सुगंधा सचदेव, धातु विश्लेषक, रेलिगेयर कमोडिटीज :
फरवरी में शुरुआती मजबूती के बाद सोने में तेज गिरावट आयी।
अमेरिकी अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेतों और फेडरल रिजर्व के बांड खरीदारी कार्यक्रम में बदलाव की संभावना से सोना साढ़े सात महीनों के निचले स्तर पर आ गया। दुनिया भर के शेयर बाजारों में तेजी से भी सोने की कीमतों में सुस्ती के संकेत मिलते हैं। जाहिर है निवेशकों की जोखिम लेने की क्षमता बढ़ रही है और सोने जैसे सुरक्षित निवेश की ओर उनकी रुचि घटी है। डॉलर सूचकांक में मजबूती से भी कीमती धातुओं में सुस्ती के संकेत मिल रहे हैं। साथ ही यूरोप की आर्थिक सेहत में सुधार के संकेत मिल रहे हैं। दुनिया के सबसे बड़े सोना आधारित एक्सचेंज ट्रेडेड फंड न्यूयॉर्क के एसपीडीआर गोल्ड ट्रस्ट ने कहा है कि 20 फरवरी को उसकी होल्डिंग 20.77 टन घटी। जॉर्ज सोरोस, जूलियन रॉबर्टसन और आलिआंज के पीआईएमसीओ जैसे संस्थागत निवेशक लगातार सोने की बिकवाली कर रहे हैं। हालाँकि कीमतों में गिरावट से फरवरी के आखिरी हफ्ते में एशियाई भौतिक बाजारों में खरीदारी हुई है।
इस साल की शुरुआत से ही सोने में चल रही बिकवाली से सोने की कीमतें काफी नीचे आ चुकी हैं। एक छोटी वापस उछाल (पुल बैक) के पहले एमसीएक्स में सोने ने 5 महीने का निचला स्तर 29,263 रुपये प्रति 10 ग्राम का स्तर छुआ। वहीं कॉमेक्स पर सोना 1554 डॉलर प्रति औंस तक लुढ़का। साप्ताहिक चार्ट पर देखें तो सोने की कीमत एक गिरती पट्टी में चल रही है और नजदीकी रुझान मंदी का ही है। हालाँकि एमसीएक्स पर 29,300 रुपये प्रति 10 ग्राम और कॉमेक्स पर 1550 डॉलर प्रति औंस के स्तर पर कीमतों को सहारा मिला है।
एक अहम संकेतक आरएसआई (14) इस समय 32 पर है, जो अत्यधिक बिकवाली की स्थिति का संकेत कर रहा है। ऐसे में छोटी अवधि में सोने की कीमत में एक वापस उछाल आ सकती है। सोना इन समर्थन स्तरों से नीचे फिसलने पर एमसीएक्स में 28,750 रुपये प्रति 10 ग्राम और कॉमेक्स पर 1520 डॉलर प्रति औंस तक लुढ़क सकता है। किसी उछाल में सोना 30,200 रुपये प्रति 10 ग्राम तक जा सकता है, जो 50 दिनों का एक्सपोनेंशियल मूविंग एवरेज भी है। मोटे तौर पर लग रहा है कि सोने की कीमतों में तेज उतार-चढ़ाव आने से पहले कीमतें एक दायरे में टिकी रहेंगी।
पिछले महीने चाँदी में भी तेज गिरावट रही और वैश्विक बाजार में इसकी कीमत 29 डॉलर प्रति औंस तक फिसल गयी। निवेशकों की सुस्त माँग और चीन में नये साल की छुट्टियों की वजह से भौतिक माँग भी ठंडी पडऩे से कीमतों में तेज गिरावट आयी। फेडरल रिजर्व की बांड खरीदारी धीमी पडऩे या रुकने के संकेतों से भी कीमतों पर दबाव रहा। अमेरिका और यूरोप की अर्थव्यवस्थाओं में सुधार के संकेतों से दिशा उलट गयी है। डॉलर के मुकाबले यूरो की कमजोरी से भी चाँदी की कीमतों पर दबाव पड़ा है। वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में सुधार से छोटी अवधि में चाँदी की कीमतों के एक छोटे दायरे में रहने की उम्मीद है। एशियाई बाजारों और खास कर चीन से माँग बढऩे से कीमतों को सहारा भी मिल सकता है।
चाँदी में पिछले महीने नकारात्मक रुझान जारी रहा और एमसीएक्स पर 56,800 रुपये प्रति किलोग्राम का अहम समर्थन स्तर भी टूट गया। साप्ताहिक चार्ट के मुताबिक पिछले कुछ महीनों से इसकी कीमत एक गिरती पट्टी में है, जिससे छोटी अवधि में मंदी के संकेत मिलते हैं। चाँदी की कीमत 90 दिनों के ईएमए के नीचे है, जो मंदडिय़ों की पकड़ मजबूत होने का संकेत है। हालाँकि 14 दिनों का आरएसआई अत्यधिक बिकवाली की स्थिति का इशारा कर रहा है, जिससे छोटी अवधि में वापस उछाल दिख सकती है। एमसीएक्स पर चाँदी के लिए 53,000 रुपये प्रति किलो और कॉमेक्स पर 6 डॉलर प्रति औंस पर मजबूत सहारा है। अगर ये स्तर टूटे तो चाँदी 50,500 रुपये प्रति किलो तक फिसल सकती है। वहीं 57,000 रुपये के ऊपर जाने पर ही इसमें टिकाऊ तेजी की उम्मीद की जा सकती है। एमसीएक्स पर चाँदी का प्रमुख बाधा स्तर 60,000 रुपये है।
(निवेश मंथन, मार्च 2013)