Nivesh Manthan
Menu
  • Home
  • About Us
  • ई-पत्रिका
  • Blog
  • Home/
  • 2013/
  • अक्तूबर 2013/
  • जोखिम लें, मगर अनुशासन के साथ
Follow @niveshmanthan

बीएसई और एसएंडपी की साझेदारी तालमेल से मिलेगी वैश्विक ताकत

Details
Category: मार्च 2013

आशीष चौहान, सीईओ, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज : 

आपने हाल में एसएंडपी के साथ साझेदारी का फैसला किया है। इस साझेदारी से ब्रांड संबंधी लाभ के अलावा कामकाजी या वित्तीय रूप से आपको किस तरह का लाभ मिलेगा?

हमारी यह साझेदारी रणनीतिक है। इससे निवेशकों, संपदा प्रबंधकों और उत्पाद जारी करने वालों को भारतीय इक्विटी बाजार के मानक सूचकांक सेंसेक्स और बीएसई के अन्य सूचकांकों से मिलने वाले लाभ के साथ-साथ एसएंडपी की वैश्विक मार्केटिंग शक्ति का फायदा भी मिलेगा।
दोनों साझेदार अपने-अपने ब्रांडों के लिए प्रसिद्ध हैं और निवेशकों के लिए जरूरी सूचकांकों को बनाने और उन्हें चलाने में अपनी खूबी के लिए जाने जाते हैं। बीएसई के पास भारतीय बाजार और यहाँ के निवेशकों की रुचियों के बारे में गहरी जानकारी है।
इस नयी साझेदारी से भारतीय निवेशकों को सूचकांक संबंधी ऐसे साधन मिलेंगे, जिससे वे पूरी जानकारी के साथ अपने फैसले कर सकेंगे। वहीं अंतरराष्ट्रीय निवेशकों को विश्व अर्थव्यवस्था की सेहत और दिशा के बारे में जानने के लिए सेंसेक्स, बीएसई 100, बीएसई 200, एसएंडपी 500, डॉव जोंस इंडस्ट्रियल एवरेज, एसएंडपी टीएसएक्स 60 और एसएंडपी एएसएक्स 200 जैसे प्रसिद्ध सूचकांकों की मदद मिलेगी।
इस साझेदारी के जरिये किन खास बाजारों में आप अपनी पहुँच बढ़ाना चाहते हैं?
एसएंडपी डॉव जोंस सूचकांकों के विस्तृत प्लेटफॉर्म से ग्राहकों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आगे बढऩे में सीधी मदद मिलेगी। साथ ही भारतीय शेयर बाजार और यहाँ के निवेशकों के बारे में बीएसई की जानकारी का भी उन्हें फायदा मिलेगा। इससे एसएंडपी डॉव जोंस सूचकांकों को भारत में अपना चौथा बड़ा अंतरराष्ट्रीय कामकाजी केंद्र रखने में भी मदद मिलेगी, जिससे वे वैश्विक स्तर पर अपने ग्राहकों की मदद कर सकेंगे।
एक तरफ बीएसई 1875 में बना 137 साल पुराना और एशिया का सबसे पहला स्टॉक एक्सचेंज है। वहीं एसएंडपी डॉव जोंस इंडिसेज के पास सूचकांकों को चलाने का 115 साल का अनुभव है।
डॉव जोंस इंडस्ट्रियल एवरेज की शुरुआत 1896 में की गयी थी। दोनों साझेदारों की शक्ति संयुक्त रूप से लगने पर एक अच्छा तालमेल पैदा होगा और भारत के मानक सूचकांक सेंसेक्स की पहुँच वैश्विक स्तर पर होगी।
क्या आपने इस संदर्भ में एनएसई के नुकसान को अपने फायदे में बदलना चाहा है?
दोनों साझेदार एक साथ इसलिए आये हैं कि हम साथ मिल कर विकास कर सकते हैं।
हाल में बीएसई ने वायदा बाजार में अपने कारोबार की मात्रा को बढ़ाने के लिए कई तरह के प्रयास किये हैं। क्या इन प्रयासों के सकारात्मक नतीजे दिखने शुरू हो गये हैं?
बीएसई ने इस बारे में सेबी की ओर से तय नीतिगत दिशानिर्देशों का पालन किया है। जब से एलईआईपीएस योजना शुरू हुई, तब से वायदा श्रेणी में बीएसई ने लगातार कारोबार में वृद्धि दर्ज की है। बीएसई को वायदा श्रेणी में 51,800 से ज्यादा खुदरा कारोबारियों को आकर्षित करने में सफलता मिली है।
बीएसई और एनएसई दोनों ने अपने-अपने एसएमई एक्सचेंज शुरू किये हैं। क्या इस क्षेत्र में मिले परिणामों से आप संतुष्ट हैं और क्या आपको इस बारे में अपने शुरुआती लक्ष्य हासिल करने में सफलता मिली है?
बीएसई ने जो भी नयी श्रेणियाँ शुरू की है, उनमें इसे अग्रणी स्थान मिला है। एसएमई एक्सचेंज के लिए भी हम यही बात कह सकते हैं। हम इस श्रेणी में अग्रणी स्थान पर हैं, क्योंकि बीएसई के एसएमई एक्सचेंज में 13 कंपनियाँ सूचीबद्ध हो चुकी हैं, जबकि एनएसई के एसएमई एक्सचेंज में केवल दो सूचीबद्ध कंपनियाँ हैं।
हाल में एमसीएक्स एसएक्स ने इक्विटी श्रेणी में कदम रखा है। इस प्रतिस्पर्धा को लेकर आपकी रणनीति क्या है?
इक्विटी एक्सचेंजों की श्रेणी में पहले से ही प्रतिस्पर्धा रही है। एक समय तो 20 से ज्यादा प्रतिस्पर्धी थे और बीएसई 137 वर्षों से ऐसी प्रतिस्पर्धा का सामना करता रहा है। हम ऐसी स्वस्थ प्रतिस्पर्धा का स्वागत करते हैं, जो नये निवेशकों को इस बाजार में लाये और बाजार को ज्यादा पारदर्शी, उचित और असरदार बनाने में मदद करे।
इस बजट में राजीव गाँधी इक्विटी बचत योजना (आरजीईएसएस) में कुछ बदलाव किये गये हैं। इन बदलावों पर आपकी राय क्या है?
मुझे लगता है कि इन बदलावों से ज्यादा खुदरा निवेशक इस योजना का लाभ उठा सकेंगे और देश में वित्तीय समावेश (इन्क्लूजन) को बढ़ाने में मदद मिलेगी।
(निवेश मंथन, मार्च 2013)

