कारोबारी साल 2012-13 की चौथी तिमाही के नतीजों का मौसम शुरू हो चुका है।
एंजेल ब्रोकिंग का मानना है कि चौथी तिमाही में सेंसेक्स की कंपनियों की बिक्री में सालाना आधार पर 6.1% की हल्की बढ़ोतरी रहेगी। लेकिन बिक्री में बढ़ोतरी के बावजूद कंपनियों के मुनाफे में 4.7% की गिरावट रह सकती है। यही नहीं, सेंसेक्स कंपनियों के मार्जिन में 1.73% अंक की कमी आ सकती है। लेकिन तिमाही-दर-तिमाही उल्टी तस्वीर बन रही है। साल 2012-13 की तीसरी तिमाही के मुकाबले चौथी तिमाही में सेंसेक्स कंपनियों की बिक्री 12.6% घटने का अनुमान है, जबकि मुनाफा 6.1% बढ़ सकता है। एंजेल ने वित्त वर्ष 2014 में सेंसेक्स का ईपीएस 14.9% बढ़ कर 1366 रुपये रहने का अनुमान जताया है। वहीं 2015 में यह 15.5% बढ़ कर 1578 रुपये रह सकता है। इसने 14 का पीई अनुपात रखते हुए अगले 12 महीनों के लिए सेंसेक्स का लक्ष्य 22000 रखा है।
ऑटो : स्पीड ब्रेकर की भरमार
लगातार घटती बिक्री से वित्त वर्ष 2012-13 की चौथी तिमाही में ऑटो कंपनियों की हालत बहुत खस्ता रहने का अनुमान है। इस दौरान सालाना आधार पर ऑटो कंपनियों के मुनाफे में 23.5% की तेज गिरावट रह सकती है। ऑपरेटिंग मार्जिन में कमी, ऊँचे मूल्य हास और ऊँची टैक्स दरों की वजह से ऑटो कंपनियों के मुनाफे पर दबाव रहेगा। ईंधन की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी, ऊँची ब्याज दरें और चुनौतीपूर्ण आर्थिक हालात की वजह से ऑटो कंपनियों की बिक्री में लगातार गिरावट आ रही है। इससे कंपनियों के मार्जिन में 65 आधार अंक की गिरावट रह सकती है।
बैंकिंग : नये निजी बैंकों की भरेगी झोली
कारोबारी साल 2012-13 की चौथी तिमाही में भी नये निजी बैंकों का प्रदर्शन सरकारी बैंकों के मुकाबले बेहतर रहने की उम्मीद है। इस दौरान सालाना आधार पर नये निजी बैंकों का मुनाफा 24.6% रहने की उम्मीद है। वहीं पुराने निजी बैंकों का मुनाफा सपाट रहने की उम्मीद है। वहीं दूसरी ओर सरकारी बैंकों पर डूबे कर्ज यानी एनपीए में तेज बढ़ोतरी का दबाव साफ तौर पर दिखेगा। एंजेल का अनुमान है कि सरकारी बैंकों के मुनाफे में 13.1% की तेज गिरावट रह सकती है। इनमें भी बड़े सरकारी बैंकों के मुनाफे में 18.5% की गहरी चोट लगने का अनुमान है।
सीमेंट : जारी रहेगा मार्जिन पर दबाव
सालाना आधार पर बेहतर बिक्री आँकड़ों के बावजूद ज्यादातर सीमेंट कंपनियों के मार्जिन पर दबाव दिखने की संभावना है। कच्चे माल, ढुलाई और बिजली की कीमतें बढऩे से कंपनियों के मुनाफे पर दबाव है। साथ ही कोढ़ में खाज यह कि कंपनियां माँग सुस्त रहने से कंपनियाँ दाम भी नहीं बढ़ा पा रही हैं। रियल एस्टेट और बुनियादी ढाँचा, दोनों क्षेत्रों से चौथी तिमाही में माँग में सुधार नहीं आया। ऐसे में इस दौरान सीमेंट कंपनियों के मुनाफे में सालाना आधार पर 13.2% की गिरावट रह सकती है।
