डी आलोक :
कारोबारी साल 2012-13 की तीसरी तिमाही के नतीजे भारतीय उद्योग जगत के लिए मिले-जुले रहे हैं।
हालाँकि कुछ क्षेत्रों ने इस दौरान अवश्य ही अच्छा प्रदर्शन किया है, लेकिन अधिकांश क्षेत्रों के नतीजे संतोषजनक नहीं रहे हैं। मुख्यत: आईटी क्षेत्र, तेल-गैस क्षेत्र और निजी क्षेत्र के बैंकों ने अक्टूबर-दिसंबर 2012 की अवधि के अच्छे परिणाम सामने रखे हैं। लेकिन इनके अतिरिक्त अधिकांश क्षेत्रों का हाल बुरा रहा है। बुनियादी ढाँचा, कैपिटल गुड्स, सीमेंट, इस्पात (स्टील), संचार (टेलीकॉम) जैसे क्षेत्रों और सरकारी बैंकों के तिमाही नतीजे मोटे तौर पर उम्मीद से कमतर ही रहे हैं।
सेंसेक्स कंपनियों का कमजोर प्रदर्शन
एंजेल ब्रोकिंग ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है, ‘कारोबारी साल 2012-13 की तीसरी तिमाही में आमदनी के मोर्चे पर कंपनियों ने उम्मीद से कमजोर बढ़त दिखायी, जिसकी वजह से मुनाफे के मोर्चे पर इनका प्रदर्शन हमारी उम्मीदों से खराब रहा है।' रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि सेंसेक्स में शामिल कंपनियों के मुनाफे में इस दौरान साल-दर-साल के आधार पर 9.4% की बढ़ोतरी दर्ज की गयी, जबकि हमने 11.0% की वृद्धि की उम्मीद व्यक्त की थी। एंजेल ब्रोकिंग ने कहा है, ‘सेंसेक्स में शामिल कंपनियों की आमदनी में अक्टूबर-दिसंबर 2012 के दौरान साल-दर-साल 9.7% की वृद्धि दर्ज की गयी, जबकि हमने इसमें साल-दर-साल 10.3% की बढ़ोतरी होने का अनुमान लगाया था।‘
इन तिमाही नतीजों से संबंधित अपनी समीक्षा रिपोर्ट में इडेलवाइज फाइनेंशियल ने कहा है कि यह लगातार चौथी ऐसी तिमाही है जब इन कंपनियों की आमदनी में 20% से कम की वृद्धि दर्ज की गयी है। इस ब्रोकिंग फर्म के अनुसार सेंसेक्स कंपनियों की आमदनी अक्टूबर-दिसंबर के दौरान साल-दर-साल 9.6% की दर से बढ़ी है।
दूसरी ओर आईसीआईसीआई डायरेक्ट ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है, ‘मौजूदा कारोबारी साल की तीसरी तिमाही में सेंसेक्स कंपनियों की आमदनी में साल-दर-साल तकरीबन 10% का इजाफा हुआ है। तिमाही-दर-तिमाही की बात करें तो इन कंपनियों की आय लगभग 5% बढ़ी है।’ इस फर्म ने आगे अपनी रिपोर्ट में बताया है कि इस दौरान इन कंपनियों का एबिटा मार्जिन साल-दर-साल 0.50% अंक (50 बेसिस प्वाइंट) घट कर 17.2% रहा है, क्योंकि आमदनी में हुई वृद्धि के असर को लागत में हुई बढ़ोतरी ने खत्म कर दिया।
आईसीआईसीआई डायरेक्ट ने अपनी इस रिपोर्ट में आगे कहा है, ‘जहाँ तक सेंसेक्स कंपनियों के मुनाफे का सवाल है, इसमें इस दौरान साल-दर-साल 1% की कमी दर्ज की गयी।’ आईसीआईसीआई डायरेक्ट ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि मौजूदा कारोबारी साल की तीसरी तिमाही के दौरान सेंसेक्स के ईपीएस में साल-दर-साल के आधार पर 5.5% की तेजी दर्ज की गयी, जबकि तिमाही-दर-तिमाही आधार पर इसमें लगभग 1% की बढ़त देखी गयी।
