इससे पहले शायद ही किसी आरबीआई गवर्नर को ‘रॉकस्टार’ कहा गया हो।
लेकिन न केवल अखबारों की सुर्खियों में रघुराम राजन की तुलना जेम्स बॉण्ड और रॉकस्टार से की गयी, बल्कि बाजार ने भी उनके स्वागत में कुछ ऐसा ही उत्साह दिखाया। उनके पद सँभालते ही डॉलर के मुकाबले रुपये की कमजोरी थमती दिखी। एक डॉलर की कीमत 28 अगस्त 2013 को 68.80 रुपये के रिकॉर्ड स्तर पर चली गयी थी। चार सितंबर को बतौर आरबीआई गवर्नर राजन के पहले वक्तव्य से पैदा जोश ने रुपये ने वापस सँभलना शुरू किया और शुक्रवार छह सितंबर तक ही डॉलर की कीमत 65 के करीब आ गयी। केवल तीन दिनों में रुपया डॉलर के मुकाबले 5% से ज्यादा सँभल गया।
इस स्वागत से स्पष्ट है कि बाजार और उद्योग जगत ने नये गवर्नर पर उम्मीदों का भारी बोझ डाल दिया है। उनसे एक बड़ी उम्मीद यह की जा रही है कि वे ब्याज दरों में कमी करेंगे और साथ ही नकदी (लिक्विडिटी) बढ़ाने वाले कदम उठायेंगे। इसके लिए सीआरआर और एसएलआर में कमी के सुझाव सामने आ रहे हैं। उद्योग संगठन फिक्की ने कॉर्पोरेट बॉण्ड बाजार को मजबूत करने वाले कदम उठाने की भी माँग की है।
लेकिन कई अर्थशास्ञी मानते हैं कि शायद रघुराम दरें घटाने में जल्दबाजी न दिखायें। उन्होंने अपने प्रथम वक्तव्य में सचेत भी किया है कि आने वाले दिनों में उनके कुछ कदम अलोकप्रिय भी हो सकते हैं।
(निवेश मंथन, सितंबर 2013)