाजार में हिस्सेदारी बढ़ाने में सफल रही टाटा स्टील
जुलाई-सितंबर तिमाही में टाटा स्टील के नतीजे पिछले साल की समान तिमाही के मुकाबले बेहतरीन रहे हैं। टाटा स्टील को पिछले साल की दूसरी तिमाही में घाटा उठाना पड़ा था, जबकि इस साल कंपनी ने शानदार मुनाफा हासिल किया है। इस दौरान कंपनी ने कीमतों में बढ़ोतरी की और घरेलू बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने में कामयाब रही। इस तरह कंपनी की कुल आय में साल-दर-साल अच्छी बढ़ोतरी दर्ज की गयी। हालाँकि कुल आय बढऩे के साथ-साथ कंपनी की कुल लागत में भी साल-दर-साल के आधार पर वृद्धि हुई। कच्चे माल के अधिक इस्तेमाल और माल-भाड़े में बढ़ोतरी की वजह से कंपनी की लागत बढ़ी है। यदि तिमाही-दर-तिमाही देखें तो कंपनी का आय तो बढ़ी है, लेकिन कंपनी के मुनाफे में 19% की कमी आयी है। टाटा स्टील के यूरोप के कारोबार में सुधार के संकेत दिख रहे हैं।
एल्युमिनियम की कम कीमतों के कारण घटा हिंडाल्को इंडस्ट्रीज का लाभ
जुलाई-सितंबर तिमाही में हिंडाल्को इंडस्ट्रीज की आमदनी में साल-दर-साल के आधार पर हल्की बढ़ोतरी दर्ज की गयी। लंदन मेटल एक्सचेंज (एलएमई) पर एल्युमिनियम की कम कीमत के लंबे समय से चल रहे दौर की वजह से वैश्विक स्तर पर एल्युमिनियम उद्योग के उत्पादन स्तरों और मार्जिन पर असर पड़ा है। एल्युमिनियम की कम कीमतों और फाइनेंसिंग की ऊँची लागत की वजह से आदित्य बिड़ला समूह की इस कंपनी के मुनाफे में साल-दर-साल के आधार पर हल्की कमी आयी है। जुलाई-सितंबर तिमाही में एल्युमिनियम की औसत कीमतें साल-दर-साल के आधार पर 7% और तिमाही-दर-तिमाही के आधार पर 3% घट गयीं। बीती तिमाही में एल्युमिनियम की कीमतें पिछले चार सालों में सबसे कम रहीं। लेकिन कंपनी के कामकाजी प्रदर्शन में साल-दर-साल और तिमाही-दर-तिमाही सुधार देखा गया। उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों से औसत प्राप्तियों के बढऩे की वजह से कंपनी के एबिटा मार्जिन में बेहतरी देखी गयी।
टाटा मोटर्स के लिए फायदेमंद जेएलआर की शानदार सवारी
जगुआर लैंड रोवर (जेएलआर) के उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन की वजह से जुलाई-सितंबर तिमाही में टाटा मोटर्स का मुनाफा साल-दर-साल 71% उछल गया। घरेलू मोर्चे पर कंपनी के निराशाजनक प्रदर्शन के बावजूद ऐसा हुआ है। घरेलू मोर्चे पर टाटा मोटर्स को इस तिमाही में 804 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा उठाना पड़ा है। घरेलू मोर्चे पर कंपनी की बिक्री में लगातार छठी तिमाही में गिरावट देखी गयी। थोक बाजार में वॉल्युम में बढ़ोतरी और बेहतरीन प्रॉडक्ट मिक्स के कारण जेएलआर ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है, लेकिन यदि इसे मिले इनसेंटिव को हटा दें तो इसके एबिटा में तिमाही-दर-तिमाही कोई सुधार नहीं हुआ है।
टैरो की वजह से सन फार्मा का शानदार प्रदर्शन
