वित्त वर्ष 2012-13 में जीडीपी विकास दर एक दशक के निचले स्तर 5% तक फिसल जाने के बाद बाजार और विश्लेषकों की नजरें अप्रैल-जून तिमाही में कंपनियों के नतीजों पर टिकी थीं।
माँग में सुस्ती, कर्ज मिलने में मुश्किल, ऊँची लागत जैसे नकारात्मक पहलुओं के बीच भारतीय कंपनियों का प्रदर्शन उतना बुरा नहीं रहा है, जितनी आशंका थी। एक अगस्त तक कुल 887 कंपनियों ने अप्रैल-जून तिमाही के लिए नतीजों का ऐलान किया है। कुल मिला कर कंपनियों का मुनाफा 12.62% बढ़ा है। वहीं बिक्री में 5.75% की बढ़ोतरी दर्ज की गयी है। साफ है कि कंपनियों की बिक्री बढऩे की रफ्तार भले ही सुस्त पड़ रही हो, लेकिन कंपनियाँ अपने मुनाफे की दर दोहरे अंकों में कायम रखने में कामयाब रही हैं।
सूचना प्रौद्योगिकी : बरकरार है चमक
डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी का सबसे ज्यादा फायदा इसी क्षेत्र को मिलने की उम्मीद थी, और इस क्षेत्र के नतीजों ने निराश नहीं किया है। आईटी क्षेत्र की चारों बड़ी कंपनियों - टीसीएस, इन्फोसिस, विप्रो और एचसीएल के नतीजे अनुमान से कहीं बेहतर ही रहे हैं।
पिछली कई तिमाहियों से बाजार को निराश कर रहे इन्फोसिस ने बाजार को अपने नतीजों से चौंका दिया। तिमाही आधार पर कंपनी का मुनाफा 1% बढ़ कर 2,374 करोड़ रुपये हो गया। लेकिन कंपनी ने डॉलर में अपनी कमाई का अनुमान बरकरार रखा है। खास कर अमेरिकी बाजार से माँग में सुधार दिख रहा है। टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) के नतीजे भी उम्मीद से बेहतर रहे। जून तिमाही में कंपनी का मुनाफा तिमाही-दर-तिमाही करीब 6% फीसदी बढ़ कर 3,831 करोड़ रुपये हो गया।
विप्रो का तिमाही आधार पर मुनाफा 6% से ज्यादा घट कर 1,623 करोड़ रुपये रह गया। हालाँकि कंपनी की आय 1.2% बढ़ कर 9,733 करोड़ रुपये हो गयी। दूसरी ओर एचसीएल टेक्नोलॉजीज का तिमाही आधार पर मुनाफा करीब 74% बढ़ कर 1447 करोड़ रुपये पर गया है।
बैंकिंग: डूबे कर्जों ने बढ़ायी मुश्किलें
भारतीय अर्थव्यवस्था की खराब होती सेहत का असर बैंकिंग क्षेत्र के नतीजों पर दिख रहा है। भारतीय बैंकों का मुनाफा तो बढ़ रहा है, लेकिन साथ ही उनके डूबे कर्ज (एनपीए) की मात्रा भी बढ़ रही है। इसके चलते आने वाली तिमाहियों में बैंकों के मुनाफे पर दबाव दिख सकता है।
जून तिमाही में निजी क्षेत्र में देश के सबसे बड़े बैंक आईसीआईसीआई बैंक का मुनाफा 25% से ज्यादा बढ़ कर 2,274 करोड़ रुपये हो गया। हालांकि बैंक का शुद्ध एनपीए 0.71% से बढ़ कर 0.82% हो गया। इसी तरह ऐक्सिस बैंक का मुनाफा भी 22.5% बढ़ कर 1404 करोड़ रुपये हो गया, लेकिन बैंक के डूबे कर्ज (एनपीए) में बढ़ोतरी दिखी है। इस दौरान बैंक का शुद्ध एनपीए 1.62% से बढ़ कर 1.73% हो गया।
