इक्विटी म्यूचुअल फंडों का प्रदर्शन बीते साल भर में कैसा रहा, इसे समझने के लिए पहले यह देख लेते हैं कि खुद शेयर बाजार की चाल कैसी रही।
पिछले 12 महीनों में सेंसेक्स ने 11.94% और निफ्टी ने 9.30% की बढ़त दर्ज की है। सेंसेक्स एक अगस्त 2012 के बंद स्तर 17,257 से बढ़ कर एक अगस्त 2013 को 19,317 पर बंद हुआ है।
सेंसेक्स और निफ्टी के इस प्रदर्शन की तुलना में विविध (डाइवर्सिफाइड) इक्विटी फंडों की श्रेणी की एनएवी में औसत वृद्धि केवल 4.04% रही है। बाकी श्रेणियाँ भी अपने मानदंड सूचकांकों (बेंचमार्क इंडेक्स) से काफी पीछे ही रहीं। संतुलित फंड श्रेणी की साल भर की औसत वृद्धि 5.37% है। इसका मानदंड क्रिसिल बैलेंसेक्स इस दौरान 8.41% बढ़ा है। ईएलएसएस श्रेणी में औसत वृद्धि 4.98% रही। यहाँ तक कि इंडेक्स फंड भी खुद इंडेक्स के प्रदर्शन को नहीं दोहरा पाये। इस श्रेणी की औसत वृद्धि पिछले एक साल में 6.53% रही, जो सेंसेक्स और निफ्टी की वृद्धि से काफी पीछे है।
छोटे-मँझोले शेयरों पर केंद्रित फंडों की श्रेणी में तो साल भर 0.25% की गिरावट दर्ज हुई। हालाँकि इसकी तुलना में बीएसई मिडकैप सूचकांक की गिरावट 10.20% और एनएसई के मिडकैप सूचकांक की गिरावट 6.28% रही है। इस तरह छोटे-मँझोले शेयरों के फंडों ने बाजार की तुलना में कम गिरावट दर्ज की, यानी उन्हें निवेशकों की पूँजी एक हद तक सुरक्षित रख पाने में सफल माना जा सकता है।
किसी खास क्षेत्र या सोच पर आधारित फंडों की श्रेणी में केवल 1.75% बढ़त दिख सकी। केवल आर्बिट्राज फंड अपने मानदंड सूचकांक को पीछे छोड़ सके। इस श्रेणी की औसत वृद्धि दर इन 12 महीनों में 8.33% रही, जबकि इसकी तुलना में क्रिसिल लिक्विफेक्स में 7.66% की वृद्धि हुई।
ऐसा नहीं है कि केवल बीते एक साल की अवधि में ही म्यूचुअल फंडों का प्रदर्शन फीका रहा है। अगर एक महीने में निफ्टी 2.90% गिरा तो विविध इक्विटी फंडों की श्रेणी में औसत 4.26% गिरावट दर्ज की गयी। बीते छह महीनों में निफ्टी 4.52% नीचे आया है, लेकिन इस दौरान विविध इक्विटी फंडों की औसत गिरावट 9.51% है।
यहाँ तक कि तीन साल की लंबी अवधि में भी निफ्टी की 2.18% वृद्धि की तुलना में विविध इक्विटी फंडों में 0.04% गिरावट दिख रही है। केवल 5 साल की अवधि में विविध इक्विटी फंडों की वृद्धि 7.18% के ठीक-ठाक स्तर पर और निफ्टी की 5.35% वृद्धि दर से ऊपर रही है। लेकिन इस पर एक निवेशक का सवाल गलत नहीं होगा कि पाँच साल के इंतजार के बाद भी अगर मिलने वाला लाभ महँगाई दर को पछाड़ नहीं पाये, तो वास्तव में क्या लाभ मिला? इन आँकड़ों से यह साफ है कि अगर पूरे इक्विटी म्यूचुअल फंड क्षेत्र को एक इकाई के तौर पर देखें तो इसने मानदंड सूचकांक से बेहतर प्रदर्शन करने और महँगाई दर को पछाडऩे के दो मूलभूत उद्देश्यों को पूरा नहीं किया है।
तो क्या यह नतीजा निकाला जाये कि इक्विटी म्यूचुअल फंडों में पैसा लगाना एक निवेशक के लिए अच्छा विकल्प नहीं है? ऐसा नहीं है। शेयर बाजार में हजारों शेयरों की भीड़ में से निवेशक सभी शेयरों में लाभ नहीं कमा पाते। लेकिन जो लोग सही वक्त पर सही शेयर का चुनाव कर पाते हैं, उनके लिए यह बाजार किसी अन्य संपत्ति वर्ग से अधिक फायदेमंद साबित होता है। उसी तरह म्यूचुअल फंडों में भी सही चुनाव महत्वपूर्ण है। हम अक्सर जानकारों से सुनते हैं कि जिन लोगों के पास सीधे शेयर बाजार में पैसा लगाने के लिए जरूरी जानकारी, समझ या समय नहीं है वे म्यूचुअल फंड का रास्ता चुनें। लेकिन म्यूचुअल फंड में पैसा लगाते समय भी सही फंड का चुनाव जरूरी है।