इजराइल स्थित इकाई टैरो फार्मास्युटिकल्स के बेहतरीन प्रदर्शन और अमेरिकी बाजार के शानदार बिक्री आँकड़ों की वजह से जुलाई-सितंबर तिमाही में सन फार्मास्युटिकल्स इंडस्ट्रीज का शुद्ध लाभ चार गुना बढ़ते हुए 1362 करोड़ रुपये हो गया। पिछले साल की इसी अवधि में कंपनी का शुद्ध लाभ 319.6 करोड़ रुपये रहा था। बीती तिमाही के दौरान टैरो फार्मा का शुद्ध मुनाफा साल-दर-साल 45.7% बढ़ कर 9.63 करोड़ डॉलर रहा था। इसके अतिरिक्त दो उत्पादों के वितरण पर एकाधिकार (मार्केट एक्सक्लूसिविटी) की वजह से अमेरिकी बाजार में कंपनी की बिक्री दोगुने से अधिक हो गयी। यही नहीं, प्राइसिंग से संबंधित अनिश्चितताओं और अधिक मार्जिन की माँग को लेकर वितरकों की हड़ताल के बावजूद कंपनी की घरेलू बिक्री में 17% का इजाफा हुआ और यह 949 करोड़ रुपये हो गयी। सन फार्मास्युटिकल्स ने कारोबारी साल 2013-14 के दौरान आमदनी में संभावित वृद्धि के अनुमान को भी बढ़ा दिया है। पहले घोषित 18-20% वृद्धि के अनुमान को बढ़ा कर 25% कर दिया गया है।
मेडप्रो का कमतर मार्जिन पड़ा सिप्ला पर भारी
सामानों की खपत और ब्याज पर खर्च बढऩे व अपनी इकाई सिप्ला मेडप्रो के कमतर मार्जिन की वजह से जुलाई-सितंबर तिमाही में सिप्ला का कंसोलिडेटेड शुद्ध लाभ घट कर 358 करोड़ रुपये रह गया। हालाँकि सिप्ला मेडप्रो और इसकी इकाइयों के नतीजे भी इसमें शामिल होने के कारण परिणामों की तुलना संभव नहीं है, लेकिन पिछले साल की इसी अवधि में कंपनी को 488 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हुआ था। सिप्ला मेडप्रो और इसकी इकाइयों की बिक्री जोड़ते हुए कंपनी की कंसोलिडेडट बिक्री में साल-दर-साल 14% की तेजी आयी है। एंटी-अस्थमा, यूरोलॉजी और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज थेरेपी जैसे सेगमेंट में वृद्धि के कारण कंपनी की घरेलू बाजार से आमदनी साल-दर-साल 11.6% की दर से बढ़ी है। लेकिन मुख्यत: अधिग्रहण से संबंधित खर्चों की वजह से कंपनी की कुल लागत में इस तिमाही के दौरान वृद्धि हुई है।
ईंधन की लागत में कमी ने टाटा पावर को उबारा
जुलाई-सितंबर तिमाही के दौरान टाटा पावर को 74.9 करोड़ रुपये का लाभ हुआ, जबकि पिछले साल इसी अवधि में इसे 83.8 करोड़ रुपये का घाटा उठाना पड़ा था। पिछले साल की दूसरी तिमाही में मुंद्रा-स्थित परियोजना में घाटे की वजह से इसे 250 करोड़ रुपये के इम्पेयरमेंट चार्ज देने पड़े थे। इस बार ईंधन की लागत में कमी की वजह से इसे शुद्ध लाभ हुआ है। उत्पादन और वितरण दोनों ही सेगमेंट में इसका प्रदर्शन बेहतर रहा है। लेकिन कोयले के कारोबार में विदेशी मुद्रा विनिमय के मोर्चे पर इसे 250 करोड़ रुपये का घाटा सहना पड़ा है। मुंद्रा-स्थित संयंत्र में उत्पादित बिजली पर भी इसे प्रति इकाई लगभग 60 पैसे का नुकसान हो रहा है।
प्राप्तियों में कमी के कारण घटा कोल इंडिया का मुनाफा
उत्पादन की अधिक लागत, माल-भाड़े में बढ़ोतरी और कोयले की ई-नीलामी से प्राप्तियों में कमी के कारण इस तिमाही में कोल इंडिया का मुनाफा घट गया। दूसरी तिमाही के दौरान कंपनी के कोयला उत्पादन में 9.6% और कोयला उठान में 7.3% की वृद्धि दर्ज की गयी। यदि अन्य आय के मद में बढ़ोतरी न हुई होती और कर के मोर्चे पर कमी न आयी होती तो कंपनी के मुनाफे पर अधिक असर पड़ सकता था।