सरकारी बैंकों का हाल तो और ज्यादा बुरा है। पंजाब नेशनल बैंक का मुनाफा सिर्फ 2.38% बढ़ कर 1,275 करोड़ रुपये पर पहुँच सका, मगर इसका एनपीए 1.68% से कर 2.98%, यानी करीब दोगुना हो गया। बैंक ने डूबे कर्जों के लिए प्रावधान (प्रोविजनिंग) 3.29% बढ़ा कर 1,066 करोड़ रुपये कर दिया। बैंक ऑफ बड़ौदा का मुनाफा महज 2.6% बढ़ कर 1,168 करोड़ रुपये रहा, लेकिन एनपीए 0.65% से करीब तिगुना होकर 1.69% पर पहुँच गया।
एफएमसीजी : कारोबार पर दबाव
पारंपरिक तौर पर रक्षात्मक माने जाने वाले एफएमसीजी क्षेत्र की हालत बहुत अच्छी नहीं है। कंपनियों की लागत बढ़ रही है और बिक्री बढऩे की रफ्तार भी सुस्त पड़ती दिख रही है।
जून तिमाही में हिंदुस्तान लीवर का मुनाफा 23% घट कर 1,020 करोड़ रुपये रह गया। इसकी बिक्री में बढ़ोतरी पिछली तिमाही के 6% से घट कर 4% रह गयी। वहीं आईटीसी का मुनाफा तो 18% बढ़ कर 1020 करोड़ रुपये हो गया, लेकिन कंपनी की बिक्री में बढ़ोतरी अनुमानों से कम रही। गोदरेज कंज्यूमर का मुनाफा 16.46% बढ़ कर 107 करोड़ रुपये रहा, लेकिन कंपनी के खर्चे 19% बढ़ कर 798 करोड़ रुपये हो गये।
टेलीकॉम : सुधरती दिख रही है सेहत
नीतिगत मुश्किलों और घटती कमाई से जूझते दूरसंचार (टेलीकॉम) क्षेत्र के लिए जून तिमाही थोड़ी सकारात्मक रही है। पिछली तिमाही के दौरान कंपनियों ने कॉल और डेटा दरों में बढ़ोतरी की थी, जिसका असर उनके नतीजों पर दिख रहा है।
जून तिमाही में भारती एयरटेल का मुनाफा करीब 10% गिर कर 689 करोड़ रुपये रह गया। हालाँकि कंपनी की प्रति ग्राहक कमाई में बढ़ोतरी हो रही है। वहीं आइडिया सेलुलर का मुनाफा 144% बढ़ कर 483 करोड़ रुपये हो गया। लेकिन महँगे कर्ज की वजह से रिलायंस कम्युनिकेशंस का मुनाफा 33% गिर कर 108 करोड़ रुपये रह गया।
अगली तिमाही को लेकर अंदेशे बढ़े
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के बिजनेस हेड (पीबीडब्लूएम) विनोद शर्मा कहते हैं कि ‘इस कारोबारी साल की पहली तिमाही में थोड़े कमजोर नतीजों की आशंका थी और ये नतीजे अनुमानों के मुताबिक ही कहे जा सकते हैं। लेकिन दूसरी तिमाही यानी जुलाई-सितंबर के नतीजे और खराब होने के अंदेशे हैं। दरअसल पहले ब्याज दरों में कमी की जो उम्मीदें थीं, वैसा तो होगा नहीं और उल्टे दरों में थोड़ी-बहुत बढ़ोतरी ही होगी। तीसरी तिमाही में बैंकों के नतीजों में कमजोरी आयेगी और खास कर उनकी संपत्तियों की गुणवत्ता पर सवालिया निशान लगेंगे।’
कैपिटल फस्र्ट सिक्योरिटीज के बिजनेस हेड - ब्रोकिंग जितेंद्र पांडा कहते हैं, ‘अभी तक जो नतीजे आये हैं, उनमें मार्जिन घटते दिखे हैं। कंपनियों ने जो अनुमान सामने रखे हैं या उनका जो आत्मविश्वास है, वह भी कमजोर है। कुछ कंपनियों ने अच्छा मुनाफा दिखाया भी है, लेकिन भविष्य को लेकर बहुत उत्साह नहीं है। दूसरी तिमाही के नतीजे उतने खराब नहीं हैं, जितनी आशंका थी।’