  • सातवाँ वेतन आयोग कहीं खुशी, कहीं रोष
  • एचडीएफसी लाइफ बनेगी सबसे बड़ी निजी बीमा कंपनी
  • सेंसेक्स साल भर में होगा 33,000 पर
  • सर्वेक्षण की कार्यविधि
  • भारतीय अर्थव्यवस्था ही पहला पैमाना
  • उभरते बाजारों में भारत पहली पसंद
  • विश्व नयी आर्थिक व्यवस्था की ओर
  • मौजूदा स्तरों से ज्यादा गिरावट नहीं
  • जीएसटी पारित कराना सरकार के लिए चुनौती
  • निफ्टी 6000 तक जाने की आशंका
  • बाजार मजबूत, सेंसेक्स 33,000 की ओर
  • ब्याज दरें घटने पर तेज होगा विकास
  • आंतरिक कारक ही ला सकेंगे तेजी
  • गिरावट में करें 2-3 साल के लिए निवेश
  • ब्रेक्सिट से एफपीआई निवेश पर असर संभव
  • अस्थिरताओं के बीच सकारात्मक रुझान
  • भारतीय बाजार काफी मजबूत स्थिति में
  • बीत गया भारतीय बाजार का सबसे बुरा दौर
  • निकट भविष्य में रहेगी अस्थिरता
  • साल भर में सेंसेक्स 30,000 पर
  • निफ्टी का 12 महीने में शिखर 9,400 पर
  • ब्रेक्सिट का असर दो सालों तक पड़ेगा
  • 2016-17 में सुधार आने के स्पष्ट संकेत
  • चुनिंदा क्षेत्रों में तेजी आने की उम्मीद
  • सुधारों पर अमल से आयेगी तेजी
  • तेजी के अगले दौर की तैयारी में बाजार
  • ब्रेक्सिट से भारत बनेगा ज्यादा आकर्षक
  • सावधानी से चुनें क्षेत्र और शेयर
  • छोटी अवधि में बाजार धारणा नकारात्मक
  • निफ्टी 8400 के ऊपर जाने पर तेजी
  • ब्रेक्सिट का तत्काल कोई प्रभाव नहीं
  • निफ्टी अभी 8500-7800 के दायरे में
  • पूँजी मुड़ेगी सोना या यूएस ट्रेजरी की ओर
  • निफ्टी छू सकता है ऐतिहासिक शिखर
  • विकास दर की अच्छी संभावनाओं का लाभ
  • बेहद लंबी अवधि की तेजी का चक्र
  • मुद्रा बाजार की हलचल से चिंता
  • ब्रेक्सिट से भारत को होगा फायदा
  • निफ्टी साल भर में 9,200 के ऊपर
  • घरेलू बाजार आधारित दिग्गजों में करें निवेश
  • गिरावट पर खरीदारी की रणनीति
  • साल भर में 15% बढ़त की उम्मीद
  • भारतीय बाजार का मूल्यांकन ऊँचा
  • सेंसेक्स साल भर में 32,000 की ओर
  • भारतीय बाजार बड़ी तेजी की ओर
  • बाजार सकारात्मक, जारी रहेगा विदेशी निवेश
  • ब्रेक्सिट का परोक्ष असर होगा भारत पर
  • 3-4 साल के नजरिये से जमा करें शेयरों को
  • रुपये में कमजोरी का अल्पकालिक असर
  • साल भर में नया शिखर
7 Empire

अर्थव्यवस्था

  • भारत की विकास दर (जीडीपी वृद्धि दर) : भविष्य के अनुमान
  • भारत की विकास दर (जीडीपी वृद्धि दर) बीती तिमाहियों में
  • भारत की विकास दर (जीडीपी वृद्धि दर) बीते वर्षों में

बाजार के जानकारों से पूछें अपने सवाल

सोशल मीडिया पर

Additionaly, you are welcome to connect with us on the following Social Media sites.

  • Like us on Facebook
  • Follow us on Twitter
  • YouTube Channel
  • Connect on Linkedin

Download Magzine

    Overview
  • 2023
  • 2016
    • July 2016
    • February 2016
  • 2014
    • January

बातचीत

© 2025 Nivesh Manthan

  • About Us
  • Blog
  • Contact Us
Go Top