निर्माण डिवीजन ने जेपी एसोसिएट्स को उबारा
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज के अनुसार जेपी एसोसिएट्स के नतीजे अपने निर्माण (कंस्ट्रक्शन) डिवीजन के बेहतर प्रदर्शन की वजह से अनुमान से बेहतर रहे। मुख्यत: खुद की परियोजनाओं के योगदान की वजह से कंपनी के निर्माण डिवीजन की आमदनी साल-दर-साल 12.6% बढ़ कर 1452.8 करोड़ रुपये हो गयी। इस दौरान कंपनी का एबिटा मार्जिन 29.3% रहा। ब्रोकिंग फर्म का मानना है कि सीमेंट कारोबार के हिस्से की अल्ट्राटेक को बिक्री और बिजली संयंत्रों में हिस्सेदारी की संभावित बिक्री की वजह से निवेशकों को कंपनी के भारी कर्ज से संबंधित चिन्ताओं से राहत मिलेगी।
हिंदुस्तान जिंक को मिला कमजोर रुपये का लाभ
बिक्री की बढ़ी मात्रा, धातु पर बेहतर प्रीमियम और रुपये की कमजोरी की वजह से जुलाई-सितंबर तिमाही में हिन्दुस्तान जिंक का कामकाजी प्रदर्शन बेहतरीन रहा। कंपनी के एबिटा मार्जिन में तिमाही-दर-तिमाही 255 अंक और साल-दर-साल 256 अंक की बढ़ोतरी हुई और यह 52.9% रहा। हालाँकि, अन्य आय में कमी और एकमुश्त वीआरएस व्यय की वजह से कंपनी के कर-पश्चात-लाभ में कमी आ गयी। लेकिन इसके बावजूद इसके मजबूत बैलेंस शीट, नकदी के बेहतरीन प्रवाह और नकदी की अच्छी स्थिति की वजह से कंपनी के प्रति आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज का नजरिया सकारात्मक है।
मजबूत भविष्य के संकेत दे रहा पावर ग्रिड कॉरपोरेशन
कारोबारी साल 2013-14 की दूसरी तिमाही में पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (पीजीसीआईएल) का मुनाफा 10% की वृद्धि के साथ 1239 करोड़ रुपये रहा।
बीते वर्ष की समान अवधि में यह 1126 करोड़ रुपये रहा था। जुलाई-सितंबर 2013 तिमाही में कंपनी की कुल आय 26.5% बढ़ कर 4104 करोड़ रुपये हो गयी, जो पिछले साल की इसी तिमाही में 3243 करोड़ रुपये थी। कारोबारी साल 2013-14 की पहली छमाही में पावर ग्रिड कॉरपोरेशन का पूँजीकरण (कैपिटलाइजेशन) 49 अरब रुपये (एईआरवी के मद में 16 अरब रुपये समायोजित करने के बाद) रहा। कंपनी का कारोबारी मॉडल परिसंपत्ति-केंद्रित है और अपनी वृद्धि दर को बरकरार रखने के लिए यह जरूरी है कि कंपनी अपने कारोबार में लगातार निवेश करती रहे।
विद्युत उत्पादन उद्योग की जरूरतों को पूरा करने के लिए पिछले सालों के दौरान कंपनी के पूँजीगत व्यय की जरूरतें तीव्र दर से बढ़ी हैं। कंपनी के प्रबंधन ने मौजूदा कारोबारी साल के लिए 210-220 अरब रुपये के पूँजीगत व्यय का अनुमान रखा है।
एमके ग्लोबल का मानना है कि कंपनी यह लक्ष्य हासिल कर सकती है क्योंकि इस साल अब तक 110 अरब रुपये का पूँजीगत व्यय किया जा चुका है। आरओई के प्रति जोखिम कमतर है और भविष्य में कंपनी में वृद्धि की मजबूत संभावनाएँ दिख रही हैं।
(निवेश मंथन, दिसंबर 2013)