लेकिन आने वाली तिमाही के नतीजे खराब होने की आशंका उन्हें भी है। उनका कहना है कि ‘रुपये में जो कमजोरी आयी है, उसका असर हमें जुलाई-सितंबर की तिमाही के नतीजों में दिखेगा। अभी खुदरा कारोबार या ऑटो क्षेत्र के आँकड़े अच्छे नहीं दिख रहे हैं। अब यह मान लिया गया है कि डॉलर की कीमत 58 रुपये के ऊपर ही बनी रहेगी। आरबीआई ने जो कदम उठाये हैं, उनकी वजह से नकदी की कमी भी हो गयी है। इसलिए यह तिमाही खतरनाक होने वाली है।’
टीसीएस ने फिर जगाया उत्साह
आईटी क्षेत्र की सबसे बड़ी कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज का कंसोलिडेटेड मुनाफा तिमाही-दर-तिमाही आधार पर 6% बढ़ा है। अप्रैल-जून 2013 तिमाही में कंपनी का मुनाफा बढ़ कर 3,831 करोड़ रुपये रहा है, जबकि जनवरी-मार्च 2013 तिमाही में कंपनी का मुनाफा 3,616 करोड़ रुपये रहा था।
सालाना आधार पर कंपनी का कंसोलिडेटेड मुनाफा 15% बढ़ा है। पिछले साल की समान अवधि में कंपनी को 3,318 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ था। कारोबारी साल 2013 की पहली तिमाही में कंपनी की कुल आय भी 8% बढ़ कर 18,256 करोड़ रुपये हो गयी है, जो जनवरी-मार्च 2013 तिमाही में 16,872 करोड़ रुपये रही थी।
सालाना आधार पर कंपनी की कुल आय 21% बढ़ी है। बीते वर्ष की इसी तिमाही में कंपनी की कुल आय 15,055 करोड़ रुपये दर्ज हुई थी। कंपनी के अनुसार, अप्रैल-जून तिमाही में कंपनी को 10 बड़े आदेश मिले हैं और आगे भी कंपनी को बड़े आदेश मिलते रहने की उम्मीद है। कंपनी ने इस दौरान 10 करोड़ डॉलर के दो नये ग्राहकों को अपने साथ जोड़ा है। कंपनी ने 10,611 नयी भर्तियाँ की हैं। इस अवधि में रुपये में कमजोरी के चलते मार्जिन में सुधार देखा गया है। लेकिन रुपये की अस्थिरता के चलते कंपनी ने हेजिंग की रणनीति में कोई बदलाव नहीं किया है। साल 2013-14 में कंपनी को नैस्कॉम के अनुमानों से बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है। नैस्कॉम ने साल 2013-14 के लिए इंडस्ट्री की ग्रोथ 12%-14% रहने का अनुमान दिया है।
एंजेल ब्रोकिंग की विश्लेषक अंकिता सोमानी का कहना है कि लगातार अच्छे नतीजों की वजह से टीसीएस के प्रति हमारा नजरिया सकारात्मक है। एंजेल ने टीसीएस के शेयर के लिए उदासीन रेटिंग बरकरार रखी है।
ब्रोकिंग फर्म आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने टीसीएस के नतीजों को अनुमानों के अनुसार बताया है। इसने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कंपनी की डॉलर आय में तिमाही-दर-तिमाही 4.1% का इजाफा हुआ है, जबकि डॉलर आय में बढ़ोतरी का उसका अनुमान 4% का था। इस ब्रोकिंग फर्म ने 1,860 रुपये के लक्ष्य के साथ टीसीएस के शेयर खरीदने की सलाह दी है।
इन्फोसिस ने फिर चौंकाया