एफएमसीजी : मुनाफे में अच्छी बढ़त
चौथी तिमाही में एफएमसीजी क्षेत्र में बिक्री और मुनाफा, दोनों के बढऩे की रफ्तार अच्छी रहने की उम्मीद है। सालाना आधार पर इस क्षेत्र की कंपनियों की आय में 14.8% और मुनाफे में 22.9% में बढोतरी रहने की संभावना है। हालाँकि कच्चे माल और ईंधन की बढ़ती कीमतों से इस क्षेत्र की कुछ कंपनियों के मार्जिन पर दबाव दिख सकता है। सेंसेक्स में शामिल एमएमसीजी कंपनियों में आईटीसी का मुनाफा 12.2% और एचयूएल का मुनाफा 15.9% की अच्छी रफ्तार से बढऩे की उम्मीद है।
बुनियादी ढाँचा क्षेत्र : बदलती नहीं दिख रही सूरत
बुनियादी ढाँचा क्षेत्र की दिक्कतें कम होती नहीं दिख रही है। इस क्षेत्र पर ऊँची ब्याज दरें, कमोडिटी कीमतों में बढ़ोतरी और ऑर्डर में सुस्ती की मार पड़ रही है। चौथी तिमाही में इस क्षेत्र की कंपनियों की आय में सालाना आधार पर 2.8% की हल्की बढ़ोतरी रह सकती है। लेकिन मार्जिन पर दबाव रहने की वजह से कंपनियों के मुनाफे पर 17.6% की तगड़ी चोट लग सकती है। बुनियादी ढाँचा क्षेत्र की कंपनियां महंगे कर्ज और कर्ज में बढ़ोतरी जैसी मुश्किलों से जूझ रही हैं। इससे बुनियादी ढाँचा क्षेत्र की अधिकतर कंपनियों के मुनाफे में सेंध लग सकती है।
कैपिटल गुड्स : मार्जिन पर दबाव
निवेश में सुस्ती और विभिन्न तरह की मंजूरी में देरी की वजह से कैपिटल गुड्स क्षेत्र को अपने ऑर्डर पूरे करने में देरी हो रही है। साथ ही ब्याज की ऊँची दरों से चौथी तिमाही में भी कैपिटल गुड्स क्षेत्र की कंपनियों के मार्जिन पर दबाव दिखने की संभावना है। ऐसे में सालाना आधार पर इस क्षेत्र की कंपनियों के मुनाफे में 23.2% की भारी गिरावट दिखने का अनुमान है। एंजेल ने इस क्षेत्र की कंपनियों के लिए नकारात्मक नजरिया बरकरार रखा है।
आईटी : हल्की बढ़त की उम्मीद
चौथी तिमाही में सालाना आधार पर आईटी कंपनियों की आय में 20.1% और मुनाफे में 11.8% की बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। हालाँकि तिमाही आधार पर मुनाफे में 2.3% की गिरावट आने की आशंका है, क्योंकि ग्राहक कंपनियों के बजट खत्म होने की तिमाही होने से पारंपरिक रूप से चौथी तिमाही सुस्त रहती है। रुपये में हल्की मजबूती, कारोबार में कोई खास बढ़त नहीं रहने और कमाई में कमी से विप्रो और एचसीएल टेक्नोलॉजीज के मुनाफे में क्रमश: 2.9% और 5% की गिरावट रह सकती है। वहीं वेतन बढ़ोतरी की वजह से इन्फोसिस के मुनाफे में कमी रह सकती है।
धातु : मुनाफे पर दबाव