  • सातवाँ वेतन आयोग कहीं खुशी, कहीं रोष
  • एचडीएफसी लाइफ बनेगी सबसे बड़ी निजी बीमा कंपनी
  • सेंसेक्स साल भर में होगा 33,000 पर
  • सर्वेक्षण की कार्यविधि
  • भारतीय अर्थव्यवस्था ही पहला पैमाना
  • उभरते बाजारों में भारत पहली पसंद
  • विश्व नयी आर्थिक व्यवस्था की ओर
  • मौजूदा स्तरों से ज्यादा गिरावट नहीं
  • जीएसटी पारित कराना सरकार के लिए चुनौती
  • निफ्टी 6000 तक जाने की आशंका
  • बाजार मजबूत, सेंसेक्स 33,000 की ओर
  • ब्याज दरें घटने पर तेज होगा विकास
  • आंतरिक कारक ही ला सकेंगे तेजी
  • गिरावट में करें 2-3 साल के लिए निवेश
  • ब्रेक्सिट से एफपीआई निवेश पर असर संभव
  • अस्थिरताओं के बीच सकारात्मक रुझान
  • भारतीय बाजार काफी मजबूत स्थिति में
  • बीत गया भारतीय बाजार का सबसे बुरा दौर
  • निकट भविष्य में रहेगी अस्थिरता
  • साल भर में सेंसेक्स 30,000 पर
  • निफ्टी का 12 महीने में शिखर 9,400 पर
  • ब्रेक्सिट का असर दो सालों तक पड़ेगा
  • 2016-17 में सुधार आने के स्पष्ट संकेत
  • चुनिंदा क्षेत्रों में तेजी आने की उम्मीद
  • सुधारों पर अमल से आयेगी तेजी
  • तेजी के अगले दौर की तैयारी में बाजार
  • ब्रेक्सिट से भारत बनेगा ज्यादा आकर्षक
  • सावधानी से चुनें क्षेत्र और शेयर
  • छोटी अवधि में बाजार धारणा नकारात्मक
  • निफ्टी 8400 के ऊपर जाने पर तेजी
  • ब्रेक्सिट का तत्काल कोई प्रभाव नहीं
  • निफ्टी अभी 8500-7800 के दायरे में
  • पूँजी मुड़ेगी सोना या यूएस ट्रेजरी की ओर
  • निफ्टी छू सकता है ऐतिहासिक शिखर
  • विकास दर की अच्छी संभावनाओं का लाभ
  • बेहद लंबी अवधि की तेजी का चक्र
  • मुद्रा बाजार की हलचल से चिंता
  • ब्रेक्सिट से भारत को होगा फायदा
  • निफ्टी साल भर में 9,200 के ऊपर
  • घरेलू बाजार आधारित दिग्गजों में करें निवेश
  • गिरावट पर खरीदारी की रणनीति
  • साल भर में 15% बढ़त की उम्मीद
  • भारतीय बाजार का मूल्यांकन ऊँचा
  • सेंसेक्स साल भर में 32,000 की ओर
  • भारतीय बाजार बड़ी तेजी की ओर
  • बाजार सकारात्मक, जारी रहेगा विदेशी निवेश
  • ब्रेक्सिट का परोक्ष असर होगा भारत पर
  • 3-4 साल के नजरिये से जमा करें शेयरों को
  • रुपये में कमजोरी का अल्पकालिक असर
  • साल भर में नया शिखर
7 Empire

अर्थव्यवस्था

  • भारत की विकास दर (जीडीपी वृद्धि दर) : भविष्य के अनुमान
  • भारत की विकास दर (जीडीपी वृद्धि दर) बीती तिमाहियों में
  • भारत की विकास दर (जीडीपी वृद्धि दर) बीते वर्षों में

बाजार के जानकारों से पूछें अपने सवाल

सोशल मीडिया पर

Additionaly, you are welcome to connect with us on the following Social Media sites.

  • Like us on Facebook
  • Follow us on Twitter
  • YouTube Channel
  • Connect on Linkedin

Download Magzine

    Overview
  • 2023
  • 2016
    • July 2016
    • February 2016
  • 2014
    • January

बातचीत

© 2025 Nivesh Manthan

  • About Us
  • Blog
  • Contact Us
Go Top