इन्फोसिस ने अपने तिमाही नतीजों से बाजार को चौंकाने का सिलसिला इस बार भी नहीं छोड़ा, बस गनीमत यह रही कि इस बार अच्छे ढंग से चौंकाया। कंपनी के संस्थापक एन. आर. नारायणमूर्ति के कंपनी में कार्यकारी चेयरमैन के रूप में वापस लौटने के बाद से यह इसका पहला तिमाही नतीजा है।
कंपनी की आमदनी और मुनाफे के आँकड़े विश्लेषकों के अनुमानों से थोड़े ऊपर रहे। इसकी अप्रैल-जून 2013 की तिमाही आमदनी 11,267 करोड़ रुपये रही। इसमें तिमाही-दर-तिमाही 7.8% और साल-दर-साल 17.2% वृद्धि हुई। इसका तिमाही मुनाफा ठीक पिछली तिमाही से 0.8% घट कर 2,374 करोड़ रुपये का रहा, हालाँकि बाजार का अनुमान इससे ज्यादा गिरावट का था। इसमें सालाना आधार पर 3.7% की बढ़त दर्ज हुई। तिमाही ईपीएस 41.54 रुपये रही। इसमें भी तिमाही-दर-तिमाही 0.8% गिरावट और सालाना 3.7% वृद्धि रही। कंपनी ने अपने सालाना अनुमानों (गाइडेंस) में डॉलर के आधार पर कोई बदलाव नहीं किया है। लेकिन रुपये की कमजोरी के मद्देनजर रुपये में दिये गये अनुमानों को बढ़ाया गया है। इसने 2013-14 में अपनी सालाना आमदनी 13%-17% तक बढऩे का अनुमान जताया है।
रेलिगेयर सिक्योरिटीज ने इन्फोसिस के नतीजों को उम्मीदों से बेहतर बताया है। ब्रोकिंग फर्म ने अपनी रिपोर्ट में निवेश के लिहाज से आईटी क्षेत्र में कंपनी के शेयर को सबसे अच्छा बताया है। ब्रोकिंग फर्म ने कंपनी के शेयर में खरीदारी की सलाह दी है और इसका लक्ष्य भाव 2,800 रुपये रखा है।
विप्रो : कुछ खट्टा, कुछ मीठा
आईटी क्षेत्र की तीसरी सबसे बड़ी कंपनी विप्रो के कंसोलिडेटेड मुनाफे में 6% की गिरावट आयी है। अप्रैल-जून 2013 तिमाही में तिमाही-दर-तिमाही आधार पर कंपनी का मुनाफा घट कर 1,623 करोड़ रुपये हो गया है, जबकि जनवरी-मार्च 2013 तिमाही में कंपनी को 1,729 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ था। इस दौरान तिमाही-दर-तिमाही कंपनी की कुल आय में 1.5% की वृद्धि हुई है। इस अवधि में कंपनी की कुल आय बढ़ कर 10,069 करोड़ रुपये रही है, जो पिछली तिमाही में 9920 करोड़ रुपये थी।
पहली तिमाही में वेतन बढऩे से ऑपरेटिंग मार्जिन पर दबाव देखने को मिला। कंपनी ने 2013-14 की दूसरी तिमाही की आय 162-165 करोड़ डॉलर रहने का अनुमान दिया है।
एंजेल ब्रोकिंग का कहना है कि विप्रो के नतीजे उम्मीदों के अनुसार रहे हैं और इस शेयर पर उसका रुख सकारात्मक है। दूसरी ओर, आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने विप्रो के नतीजों को अपने अनुमानों से कमजोर माना है। ब्रोकिंग फर्म ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कंपनी की डॉलर आय में तिमाही-दर-तिमाही 0.2% का इजाफा हुआ है, जबकि उसका डॉलर आय में बढ़ोतरी का अनुमान 1% का था। ब्रोकिंग फर्म की सलाह है कि विप्रो के शेयर निवेशक होल्ड करें यानी रखे रहें। इसने विप्रो का लक्ष्य भाव 400 रुपये रखा है।
