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सुरक्षा के लिए अभी बेहतर है ऋण बाजार

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Category: सितंबर 2013

पंकज पांडेय, रिसर्च प्रमुख, आईसीआईसीआई डायरेक्ट :

निवेशकों को यह ध्यान रखना चाहिए कि इक्विटी यानी शेयर और ऋण (डेट) में निवेश की तुलना ठीक नहीं है।

किस निवेशक के लिए दोनों में से किसमें कितना निवेश बेहतर रहेगा, यह उस व्यक्ति की जोखिम लेने की क्षमता पर निर्भर करता है। शेयरों में निवेश करना ज्यादा जोखिम भरा है, लेकिन यह कहीं ज्यादा लाभ हासिल कर महँगाई को पछाडऩे का अवसर भी देता है। वहीं ऋण में निवेश करना सुरक्षित है और इसमें एक स्थिर लाभ मिलता है। बाजार के मौजूदा परिदृश्य में ऋण में निवेश पर यील्ड (लाभ की दर) अपने सर्वोच्च स्तरों के पास है, जबकि शेयर बाजार में ज्यादा उत्साह नहीं लग रहा है। इसलिए समझदारी भरी रणनीति यही होगी कि अपने नये निवेश का ज्यादा हिस्सा ऋण में लगायें।
बीते दो सालों में सेंसेक्स की प्रति शेयर आय (ईपीएस) 6-7% बढऩे के बाद इस साल भी इसकी वृद्धि दर मध्य इकाई अंक में ही रहने की संभावना है। वैश्विक के साथ-साथ घरेलू बाजार में भी नकदी (लिक्विडिटी) में कमी के मद्देनजर शेयरों को मिलने वाले मूल्यांकन (पीई) में वृद्धि की संभावना नहीं लगती है। लिहाजा निकट भविष्य में शेयर बाजार से उम्मीदें हल्की ही हैं। हालाँकि निवेशकों को बुनियादी रूप से मजबूत व्यवसाय वाली कंपनियों के शेयरों को आकर्षक मूल्यांकन पर खरीद कर लंबी अवधि का इक्विटी पोर्टफोलिओ बनाना चाहिए।
जो निवेशक इस समय जोखिम से एकदम बचना चाहते हैं, उनके लिए एफएमपी दरअसल ऋण म्यूचुअल फंडों की ऐसी श्रेणी है, जो लगभग न के बराबर उतार-चढ़ाव के साथ पूँजी की सुरक्षा भी प्रदान करती है। निवेश के अन्य ऐसे विकल्पों में अच्छी गुणवत्ता के कॉर्पोरेट एफडी और करमुक्त बांडों को लिया जा सकता है।
एफएमपी में निवेश का फैसला इस बात पर निर्भर होना चाहिए कि निवेश की समयावधि क्या है। आम तौर पर विभिन्न एएमसी के एफएमपी में ज्यादा अंतर नहीं होता। उनमें आवेदन की अवधि कब से कब तक है, इसी बात पर निवेश का फैसला ज्यादा निर्भर करता है।
(निवेश मंथन, सितंबर 2013)

  • सातवाँ वेतन आयोग कहीं खुशी, कहीं रोष
  • एचडीएफसी लाइफ बनेगी सबसे बड़ी निजी बीमा कंपनी
  • सेंसेक्स साल भर में होगा 33,000 पर
  • सर्वेक्षण की कार्यविधि
  • भारतीय अर्थव्यवस्था ही पहला पैमाना
  • उभरते बाजारों में भारत पहली पसंद
  • विश्व नयी आर्थिक व्यवस्था की ओर
  • मौजूदा स्तरों से ज्यादा गिरावट नहीं
  • जीएसटी पारित कराना सरकार के लिए चुनौती
  • निफ्टी 6000 तक जाने की आशंका
  • बाजार मजबूत, सेंसेक्स 33,000 की ओर
  • ब्याज दरें घटने पर तेज होगा विकास
  • आंतरिक कारक ही ला सकेंगे तेजी
  • गिरावट में करें 2-3 साल के लिए निवेश
  • ब्रेक्सिट से एफपीआई निवेश पर असर संभव
  • अस्थिरताओं के बीच सकारात्मक रुझान
  • भारतीय बाजार काफी मजबूत स्थिति में
  • बीत गया भारतीय बाजार का सबसे बुरा दौर
  • निकट भविष्य में रहेगी अस्थिरता
  • साल भर में सेंसेक्स 30,000 पर
  • निफ्टी का 12 महीने में शिखर 9,400 पर
  • ब्रेक्सिट का असर दो सालों तक पड़ेगा
  • 2016-17 में सुधार आने के स्पष्ट संकेत
  • चुनिंदा क्षेत्रों में तेजी आने की उम्मीद
  • सुधारों पर अमल से आयेगी तेजी
  • तेजी के अगले दौर की तैयारी में बाजार
  • ब्रेक्सिट से भारत बनेगा ज्यादा आकर्षक
  • सावधानी से चुनें क्षेत्र और शेयर
  • छोटी अवधि में बाजार धारणा नकारात्मक
  • निफ्टी 8400 के ऊपर जाने पर तेजी
  • ब्रेक्सिट का तत्काल कोई प्रभाव नहीं
  • निफ्टी अभी 8500-7800 के दायरे में
  • पूँजी मुड़ेगी सोना या यूएस ट्रेजरी की ओर
  • निफ्टी छू सकता है ऐतिहासिक शिखर
  • विकास दर की अच्छी संभावनाओं का लाभ
  • बेहद लंबी अवधि की तेजी का चक्र
  • मुद्रा बाजार की हलचल से चिंता
  • ब्रेक्सिट से भारत को होगा फायदा
  • निफ्टी साल भर में 9,200 के ऊपर
  • घरेलू बाजार आधारित दिग्गजों में करें निवेश
  • गिरावट पर खरीदारी की रणनीति
  • साल भर में 15% बढ़त की उम्मीद
  • भारतीय बाजार का मूल्यांकन ऊँचा
  • सेंसेक्स साल भर में 32,000 की ओर
  • भारतीय बाजार बड़ी तेजी की ओर
  • बाजार सकारात्मक, जारी रहेगा विदेशी निवेश
  • ब्रेक्सिट का परोक्ष असर होगा भारत पर
  • 3-4 साल के नजरिये से जमा करें शेयरों को
  • रुपये में कमजोरी का अल्पकालिक असर
  • साल भर में नया शिखर
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