क्या रही है खराब प्रदर्शन की वजह
जहाँ तक मुनाफे में कमी के कारणों का सवाल है, इडेलवाइज फाइनेंशियल ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि मुख्यत: ब्याज लागत बढऩे की वजह से कंपनियों ने कर बाद लाभ (पीएटी) या मुनाफे के मोर्चे पर निराश किया है। रिपोर्ट के अनुसार, ‘हमारी समीक्षा में शामिल की कंपनियों की ब्याज लागत में इस दौरान तिमाही-दर-तिमाही के आधार 0.40% अंक की उछाल आयी और यह बढ़ कर कुल बिक्री का 3% हो गयी, जो पिछले तीन सालों में सबसे अधिक है।’
इडेलवाइज की रिपोर्ट में आगे कहा गया है, ‘आर्थिक गतिविधियों में धीमेपन की वजह से खाद्य पदार्थ और कुछ विशिष्ट व्यक्तिगत उपभोग के उत्पादों की माँग पर अक्टूबर-दिसंबर तिमाही के दौरान बुरा असर पड़ा।’ दूसरी ओर एंजेल ब्रोकिंग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, %आर्थिक गतिविधियों में धीमेपन, कमतर पूँजीगत व्यय (कैपिटल एक्सपेंडिचर) और ऊँची ब्याज दरों की वजह से कंपनियों के प्रदर्शन पर बुरा असर पड़ा है।’
जानकारों की मानें तो अक्टूबर-दिसंबर तिमाही के दौरान आर्थिक धीमापन गहराता नजर आया। कंपनियों का प्रदर्शन इस बात की ओर कतई संकेत नहीं करता कि आर्थिक धीमेपन के मोर्चे पर स्थितियाँ सुधर रही हैं। इस तिमाही के दौरान सीमेंट और स्टील की माँग में कमी दर्ज की गयी और नये ठेके दिये जाने की गति भी धीमी पड़ी। निर्माण गतिविधियों में भी धीमापन दिखा। बीएचईएल जैसी दिग्गज कंपनी को पिछले एक दशक में पहली बार बिक्री के मोर्चे पर भी गिरावट से दो-चार होना पड़ा।
कैसा रहा विभिन्न क्षेत्रों का प्रदर्शन
एंजेल ब्रोकिंग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस तिमाही के दौरान आईटी कंपनियों, निजी बैंकों और तेल-गैस क्षेत्र ने मुनाफे के मोर्चे पर बेहतर प्रदर्शन किया। आईसीआईसीआई डायरेक्ट ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि आईटी क्षेत्र और बिजली क्षेत्र ने इस तिमाही के दौरान आमदनी में अच्छी बढ़ोतरी दर्ज की है।
अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में आईटी क्षेत्र की आमदनी में साल-दर-साल लगभग 15% की वृद्धि हुई, जबकि बिजली क्षेत्र की आय में इस दौरान सालाना आधार पर तकरीबन 12% की बढ़ोतरी देखी गयी।
एंजेल ब्रोकिंग ने कहा है, मुख्यत: बड़ी आईटी कंपनियों की आमदनी में उम्मीद से बेहतर बढ़ोतरी की वजह से इस तिमाही में आईटी कंपनियों की आमदनी में साल-दर-साल 17.4% की वृद्धि देखी गयी।’ वहीं आईसीआईसीआई डायरेक्ट की रिपोर्ट के अनुसार, ‘आईटी क्षेत्र के मुनाफे (पीएटी) में इस दौरान 15% की सालाना दर से इजाफा हुआ। तिमाही-दर-तिमाही नजरिये से देखें तो आईटी क्षेत्र का मुनाफा लगभग 3% की दर से बढ़ा।’