लागत बढऩे का असर कोल इंडिया के मुनाफे पर
साल 2013-14 की पहली तिमाही में कोल इंडिया का कंसोलिडेटेड मुनाफा घट कर 3,731 करोड़ रुपये हो गया है। पिछले साल की समान अवधि में कंपनी को 4,469 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ था। इस तरह मुनाफे में 17% की गिरावट दर्ज हुई है। कुल आय बीते वर्ष की समान तिमाही के 18,572 करोड़ रुपये से केवल 0.65% बढ़ कर 18,692 करोड़ रुपये पर पहुँची है। डीजल महँगा होने से पहली तिमाही में कंपनी पर 143 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ा। कंपनी की लागत करीब 750 करोड़ रुपये बढ़ी है।
ब्रोकिंग फर्म प्रभुदास लीलाधर का कहना है कि कोल इंडिया के नतीजे अनुमान से कमजोर रहे हैं, पर यह शेयर आकर्षक मूल्य पर है। लिहाजा इसने यह शेयर जमा करने की सलाह दी है। इसने कोल इंडिया का लक्ष्य 305 रुपये रखा है।
रिलायंस के नतीजे उम्मीदों पर खरे
कारोबारी साल 2013-14 की पहली तिमाही में रिलायंस इंडस्ट्रीज के नतीजे बाजार की उम्मीद से बेहतर रहे हैं। अप्रैल-जून तिमाही में कंपनी का मुनाफा बढ़ कर 5,352 करोड़ रुपये हो गया है। पिछले साल की समान अवधि में कंपनी को 4,503 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ था। इस तरह कंपनी के मुनाफे में 19% की वृद्धि हुई है।
अप्रैल-जून 2013 तिमाही में कंपनी की कुल आय 4% घट कर 90,180 करोड़ रुपये हो गयी है, जबकि बीते वर्ष की इसी तिमाही में यह 93,780 करोड़ रुपये दर्ज हुई थी। कंपनी के पास 93,066 करोड़ रुपये की नकदी है। सालाना आधार पर अप्रैल-जून तिमाही में कंपनी के शेल गैस की आय 84% बढ़ी है। वहीं खुदरा कारोबार की आय 53% बढ़ी है।
कंपनी का कहना है कि केजी-डी6 के उत्पादन में गिरावट की मुख्य वजह भूवैज्ञानिक दिक्कतें हैं। कंपनी अपना निवेश जारी रखेगी, जिसका आगे चल कर फायदा मिलेगा। अप्रैल-जून तिमाही में अच्छा ऑपरेटिंग रेट दिखायी दिया है। कंपनी के अनुसार, पेट्रोकेमिकल उत्पादों की माँग बरकरार है और इसकी विकास दर को देखते हुए कंपनी अब तक का सबसे बड़ा निवेश करने की तैयारी में है। साथ ही खुदरा (रिटेल) कारोबार का प्रदर्शन अच्छा रहा है।
एंजेल ब्रोकिंग का कहना है कि रिलायंस के नतीजे उम्मीदों के अनुसार रहे हैं। कंपनी के शेयर के बारे में ब्रोकिंग फर्म ने उदासीन (न्यूट्रल) की सलाह बरकरार रखी है। दूसरी ओर, कॉर्वी स्टॉक ब्रोकिंग ने कंपनी के शेयर को रखने यानी होल्ड करने की सलाह दी है और इसका लक्ष्य भाव 861 रुपये बताया है।
आईटीसी के मुनाफे में इजाफा
साल 2013-14 की पहली तिमाही में आईटीसी का 18% मुनाफा बढ़ कर 1,891 करोड़ रुपये हो गया है। पिछले साल की समान अवधि में यह 1,602 करोड़ रुपये रहा था। अप्रैल-जून 2013 तिमाही में कंपनी की कुल आय भी 11% बढ़ कर 7,614 करोड़ रुपये रही है, जबकि बीते वर्ष की समान तिमाही में यह 6,876 करोड़ रुपये थी।
