रितेश कुमार सिंह, अर्थशास्त्री, रेमंड समूह :
डॉ. रघुराम राजन बैंकिंग क्षेत्र से जुड़े जाने-माने अर्थशास्त्री हैं।
उनसे उम्मीद है कि वे महँगाई घटाने, रुपये की कमजोरी पर नियंत्रण पाने और विकास दर को सहारा देने वाले कदम उठायेंगे। उन्होंने करेंसी स्वैप यानी मुद्रा की अदला-बदली का जो कदम उठाया है, वह रुपये को सँभालने के लिए अच्छा कदम है। नये बैंकिंग लाइसेंस की प्रक्रिया को तेज करने से भारतीय अर्थव्यवस्था को मदद मिलेगी।
लेकिन यह याद रखना चाहिए कि आरबीआई सरकार की प्रशासनिक कमियों और आपूर्ति के मोर्चे पर आ रही बाधाओं के संदर्भ में कुछ नहीं कर सकता है। इसके अलावा, उनके सामने कई विरोधाभासी लक्ष्य भी हैं। मिसाल के तौर पर, विकास दर को वापस 6-7% पर लाने के लिए ब्याज दरों में कटौती करने की जरूरत होगी, लेकिन रुपये को बचाने और महँगाई पर काबू पाने के लिए ब्याज दरों को बढ़ाने की जरूरत होगी।
इसलिए हमें नये गवर्नर से कम-से-कम अगली दो-तीन तिमाहियों तक बहुत ऊँची उम्मीदें नहीं रखनी चाहिए। हालाँकि उनके सुधारवादी झुकाव को देखते हुए यह जरूर कहा जा सकता है कि वे मध्यम से लंबी अवधि में वित्तीय क्षेत्र के लिए अच्छे कदम उठायेंगे।
(निवेश मंथन, सितंबर 2013)