अब जरा ऋण (डेट) क्षेत्र पर भी निगाह डालते हैं। लंबी अवधि के ऋण म्यूचुअल फंडों की श्रेणी में एक साल का लाभ 7.81% है, जबकि इसके मानदंड क्रिसिल कॉम्पबेक्स में इस दौरान 5.26% वृद्धि हुई है। छोटी अवधि के ऋण म्यूचुअल फंडों की श्रेणी का एक साल का औसत लाभ और इस दौरान मानदंड क्रिसिल एसटीबीईएक्स में एक बराबर ही 7.29% बढ़त दर्ज की गयी। लिक्विड फंडों में एक साल की औसत वृद्धि 8.08% रही, जो इस श्रेणी के मानदंड ७.६६% से कुछ ऊपर है। मोटे तौर पर ऋण म्यूचुअल फंडों ने अपने मानदंड के अनुरूप या कुछ बेहतर प्रदर्शन ही किया है। लेकिन इसका एक मुख्य कारण ऋण म्यूचुअल फंडों के निवेश की प्रकृति भी है।
यहाँ गौरतलब है कि आम धारणा के विपरीत ऋण फंडों में भी कई बार नकारात्मक रिटर्न मिल सकता है, यानी नुकसान हो सकता है। अगर केवल पिछले तीन महीनों का प्रदर्शन देखा जाये तो कई ऋण म्यूचुअल फंड श्रेणियों में नुकसान नजर आ रहा है। लंबी अवधि के ऋण म्यूचुअल फंडों का तीन महीने का नुकसान (सालाना आधार पर) 3.53% रहा है। अगर पिछले एक महीने में इस श्रेणी का सालाना आधार पर नुकसान देखें तो यह 24.46% है।
अब मिलते हैं उन खास सितारों से, जिन्होंने न केवल मानदंड से बेहतर और महँगाई दर से ज्यादा लाभ का वादा पूरा किया, बल्कि उससे कहीं ज्यादा खुश करने वाला लाभ दिया। आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल सर्विसेज इंडस्ट्रीज फंड ग्रोथ प्लान का बीते साल भर का लाभ 33.63% रहा है। हालाँकि तीन साल और पाँच साल में इसका सालाना औसत लाभ दहाई अंक में नहीं जा पाया है। इसलिए यह देखना होगा कि इसका यह अच्छा प्रदर्शन आगे कितना टिकाऊ रहता है। विविध इक्विटी श्रेणी में इसके बाद दूसरे स्थान पर है बिड़ला सन लाइफ इंडिया जेननेक्स्ट फंड ग्रोथ, जिसने 17.11% वृद्धि हासिल की है। इसका तीन साल और पाँच साल का प्रदर्शन आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल सर्विसेज इंडस्ट्रीज फंड ग्रोथ से बेहतर है।
इस श्रेणी में दूसरी ओर सबसे ज्यादा नुकसान दिया है एसबीआई मैग्नम कॉमा फंड ग्रोथ ने, जिसमें 23.71% गिरावट आयी है। सहारा स्टार वैल्यू फंड ग्रोथ 21.06% नुकसान के साथ दूसरे स्थान पर है।
दिग्गज शेयरों (लार्जकैप) वाले म्यूचुअल फंडों में एक साल में सबसे अच्छा प्रदर्शन ऐक्सिस इक्विटी फंड ग्रोथ का है, जिसने 17.21% वृद्धि हासिल की है। इसके बाद बीएनपी पारिबा इक्विटी फंड ग्रोथ ने 13.06% लाभ दिया है। हालाँकि तीन सालों का इन दोनों का प्रदर्शन आकर्षक नहीं कहा जा सकता।
अगर इंडेक्स फंडों पर निगाह डालें तो इसमें सबसे अलग प्रदर्शन रहा है मोस्ट शेयर्स नैस्डैक 100 का। इसने साल भर में 27.22% लाभ दिया है। जाहिर है कि इसे अमेरिकी बाजार में तेजी का फायदा मिला है। इसी तरह 24.14% लाभ के साथ इस श्रेणी में दूसरे स्थान पर है जीएस हैंगसैंग बीज। जाहिर है कि इस फंड ने भी यह लाभ भारतीय बाजार के प्रदर्शन के पर नहीं, हांगकांग के बाजार के दम पर दिया है। लेकिन सेंसेक्स और निफ्टी वाले इंडेक्स फंडों ने भी एक साल में आम तौर पर 9% से 13% के बीच का लाभ दिया है।