जहाँ तक बैंकिंग क्षेत्र का सवाल है, इसके प्रदर्शन को दो भागों में बाँटा जा सकता है। जहाँ एक ओर सरकारी (पीएसयू) बैंकों की परिसंपत्तियों की गुणवत्ता (एसेट क्वालिटी) के मोर्चे पर सुधार के लक्षण नहीं दिखे, वहीं निजी क्षेत्र के बैंकों की स्थिति इस मामले में बेहतर रही। यही नहीं, सरकारी बैंकों को कर्जों के पुनर्गठन से संबंधित अधिक राशि का प्रावधान (प्रॉविजनिंग) करना पड़ा। एंजेल ब्रोकिंग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, ‘सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के मुकाबले परिसंपत्तियों की गुणवत्ता से संबंधित कम दबाव की वजह से निजी बैंकों के मुनाफे में अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में साल-दर-साल के आधार पर 28.5% की वृद्धि दर्ज की गयी।’
इडेलवाइज ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, ‘एलपीजी सिलिंडरों, डीजल और पेट्रोल की सब्सिडी को तर्कसंगत बनाते हुए सरकार ने पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों से संबंधित सुधार के जो कदम उठाये, उनकी वजह से इस तिमाही के दौरान तेल-गैस क्षेत्र का प्रदर्शन उम्मीद से बेहतर रहा है।’ दूसरी ओर एंजेल ब्रोकिंग का कहना है कि इस दौरान मुख्यत: ओएनजीसी और रिलायंस इंडस्ट्रीज के प्रदर्शन की वजह से तेल-गैस कंपनियों के मुनाफे में साल-दर-साल के आधार पर 36.4% की वृद्धि दर्ज की गयी जो हमारे अनुमान से बेहतर है।
आईसीआईसीआई डायरेक्ट ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, ‘मुख्यत: ऑटो क्षेत्र और बिजली क्षेत्र की कंपनियों के मुनाफे में कमी की वजह से इस तिमाही के दौरान सेंसेक्स कंपनियों के लाभ में गिरावट दर्ज की गयी। जहाँ ऑटो क्षेत्र की कंपनियों के मुनाफे में साल-दर-साल 25% की कमी दर्ज की गयी, वहीं बिजली क्षेत्र की कंपनियों को मुनाफे के मोर्चे पर साल-दर-साल के आधार पर 7% का नुकसान सहना पड़ा।’
ऑटो क्षेत्र के बारे में एंजेल ब्रोकिंग का कहना है कि मुख्यत: टाटा मोटर्स के खराब प्रदर्शन की वजह से इस तिमाही में ऑटो कंपनियों के मुनाफे में सालाना आधार पर 26.8% की गिरावट दर्ज की गयी।
आईसीआईसीआई डायरेक्ट ने अपनी रिपोर्ट में आगे बताया है कि कैपिटल गुड्स और धातु क्षेत्रों की आमदनी में इस दौरान साल-दर-साल के आधार पर महज 3-4% की वृद्धि हुई। दूसरी ओर एंजेल ब्रोकिंग का कहना है कि लौह (फेरस) क्षेत्र की धातु कंपनियों की आमदनी में गिरावट आने और कम प्राप्तियों की वजह से मार्जिन पर बुरा असर पड़ा। इसके चलते अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में धातु कंपनियों के मुनाफे में साल-दर-साल 21.8% की गिरावट आयी।
जहाँ तक टेलीकॉम कंपनियों के तिमाही प्रदर्शन का सवाल है, एंजेल ब्रोकिंग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि मार्जिन पर दबाव की वजह से टेलीकॉम कंपनियों को अपने मुनाफे में साल-दर-साल 56.3% की जबरदस्त गिरावट की मार सहनी पड़ी है।
(निवेश मंथन, मार्च 2013)