बिक्री और मार्जिन दोनों में कमी की वजह से धातु क्षेत्र की कंपनियों का मुनाफा सपाट रहने की उम्मीद है। सुस्त माँग के बीच स्टील कीमतें घटने से सालाना आधार पर स्टील कंपनियों के मुनाफे में सबसे ज्यादा 18.4% की गिरावट की आशंका है। स्टील कंपनियों की बिक्री में भी 2% की कमी का अनुमान है। साथ ही स्टील कंपनियों के मार्जिन पर भी दबाव दिख सकता है। चौथी तिमाही में नॉन फेरस कंपनियों को उत्पादों कीमतों में कमी और ऊँची लागत का दोहरा दबाव झेलना पड़ा है। लेकिन इनके मुनाफे में हल्की बढ़ोतरी रहने का अनुमान है। खासकर स्टरलाइट इंडस्ट्रीज का प्रदर्शन बेहतर रहने की उम्मीद है।
तेल-गैस : सब्सिडी के बोझ की मारी ओएनजीसी
सब्सिडी का सालाना बोझ पडऩे से सालाना आधार पर ओनएनजीसी के मुनाफे में 26.1% की तेज गिरावट रह सकती है। ओएनजीसी को छोड़कर दूसरी तेल और गैस कंपनियों के मुनाफे में सालाना आधार पर 25.5% की अच्छी बढ़त रह सकती है।
दवा : कहीं खुशी, कहीं गम
चौथी तिमाही के दौरान बिक्री के मोर्चे पर भारतीय दवा कंपनियों का प्रदर्शन सुस्त रह सकता है। इस दौरान सालाना आधार पर कंपनियों की बिक्री में 5.6% की हल्की बढ़त रहने की उम्मीद है। वहीं मुनाफे के मोर्चे पर कंपनियों का प्रदर्शन मिला जुला रहने की उम्मीद है। रैनबैक्सी की बिक्री और मार्जिन दोनों में गिरावट की आशंका है। लेकिन इसे छोड़कर बाकी कंपनियों का सालाना आधार पर मुनाफा 15.6% की रफ्तार से बढऩे की उम्मीद है।
दूरसंचार सेवा : घट रहा है मुनाफा
इंटरनेट से कमाई सुधरने के बाद ही दूरसंचार (टेलीकॉम) क्षेत्र की हालत बेहतर हो सकती है। लेकिन अभी इसमें वक्त लगेगा। एकमुश्त अतिरिक्त स्पेक्ट्रम शुल्क, 3जी रोमिंग समझौते रद्द होने और स्पेक्ट्रम रीफार्मिंग, लाइसेंस रिन्यूअल जैसे कई मसलों से चौथी तिमाही में दूरसंचार कंपनियों के नतीजों पर दबाव दिख सकता है। इस दौरान सालाना आधार पर दूरसंचार क्षेत्र की कंपनियों के मुनाफे में 39.9% की भारी गिरावट आ सकती है। लेकिन तिमाही आधार पर मुनाफे में 41.7% की बढ़ोतरी का अनुमान है। वहीं कंपनियों की आय में 7.6% की हल्की बढ़त रह सकती है।
एंजेल की समीक्षा में शामिल कुल 151 कंपनियों की तस्वीर भी सेंसेक्स कंपनियों के जैसी ही बनती है। साल-दर-साल बिक्री में 7.3% वृद्धि, लेकिन मुनाफे में 4.7% कमी का अनुमान सामने आता है। दूसरी ओर तीसरी तिमाही से तुलना करने पर बिक्री में 6.3% कमी, लेकिन मुनाफे में 8.0% वृद्धि दिखती है। इसका मतलब यह है कि कंपनियों के लिए कारोबारी माहौल मुश्किल हो गया है, जिसमें घटती बिक्री के बीच वे मार्जिन सुधार कर शुद्ध लाभ बढ़ाने पर ज्यादा ध्यान दे रही हैं। लेकिन उनकी स्थिति वास्तव में मजबूत तभी नजर आयेगी, जब वे बिक्री और शुद्ध लाभ दोनों में बढ़त दर्ज कर पायें।
(निवेश मंथन, अप्रैल 2013)