कर बचत के लिए लोग ईएलएसएस का सहारा लेते रहे हैं। इस श्रेणी में एक साल का सबसे अच्छा 14.13% लाभ आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल राइट फंड ग्रोथ का है। वहीं 14.04% बढ़त के साथ यूनियन केबीसी टैक्स सेवर ग्रोथ दूसरे स्थान पर है। दूसरी ओर एस्कॉट्र्स टैक्स प्लान ग्रोथ 12.27% नुकसान के साथ सबसे ज्यादा घाटे में रहा है। गौरतलब है कि यह फंड पिछले तीन साल में भी सालाना औसतन 14.75% नुकसान पर है, जबकि पाँच साल में इसका औसत नुकसान 7.25% का है। इसके बाद टाटा इन्फ्रास्ट्रक्चर टैक्स सेविंग ग्रोथ ने साल भर में 12.24% नुकसान दिया है। इस फंड ने भी निवेशकों के पैसे डुबाने में एस्कॉट्र्स टैक्स प्लान ग्रोथ जैसी ही निरंतरता दिखायी है। इसमें तीन साल की अवधि में सालाना औसतन 11.89% नुकसान हुआ है।
सामान्य से ज्यादा लाभ अगर बीते साल भर में कहीं दिख रहा है, तो वह कुछ गिने-चुने क्षेत्रों पर केंद्रित फंडों में है। क्षेत्र-आधारित फंडों में एक साल का सबसे बेहतर 34.25% लाभ फ्रैंकलिन इन्फोटेक ग्रोथ का है। इसके बाद सबसे अच्छे प्रदर्शन करने वाले नामों में बिड़ला सन लाइफ न्यू मिलेनियम फंड ग्रोथ (32.11%), आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल टेक्नोलॉजी फंड ग्रोथ (28.43%) और डीएसपी ब्लैकरॉक टेक्नोलॉजी फंड ग्रोथ (27.38%) शामिल हैं। आईटी के अलावा दवा और मीडिया एवं मनोरंजन क्षेत्रों पर केंद्रित फंडों का भी प्रदर्शन आम तौर पर बेहतर रहा है।
दूसरी ओर सबसे कमजोर प्रदर्शन ऊर्जा, पीएसयू और बैंक जैसे क्षेत्रों पर केंद्रित फंडों का रहा है। एस्कॉट्र्स पावर ऐंड एनर्जी फंड ग्रोथ ने साल भर में 24.27% गिरावट दर्ज की। बड़ौदा पॉयनियर पीएसयू इक्विटी फंड प्लान ए ग्रोथ में 23.19% नुकसान हुआ। गोल्डमैन सैक्स के पीएसयू बैंक बीज ने इस दौरान 21.87% कमजोरी दिखायी।
लंबी अवधि के ऋण फंडों का औसत प्रदर्शन भले ही मानदंड से ज्यादा अलग न रहा हो और कुछ बेहतर ही रहा हो, लेकिन अलग-अलग फंडों के प्रदर्शन में काफी अंतर दिखता है। इस श्रेणी के 7.81% औसत की तुलना में मॉर्गन स्टैनले ऐक्टिव बॉण्ड फंड ग्रोथ ने एक साल में 12.09% लाभ दिया है। केनरा रोबेको डायनामिक बॉण्ड फंड ग्रोथ ने 11.51% वृद्धि दर्ज की। दूसरी ओर सुंदरम फ्लेक्सिबल फंड फ्लेक्सिबल इन्कम प्लान ग्रोथ ने साल भर में केवल 1.07% लाभ दिया। जेपी मॉर्गन इंडिया ऐक्टिव बॉण्ड फंड रिटेल प्लान ग्रोथ की बढ़त भी केवल 5.22% रह गयी। गौरतलब है कि इस श्रेणी के काफी फंडों ने छह महीने और उससे कम की अवधि में नुकसान दिखाया है।
वहीं छोटी अवधि के ऋण फंडों की श्रेणी के औसत 7.29% लाभ की तुलना में टॉरस शॉर्ट टर्म इन्कम फंड ग्रोथ ने 9.76% लाभ दिया है। बिड़ला सन लाइफ शॉर्ट टर्म अपॉर्चुनिटीज फंड ग्रोथ ने 9.51% वृद्धि दर्ज की है। इस श्रेणी में केवल 0.39% लाभ का सबसे कमजोर प्रदर्शन केनरा रोबेको इंडिगो फंड ग्रोथ का रहा है। वहीं दूसरा सबसे खराब प्रदर्शन प्रैमेरिका ट्रेजरी एडवांटेज फंड ग्रोथ का रहा, जिसने 6.12% वृद्धि दर्ज की।
(निवेश मंथन, अगस्त 2013)