सालाना आधार पर अप्रैल-जून तिमाही में इसके कृषि कारोबार की बिक्री 29.4% बढ़ कर 2,189 करोड़ रुपये रही। कृषि कारोबार का मुनाफा 16.3% बढ़ कर 199.3 करोड़ रुपये रहा।
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज का कहना है कि आईटीसी के नतीजों ने निराश किया है। हालाँकि ब्रोकिंग फर्म का मानना है कि आने वाले समय में कंपनी की बिक्री बढऩे की दर में इजाफा होगा। ब्रोकिंग फर्म ने इस शेयर की होल्ड रेटिंग को कायम रखा है। इसका लक्ष्य भाव 328 रुपये का है।
एचयूएल के नतीजे कमजोर
हिंदुस्तान यूनिलीवर के तिमाही नतीजों से बाजार को निराशा हाथ लगी है। पहली तिमाही में कंपनी का मुनाफा 23% घट कर 1,019 करोड़ रुपये हो गया है। पिछले साल की समान अवधि में यह 1,331 करोड़ रुपये रहा था। अप्रैल-जून 2013 तिमाही में कंपनी की कुल आय 6% बढ़ कर 6,986 करोड़ रुपये हो गयी है, जो बीते वर्ष की समान तिमाही में 6,597 करोड़ रुपये रही थी। एंजेल ब्रोकिंग के विश्लेषक वी. श्रीनिवासन के मुताबिक इसके घरेलू उपभोक्ता कारोबार में बिक्री की मात्रा में 4% की बढ़ोतरी हुई है, जो 5-6% के अनुमान से कम है। ब्रोकिंग फर्म ने कंपनी के शेयर बारे में अपनी राय 'उदासीन’ रखी है।
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज का कहना है कि घटती माँग के चलते मौजूदा समय में कंपनी के शेयर महँगे नजर आ रहे हैं। ब्रोकिंग फर्म ने कंपनी के शेयर की रेटिंग घटाते हुए इसे बेचने की सलाह दी है और इसका लक्ष्य भाव 590 रुपये बताया है।
एचडीएफसी बैंक के मुनाफे में इजाफा
पहली तिमाही में एचडीएफसी बैंक का मुनाफा 30% बढ़ कर 1,844 करोड़ रुपये हो गया है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह 1,417 करोड़ रुपये रहा था। इस तिमाही में बैंक की कुल आमदनी 18% बढ़ कर 11,589 करोड़ रुपये हो गयी है, जो कि गत वर्ष की इसी तिमाही में 9,825 करोड़ रुपये दर्ज हुई थी। इसका नेट एनपीए 0.3% और सकल (ग्रॉस) एनपीए 1% रहा है। रेलिगेयर सिक्योरिटीज का कहना है कि एचडीएफसी बैंक के नतीजे अनुमान के अनुसार रहे हैं, हालाँकि सकल एनपीए में बढ़ोतरी चिंता की बात है। ब्रोकिंग फर्म ने बैंक के शेयरों को रखने यानी होल्ड करने की सलाह दी है और इसका लक्ष्य 740 रुपये बताया है।
पावर ग्रिड : बढ़ा मुनाफा
पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया के नतीजे अच्छे रहे हैं। पहली तिमाही में कंपनी का मुनाफा 20% बढ़ कर 1,040 करोड़ रुपये हो गया है, जबकि पिछले साल की समान तिमाही में कंपनी को 870 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ था। कुल आय २२% बढ़ कर 3,634 करोड़ रुपये हो गयी है। कंपनी को 20% वृद्धि दर बरकरार रख पाने की उम्मीद है। कंपनी के निदेशक मंडल ने 15% शेयरों के फॉलो ऑन पब्लिक ऑफर (एफपीओ) को भी मंजूरी दी है।
