अनिल कुमार शर्मा, सीएमडी, आम्रपाली समूह :
रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए इस साल का बजट मिला-जुला रहा है।
मेरा मानना है कि 50 लाख रुपये से ज्यादा की संपत्ति के हस्तांतरण और खरीद पर 1% अतिरिक्त टीडीएस काटे जाने से केवल धनी लोगों पर नहीं, बल्कि बड़े शहरों में मध्यम वर्ग पर भी असर होगा। इससे मध्यम वर्ग के लोगों के लिए भी अब अपना घर खरीद पाना कुछ महँगा हो जायेगा।
रियल एस्टेट क्षेत्र को उद्योग का दर्जा और सस्ते घरों की योजनाओं को बुनियादी ढाँचा का दर्जा दिये जाने की माँग नहीं माने जाने पर भी मुझे निराशा हुई है। इसके अलावा गृह परियोजनाओं (हाउसिंग प्रोजेक्ट) के लिए एकल खिड़की स्वीकृति या सिंगल विंडो क्लीयरेंस की व्यवस्था लागू करने की माँग माने जाने की उम्मीद भी थी, जो इस बजट में पूरी नहीं हो पायी है। लेकिन कुछ बातों पर राहत भी मिली है।
गृह कर्ज के ब्याज भुगतान पर मिलने वाली छूट की सीमा को बढ़ा कर ढाई लाख रुपये करना अच्छा कदम है। बजट भाषण में वित्त मंत्री ने घोषित किया है कि पहली बार घर खरीदने वालों 25 लाख रुपये तक के गृह कर्ज के ब्याज भुगतान पर एक लाख रुपये तक की अतिरिक्त कर छूट मिलेगी। मौजूदा प्रावधानों के तहत किसी भी गृह कर्ज के ब्याज भुगतान पर 1.5 लाख रुपये की कर छूट मिलती है।
इसके अलावा सीमेंट, एल्युमीनियम और इस्पात जैसी निर्माण सामग्रियों पर कोई अतिरिक्त उत्पाद (एक्साइज) शुल्क नहीं लगाया गया है। साथ ही सेवा कर (सर्विस टैक्स) में बढ़ोतरी नहीं होना भी रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए राहत की बात है।
(निवेश मंथन, मार्च 2013)