पी एन विजय, सीईओ, पीएनवी फाइनेंशियल सर्विसेज :
बजट मेरे विचार से ठीक-ठाक रहा है और इसके बाद अब बाजार में एक उछाल दिख रही है।
दरअसल इस उछाल के पीछे कई बातें हैं। एक बड़ी घटना पार हो चुकी है। बाजार में बजट आने से पहले एक सीधा-सा डर जरूर समाया था कि सरकार अपना राजकोषीय घाटा (फिस्कल डेफिसिट) कम करने के लिए करों में काफी इजाफा कर सकती है, खास कर अप्रत्यक्ष करों (इन्डायरेक्ट टैक्स) में। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। सरकार ने अपने घाटे को कम करने के लिए अपने खर्चों और सब्सिडी (सरकारी सहायता) वगैरह में कटौती जैसे दूसरे उपायों पर जोर दिया है। इस लिहाज से बजट ने जरूर बाजार को एक राहत दी है। इसमें कोई खास नकारात्मक पहलू नहीं रहा है। इसके चलते बजट पार होने के बाद बाजार में एक राहत वाली तेजी बनी है।
बजट के तुरंत बाद वैश्विक संकेत भी खराब होते नजर आये थे। खास कर चीन से आने वाली खबरें बाजार के लिए अच्छी नहीं रहीं। इसका भारतीय शेयर बाजार पर भी असर पड़ा। लेकिन इसके बाद वैश्विक बाजारों में भी तेजी आयी और अमेरिकी बाजार अपने रिकॉर्ड ऊपरी स्तर पर आ गया।
इसके अलावा अब महँगाई दर कम हो रही है। साथ ही बजट में सरकार ने घाटे पर नियंत्रण रखा है। इन दोनों के चलते उम्मीद बनी है कि आगे चल कर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) अपनी ब्याज दरों में कटौती कर सकता है। ऐसा होना लंबी अवधि के लिए भारतीय बाजार पर सकारात्मक असर डालेगा। ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद के चलते ही मार्च के पहले हफ्ते में बैंक शेयरों में अच्छी उछाल दिखी है।
इसके अलावा अगर मँझोले शेयरों को देखें तो वहाँ काफी ज्यादा गिरावट आ गयी थी। उनमें आम तौर पर जो गिरावट आयी, वह फाइनेंसरों की बिकवाली से शुरू हुई। ऐसे काफी शेयरों को या तो प्रमोटरों ने गिरवी रखा था या बाजार के बड़े खिलाडिय़ों ने, जिन्हें अक्सर ऑपरेटर कहा जाता है। ऐसी थोक बिकवाली से आयी गिरावट में कहीं से खरीदारी का सहारा नहीं मिला। संस्थागत निवेशकों ने इन शेयरों को खरीदने में दिलचस्पी नहीं ली। इसके चलते इकतरफा ढंग से ये शेयर गिरते चले गये। इनमें बड़ी गिरावट का यही प्रमुख कारण रहा, जबकि बहुत से ऐसे मँझोले शेयरों में बुनियादी रूप से कोई खराबी नहीं है। इस बात को देखते हुए कई मँझोले शेयर भी वापस सँभले हैं।
मार्च के पहले हफ्ते में बाजार ने एक अच्छी उछाल ली है, जिसके चलते बाजार में फिर से थोड़ी नरमी (करेक्शन) आने की संभावना बनती है। अग्रिम कर (एडवांस टैक्स) के आँकड़े आने के समय यह नरमी आ सकती है। लेकिन इस नरमी में संभवत: निफ्टी 5800 से ज्यादा नीचे न जाये। अगर निफ्टी वापस 5600-5800 के आसपास आये तो वहाँ से ऊपर बढऩे की ज्यादा गुंजाइश रहेगी, जबकि नीचे गिरने की संभावना सीमित होगी। इन स्तरों पर बाजार में खरीदारी का एक अच्छा मौका होगा।
(निवेश मंथन, मार्च 2013)