इन्फोसिस के लिए तिमाही नतीजों के बाद हर बार बेहद तीखे ढंग से गिरना या चढऩा अब एक नियमित बात हो गयी है।
हालाँकि इस बार शुक्रवार 12 अप्रैल को आये नतीजों से एक दिन पहले तक कुछ जानकार मान रहे थे कि इस तिमाही में ऐसा नहीं होगा और यह एक दायरे के अंदर ही बना रहेगा। लेकिन नतीजों के तुरंत बाद 12 अप्रैल को बाजार खुलते ही इन्फोसिस सरपट लुढ़कता चला गया और यह करीब 20% तक लुढ़क गया। यह 11 अप्रैल के बंद भाव 2917 की तुलना में 2337 तक टूट गया। इन्फोसिस की इस भारी गिरावट से सेंसेक्स और निफ्टी भी लाल दिखे, हालाँकि आईटी को छोड़ कर बाकी बाजार कमजोर नहीं चल रहा था। सेंसेक्स के 30 में से करीब 20 शेयर हरे निशान में रहने के बावजूद सेंसेक्स करीब 300 अंक तक नीचे दिख रहा था। हालाँकि अगर केवल इन्फोसिस को ही सेंसेक्स से हटा कर देखें तो कमजोरी नहीं दिखती, क्योंकि अकेले इन्फोसिस की गिरावट सेंसेक्स को 300 का नुकसान दे रही थी। आईटी के अन्य दिग्गजों, विप्रो और टीसीएस को हटा कर देखने पर सेंसेक्स हरे निशान में ही नजर आता।
बाजार इन्फोसिस की 2012-13 की चौथी तिमाही के नतीजों से संतुष्ट नहीं हो पाया। अगले कारोबारी साल 2013-14 के अनुमानों से तो इन्फोसिस ने बाजार को डरा ही दिया। पहले चौथी तिमाही के नतीजों को देखें। इसने 2394 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हासिल किया, जो ठीक पिछली तिमाही से 1.1% और पिछले साल की समान तिमाही से 3.4% ज्यादा रहा।
मुनाफे का यह आँकड़ा बाजार के अनुमानों से कुछ बेहतर ही रहा, क्योंकि औसतन विश्लेषकों ने मुनाफे में तिमाही-दर-तिमाही 3% कमी का अंदाजा लगा रखा था। लेकिन मुनाफे का यह आँकड़ा कामकाजी स्थिति सुधरने के चलते नहीं, बल्कि अन्य आय बढऩे की वजह से बढ़ा। दरअसल इसकी अन्य आय पिछली तिमाही के 503 करोड़ रुपये से बढ़ कर 674 करोड़ रुपये हो गयी, यानी 34% बढ़ गयी। मुनाफे का आँकड़ा बाजार के अनुमानों से बेहतर होने का यही मुख्य कारण था। लेकिन अन्य आय टिकाऊ नहीं होती, हर बार अन्य आय वैसी रहेगी, इसका भरोसा नहीं होता। लिहाजा बाजार अन्य आय बढऩे के चलते मुनाफा ज्यादा होने को तवज्जो नहीं देता है।
बाजार ने इस बात पर ज्यादा गौर किया कि कंपनी का कामकाजी मुनाफा (ऑपरेटिंग प्रॉफिट) 2,677 करोड़ रुपये से घट कर 2,462 करोड़ रुपये रह गया, यानी इसमें तिमाही-दर-तिमाही 8% की कमी आयी। साथ ही कंपनी का ऑपरेटिंग मार्जिन भी घटा। इसका एबिट मार्जिन 23.5% रहा, जिसके बारे में आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने कहा कि यह उनके 24.9% के अनुमान से काफी कम है।
लेकिन बाजार को इन्फोसिस के चौथी तिमाही के इन परिणामों से कहीं ज्यादा निराशा अगले कारोबारी साल के बारे में कंपनी के अनुमानों (गाइडेंस) से हुई। कंपनी ने कहा है कि उसे 2013-14 में अपनी सालाना आमदनी 6-10% बढऩे की उम्मीद है। नतीजों से पहले जानकार मान रहे थे कि अगर आमदनी में 10-12% वृद्धि का अनुमान सामने आये तो वह संतोषजनक होगा। लिहाजा कंपनी का ताजा अनुमान उनके लिए काफी निराशाजनक रहा। गौरतलब है कि कंपनी ने इस अनुमान में काफी बड़ा दायरा दे दिया है - 6% से लेकर 10% तक। इसका मतलब यही है कि भविष्य के बारे में वह अभी कुछ भी साफ-साफ कहने की स्थिति में खुद को नहीं पा रही है।
यही नहीं, कंपनी ने ईपीएस के बारे में कोई अनुमान नहीं जताया। कंपनी का जितना इतिहास लोगों को याद है, उसमें ऐसा पहली बार हुआ। इससे पहले कंपनी ने तिमाही अनुमान सामने रखना बंद कर दिया था। अब सालाना अनुमानों में भी कंपनी ईपीएस के बारे में कुछ कहने से हिचक रही है। यह स्पष्ट रूप से कंपनी के घटते आत्मविश्वास को दिखाता है। अब तक के इतिहास में कंपनी भविष्य को लेकर इतनी असमंजस में शायद कभी नहीं रही।
इससे पहले शीर्ष प्रबंधन में बार-बार के बदलावों की वजह से जानकारों को लग रहा था कि कंपनी अपनी दिशा के बारे में स्पष्ट रणनीति नहीं बना पा रही है। लेकिन हाल में वे इस पहलू की ओर से कुछ आश्वस्त होने लगे थे। उनकी यह राय बनने लगी थी कि अब इसके प्रबंधन में एक स्थिरता आ रही है। मगर ताजा कारोबारी नतीजों और भविष्य के कमजोर और आधे-अधूरे अनुमानों ने फिर से बाजार का मोहभंग कर दिया है।
हालाँकि एक बेहद तीखी गिरावट के बाद सस्ते मूल्यांकन पर खरीदारी उभरी तो जरूर इसके भावों को आने वाले दिनों में सहारा मिल सकता है। अगर इन्फोसिस की पिछली बड़ी उछाल देखें तो यह करीब 2100 से 3000 तक की थी। इस उछाल की 61.8% वापसी 2444 पर है। इन्फोसिस के शेयर के लिए अब पहली चुनौती 2444 के ऊपर टिक पाने की होगी। अगर यह इसके ऊपर नहीं टिक पाया तो 80% वापसी के स्तर 2280 तक भी फिसल सकता है। लेकिन 2444 के ऊपर टिकने की हालत में यह धीरे-धीरे सँभलते हुए 2550 और फिर 2650 की ओर लौटने की कोशिश करेगा। पर ऐसा तभी होगा, जब समूचे भारतीय बाजार में भी कुछ मजबूती लौटती दिखे। लेकिन अगर बाजार की दिशा कमजोर रही तो इन्फोसिस भी कमजोर ही बना रहेगा या ज्यादा-से-ज्यादा 2100-2450 के बड़े दायरे में कहीं टिकने की कोशिश करेगा।
(निवेश मंथन, अप्रैल 2013)