ब्रोकिंग फर्म प्रभुदास लीलाधर का कहना है कि पावर ग्रिड के शेयर पर एफपीओ को लेकर दबाव देखने को मिल सकता है, लेकिन कंपनी का शेयर बुनियादी रूप से मजबूत नजर आ रहा है। ब्रोकिंग फर्म ने कंपनी के शेयर के लिए खरीद रेटिंग कायम रखी है और इसका लक्ष्य भाव 116 रुपये रखा है।
आईसीआईसीआई बैंक : लाभ बढ़ा
अप्रैल-जून 2013 की तिमाही में आईसीआईसीआई बैंक का मुनाफा 25.3% बढ़ कर 2,274 करोड़ रुपये रहा है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में बैंक को 1,815 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ था। कुल आय 13% बढ़ कर 12,905 करोड़ रुपये रही है, जो कि बीते वर्ष की इसी तिमाही में 11,426 करोड़ रुपये थी। तिमाही आधार पर पहली तिमाही में बैंक का शुद्ध एनपीए 2,231 करोड़ रुपये से बढ़ कर 2,462 करोड़ रुपये हो गया। तिमाही आधार पर पहली तिमाही में बैंक के ग्रॉस एनपीए 9,607 करोड़ रुपये से बढ़ कर 10,009 करोड़ रुपये हो गया। प्रावधान (प्रोविजनिंग) की राशि 466 करोड़ रुपये से बढ़ कर 593 करोड़ रुपये हो गयी है।
रेलिगेयर सिक्योरिटीज ने बैंक के मुनाफे में बढ़ोतरी को उम्मीदों के अनुसार, लेकिन एनआईआई के आँकड़ों के अनुमान से कम बताया है। इसने बैंक के शेयर को रखे रहने यानी होल्ड करने की सलाह दी है और इसका लक्ष्य 1,075 रुपये रखा है।
एनटीपीसी : खर्च कटौती से मुनाफा
अप्रैल-जून 2013 तिमाही में एनटीपीसी का मुनाफा 1% बढ़ कर 2,527 करोड़ रुपये रहा, लेकिन कुल आय 3% घट कर 1६,३५९ करोड़ रुपये हो गयी। इस दौरान कंपनी की शुद्ध बिक्री 2% घट कर 15,613 करोड़ रुपये हो गयी है। दरअसल खर्चों में कटौती से कंपनी मुनाफा दिखाने में कामयाब रही। कुल खर्च 13,093 करोड़ रुपये से घट कर 12,290 करोड़ रुपये पर आ गया।
एंजेल ब्रोकिंग का कहना है कि मौजूदा स्तरों पर एनटीपीसी सस्ते मूल्यांकन पर है। इसने निवेशकों को कंपनी के शेयर खरीदने की सलाह दी है और इसका लक्ष्य 163 रुपये बताया है।
मारुति : रुपये की चाल से फायदा
पहली तिमाही में मारुति सुजुकी इंडिया का मुनाफा बढ़ कर 49% बढ़ कर 632 करोड़ रुपये हो गया है। पिछले साल की समान अवधि में कंपनी को 424 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ था। लेकिन कुल आय ४% घट कर 10,४४२ करोड़ रुपये हो गयी है। रुपये की कमजोरी के चलते इसे निर्यात से आमदनी सुधारने में मदद मिली है।
ब्रोकिंग फर्म प्रभुदास लीलाधर ने इन नतीजों को अनुमानों के अनुसार बताया है। ब्रोकिंग फर्म की सलाह है कि निवेशकों को मारुति सुजुकी के शेयर खरीदने चाहिए। इसने मारुति का लक्ष्य भाव 1,617 रुपये रखा है।
(निवेश मंथन, अगस्त 2013)